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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
प्रधान सम्पादक-पुरातत्त्वाचार्य, जिनविजय मुनि [ सम्मान्य सचालक, राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर, जोधपुर ]
ग्रन्थाङ्क ४२ राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर के.
हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची
भाग १
प्रकाशक राजस्थान राज्य सस्थापित
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE, JODHPUR
जोधपुर (राजस्थान)
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
राजस्थान राज्य द्वारा प्रकाशित सामान्यत अखिल भारतीय तथा विशेषत. राजस्थानदेशीय पुरातनकालीन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रश, राजस्थानी, हिन्दी आदि भापानिबद्ध
विविध वाह मयप्रकाशिनी विशिष्ट ग्रन्थावलि
प्रधान सम्पादक पुरातत्त्वाचार्य, जिनविजय मुनि [ऑनरेरि मेंवर ऑफ जर्मन ओरिएन्टल सोसाइटी, जर्मनी ]
सम्मान्य सदस्य भाण्डारकर प्राच्यविद्यासंशोधनमन्दिर, पूना, गुजरातसाहित्य-सभा, अहमदाबाद, विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोधन प्रतिष्ठान, होशियारपुर, निवृत्त सम्मान्य नियामक
(आनरेरि डायरेक्टर )-भारतीय विद्याभवन, बम्बई
ग्रन्थाइ ४२ राजस्थान पुरातत्त्वावेषण मन्दिर के
हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची
भाग १
प्रकाशक
राजस्थान राज्याज्ञानुसार संचालक, राजस्थान पुगतत्त्वान्वेषण मन्दिर
जोधपुर ( राजस्थान)
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राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर के हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची
भाग १
प्रकाशनकर्ता
राजस्थान राज्याज्ञानुसार संचालक, राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर
जोधपुर (राजस्थान)
विक्रमाब्द २०१६ ] भारतराष्ट्रीय शकाल्द १८८१ [ ख्रिस्ताब्द १६५६ प्रथमावृत्ति १०००
मूल्य ७५० मुद्रक-कन्हर और अनुक्रमणिका, अजन्ता प्रिन्टर्स, जयपुर।
हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची, हनुमान प्रेस, जयपुर ।
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त्रिपय
१ स्तुति स्तोत्रादि
२. वैदिक
३ मन्त्रतन्त्रादि
४ धर्मशास्त्र
५ कर्मकाण्ड
६ पुराण ७ वेदान्त
= योग
६ दर्शनशास्त्र
१० व्याकरण ११ कोश
१२ ज्योतिषगणितादि
१३ छन्दः शास्त्र १४ सङ्गीतशस्त्र
१५ कामशास्त्र
१६ काव्य-नाटक-चम्पू
१७ रसालङ्कारादि
१८ सुभाषित - प्रकीर्णादि १६ शिल्पशास्त्र
२० आयुर्वेद
२१ जैनागम
२२ जैनप्रकरण
२३ रास
२४ इतिहास ( ख्यातवातादि) २५ कथावार्तादि २६ गीत आदि
विषय-सूची
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पृष्ठ- सख्या
१-२०
२१-२५
२६-३५
३६-४१
४२-५२
५३-६३
६४-६७
६८
६६-७२
७३-८४
८५-६० ६१-१२२
१२३-१२५
१२६ १२७
१२८-१४४
१४५-१५२
१५३-१६८
१६६
१७०-१७८
१७६-१८२
१८३-१६१
१६२-२३१
२३२-२३६
२३७-२५० २५१-३०२
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सञ्चालकीय वक्तव्य
हमारे देश मे बहुत प्राचीन काल ही से लेखन की प्रथा रही है जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन अनेकों ग्रन्थ-भण्डारों की विद्यमानता ज्ञात होती है। हजारों ही देवमन्दिरों, आश्रमों, गुरुकुलों और विद्यापीठों मे विद्वानों एव सरस्वती पुत्रों द्वारा साहित्य - निर्माण के साथ ही प्रतिलिपि का कार्य भी बड़े पैमाने पर होता था और इस प्रकार ग्रन्थ-भण्डारों की सुरक्षा के साथ ही उनकी श्रीवृद्धि भी होती थी । प्राचीन काल मे पुस्तकालय की सुरक्षा और सवृद्धि करना विद्यापीठ का ही नहीं वरन् देश के प्रत्येक सस्कारी परिवार का भी पवित्र कर्तव्य समझा जाता था । खेद है कि कालान्तर मे हुए सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनैतिक विप्लवों तथा विदेशियों के दुर्दान्त आक्रमणों मे हमारे देश के पुस्तक भण्डार नष्ट - भ्रष्ट हो गये । अब हमें अपने प्राचीन ग्रन्थभण्डारों की यत्र-तत्र प्राप्त कुछ ग्रन्थों की प्रतिलिपियों और तिब्बत, नेपाल, चीन आदि देशो प्राप्त कतिपय ग्रन्थों के कुछ भाषानुवादों से ही सन्तोष करना पड़ता है ।
