Book Title: Aacharya Kundakunda Dravyavichar
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Jain Vidya Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 103
________________ 110 प्रादेशमत्तमुसो विवरण से, हो, मूतं । पादुचदुक्कस्स = मूल तत्त्व, घोर का । कारण = कारण । जो जो । सो वह । णेमो समझा जाना चाहिए । परमाणू = परमाणु । परिणामगुणो= परिणमन, गुणवाला। सयमसदो- सय+असद्दोस्वय, शब्दरहित । 111 सदो (सद्द) 1/1 खंघप्पभवो [(खघ)-(प्पभव) 1/1 वि] खंधो (खध) 1/1 परमाणुसगसघादो [(परमाणु)-(सग)-(सघ) 5/1] पुढे (पुट्ठ) भूक 7/2 तेसु (त) 7/2 स जायवि (जा) व 3/1 अक सद्दो (सह) 1/1 उप्पादगो (उप्पादग) 1/1 वि णियवो (णियद) भूक 1/I मनि । 1 कमी-कभी तृतीया के स्थान पर सप्तमी का प्रयोग पाया जाता है (हे प्रा व्या 3--137)। 111 सदो शब्द । खप्पभवो स्कन्धो से उत्पन्न । खयो स्कन्ध । परमाणुसगसघादो परमाणुप्रो के सगम - समूह से । पुठे = स्पर्श मे→ स्पर्श से । तेस = उनमे । जायदि = उत्पन्न होता है । सदो = शब्द । उप्पादगो उत्पन्न करनेवाला । णियदो अवश्य । 112 एयरसवण्णगष [(एय)-(रस)-(वण्ण)-(गघ) 1/1] दो (दो) 1/1 वि फासं (फास) 1/1 सदकारणमसद [(सद्द)+ (कारण)+ (प्रसद्द)] [(सद्द)-(कारण) 1/1] प्रसद्द (असद्द) 1/1 वि खघतरिद [(संघ)+ (प्रतर)+ (इद)] [(खघ)-(प्रतर)-(इम) 1/1 सवि वव्व (दव्व) 1/I परमाणु (परमाणु) 1/1 त (त) 2/1 सवि वियाणेहि (वियाण) विधि 2/1 सक। 112 एयरसवण्णगय = एकरस, वर्ण, गध । दो- दो । फास - स्पर्श । सद्दकारणमसद = सद्द+कारण+असद्द = शब्द का कारण, शन्दरहित । खपतरिव = खध+प्रतर+इद = स्कन्ध से सवध, यह । दध्वं - द्रव्य । परमाणु = परमाणु । त= उसको । वियाणेहि = समझो । 113 उवभोजमिविएहि [(उवभोज्ज) + (इदिएहिं)] उवभोज्ज (उवभोज्ज) 1/1 वि इदिएहिं (इदिन) 3/2 य (अ) = तथा इदिय (इदिय) मूल शब्द 1/2 काया (काया) 1/1 मरणो (मण) 1/1 य (अ) = व फम्मारिण (कम्म) 1/2 ज (ज) 1/1 सवि हवदि (हव) व 3/1 अक मुत्तमण्ण [(मुत्त)+ (अण्ण)] मुत्त (मुत्त) 1/1 वि अण्ण (अण्ण) 1/1 वित 87 द्रव्य-विचार

Loading...

Page Navigation
1 ... 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123