Book Title: Aacharya Kundakunda Dravyavichar
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Jain Vidya Samsthan
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व्याकरणिक विश्लेषण एवं शब्दार्थ
दव्व (दव्व) 1/1 सहावसिद्ध [(सहाव)-(सिद्ध) भूकृ 1/1 अनि सदिति [(सत्) + (इति)] सत् (मत्) 1/1 अनि इति (अ) = इस विवरणवाला जिणा (जिण) 1/2 तच्चदो (तच्च) पचमी अर्थक, 'दो'प्रत्यय = वास्तविक रूप से, समक्खादो (समक्खाद) भूकृ 1/2 अनि सिद्ध (सिद्ध) भूक 2/1 अनि प्रागमदो (आगम) पचमी अर्थक, 'दो'प्रत्यय = आगम से णेच्छदि [(ण)+ (इच्छदि)] ण (अ) = नही इच्छदि (इच्छ) व 3/1 सक जो (ज) 1/1 सवि सो (त) 1/1 सवि हि (अ) = निस्सन्देह परसमो (परसमय) 1/1 वि । वव्व = द्रव्य । सहावसिद्ध = स्वभाव से सिद्ध । सत् = मत् इति = इस विवरणवाला । जिणा= जितेन्द्रियो ने । तच्चदो वास्तविक रूप से । समक्खादो = कहा है । सिद्ध = स्थापित (द्रव्य) को । तध% ठीक इसी प्रकार । णेच्छदि = स्वीकार नही करता है । जो जो (व्यक्ति)। सो
वह । हि = निस्सन्देह । परसमोअसत्य दृष्टिवाला । 2 ण (अ) = नही हवदि (हव) व 3/1 अक जदि (प्र) = यदि सद्दध्व
[(सत्) + (दन्व)] सत् (सत्) 1/1 वि अनि दव्व (दव्व) 1/1 प्रसव [(असत् + (धुव)] असत् (असत्) 1/1 वि अनि धुव (धुव) 1/1 वि हवदि (हव) व 3/1 अक त (त) 1/1 सवि कघ (अ) = कसे दस्व (दव्व) 1/1 हवदि (हव) व 3/1 अक पुणो (अ) = पादपूरक अण्ण (अण्ण) 1/1 वि वा(प्र) = अथवा तम्हा= अत दन्व (दव्व) 1/1
सय (अ) = स्वय सत्ता (सत्ता) 1/1 __ण = नहीं। हवदि = होता है । जदि = यदि । सद्दव - सद, द्रव्य ।
असद्धव = असद, नित्य । हवदि = होता है→ होगा। त= वह । कषं % कैसे। दन्च = द्रव्य । हवदि = होता है । अण्ण = भिन्न । वा= अथवा । तम्हा = अत । दव्व = द्रव्य । सय = स्वय । सत्ता= सत्ता।
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प्राचार्य कुन्दकुन्द

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