Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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शब्दार्थ ॥ १६ ॥ अ० असुरकुमार भ० भगवन् आ० आहार के अर्थी है. हां आ० आहार के अर्थी अ० असुर
मार को भ. भगवन् के० कितना काल में आ० आहार की इच्छा स० उत्पन्न होवे गो० गौतम अ०१ असुर कुमार को दु० दोपकार का आ० आहार आ० आभोगनिवर्तित अ० अनाभोगनिवर्तित त. तहां जे. जो अ० अनाभोग निवर्तित से वह अ० समय समय में अ० आंतरा रहित आ० आहार
की इच्छा स० उत्पन्न होवे त० तहां जे० जो आ० आभोग निवर्तित से वह ज० जघन्य च० चतुर्थभक्त है। सूत्र । कुमाराणं भंते आहारट्ठी ? हंता आहारट्ठी । असुर कुमाराणं भंते
__ केवइय कालस्स आहारट्टे समुप्पजइ ? गोयमा ! असुर कुमाराणं दुविहे
आहारे पण्णत्ते तंजहा आभोगनिव्वत्तिएय, अणाभोग णिव्वत्तिएय । तत्थणं जे से अणाभोगणिव्वत्तिए से अणुसमय अविरहिए आहारट्टे
समुप्पज्जइ । तत्थणं जे से आभोगणिव्वत्तिए से जहण्णणं चउत्थ भत्तस्स उक्कोसेणं भावार्थ | हार की इच्छा उत्पन्न होती है ? अहो गौतम ! असुर कुमार को दो प्रकार का आहार कहा. १ आ-ge
भोग निवर्तित सो जानते हुवे आहार लेवे और २ अनाभोग निवर्तित सो अनजान से करे. उस में जो
अनाभोग निवर्तित आहार है उस की इच्छा प्रतिसमय विरह रहित नारकी को उत्पन्न होवे और आभोग शनिवर्तित जो आहार है उस की इच्छा जघन्य चतुर्थ भक्त (एक दिन ) में उत्पन्न होवे उत्कृष्ट एक हजार
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
2880% पहिला शतकका पहिला उद्दशा 8--22000