Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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14 वीसत्रा शतक का पहिला उद्देशा. । ६७५ भरतऐरावत महाविदेहमें धर्म का विशेष२४८२) ६६६ अस तिर्यंच के आहार शरीरादि का
६७६ भरत के २४ तीर्थकर व जिनान्तर २४८२ कथन
२४२० ६७७ भरत में १ हजार वर्ष पूर्वका ज्ञान २४८३ बीसत्रा शतक का दूसरा उद्देशा.
६७८ भरत की अवसर्पिनी पूर्व धारा का
६७९ भरत में २२ हजार वर्षधर्म चलेगा २४८४ १६७ लोकालोक के आकाश में पंचास्तिकाय २४२५
६८. तीर्थकर तीर्थकर तीर्थ सो तीर्थ १६६८ पंचास्ति के अभिवचन (नाम) २४२६
६८१ धर्म के आराधक मोक्ष पाये ३ वीसवा शतक का तीसरा उद्देशा. ६९ अठारा पाप अठारा धर्म वगैरा जीव
बीसवे शतक का नववा उद्देशा. में प्रमाण में
२४३०
६८२ दो प्रकार के चारण मुनि २४८६ ७० चौथा उद्देशा पांचों इन्द्रिय उपचयका२४३२ ।
६८३ विद्याचारण कैसे होवेवगति विषय २४८७ ६७१ पांचवा उद्देशा-पुद्गलों के मर्णादि के. ६८४ जंघाचारण कैसे होवे गति का विषय २४९०
२४३२ वीसवे शतक का दशवा उद्देशा. २ छठा उद्देशा पांचों स्थावर स्वर्ग • ६८५ सोपकर्मायु निरोपकर्माय
२४९२ स्थान में उत्पन्न २४७० ६८६ आत्मोपकर्ष परोपकर्म.
२४९३ ६७३ सातवा उद्देशा-तीन बंध कर्मोपरि २४७६
। ६८७ आत्म ऋद्धि पर ऋद्धि
२४९४/ बीसवे शतक का आठवा उद्देशा, ६८८ आत्म प्रयोग पर प्रयोग २४९५ |* ७४ कर्मभूमि अकर्मभूमि मनुष्यों का २४८० ६८९ कतिसंचया अकतिसंचया २४९६
* प्रयोजक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी ?
*प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी-ज्वालाप्रसादजी *
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