Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
१०७
एकादशमांग विपाकमूत्र का प्रथम अतस्कन्ध 48
भावे जोवण विण्णाय होत्था, उदयणस कुमाररस पिय बाल वयस्स पयावि होत्था, सहजायए सहवडियए महापसु कीलियए ॥ २०॥ तएणं से मययाणिए राया अण्णया कयाइ काल धमत्रा संजत॥२१॥तएणसे उदयणे कुमार बहुहिं राईसर जाव संपरिबुडे-रोयमाणे कंदमाण विलबमाणे सयाणियरस रण्णो महयाइ इड्डीमकार समुदएणं णीहरणं करइ २ त्ता बहुइं लोइयाई मयकिच्चाई करेइ ॥ २२ ॥ तएणं से बहवे राईसर जाव सत्थवाहे उदयणं कमारं महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचइ
॥ २३ ॥ तएणं से उदयणे कुमारे रायाजाए महया हिमवते ॥ २४ ॥ तएणं से तबफिर वह वृहस्पनिदत्त बालक बल्यावस्था से मुक्त हुवा यौवन अवस्थाको प्राप्त हुवा, तब उदयन कुमारका प्रियकारी बाल मित्र हुवा, पाथ में जन्मे साथ में वृद्धि पाये माथ में रजु (धूल) क्रीडा की ॥ २० ॥ तब वह संतानीक राजा एकदा प्रस्तावे काल धर्म प्राप्त हुगा ॥ २१ ॥ तब फिर उदयन कुमार बहुत राजा प्रधान प्रमुख यावत् सार्थवाही आदि साथ परिवरा रूदन करता अक्रन्द करता विलाप करता मंतानिक
राजा के शरीर का महा ऋदि सरसा समुदाय कर निहारन किया, फिर लोकीक सम्बन्धी बहुत से मृत्यु Ta कार्य किये ॥ २२॥ तब फि बहुत से राजा प्रधान शेठ सनापति सार्थवाद मिलकर उदयन कुमार का
महा मंडान से राज्याभिशष किया॥२६॥तब फिर उदयन कुमार राजा हुवा महा हिमवंत पर्वत समाना२४॥
ammaaranamannaamanmannamanna.
4. दुःखविषाक का-पविवा अध्ययन-बार पतिदत्त का
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org