Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakaly

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kallashsagarsuri Gyanmandie आहेवच्चं जाव विहरति।१४। तते णं से विजए चोरसेणावती बहूणं चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयगाण य संधिछेयाण य खंडपट्टाण य अण्णेसिं च बहूणं छिण्णभिण्णबाहिराहियाणं कुडंगे यावि होत्था, तते णं से विजए चोरसेणावई पुरिमतालस्स णगरस्स उत्तरपुरच्छिमिल्लं जणवयं बहूहिं गामघातेहि य नगरघातेहि य गोग्गहणेहि य बंदिग्गहणेहि य पंथकोट्टेहि य खत्तखणणेहि यओवीलेमाणे २ विद्धंसेमाणे तज्जेमाणे तालेमाणे नित्थाणे निधणे निक्कणे कप्यायं करेमाणे विहरति, महब्बलस्सरण्णो अभिक्खणं २ कप्पायं गेण्हति, तस्स णं विजयस्स चोरसेणावइयस्स खंदसिरी णाम भारिया होत्था अहीण, तस्स णं विजयचोरसेणावइस्स पुत्ते खंदसिरीए भारियाए अत्तए अभग्गसेणे नामं दारए होत्था अहीण०, तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीर पुरिमतालनगरे समोसढे | परिसा निग्गया राया निग्गओ धम्मो कहिओ परिसा राया य पडिगओ, तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी गोयमे जाव रायमग्गं समोगाढे, तत्थ णं बहवे हत्थी पासति बहवे आसे० पुरिसे सण्णद्धबद्धकवए, तेसिं णं पुरिसाणं मझगतं |एगं पुरिसं पासति अवओडय० झाव उग्घोसेजमाणं, तते णं तं पुरिसं रायपुरिसा पढमंसि चच्चरंसि निसीयावेति त्ता अट्ट चुल्लपिउए अग्गओ धाएंति ना कसप्पहारेहिं तालेमाणा २ कलुणं काकणिभंसाई खाति त्ता रुहिरपाणं च पाएंति, तदाणंतरं च णं दोच्चंसि चच्चरंसि अट्ठ चुल्लमाउयाओ अग्गओ घाएंति ना० एवं तच्चे चच्चरे अट्ठ महापिउए चउत्थे अट्ठ महामाउयाओ पंचमे पुत्ते छठे सुण्हाओ सत्तमे जामाउया अट्ठम धूयाओ णवमे णत्तुया दसमे णत्तुईओ एक्कारसमे णत्तुयावई बारसमे णत्तुइणीओ तेरसमे ॥ श्री विपाकदशाङ्गम् ॥ | २२ पू.सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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