Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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शब्दार्थ |
सूत्र
भावार्थ
23 पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
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{ नहीं उदयमें आया वे० वेदे से० वह ते ० इसलिये ए० ऐसा वुः कहा जाता है ए० ऐसा च० चौबीस दं० दंडक को जा० यावत् वे० वैमानीक ज० जैसे दु० दुःख में दो० दोभेद त० तैसे आ० आयुष्य में ए० एकवचन पो० पृथक ए० एक वचन से जा० यावत् वे० वैमानिक पु० पृथक् तक ॥ १ ॥ णे० नारकी भ० भगवन् स० सर्व स० सरिखे आहारी स० सर्व स० सरिखे शरीरी स० सर्व स० सरिखे ऊश्वासनी
जीवणं भंते सयं कडं आउयं वेदेति ? गोयमा ! अत्थेगइयं वेदेति, अत्थेगइयं णो वेदेति ' जहा दुक्खेणं दो दंडगा तहा आउएणवि. एगत पोहत्तिया, एगत्तेणं, जाव - माणिया पुहुतेवि तहेव ॥ १ ॥ णेरइयाणं भंते सव्वे समाहारा सव्वे समसरीरा सव्वे समस्सासणिस्सासा ? गोयमा गोइणट्टे समट्ठे ? सेकेणटुणं भंते एवं बुच्चइ णेरइया णो सव्वे समाहारा णो सव्वे समुस्सासणिस्सासा ? गोयमा ! णेरइया दुविहा पण्ण { नहीं. अहो भगवन् ! किसकारन से ? अदो गौतम ! उदय आयाहुवा वेदे और उदय में नहीं आया हुवा वेदे नहीं इस कारण से कितनेक जीव स्वकृत आयुष्य वेदे और कितनेक वेदे नहीं. ऐसे ही अनेक जीव आ श्रित जानना और चौविस ही दंडक आश्रित दोनों बोल उतारना ॥ १ ॥ आयुष्य आहार के बलसे ही टिकता है इसलिये आहार संबंधी प्रश्न करते हैं अहो भगवन् ! क्या सब नारकी सारखे आहार करने वाले हैं ? क्या सब सरिखे शरीर वाले हैं ? क्या सब सरीखे श्वासोश्वास लेने वाले हैं ? अहो गौतम ! यह
4833 पाईला शतक का दसरा उद्देशा