________________
गदमिधिगस्स [(गदि) + (अधिगस्स)] गदि (गदि) 2/1 अधिगदस्स(अधिगद) भूक 6/1 अनि देहो (देह) 1/1 देहादो (देह) 5/1 इदियाणि (इदिय) 1/2 जायते (जाय) व 3/2 सक तेहिं (त) 3/2 स दु (अ) = ही विसयग्गहण (विपय)-(गहण) 1/1] तत्तो (अ) = उस कारण से रागो (राग) 1/1 वा (अ) = और दोसो (दोस) 1/1। जादि (जाय) व 3/1 सक जीवस्सेव [(जीवस्स)+ (एव)] जीवस्स (जीव) 6/1 एव (म) = इस प्रकार भावो (माव) 1/1 ससारचक्कवालम्मि [(ससार)-(चक्कवाल) 7/1] इदि (अ) = इस प्रकार जिएवरेहि (जिणवर) 3/2 भरिणदो (भण) भूक 1/1 अणादिणिधणो अण+आदि+णिघणो = (अणादिणिधणो)1/1 वि मणिघणो (स-णिघण) 111 वि वा (अ) = या। । कभी-कभी पष्ठी विभक्ति का प्रयोग पचमी के स्थान पर पाया
जाता है (हेम प्राकृत व्याकरण, 3-134) । 36-37-38
जोजो। खलु = सचमुच । ससारत्थो ससार मे स्थित । जीवो - जीव । ततो उस कारण से । दु= ही । होदि = उत्पन्न होता । परिणामो-भाव । परिणाभादो = भाव से । कम्म = कर्म । कम्मादो कर्म से। होदि = होता है । गदिसु = गतियो मे । गदी = गमन । गदिमधिगस्स - गदि अधिगस्स = गति को→ गति मे, गए हुए (जीव) से । देहो- देह । देहादो - देह से । इदियाणि = इन्द्रियाँ । जायते - उत्पन्न होती हैं । तेहि = उनके द्वारा । दु-ही । विसयग्गहण = विषयो का ग्रहण । तत्तो- उस कारण से । रागो= राग । वा= और । दोसो द्वेष । जायदि = उत्पन्न होता है। जीवस्सेव - जीवस्स+एव = जीव के, इस प्रकार । भावो - मनोभाव । ससारचक्फवालम्मि = आवागमन के समय (मे) । इदि = इस प्रकार | जिणवहि - अर्हतो द्वारा । भणिदो = कहा गया है। प्रणादिरिणधरणोप्रादिरहित, अन्तरहित । सणिधणो % अन्तसहित । वाया।
39
जेसि (ज) 6/2 विसयसु (विसय) 7/2 रदी (रदि) 1/1 तेसि (त) 6/2 म दुक्ख (दुक्ख) 1/1 विधारण (वियाण) विधि 2/1 सक सम्भाव (समाव) 1/1 जदि (अ) = यदि त (त)1/1 सवि ण (अ) 3
69
द्रव्य-विचार