Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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बी परिसिट्टे - सहाणुकमो मूलसद्दो सक्कत्थो सुकाइ मूलसद्दो
पलिभोवमपुहुतं पल्योपमपृथक्त्वम् १३२७ पलिभोवमसतं पल्योपमशतम्
१३२७
पलिभोवमसयं
पलिनोवमस्स
पलिभोवमं
>पछिभोषमं
पछिभोव माई
•
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१३२७
""
पल्योपमस्य
૨૮૭
[१३], ३८९ [१३],
६०५, ६१६ [२],
१४७२, १६९८ [१], १६९९ [२], १७०० [२, ४, ९, ११, १३], १७०२ [१,३-६,८९, ११, १३, १८ - २२, २४२७, ३६-३९,४३, ४५], १७०५, १७०७ [१], १७०८ [२,४,७-८], १७११ [२] तः १७१३, १७१५, १७१७, १७१८, १७२१, १७२२, १७२५, १७२७ तः १७३० [१], १७३१ [१,३-५] पल्योपमम् ३५० [१३], ३५१ [१३], ३९३ [१,३], ३९५ [१,३], ३९७ [१,३], ३९९ [१,३], ४०१ [१,३], ४०७ तः ४१६ सूत्राणां प्रथम-तृतीयकण्डिके, पृ.
१२५ टि. १ पल्योपमम् ३९७तः ४०६ सूत्राणां प्रथम-तृतीयकण्डिके पल्योपमानि ३४४ [9, ३], ३४६ [१३], ३४८ [१३], ३७२ [१३], ३७४ [१,३], ३७८ [१,३], ३८० [१,३], ३९० [१,३],
३९२ [१, ३], ४०८ [१,३], ४१०[१,३], ४१२[१,
पलिभोवमाई
पलिभागभाव
माताए
पलिभागं
०
पलिभागी
पलिभागेणं
१२५२, १२५३ प्रतिभागम् ९९९ [१] प्रतिभागी १७४७ [१],
१७५० तः १७५२
प्रतिभागेन ९१८ [१] प्रतिभागः ९२२, ९२३ पलिभोवमासंखेज्ज - पल्योपमासङ्ख्येयभाग
०
• पलिभागो
इभाग० पलिमंथा
१३३७ तः १३३९ परिमन्थाः ५० गा. ४२ वनस्पतिविशेषः ५४ [१]
पलुगा
गा. ५२
पल्यकसंस्थितः
पल्वलकेषु पल्वलेषु
पल्लगसंठिए
पल्ललएसु पलले
पल्हव
• पल्हायणिज्जा पवगदेवा
पवडणया
पवण
पवन्तइ
पवन्तति पवत्ति
२५९
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सकयत्थो
सुकाइ
३], ४१४[१,३], ४१५ [१,३], ४१६ [१,३], १२६२ [२], १२६४ [3], १२६८ [२], १२७० [२], १३२७,
१७०१ [२] पल्योपमे ३४९ [१,३],
३५१ [१,३] प्रतिभागभावमात्रया
२००९
[१]
४७ टि. १
१५१, १६०,
१६३ तः १६६, १७५
पहवः - म्लेच्छजातिविशेषः
९८
प्रह्लादनीया १२३७ पदक देवाः पदगदेवाः पतगदेवा वा पृ. ६४ टि. ६
प्रपतनता
११२० १७७
पवन [कुमाराः ]
गा. १३७
प्रवर्तते १०७, ११०६,
११०७, ११२२ १११०
"
प्रवर्तिनम् - प्रवर्तकम् १११८
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