Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

Previous | Next

Page 764
________________ २४७ मूलसद्दो ०पण्णत्तं पण्णत्ता बीयं परिसिटुं- सहाणुक्कमो सक्कयत्यो सुत्तंकाइ । मूलसहो प्रज्ञप्तम् १४२० [२३], १४२१[२],१४२५[२], १४२८[२],१४३१[२], १४३२ [२-३], १४३७ [२-३], १४५२ प्रज्ञप्ता ४, ६, १४, १५, १७, १९,५८[१], ५९, २११, २३५ तः ३५१ [१], ३५४[१-३], ३५७ [१], ३६० [१], ३६३ [१], ३६६ [१], ३६९ [१], ३७० [१], ३७१ [१], ३७२ [१], ३७५ [१], ३८१ [१], ३८४ [१], ३८७ [१], पण्णत्ता ३९० [१], ३९३ [१], ३९४ [१], ३९५ [१], ३९६ [१], ३९९ [१], ४०७ [१], ४०८ [१], ४०९ [१], ४३६ [१], ४३७ [१-३], ५६० तः ५६८, ७३८, ७७३[१], ८५८, ८६० तः ८६६, १००९ [१], १०११ [१], १०१२[१], १०१४ [१], १०१६ [१], १०८६ तः १०८८, १०९२ तः ११००, ११०२ तः ११०५, ११२०, १२२६ तः १२३१, १२३३ तः १२३८, १२४३, १२४४, १५०२, १५०६ [१], १५०७[१], १५१३ [१], १५२७ तः १५२९ [२], १५३०, १५३१, १५३२ [१,६], १५३५, सक्कयत्थो सुत्तंकाइ १५४५ तः १५४७ [१], १५४८ तः १५५०, १५५१ [१, ४, ६, ९], १५६८ तः १५७२, १६९७, १६९८ [१.२], १९३६ तः १९३८, १९४० तः १९४२, १९४४, १९४५, १९४७, १९४८, १९५०,१९५१ १९५७ [१], १९५८, २०५२ [१], २०५५, २०६०,२०६३, २०६६, २०६९,२०७२,२०७७, पृ. १२६ टि. १ प्रज्ञप्ताः ७, ८[१, ४-५], २०, २१, २४, २६, २८[१], २९, ३१, ३२, ३४[१, २], ३५, ३५, ४० तः ४३, ५१, ५२, ५४[१], ५५[१], ५७ [२], ५८[२], ६० तः ६७, ६८[१, ३], ६९ तः ७३, ७५ [१, ३], ७७ तः ८१, ८४[१,३], ८५[१-२, ४], ८६, ८७, ८९, ९०, ९१[१, ३], ९२, ९४, ९५, ९७ तः १०३, १०५, १०६, १०८ तः १२०, १२२ तः १३१, १३४ तः १३९, १४० [२], १४१[१.२], १४२ [२] तः १४७, १५०, १५६, १५९, १६२, १६७ तः १७४, १९७ [१], १९८ [१], १९९ [१], २०६ [१], २०७ तः २१०, ४३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934