Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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8+ एकादशमांग-विपाक सूत्र का प्रथम श्रुतकन्ध48+
सं गन्मं सुहंसुहेणं परिवसइ ॥ २४ ॥ तएणं सा उपग्ला कुडग्गाहणी अण्णयाकयाई नवण्हं मासाणं बहुपडि पुण्णागं दारगंग्याया ॥ २५ ॥ तएणं तेणं दारएणं जायमितेणं चैव महया २ सहगं विघुट्ट विसरे आरसिए ॥ २६ ॥ तएणं तस्स दारगस्त आरोयसई सोचा णिसम्म हाथिणाउंर णयरे वहवे णयरगोरुवा जाव वसभाणय माया उन्मिगा सवओ सम्पना विष्पलाइत्ता ॥ २७ ॥ तएणं तस्स दारगस्स अम्मापियरो
अयमेयारू णामधेजं करेइ जम्हाणं अम्हं इमेणं दारएणं जायामेत्तेणं चेत्र महया २ हुई, वांच्ा का विच्छेद हुना, दोहला संपूर्ण. हुवा. उस गर्व की सुख २ मे वृद्धि करने लगी ॥ २४ ॥ तब फिर वह उत्पला कूडग्राहणी एकदा प्रस्ताके नव महीने प्रतिपूर्ण हुने बालक को प्रसना-जन्म दिया ॥२५॥ जिस वक्त उस बालक का जन हु। उस ही वक्त वह बालक महा २ शब्द कर चिल्लाया-चीस मारी विक्सर-खराब हर कर अण्डाट शब्द कर दन किया ॥ २४॥ तब उस बालक का वह भयंकर शब्द श्रवण कर उ: हस्तिनापुर नगर के मध्य की गोशाला के बहुत से पशु गौ बैलादि उद्वेगः पाये भयभ्रान्त हो दिशादिशा पलायन करने लगे-भगने लगे ॥ २७॥ तब फिर उस बालक के मातापिता उस बालक का इस प्रकार का गुणांनष्पत्र नाम स्थापन किया, जिस वक्त यह हमारा बालक का जन्म "
4 दुःख पाक का दूपरा अध्ययन-उज्झितकयारको
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