Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakaly
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| केई राया वा रायपुत्ते वा अवरझति अप्पणो से सयाई कम्माई अवरझंति । तते णं से भगवओ गोतमस्स तं पुरिसं पासित्ता इमे अझस्थिते०-अहो णं इमे पुरिसे जाव नरयपडिरूवियं वेयणं वेदेतित्तिकटु वाणियग्गामे णगरे उच्चनीयकुले जाव अडमाणे अहापजत्तं सामुयाणियं गेहति त्ता वाणियग्गामं नगरं मझमझेणं जाव पडिदंसेति, समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसति त्ता एवं ३०-एवं खलु अहं भंते! तुब्भेहिं अब्ब्भणुण्णाते समाणे वाणियग्गामे तहेव जाव वेएति से णं भंते! पुरिसे पुव्वभवे के आसी० जाव पच्चणुभवमाणे विहरति?, एवं खलु गोतमा! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हस्थिणाउरे नाम नयरे होत्था रिद्ध०, तत्थ णं हथिणारे णगरे सुणंदे नामं राया होत्था महयाहि०, तत्थ णं हथिणावरे नगरे बहुमझदेसभाए एत्य् णं महं एगे गोमंडवे होत्था अणेगखंभसयसंनिविढे पासाईए० तत्थ णं बहवे णगरगोरूवाणं सणाहा य अणाहा य णगरगावीओ य णगरबलीवदा य णगरपड्डियाओ यणगरवसभा य परतणपाणिया निब्भया निरुवसागा (विग्गा) सुहंसुहेणं परिवसंति, तत्थ णं हथिणावरे नगरे भीमे नामं कूडग्गाहे होत्था अधम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं भीमस्स कूडग्गाहस्स उप्पला नाम भारिया होत्था अहीण०, तते णं उप्पला कूडग्गाहिणी अण्णया कयाई आवण्णसत्ता जाया यावि होत्या, ततेणं तीसे उप्पलाए कूडग्गाहिणीए तिहं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउब्भूतेधण्णाओ ताओ अम्मयाओ जाव सुलद्धे जम्मजीवि (यफले) जाओ |णं बहूणं नगरगोरूवाणं सणाहाण य जाव वसभाण य ऊहेहि य थणेहि य वसणेहि य छप्पाहि य ककुहेहि य वहेहि य कनेहि | श्री विपाक्दशाङ्गम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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