Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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* नवम-अध्ययनम् * जइणं भंसे ! उक्खोवो णवमस्स-एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं राही. डएणामं णयरे होत्था रिद्वत्थमिय, पुढवावडिंसए उजाणे, धरणे जक्ख, वेसमणद त्तेराया, सिरिदेवी, पृसणंदीकुमारे, जुवराया ॥ १ ॥ रोहीडएणयरे दत्तणाम गाहावई परिवसइ, अड्डे कण्हसिरीभारिया ॥ २ ॥ तस्सणं दत्तस्सधूया कण्हसिरिए अत्तया. देवदत्ताणामं दारियाहोत्था अहीण जाव उक्किट्ठसरीरा ॥ ३ ॥ तेणं कालेणं तेणं यदि अहो भगवान ! नावे अध्ययन का क्या अर्थ कहा है ? यो निश्चय हे जम्बू ! उस काल उस समय में रोहीड नाम का नगर ऋद्धिस्मृद्धि कर संयुक्त था. ईशान कौन में पृथ्वी वडिसए नामका उध्यान
था, रोहीड नगर में वेश्रमणदत्त नाम का राजा राज्य करता था, जिस की श्रीदेवी नाम की रानी थी, FEवेश्रमण राजाका पुत्र श्रीदेवीका आत्मज पूजनंदी नामका कुमार था, उसको जुगराजपद पर स्थापन किया
था ॥१॥ उम रोहीड नगर में दत्त नाम का गाथापति रहता था वह ऋद्धिवंत था, जिस के कृष्ण श्री नाम की भार्या थी ॥ २ ॥ दत्त गाथापति के पुत्री, कृष्ण श्री की आत्मज देवदत्ता नाम की पुत्री थी, वह सर्व इन्द्रियकर पूर्ण थी यावत उत्कृष्ट प्रधान शरीर के रूपकी धारन करने वाली थी॥ ३ ॥ उस क
. प्रकाशक-राजावहादुर लाला मुखदवसहायजी ज्वालाममादजी.
4. अनवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमालक ऋषिजी
अर्थः
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