Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक अपिजी
॥पञ्चम-अध्ययनम् ॥ जाणं भंते ! पंचयरस अज्झयणस्स उक्खेत्रओ-एवं खलु जंबू ! तेणंकालेणं तेणं. समएणं कोसंबी णामं णयरी होत्था, रिद्धत्थमिय, वाहिं चंदोतरणे उज्जाण, सेयभद्दे जक्खे, ॥ १ ॥ तत्थणं कोसंबीय णयरीए सयाणिए णामराया हो था, महयाहिमवंत ॥ २ ॥ तस्सणं सयाणिस्त रणगो मियावती णामं देवी होत्था, अहर जावरूवा ॥ ३ ॥ तस्मण सयाणिस्स रण्णा पुत्ता मिपावतीए देवीए अत्तए उदयणे णाम कुमारे होत्था, अहीण जाव जयराया ॥ ४ ॥ तस्सगं उदयणस्स कुमाररस पउमावइणामं पांचवा अध्ययन-यों निश्चय हे जम्बू ! उस काल उम ममय में कोसंबी नाम की गरी ऋद्धि सगरूर सयुकपी. कोसंबी नगीक वाहिर ईशान कौन में चन्द्रोतर नामका उध्यान था, उस मे श्वनभद्र यक्ष का यक्ष यतन था ॥१॥ तहां कोमंबीगरी में मताकि नाम का राजा राज्य करता था. वर वडाहिमवंत पर्वत ममान था ॥२॥ सनानिक राजा के मृगपती नामकी गनी संपूर्ण अंगाली सुरूषाथी ॥ ३ ॥ सतानीक राजा का पुत्र मृगावती रानी का अंगजत उदयन न म कगार था, वह मर । इन्द्रियकराल सहित था उसे युव राजपद पर स्थापन किया था ॥ ४ ॥ उदयन कुमार के पद्मावती नामकी देवीया ॥५॥
.प्रकाशक-राजावडादर लाग सुखदेवसहायजी जालापमादजी.
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