Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakaly
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
णं सा पुढवीसिरी गणिया इंदपुरे णगरे बहवे राईसरजावप्पभियओ चुण्णप्पओगेहि य जाव अभिओगित्ता उसलाई माणुस्सगाई|| भोगबोगाई भुंजमाणी विहरति, तते णं सा पुढवीसिरी गणिया एयकम्मा० सुबहुं पाव जाव समजिणित्ता पणतीसं वाससताई परमाउँ पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उक्कोसे णेरइत्ताए उववण्णा, सा णं तओ उव्वट्टित्ता इहेव वद्धभाणे णगरे धणदेवस्स सत्थवाहस्स पियंगुभारियाए कुच्छिसि दारियत्ताए उववण्णा, तते णं सा पियंगुभारिया णवण्हं मासाणं दारियं पयाया नामं अंजूसिरी सेसं जहा देवदत्ताए, तते णं से विजए राया आसवा० जहेव वेसभणदत्ते तहेव अंजू पासति णवरं अपणो अट्ठाए वरेति जहा तेतली जाव अंजूए दारियाए सद्धिं उप्पिं जाव विहरति, तते णं तीसे अंजूए देवीए अण्णया कयाई जोणीसूले पाउन्भूते यावि होत्था, तते णं से विजए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति त्ता एवं व०-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! वद्धमाणपुरे णगरे सिंथा० जाव एवं वयहएवं खलु देवाणु०! विजय० अंजूए देवीए जोणिसूले पाउब्भूते जो णं इच्छति वेजो वा जाव उग्धोसेंति तते णं ते बहवे वेजा य० इमं एयारुवं० सोच्चा निसम्म जेणेव विजए राया तेणेव उवा० अंजूए देवीए बहूहिं उम्पत्तियाहिं० बुद्धीहिं परिणामेमाणा इच्छंति अंजूएदेवीए जोणिसूलं उवसाभित्तए नो संचाएंति उवसामित्तए० ततेणं ते बहवे वेज्जा २० जाहे ||नो संचाएंति अंजूए देवीए जोणिसूलं उवसाभित्तए० ताहे संता तंता परितंता जामेव दिसं पाउब्भूता तामेव दिसं पडिगता, तते णं सा अंजू देवी ताए वेयणाए अभिभूया समाणी सुक्का भुक्खा निम्मंसा कट्ठाई कलुणाई वीसराई विलपति, एवं खलु गोतमा! ॥ श्री विपाकदशाङ्गम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82