Book Title: Aacharya Kundakunda Dravyavichar
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 78
________________ 45 चिह्न के, ग्रहण । जीवमरिणदिवसठाण = जीव+अणिट्टि + सठाणं = प्रात्मा, अप्रतिपादित, आकार । ववहारोऽभूदत्थो [(ववहारो) + (अभूदत्यो)] ववहारो (ववहार) 1/l अभूदत्थो (अभूदत्थ) 1/1 वि भूदत्थो (भूदत्य) 1/1 वि देसिदो (देस) भूक 1/1 दु (अ) = ही सुद्धणो [(सुद्ध) वि - (णप्र) 1/1] भूदत्यमस्सिदो [(भूदत्य) + (अस्सिदो)] भूदत्य (भूदत्थ) 2/1 अस्सिदो (अस्सिदो) 1/1 भूकृ अनि खलु (अ) = ही सम्मादिट्ठी (सम्मादिट्ठी) 1/1 वि हवदि (हव) व 3/1 अक जीवो (जीव) 1/1 | 1 कभी कभी सप्तमी के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम-प्राकृत-व्याकरण, 3-137) या 'अस्सिद' कर्म के साथ कर्तृवाच्य मे प्रयुक्त होता है (आप्टे, सस्कृत-हिन्दी कोश)। ववहारोऽभूदत्यो = व्यवहार, अवास्तविक । भूदत्यो = वास्तविक । देसिदो = कहा गया। दुही। सुद्धणो= शुद्धनय । भूदत्यमस्सिदो= वास्तविकता पर आश्रित । खलु = ही। सम्मादिट्ठी = सम्यदृष्टि । हवदि होता है । जीवो जीव । 45 46 जीवे (जीव) 7/1 कम्म (कम्म) 1/1 बद्ध (वद्ध) भूकृ 1/1 अनि पुट्ठ (पुढ) भूकृ 1/1 अनि चेदि [(च)+ (इदि)] च (प्र) = और इदि (अ) = इस प्रकार ववहारणयभणिद [(ववहारणय)-(भण) भूक 1/1] सुद्धणयस्स (सुद्धणय) 6/1 दु (अ) = किन्तु प्रवद्धपुट्ठ [(अबद्ध) + (अपुट्ठ)] [(अवद्ध) भूकृ अनि-(अपुट्ठ) भूक 1/1 अनि] हवदि (हव) व 3/1 अक कम्म (कम्म) 1/1 | 1 कभी कभी तृतीया के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है (हेम-प्राकृत-व्याकरण, 3-135) । जीवे = जीव मे → जीव के द्वारा। कम्म = कम्म । बद्ध = बांधा हा । पुछ % पकडा हुआ। चेदि = और, इस प्रकार । ववहारणयभणिदं = व्यवहारनय के द्वारा, कहा गया । सुद्धणयस्स = शुद्धनय के । दुही । जीवे = जीव के द्वारा । अबद्धपुट्ठ = न वाँधा हुआ, न पकडा हुआ । हवदि = होता है। कम्म = कर्म । 46 47 कम्म (कम्म) 1/1 बद्धमवद्ध [(वद्ध)+ (अवद्ध)] वद्ध (वद्ध) भूकृ 1/1 अनि अवद्ध (अवद्ध) भूकृ 1/1 अनि जीवे (जीव) 7/1 एद (एद) 62 प्राचार्य कुन्दकुन्द

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