Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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- पंचमांग- विवाह प्रज्ञा प्ते ( भगवती ) सूत्र
४९९ सुख दुःख रूपं पुल २४ दंडकपर १९०६ ५०० देवता सहश्रोरूप से सह श्रीभाषा
बोले
१९८७
हे १९७८
५० १ सूर्य क्या है सूर्य का प्रयोजन क्या ५०२ अधिक दीक्षित साधु अधिक तेजोलेशी १९५८ चउदवा शतक का दशवा उद्देशा
५०३ केवली सिद्ध को जाने छमस्त नहीं. १९६० ५०४ केवली हलन चलन करे सब जानेदेखे १९७९
पञ्चदश शतक का एक ही उद्देशा
५०५ हालाहला कुंभारी के स्थान में गोशालक १९७४ १८०३ दिशाचर (नैमितिक) गोशालक मिले. १९७६ ५०७ गोशालक जिन नाम धारन किया. १९७८ ५०८ गोशालक की मूल से उत्पत्ति ५०९ गोशालक भगवंत का मिलाप ५१० गोशालक ने की हुई बुद्धियो
१९८१
१९८६
..२००४
६११ गौशालक को तेजोलेश्या निमित्त ज्ञान की प्राप्ति ५१३ गोशालकने अनंद साधु को कहा हुवा दृष्टांन्त ५१४ अर्हन्त को उपसर्ग नहीं होता है ५१५ गोशालक से बोलने की मना की २०४९ ५१६ गोशालक ने भगवान से अपने सात पडल कहे
. २०२६ २०४६
२०५२
...२०६७
५१७ गोशालक का भगवंत से विवाद ५१८ सर्वानुभूती सुनक्षत्र साधु की घात २०७० ५१९ गोशालकने भगवंतपर तेजोलेश्याडाली २०७३ ५२० अपनी तेजोलेश्या से आपकी जलमरेगा२०७१ ५२१ अशक्त गोशालक साधुकी प्रेरना से भगे२०८१ ५२२ गोशालक की निटम्बना ८ चर्म प्ररूपे. २०८७ ५२३ गोशालक का अयंपुलक श्रावक २०९५ ५२४ गोशालक ने सम्यक्त्व प्राप्त की .२१०७ ५२५ रेवंती गाथा पत्नी से भगवंतका रोगगया २११४
२०२१
विषयाणुक्रमणिका
२१.