Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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4 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री मोहक ऋणी
उरोहियाधि होत्था ॥ ७ ॥ तस्सणं महासेणस्सपुत्ते धारणीदेवीए अत्तए सीहोण णामं कुमारे होत्था, अहीण जुबराया ॥ ८ ॥ तएणं तस्स सीहोणस कुमारस्स अम्मापियरो अण्णयाकयाइ पंचपासयवासयाई करेइ, अब्भूगए ॥ ९॥ तएणं तस्म सीहसेणस्स कुमारस्स अन्नयाकयाई सामापामोक्खाणं पंचहरायवर कण्हगसयाणं एगंदिवसेगं पाणीगिण्हावेइ पंचसइ उदाती ॥ १० ॥ तएणं से सीहसणस्स कुमारस्त सामापामक्खेिहिं पंचदेवीसएहिं साढ़ें उपि जाव विहरइ ॥ १७ ॥
तएणं से महासेणराया अण्णयाकयाइ कालधम्मुणा संजुना, जीहारणं, रायाजाए ॥७॥ उस महासेनराजा कापुत्र धारनी देवीका आत्यज सहसेन नामका कुमार था, वह सर्व अंगोपांगकर पूर्ण युवराज्यपद पर स्थापन किया था, ॥ ८॥ तब फिर सिंहसेन कुमार के सातापिताने एक दा पांचमो प्रमाद शिखाग्बंध कराय, वे बहुत ऊंचे पावत् शोभायमान थे, ॥२॥ नव फिर सिंहसेन कुमार को एक ही वक्त सामादवी प्रमुख पाँचसो (५००) राजा प्रधान की कुमारी का के साथ पानी ग्रहण कराया, पांच से हिरन्य क्रोड, पांचसो ग्राम आदि १९२ बोल का पांचसो २ दायचा दिया ॥१०॥ तब फिर सिंहसेनकुमार पांचसो रानीयों के साथ प्रसादो के उपर पांचों इन्द्रिय के भोगभोगवता हुवा विचरने लगा ॥ ११ ॥ तब एकदा वह महासेणराजा कालधर्ष माप्तहुआ-मृत्युपाया. उसका
• प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी उदाहारसादजी.
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