Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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480P
पंचमांग-विवाह प्रज्ञप्ति [भगवती ] सूत्र 4.38
} नववा शतक का प्रथमो उदेशा.... । नववा शतक का-तेतीसवा उद्देशा. 08३४२ जंबूद्वीप का वर्णन ....... १२३५ ३५१ ऋषभदत्त ब्राह्मण देवानंदा ब्राह्मणी..१३३४ ___ नववे शतक का-दूसरा उद्देशा.
३५२ जामलीक्षवी कुमार का अधिकार १३५४
३५३ जमालीजी की मातापितासे चर्चा ..१३६८ ३४२ अढाइ दीप के ज्योतिषी की संख्या १२३७
३५४ जमालीजी का दीक्षा औत्सब ...१३९०१00 ___ नववे शतक का-तीसरा उद्देशा. ३५५ जमालीजी स्वच्छंदाचारी श्रद्धाभष्टबने१४२१ ३४३ दक्षिण के अठावीस अन्तर द्वीपों ...१२३९ ३५६ जमाली को गौतम स्वामीने हराये. १४३२१
नववा शतक का-इकतीसवा उद्देशा ३५७ जमाली क्लिविषी देव हु ...१४३८ ६.४४ असोचा केवली के श्रावकादि का कथन१२४३
. नववा शतक का-चौतीसवा उद्देशा ३४९० असोच्चा केवली कैसे होते हैं ...१२५५
३५८ पुरुष की घोडे की घात का प्रश्नोत्तर ४४६ ३४६ सोचा केवली के श्रावकादि का ...१२६४
३५९ ऋषि को मारने वाला अनंत जीवमारे १५५७ ३४७ सोचा के.वला कैसे होते हैं ...१२५५ ।
३६० एक को मारता अनेक का वैरकरे. १४४८
२६१ पांचों स्थारों का परस्पर श्वाशोश्वास १४५० नववा शतक का-बावीसवा उद्देशा
३६१ श्वासोश्वास लेते कितनी क्रिया ...१४५० ३४८ गंमीया आणगारे भांगे ...१२१० - ३६२ वायु के धक्केवृक्ष पडे कितनी क्रिया १४५२ 0३४९ मांगे बनाने की विधी का यंत्र ...१३१६ १. दशवे शतक का-पहिला उद्देश १३५५ छत्तेनार की होते हैं कि अउत्ते....१३२६ । ३६३ दिशा किसे कहते हैं दिशा के नाम १४३३१
साचा केवल एक होते का कथन१२४,
विषयाणुक्रमाणका *38*488