Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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शब्दार्थ संग्रहते सः सर्व में अ० अचलित नो० नहीं च० चलित ने नारकी जी. जीव कि क्या च० चलित कर
कर्म णि णिर्जरे अ० अचलित गोगौतम च० चलित ककर्म णिणि रेणो० नहीं अ० अचलित क कर्म णि मिर्जरे ५० बंध उ० उदय उ०अपवर्त सं० संक्रमन नि• निधत्त नि निकाच में अ० अचलित क० कर्म भ० होये च० चलित णि निर्जरा में ॥ १४ ॥ अ० अमुर कुमार की मं. भगवन् के० कितना का.
उदीरति, अचलियं कम्मं उदीरति ? गोयमा णो चलियं कम्मं उदीरंति अचलियं कम्मं उदीरंति । एवं वेदति उयहति । संकामति । निहत्तंति । णिकायंति । सवेस अचलियं णो चलियं णेरइयाणं भंते जीवाओ किं चलियं कम्मं णिजरेंति अचलियं कम्मं णिज्जरेंति ? गोथमा ! चलियं कम्मं णिजरेंति, णो अचलियं कम्म णिजरेति ॥ गाहा ॥ बंधोदयवेदोवदृ संकमण णिहत्त णिकाएस । अचलियं
कम्मंतुभवे, चलियं जीवाउ णिजरए ॥ १४ ॥ असुरकुमारणं भंते केवइयं कालं की उदीरणा करे या अचलित कर्म की उदीरणा करे ? अहो गौतम ! चलित कर्म की उदीरणा करे नहीं
परंतु अचलित कर्म की उदीरणा करे. ऐसे ही ३ वेदना, ४ क्षीण करना ५ संक्रमाना ६ धारना ११७ निकाचना इन सब में चलित कर्म लेना नहीं परंतु अचलित कर्म लेना ८ अहो भगवन् नारकी जीव-100
प्रदेश मे चलित कर्म की निर्जरा करते हैं या अचलित कर्म की निर्जरा करते हैं ? अहो गौतम ! नारकी ।
38:पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती )
208848 पहिला शतक का पहिला उद्देशा 89> <2882
भावार्थ