Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakaly

View full book text
Previous | Next

Page 60
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उवसंपज्जित्ताणं विहरति, तते णं से सोरिए दारए मच्छंधे जाते अधम्मिए दुष्पडियाणंदे, तते णं तस्स सोरियमच्छंधस्स बहवे पुरिसा दिण्णभति० कल्लाकलिं एगट्ठियाहिं जउणं महाणदिं ओगाहिंति त्ता बहूहि य दहगललणेहि य दहमलणेहि य दहमद्दणेहि य दहमहणेहि य दहवहणेहि य दहपवाहणेहि य अयंपुलेहि य पयंपुलेहि य जंभाहि य तिसराहि य भिसराहि य घिसराहि य विसराहि य हिल्लीरीहि य झिलिरीहि य लल्लिरीहि य जालेहिय गलेहि य कूडपासेहि य वक्कबंधेहि य सुत्तबंधेहि य वालबंधेहि य बहवे सोहमच्छे य जाव पडागातिपडागे य गेण्हंति त्ता एगढियाउ भरेंति त्ता कूलं गाहेंतित्ता मच्छखलए करेंति आयवंसि दलयंति अप्पणाऽविय णं| से सोरिये मच्छंधए कल्लाकलिं एगहिताए जउणं महाणदि ओगाहेति त्ता सरिसवच्छिद्दपमाणमेत्तेणं जालेणं बहवे सहमच्छे य जाव| गण्हति एगढ़ियं भरेति कूलंगाहेति त्ता मच्छखलए करेति आयवंसि दलयति, अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्त० आयवतत्तएहिं मच्छेहिं सोल्लिएहि य तलिएहिं भजितेहि य रायमगंसि वित्तिं कम्पेमाणा विहरंति, अप्पणाविय से सोरियदत्ते बहूहिं सोहमच्छेहि जाव पडागा० सोल्लिएहि य त० भ० सुरं च० आसादे० विहरति,तते णं तस्स सोरियदत्तस्स मच्छंधस्स अण्णया कयाई ते मच्छ० सोल्ले य तलि० भजि० आहारेमाणस्स मच्छकंटए गलए लग्गे यावि होत्था,तते णं से सोरिय० महईए वेयणाए अभिभूते समाणे कोडुंबियपुरिसे सहावेति त्ता एवं व०-गच्छह णं तुब्भे देवा०! सोरियपुरे णगरे सिंघाडगजावपहेसु महया सद्देणं उग्धोसेमाणा २ |एवं वयह एवं खलु देवा०! सोरियस्स मच्छकंटए गले लग्गे तं जो णं इच्छति वेजो वा० सोरियमच्छियस्स मच्छकंटयं गलाओ ॥ श्री विपाक्दशाङ्गम् ॥ पू.सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82