Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakaly

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir विवागसुयस्स दो सुयक्खंधा पं० २०-दुहविवागा य सुहविवागा य पढमस्स णं भंते ! सुथक्खंधस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अझ्यणा पं० ?, तते णं अज्जसुहम्में अणगारे जंबू अणगारं एवं व०-एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दस अज्झ्यणा पं०- "मियाउने उझ्यिते अभग्ग सगडे वहस्सती नंदी। उंबर सोरियदत्ते य देवदत्ता य अंजू य १० ॥१॥ जति णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दस अझयणा पं० २०-मियाउत्ते जाव अंजू य पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अटे पं०?, तते णं से सुहम्मे अणगारे जंबूं अणगारं एवं व०-एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं० भियग्गामे णामं णगरे होत्था वण्णओ, तस्स णं मियग्गामस्स णगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए चंदणपायवे णामं उजाणे होत्था सव्वोउय० वण्णओ, तत्थ णं सुहम्मस्स जक्खस्सजक्खाययणे होत्था चिरातीए जहा पुण्णभदे, तत्य णं मियग्गा णगरे विजए णाम खत्तिए राया परिवसति वण्णओ, तस्स णं विजयस्स खत्तियस्स मिया णामं देवी होत्था अहीण वण्णओ, तस्स णं विजयस्स खत्तियस्स पुत्ते मियादेवीए अत्तए मियापुत्ते नामं दारए होत्था जातिअंधे जातिमूए जातिबहिरे जातिपंगुले हुंडे य वायवे, नत्थि णं तस्स दारगस्स हत्था वा पाया वा कण्णा वा अच्छी वा नासा वा, केवलं से तेसिं अंगोवंगाणं आगिई आगितिभित्ते, तते णं सा मियादेवी तं मियापुत्तं दारगं रहस्सियंसि भूमिधरंसि रहस्सितेणं भत्तपाणएणं पडिजागरमाणी विहरति १२॥ तत्थ् णं भियग्गामे णगरे एगे जातिअंधे पुरिसे परिवसति, से णं एगेणं सचक्खुतेणं पुरिसेणं पुरतो दंडएणं पगड्ढिजमाणे ॥ श्री विपाकदशाङ्गम् ॥ पू.सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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