Book Title: Aagam 45 Anuyogdwaar Haaribhadriyaa Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(४५)
प्रत
सूत्रांक
[१४]
गाथा
||..||
दीप
अनुक्रम
[१५]
श्रीअनु० हारि. वृत्तौ
१२ ॥
"अनुयोगद्वार"- चूलिकासूत्र -२ (मूलं वृत्तिः)
मूलं [१४] गाया [...]
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र - [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हरिभद्रसूरिजी - रचिता वृत्तिः:
जगं कामसरे पडितं ततो देवभिहुण जाये पेच्छति, तओ वाणरो सपत्तिओ संपहारेति जहा रुक्त्र अवलग्गितुं सरे पढामो जा देवमिडुजगं भवामो, तो पडिताणि, उरालं माणुसजुअलं जावं, सो भणइ पढामो जाहे देवजुयलगं भवामो, इत्थी वारेती, को जाणति माण होमो देवा, पुरिसो भणति जइ प्ण होज्जामो कि माणुसवर्णपि णरिसहिति १, तीए भणियं को जाणइति ततो सो सीए वारिज्जमाणोऽथि पडिओ, पुणोषि वाणरो चेत्र जाओ, पच्छा सा रायपुरिसेहिं गहिया, रण्णो भग्जा जाया, इतरोऽवि मोयारहि गहिओ खड्दुओ सिक्खावितो, अण्णया य ते मोयारगा रण्णो पुरओ पेच्छं देवि, रायादि सह तीए देवीए पेच्छति, ताहे सो वाणरो देविं निज्झाएंतो अहिलसति, लओ तीए अनुकंपाए वाणरो भणिजो जो जहा वट्टए कालो, तं तहा सेव वाणरा ! मा बंजुलपरिष्भट्ठो, वाणरा ! पडणं सर ॥ १ ॥ उपनयः पूर्ववत् भावहीणाधितभावेधि उदाहरणं, जहां काइ अगारी पुत्तस्स गिलाणस्स गेहेणं तितकडुभेसयाई मा णं पीलेन्ज ऊणए देइ, पडणति ण तेहिं, अहिएहिं मरति बालो, तद्दाहारे । साम्प्रतमिदमेव द्रव्यावश्यकं नयेर्निरूप्यते, ते च मूनया नैगमादयस्तथा चोक्तम्- 'गम संग बहार तो चेव होइ घोघब्यो । संदे व समभिरूते एवंभूते व मूळनया ॥ १ ॥' तओ 'णेगमस्से' त्यादि (१४-१७ ) नैगमस्यैकोऽनुपयुक्तो देवदत्तः आगमतः एकं द्रव्यावश्यक द्वावनुपयुक्तौ देवदत्तयज्ञदत्ती आगमतो द्रव्यावश्यके श्रयः अनुपयुक्ता देवदत्तयज्ञदत्तसोमदत्ताः आगमतो द्रव्यावश्यकानि, किंबहुना १, यावन्तोऽनुपयुक्ता देवदादयस्तावत्येव तानि नैगमस्याऽऽगमतो द्रव्यावश्यकानि, एवमतीतान्यनागतानि च प्रतिपद्यत इति, नैगमस्य सामान्यविशेषाभ्युपगमप्रधानत्वात् विशेषाणां च विवक्षितत्वात्, आइ एवं सामान्यविशेषाभ्युपगमरूपत्वात् अस्य सम्यग्दृष्टित्वप्रसङ्गः न, परस्परतो ऽत्यन्तनिरपेक्षत्वाभ्युपगमात् उक्तं च- 'दोहिवि एहिं नीतं सत्यमुरण तहवि मिच्छत्तं सविसयप्पहाणतणेण अण्गोण्णनिरवेक्खो || १ || '' एवमेव बवहारस्सवि' एवमेव यथा नैगमस्य तथा व्यवहारस्यापि
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द्रव्यावश्य काधिकारः
॥१२॥

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