Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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428 एकादशमांग-विपाक सूत्र का प्रथम श्रुत्स्कन्ध
अग्गउघाएइ, कसप्पहारहिं तालेमाणे २ कलुण काकणिमंसाई खावेइ २ त्ता रुहिर पाणिंच वा पायति; तयाणं तरंचगं दोषि चच्चरंसि अट्टलहु भाउयाओ अग्गयोघाएयति एवं तच्चे अटुमहापिए, चउत्थे अट्ठमहामाउथ, पंचमेपुत्ता, छठे सुहा, सतमेजामाउय, अट्ठमेधूयाओ, पवमेगनुया, दसमेणातुयओ, एक्कार से तयावई,
बारसमेणओ, तेरसमे उरितय पत्तिया, चउहसमें विउस्सियाओ, पगर सम मालियाओ से पीडित हुवे करूणा मय सन्द करते, उन के मां के कागनी जितन छोटे २ टुढे करन उस को खिलाते थे; उस का जाधीर (रक्त) निकाल कर पानी के स्थान पिलाते थे, तब फिर दूसरे चौरास्ते में लेजाकर उक्त प्रकार आठ छोटी पिनरानी (काकी) को 32 के सम्मुल पारी उस के मांस के काकनी जितने दुकडे करके उसे खिलाय, रक पाया. इस कारही-नीरे चौरास्ते में आठ बडे पिता (साउ-बाजी मारे, पांचये चोरटे में आउ बडीबितरीयानी (कडोत्रा-पटेवाली सी) को मारी, पांचवे चौगाने में उस
आठ पुयको बारे,छठे चौरास्ते में आ3 पुत्राको पानीमा बौना में अजमाइ मारे, बाठो में उन इवेटी को मारी, मघा चौरास्ते में शहर के पेट की मां जो चीर पुन के टाटी मारे, इग्यावे चौरास्ते मे-आटोहित्री के भरतार को यार, बार चको में आट दायिकी भार्यकामारीख चौगस्तमें प्राउ भूदा-फुफा घामकी येन के भरतार) को मार, पोदव नौगावे पाउभूभा-फंकी (पापली बेन) को
दावविपाक का-तीयमा अध्ययन-अभम्भार चार का
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