Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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8. पंचमांग विवाह प्रज्ञप्ति (भगवती) सूत्र 88
१६४१ मंडक श्रावकमे अन्यमति को हराया २३४४ ।
गुनीसवा शतक ६४२ देवता परस्पररूप वैक्रयकर संग्रामकरे २३५१
| ६५४ पहला-दूसरा उद्देशा-लेश्याधिकार २३८० ६४३ देवता संग्रामको काष्ठादि शास्त्रवन २३५२
। ६५५तीसरा उद्देशा-पृथ्वीकायादि के १२द्वार२३८१ ६४४ देवता रूचक द्वीपतक-परमादेसके २३५२
६५६ पृथव्यादि पांचों सूक्ष्म बादर की : ६४५ देवता पुष्प अंशक्षय करने की तफावत् २३५३
- अल्पाबहुत ।
२३८७ ___ अठारवा शतक का आठवा उद्देशा. ६५७ पांचों स्थावरों में सूक्ष्म बादर . ६४६ साधु का अंडे कचरने में क्रिया २३०६
कौन २ हैं
२३९२ १६४७ गौतम स्वामी अन्यतीर्थक की चर्चा.२३५७
६.८ पृथ्वी के शरीर की सूक्ष्मता दृष्टान्त से २३९५ ६४८ छपस्त मनुष्य प्रमाणुआदि जानेदेखे २३६२
६५९ पृथ्वी के संघटे से वेदना दृष्टांत से २३९६ अठारवा शतक का नववा उद्देशा. ६६० चौथा उद्देशा-आश्रव क्रिया निर्जरा ६४९ भविय द्रव्य नेगये आदि का कथन २३६४
वेदना के १६ भांगे
२३९८१
६६१ पांचना उद्देशा चरमउत्परम २४ दंडक२४०२/4 अठारवा शतक का दसवा उद्देशा.
६६२ छठा उद्देशा-द्वीप समुद्रों का प्रमाण १६५० भावितात्मा शास्त्र से छेदावे नहीं २३६७ संठाण १६५१ वायु परमाणु से परमाणु वायु से स्पर्श २३६७ 1. ६६३ सातवा उद्देशा-नरक देव के वास २४०४ १६५२ वायु मशक से स्पर्श उक्त प्रकार २३६८ - ६६४ आठवा उद्देशा-निवृत्ति के ८२ बोल २४०७ ०७ ६.६५३महावीर स्वामी सोमिल ब्राह्मण के प्रश्नो २३६२ ६६५ नववा उद्देशा-करण के ५५ वोल २४१५
विषयानुक्रमणिका 18
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