Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakaly

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Page 42
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पुराणे०, तत्थ णं साहंजणीए णयरीए महचंदे नामं राया होत्था महता०, तस्स णं महचंदस्स रण्णो सुसेणे णामं अमच्चे होत्या सामदामभयदंडनिग्गहकुसले, तत्थ् णं साहंजणीए णगरीए सुदरिसणा णामं गणिया होत्था वण्णओ, तत्थ् णं साहंजणीए णयरीए सुभद्दे नामं सत्थवाहे परिवसइ अड्ढे०, तस्स णं सुभहस्स सत्यवाहस्स भद्दा नाम भारिया होत्था अहीण, तस्स णं सुभहस्स सस्थवाहस्स पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए सगडे नाम दारए होत्था अहीण०, तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा राया य निग्गते धम्मो कहिओ परिसा पडिगया, तेणं कालेणं० समणस्स० जेटे अंतेवासी जाव रायमगं ओगाढे, तत्थ णं हत्थी| आसे पुरिसे० तेसिं च णं पुरिसाणं मझगतं पासति एगं सइत्थियं पुरिसं अवओडगबंधणं उक्वित्तकण्णनासं जाव उग्धोसणं चिंता तहेव जाव भगवं वागरेति एवं खलु गोतमा! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीबे दीवे भारहे वासे छगलपुरे णामं णगरे होत्या, तत्थ सीहगिरी णाभं राया होत्था महया०, तत्थ णं छगलपुरे णगरे छण्णिए णामं छागलिए परिवसति अड्ढे अहम्मिए जाव दुष्पडियाणंदे, तस्स णं छण्णियस्स छागलियस्स बहवे अयाण य एल्याण य रोज्झाण य वसभाण य ससयाण य पसयाण य सूयराण य सिंघाण य हरिणाण य मऊराण य महिसाण य सतबद्धाण य सहस्सबद्धाण य जूहोणि वाडगंसि सण्णिरुद्धाई चिटुंति, अण्णे|| य तत्थ बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्त० बहवे अए य जाव महिसे य सारक्खेमाणा संगोवेमाणा चिटुंति, अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्णभति० बहवे अए य जाव महिसे य सयए य सहस्सए य जीवियाओ ववरोविंति त्ता मंसाई कप्पणीकप्पियाई करेंति छण्णियस्स |॥ श्री विपाकदशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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