Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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- जहा ददुपइण्णे, सव्ववत्तव्वया कालाओ जाव सिज्झिहिति ॥ ६९ ॥ एवं खल जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं पढमस्स अज्झयणस्स
अयम? पण्णत्ते, तिबेमे ॥ दुहविवागाणं पढ़मं अज्झयणं मम्मत्तं ॥ १ ॥ कर सिद्ध होगा बुद्ध होगा युक्त होगा निर्वाण पावेगा सब दःख का अन्तःकरेगा।॥३१॥यों निश्चय हे जम्बू! श्रमण भगवंत महावीर स्वामी यावत् मुक्ति पारे उनाने दुःख विपाक के प्रथा अध्ययन का यह अर्थ कहा, तैसा मैनें तेरे से कहा ॥ इति मृगा पुत्र का प्रथम अध्ययन समाप्तम् ॥ १ ॥
+ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी -
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालामगादजी.
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