Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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* प्रयोजक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
छट्ठे शतक का पांचवा उद्देशा. ७९२
२१७ तमस्काया का अधिकार १२१८ कृष्ण राजी का अधिकार | २१९ लोकांतिक देवता का अधिकार
७१२
८०३
८१०
छट्ठे शतक का छट्टा उद्देशा ....८१५ २२० नरक देव के आवासा की संख्या (२२१ मरणांतिक समुद्घात का कथन
८१५ ८१६
छट्ठे शतक का सातवा उद्देशा....८२२ | २२२ धान्य बन्धन में सयोनिक कितना रहै. ८२२ | २२३ मूहूर्त के श्वाशोश्वादि काल प्रमाण ८२४ | २२४ संख्यात काले, पल्योपम, सागरोपम कालचक्रादि.
| २२५ प्रथम आराका वर्णन
·
८२४ ૮૪
छट्ठे शतक का आठवा उद्देशा.. ८३४ २२६ नरक में क्या क्या नहीं है।
८३५
२२७ छ प्रकार आयुर्वेध का कथन.
८४०
२२८ लवणादि समुद्रों का पानी का स्वाद ८४३ २२९ द्वीपसमुद्रों के नाम
८४४
छडे शतक का - नववा उद्देशा
८४५
२३० एक कर्मका बन्धहेोत अन्यक्रममा बंधे ८४५ २३१ देवता बाहिर के पुद्गलो ग्रह वैक्रयकरे ८४६ २३२ देव के ग्रहे पुद्गल वर्णादि पने परिणमें ८४८ २३३ अविशुद्ध शुद्धलेश्या के भांगे
८४९
छट्ठे शतक का-दशवा उद्देशा २३४ सुख दुःख के पुद्गलों अदृश्य है २३५ जीव चेतन्य की ऐक्यता २३६ जीव प्राण की
८५१
८५१
८५४
८५५
८५६
पृथक्त्वता २३७ भव्याभव्य का गति सम्बन्ध २३८ जीव सुख दुःख दोनो वेदता है २३९ आहार ग्रहण करने का क्षेत्र
८५७
८५८
२४० केवली इन्द्रियों कर जाने देखे नहीं ८५९
७ सप्तम शतक का प्रथमोद्देशा
८ ३ १
२४३ अनाहारककी स्थिति अल्पाधिकआहार ८६१
* प्रकाशक- राजाबहादुर टाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
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