Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अबोलक ऋषिजी +
आसुरुते ४ जाव साहष्टु णंदिसणं कुमारं पुरिसेहिं गिण्हाबेइ, एएणं विहाणेणं वझं आणवेइ ॥ ३० ॥ तं एवं खलु गोयमा ! णदिसेण कुमारे जाव विहरइ,
॥ ३१ ॥ गंदिसणं कुमारे इओ चुओ कहिं गच्छिहिंति कहिं उवव. ___ जिर्हिति ? गोयमा ! णदिसेणं कुमारे सळिवासाई परमाउपालेता कालमासं कालं
किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए, संसारो तहेव, ततो हत्थिणापुरे पयरे मच्छत्ताए उववाजिहिति, सेणं तत्थमच्छिएहिं वधिए समाणे तत्येवसेट्रिकुले बोहिं सोहम्मेकप्ये
महाविदेह वासे सिज्झिहिंति ॥३२॥ एवं खलु णिक्खयो।छट्ठस्स अज्झयणं सम्मत्तं॥६॥ कथन श्रवन कर अवधार कर शीघ्रही कोपायमान हुवा यावत् त्रिवली भृगुटी चडाकर नंदीसेण कुमार को सूभट के पाम पकडाकर हे गौतम ! तुम देख आये वैमा हाल कर रहा है. ॥३०॥ हे असे गौतम ! नंदीसण कुमारने पूर्व भर में इस प्रकार कर्म किये जिसके फल भोगवता हुचा विचर रहा है।॥२१॥ अहो भगवान! नन्दीसेन यहां से मर कर कहां जायगा? हे गौतम ! नन्दीसेन कुमार साठ 60] वर्षे का आयुष्य पूर्ण भोगकर काल के अवसर काल करके इस रलप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होगा यावत् मृगापुत्र के अ ज्यों संसार भ्रमण कर तहां से निकल हसनापुर में, मच्छ होगा, वहां मच्छीमार के हाथ मे भरकर वहां ही नगर में सेठके कुल में पुत्र हो संयमले सौधर्म देवलोक में जावेगा. वहां से महाविदह क्षेत्र में जन्मले सिद्ध होगा ।। इति दुःव विपक का नंदीमेन कुमार का छठा अध्ययन समाप्तम् ॥ ६॥
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी उचल प्रसादजी .
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