Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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3 अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
| २७ संचिन काल आश्रिय प्रश्नोत्तर २८ असंयति आदि बारे प्रकार के जीवों देवलोक में उत्पन्न होने के प्रश्नोत्तर ८२ | २९ असज्ञी के आयुष्य कितने प्रकार के ? ...८४
....८८
प्रथम शतक का तृतीयोदेश
३० कांक्षमोहनीय कर्म के प्रश्नोत्तर ३१ आराधक जीवों के लक्षण
...७८
...८८ ...९१
३२ पुनःकांक्षामोहनीय के प्रश्नोत्तर
... ९४
३३ साधु के भी कंक्षामोहनी बंध होता है. १०२ प्रथम शतक का चौथा उद्देश....१०६
३४ कर्म प्रकृति तथा मोहनीय कर्म हैं ३५ अपक्रमन के प्रश्नोत्तर
३६ कर्म भोगवे बिना मोक्ष नहीं
३७ पदलों आश्रिय प्रश्नोत्तर ३८ जीव के प्रश्नोत्तर
. १०६ . १०९
.११०
. ११३
. ११५
३९ छद्मस्त को मोक्ष नहीं केवली को है ४० केवल ज्ञान से अधिक ज्ञान नहीं
... ११४
... ११८
... ११९
प्रथम शतक का पांचवा उद्देशा. ११९ ४१ नरक के नरकावासे की संख्या ४२ भुवनपति के भुवन की संख्या ४३ पृथ्वीकाय से ज्योतिषतक के वास की संख्या १२१ ४४ वैमानिक के विमानों की संख्या
१२०
... १२२
४५ नरक की स्थिती के स्थान कषाय के भांगे १२४ ४५ चारों कषाय के भांगे का यंत्र
१३०
४६ नरककी — अवगाहना, शरीर, संघयन, संस्थान, लेश्या, दृष्टी, जोग उपयोग, इनसब के भांगे
. १३३
४७ नरक के जैसे चौबीस ही दंडक के भांगे १३२
प्रथम शतक का छट्ठा उद्देशा.... १४५
४८ उदय अस्त सूर्य की दृष्टी विषय प्रभा. १४५
*प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी