Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 211
________________ + 498+ एकादशमांग विपाक सूत्रका द्वितीय श्रुतस्कन्ध देवी, महाबले कुमारे, रत्तवतीयामोक्खाणं पंचम्पा, तित्थगरागमणं,जाव पुनभवो-माणीपुरं णयर,णागदत्तेगाहावई,इंदपुरे अणगारे पडिलाभिए,जाव सिद्धे॥ सत्तम्मं अ०स०१७॥ अटुमस्स उक्खोवओ ॥ मुघोसं णयर, देवरमणं उजाणं, वीरसेणोजक्खो, अज्जुणोराया त. तवइदेवी, भद्दनंदीकुमारे, सिरीदेवी पामोक्खाणं पंचसया ॥ जाव पुनभवेपुच्छा-महाघोसे णयरे धम्मघोसेगाहावइ, धम्मसीहे अणगारे पडिलाभे, जाव सिद्ध ॥ अट्ठमं अ० स० ॥८॥ णवमस्स उक्खेवओ॥ चपाणयरी, पुण्णभद्दे उज्जाणे, पुण्णभद्देजक्खो.दत्तेराया,रत्तवइदेवी, महचंदेकुमार, जुवराया, सिरिकंतापामोक्खाणं पंचसया, जाव पुव्वभवो-तिगिच्छि णयरी, रानी महाबल कुमार, रक्तावती प्रमुग्व ५०० कुमारानी यों ॥ तीर्थंकर समवमरे, पूर्वभव पुच्छा-माणीपुर नगर, नागदत्त गाथापति, इन्द्रदत्त अनगार को प्रतिलाभे, यावत् मोक्षपाये इति महाबल का सातवा अध्ययन समाप्तम् ॥ ७ ॥ • आठया अध्ययन का उक्षेप-मुघोस नगर, देवरमण उध्यान, वीरसेन यक्ष, अर्जुन राजा, तलवतारानी, भद्रनन्दी कुमार, श्रीदेवी प्रमुख ५०० 3 कुपाररानी. पुर्वभव-महाघोष नगर, धर्म घोष गाथापति, धर्म सिंह अनगार को प्रतिलाभे यावत् मोक्ष पाया ॥ इति भद्रनन्दीका अषा अध्ययन समाप्त 10 8 नवमा अन्धा का उप-बम नगरी, पूर्ण भद्रयक्ष सुख विपाक का ६.९ अध्ययन मुबाहु कुमार का Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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