Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakaly

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie पिस्सियपतिया चोइसमे पिउस्सियाओ पण्णरसमे माउसियापतिया सोलसमे माउस्सियाओ सत्तरसमे मामियाओ अट्ठारसमे अवसेसं मित्तनाइनियगसयणसंबंधिपरियणं अगओ घातेति त्ता सम्पहारेहिं तालेमाणा २ कलुणं काकणिमंसाई खावेति रुहिरपाणं च पाएंति१॥ तते णं से भगवं गोतमे तं पुरिसं पासति त्ता इमे एयारूवे अज्झथिए० समुप्पण्णे जाव तहेव णिग्गते एवं व०एवं खलु अहं भंते! तं चेव जाव से णं भंते! पुरिसे पुवभवे के आसी जाव विहरति, एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पुरिमताले नाम नगरे होत्था रिद्ध०, तत्थ णं पुरिमताले नगरे उदिओदए नामं राया होत्था महया०,तत्थ णं पुरिमताले निन्नए नाम अंडयवाणियए होत्था अड्ढे जाव अपरिभूते अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं णिण्णयस्स अंडयवाणियगस्स बहवे पुरिसा दिण्णभतिभत्तवेयणा कल्लाकल्लिं कोहालियाओ य पत्थियापिडए य गेण्हंति, पुरिमतालस्स णगरस्स |परिपेरंतेसु बहवे काइअंडए य धूतिअंडए य पारेवइ० टिट्टिभिबगिमयूरिकुक्कुडिअंएड य अण्णेसिच बहूणं जलयरथलयखहयरमाईणं अंडाई गेण्हंति त्ता पत्थियपिडगाई भरेंति त्ता जेणेव निनए अंडवाणियए तेणेव उवा० ता नित्रयस्स अंडवाणियगस्स उवणेति, तते णं तस्स नित्रयस्स अंडवाणियगस्स बहवे पुरिसा दिण्णभइ० बहवे काइअंडए य जाव कुक्कुडिअंडए य अण्णेसिं च ब गं जलयरथलयरखहयरमाईणं अंडए तवएसु य कवल्लीसु य कंदूसु य भज्जणएसु य इंगालेसु य तलेंति भजति सोलिंति त्ता रायमग्गे अंतरावणंसि अंडयपणिएणं वित्तिं कष्यमाणा विहरंति अप्पणावि यणं से नित्रए अंडवाणियए तेहिं बहूहि काइअंडएहि य जाव ॥ श्री विपाकदशाङ्गम् ॥ सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal

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