Book Title: Aagam 45 Anuyogdwaar Haaribhadriyaa Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 57
________________ आगम (४५) “अनुयोगद्वार"- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्तिः ) ...... मूलं [१०४-११३] / गाथा [११-१५] .... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र -२] “अनुयोगद्वार" मूलं एवं हरिभद्रसूरिजी-रचिता वृत्ति:: प्रत सूत्रांक [१०४११३] गाथा ||१११५|| BY BSPERMA श्रीअनु दोजा, अस्य हवयं-देशोनलोकावगायपि द्विसमयस्थितिर्भवति, शेष सुगम, यावदन्तरचिन्तायां 'एगं दवं पडुकच जहणणं एक समय कालानुहारि चाउकोसेण दो समया' अन्तरं वेगं बव्वं पबुरच अहण्णेणं एकसमय, एगहाणे विनि वा पचारि षा असंखम्जे वा समया ठातिकण ततो पूच्या | अन्नहिं गतूर्ण तत्व एग समयं ठाइऊण अन्नहिं गतुं तिणि वा चत्तारि वा असंज्जा वा समया ठाति, एवं आणुपुञ्चिदव्यस्सेगस्स जड्-दा अन्तर ॥५३॥ ण्णणं एगं समयं अंतर होति, उलोसेण दो समया, एका ठाणेहिं तिन्नि वा चत्तारि वा असंखेजे या समये ठाइऊण ततो अन्नहिं ठाणे दो समया ठातिऊण अण्णहिं तिष्णि वा चत्तारि वा असंखेज्जा वा सनया ठाति एवं उकोमेणं दो समया अंतर होइ, जइ पुण मक्झिमठाणे ४ तिमि समया ठावद तो मझिमे वा ठाणे तं आणुपुब्विव्यं वत्ति अंतरं चेव ण होइ, तेणेवं पेय दो समया अंतरं । आह-जहा अन्नादि ठाणे दो समया ठितं एवमन्नहिपि किमेकन चिट्ठति?, पुणोचि अन्नहिं दो अण्णहि एकति, एवं अणण आयारेण कम्हा असंखाजा समया | अंतरं न भवति ?, उच्यते, एत्य कालाणुपुष्वी पगता, तीए य कालस्स पाधणं, जहा य अण्णण पदेसहाणेण अंतरं काजइ तदा खेत्तदारेण करणाओ खेत्तस्स पाहणं कतं भवति ण पुण कालस्स, अतो जेण केणइ पगारेणं तिसमयादि इच्छति तेणेव कालपाहणतणओ आणुपुञ्ची लब्भइत्ति कार्ड दो चेव समया अंतरंति स्थित, णाणादव्वाई पडुरुच णस्थि अंतरं, जेण असुण्णो लोगो, अणाणुपाठवअंतरपुच्छा, एकद्रव्यं प्रकृत्योच्यते-जहण्णेणं दो समया, पढमे ठाणे एगसमय ठाइऊण मझिमे ठाणे दो समय ठाइकण अन्तिमे एग समय ठाति, एवं जहग्येण अंतरं दो समया, जति पुण मलिमेवि एक समयं ठायइ ततो अंतरं चेव न होति, मझिमिछठाणे अणाणुपुब्धी चेवत्ति, तम्हा दो चेव जहण्णेणं समया, उकसणं असंखेजकालं, पहमे ठाणे एक समयं चिहिऊण मज्झिमे ठाणे असंखेग्जे समए चिहिऊण अन्तिमे ठाणे एक| समयं ठाति, एवमसंखेग्जं काळं उफोसेणं अंतर हॉति, णाणादव्वाई पडुच्च णस्थि अंतरं, भागद्वारं तथा भावद्वारं अल्पबहुत्यद्वारं च क्षेत्रा :45 ४ ॥५३॥ दीप अनुक्रम [११९१३६] ~57

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