Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचांग विवाह प्रज्ञप्ति [ भगवती ] सूत्र
२९८९
३३ चौतीस शतक के प्रतिशतक २ एकेंक शतक के इग्यार २ उद्देश से एकेन्द्रिय के श्रेणि का कथन ३५ पैंतीस शतक के प्रतिशतक १२ एकेक शतक के इग्यारा २ उद्देश में महाकृत मादि का कथन
३०२८
३६ छत्तीसवा शतक के प्रतिशतक १२ एकेक उद्देश में इग्यारा २ सब में बेंन्द्रिय के कृतयुग्मादि का कथन
३०५०
एकेक
३८ अड़तीसवा शतक के प्रतिशतक १२ उद्देश इग्यारा सब में तेन्द्रिय के कृत्यु मादि का कथन
३०५४
.
३८ अडतीसवा शतक प्रतिशतक ११ एकेक उद्देश इग्यारा २ सब में चौरिन्द्रिय के मादि का कथन ३०५५ ३९. गुनचालीसवा शतक के प्रतिशतक १२ एके क उद्देश इग्यारा २ सव में असज्ञी पंचेंद्रिय के कृत्युग्मादि का ३०५६ ४० चालीसवा शतक के प्रतिशतक २१ एकेक उद्देश इग्यारा २ सज्ञीपचेन्द्रिय कृत्युगमादि का कथन
३०५७ ४१ एकतालीसवा शतक के १९६ उद्देशे जिस में राशीकृत्युग्म नेरिआदि चौवीसही दंडकपर कथन है भगवतीका उपसंहार
३०७०
३०८७
एक पुज्य श्री कानजी ऋषि महाराज का सम्प्रदाय के बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलकऋषिजी ने सीर्फ तीन वर्ष में ३२ ही शास्त्रो का हिंदी भाषानुवाद किया. उन ३२ ही शास्त्रों की १०००२००० प्रतों सीर्फ पांच ही वर्ष में छपवा कर दक्षिण हैद्राबाद निवासी राजा बहादुरलाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रासाद जीने सब को अमूल्य लाभ दिया है.
4. विषयानुक्रमणिका 44
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