Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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प्रयोजक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक पिजी
... १९२६
४४८ नरक में पुल परिणाम चउदवे शतक का चौथा उद्देशा. ४४९ पुगलों का परिणयन ४५० जीव के सुख दुःख का जोडा ४५१ प्रमाणु पुगल का चर्म अचर्म पना. १९२९ चउदवे शतक का पांचवा उद्देशा
१९२७ . १९२८
४५२ चोइस दंडक के जीव अग्नि के मध्य हो जा सके क्या ?
१४५३ दश प्रकार के सुख दुःख चोइस दंडक पर
४५४ देवता बाहिर के पुलों ग्रहण कर क्रमण करे
....१९३६
चौबीसवा शतक का छट्ठा उद्देशा
.... २९४०
१९३५
४५५ आहार परिमाणयोनि स्थिती काकथन १९३७ ४२६ शकेन्द्रादि इन्द्र भोग किस प्रकार भोगवे है
.....१९३९
चउदवशतक का सातवा उद्देशा १९४९. ४०७ महावीर स्वामी गौतम स्वामी का प्रेम १९४३ ४८ द्रव्य क्षेत्र काल भाव की तुल्यता ... १९४४ ४५८ भक्त प्रत्याख्यानी आहार करे क्या १९.२० ४६० लब सत्तम देवता का अर्थ ४५१ अनुत्तरोपापति देव का अर्थ किस कर्म से हुआ
... १९५०
......१९५३
चउदवे शतक का आठवा उद्देशा ४९३ रत्नाप्रभा से ज्योनपी वैमानिक का अंतर
'४९४ शालवृक्षमुज्य क्यों है ४९५ अमड शंन्यासी के ७०० शिष्यों ४९५ देवता अव्यावाघ कैंसे होते हैं ? ४९६ देवता की अचिन्त्य शक्ति. ४९७ जंभक देव का कृतव्य व प्रकार
१९५४ १९५६
१९५९
१९६१
१९६१ १९६३
चउदवे शतक का नववा
उद्देशा
४१८साधु कर्म लेग्या जाने रूपी कर्म लेश्या ! १९३५
*काशक - राजावाहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
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