Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
________________
१९७
मूलसद्दो
तला
तलाएसु
तलागाण तलागेसु ०तले
तल्लेसे
तल्लेस्सेतु तव० तवणिज
तवणिज० तवविसिट्ठया तविय तव्वइरित्ते
बीयं परिसिटुं-सहाणुकमो सक्कयत्थो सुत्तंकाइ । मूलसद्दो तलाः १६७ तः १७४ ० तसकाइयाणं तलानि १७७, १७८ तसकाएणं
[१], १८८ तडागेषु १५१, १६३ तः तसणामाए १६६, १७५
तसणामे तडागानाम् ८८५
तसिता तडागेषु पृ. ४८ टि. ४
तसिया तले पृ. २९० टि. ५ तल्लेश्यः १२०१ [१],
तस्स १२०३ [१], १२०८, १२१० [१, ३], १२११ तल्लेश्येषु १११७ तपस् ११० गा. १२८ तपनीय ५४ [१०] गा.
१०२, १७८ [२] , १९५ [१] तपोविशिष्टता १६८५[१] तप्त पृ. ६३ टि. १ तद्वयतिरिक्तः १७४२,
१७४४
१७४३ त्रसकायिकः १२८९
१३१२ त्रसकायिक २४४, २४८,
२४९, १३२० ,, १२९२, १२९९ त्रसकाथिकाः २३२ तः २३४, २३५[७], २३६, २४२, ३२२ तः ३२४ ,, २४३, २४४,२४५
[९] तः २४९, २५१ त्रसकायिकानाम् २३४ , २४२, २४६,
२४७, २५१ । २३२, २३३, २३५ [७], २३६
सकयत्थो सुत्तंकाइ त्रसकायिकानाम् २४५[९] त्रसकायेन १००२,
१००३ [१] त्रसनानः १७०२ [४४] त्रसनाम १६९३ त्रासिताः १७० , १६७ तः १६९,
१७१ तः १७४ तस्य २११, २११ गा. १६२ गा. १७५, ४६०, ४६१, ९८२, ९८५[९], ९८७ [४], १००८ [२], १०११ [२], १०४२, १०४३ [२], १०५७, १०८८, १५५९ तः १५६१, १५६३ [१], १५६४, १५६६, १६०७ तः १६०९, १६१२, १६१३ [१], १६१९, १६२८ तः १६३०, १६३३, १६३४, १६३५ [१,४], १७२१,१७२५, १७३३, १९०७, २१०२, २११७ [१], पृ. २४९ टि. १, पृ. २५७ टि. १-२ तस्मै १ [गा. २] तथा १ गा. ३, ४० गा. १५, ४२ गा. १९ गा. २३, ४३ गा. २४-२५, ४५ गा. २९ गा. ३२, ४६ गा. ३३, ४८ गा. ३७, ४९ गा. ३९, ५३, गा. ४५.४६, ५४ [-] गा. ९२, ९१ [४] गा. १११,१०२ गा.११२ गा. ११५, १८७ गा. १४३, ८३०, ८६६ गा, १९६,
तव्वतिरित्ते तसकाइए ०तसकाइए तसकाइय
"
तसकाइय० तसकाइया
तसकाइया
तसकाइयाण ०तसकाइयाण
तसकाइयाणं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934