राजस्थान प्राचीनकाल से ही हमारे देश का एक सुसांस्कृतिक भाग रहा है और इसलिये यहा बहुत प्राचीनकाल से ही अनेक छोटे-बडे पुस्तक भण्डारों की स्थिति ज्ञात होती है । राजस्थान मे हजारों ही विद्वान् ब्राह्मणों, जैनसाधुओं, यतियों, श्रीमन्तों और शासकों ने प्रचुर धन व्यय कर परिश्रम पूर्वक निजी ग्रन्थ-२ - भण्डारों की चित्तोड़, आघाटपुर (आयड़, उदयपुर), भिन्नमाल, जालोर, अजमेर, बाड़मेर, नागौर, बैराठ आदि स्थानों मे स्थापना की । ऐसे श्रादर्श प्रथ भण्डारों का सामान्य परिचय अब केवल जैसलमेर के जैनमन्दिरों मे भूगर्भस्थित पुस्तक भण्डार से ही प्राप्त किया जा सकता है।
1
हम इस विद्या राशि के स्थानान्तरण और विनाश का क्रम पिछली कई शताब्दियों से चालू रहा है, जिसके परिणामस्वरूप लाखों ही हस्तलिखित ग्रन्थ अज्ञानियों के हाथों मे पड़ कर नष्ट हो गये, दीमकों और चूहों के ग्रास बनगये तथा बम्बई, पाटन, बड़ौदा, कलकत्ता आदि से भी आगे सात समुद्र पार विदेशों मे पहुँच गये। किसी न किसी रूप मे यह क्रम हमारी उपेक्षा के कारण आज भी चल रहा है जिसको देखते हुए अत्यन्त दुख होता है । हमारी जानकारी मे आज भी केवल राजस्थान मे छोटे-बड़े कम से कम ५०० ग्रन्थ भण्डार हैं जिनकी सुरक्षा और उपयोग का कोई विशेष प्रबन्ध नहीं है ।
राजस्थान - सरकार ने हमारे सुझाव के अनुसार " राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर” स्थापित कर इसके सचालन का कार्य - भार हमे सौंपा तो हमने अपने विशेष प्रयत्न से एक ग्रन्थ-भण्डार की आयोजना की । अब तक इस ग्रन्थ भण्डार में काव्य, इतिहास, पुराण, कोश, व्याकरण, दर्शन, आयुर्वेद, धर्मशास्त्र, कर्मकाण्ड, योग, ज्योतिप, गणित, संगीत, नृत्य, कामशास्त्र, रास, कथा, रस, अलकारादि विपयों के और संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, राजस्थानी, गुजराती, ब्रज, खड़ी बोली आदि भाषाओं में लिखित लगभग १३,५०० ग्रन्थ सगृहीत और सुरक्षित किये जा चुके हैं। देश
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[ २ ]
विदेश के विद्वानों, साहित्यकारों और विद्यारसिकों की जानकारी के लिये पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर में समय-समय पर सगृहीत ग्रन्थों के सूचीपत्र की आवश्यकता अनुभव कर हमने मार्च सन् १९५६ ई० तक सगृहीत ४००० ग्रन्थों का सूचीपत्र तैयार करने का कार्य पाटण निवासीप० श्री श्रमृतलाल को सौंपा । उन्होंने ग्रन्थनामादि ग्रन्थ-परिचयपत्रों पर कित किये और उनको विषयवार छांट करके प्रस्तुत किया |
तदुपरान्त मन्दिर के प्रवर शोध सहायक श्री गोपलनारायण बहुरा, एम ए. ने मन्दिर के शोध एव सग्रह विभाग के सूचीपत्र - सहायक श्रीलक्ष्मीनारायण गोस्वामी और श्रीविश्वेश्वरदत्त द्विवेदी के सहयोग से परिचयपत्रकों के आधार पर विषयवार सूचियां तैयार कर यथाशक्य शोधनसम्पादन करके विषयवार प्रेस कापियां प्रस्तुत की और श्रीरमानन्द सारस्वत, गवेपक ने ग्रन्थकारनामानुक्रमणिका बनाई ।
मुझे विशेष प्रसन्नता है कि यह सूचीपत्र अत्र प्रकाशित हो कर विद्वज्जनों के उत्सुक हाथों मे पहुँच रहा है । अनन्तर सहित ग्रन्थों का सूचीपत्र भी प्रेस के लिये लगभग तैयार किया जा चुका है । आशा है कि वह भी शीघ्र ही प्रकाशित हो जावेगा और भविष्य मे सगृहीत होने वाले ग्रन्थों के सूचीपत्र भी यथा समय प्रकाशित होते रहेंगे ।
हमारी मंगल कामना है कि राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर का ग्रन्थभण्डार उत्तरोत्तर सवर्द्धित होता हुआ विश्व के विद्वज्जनों की अधिकाधिक ज्ञान - वृद्धि करने में समर्थ हो ।
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर, जोधपुर | ता १ जनवरी, १६५६ ई०
मुनि जिनविजय,
समान्य सञ्चालक
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राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर
हस्तलिखित ग्रन्थसंग्रह (१) स्तुति-स्तोत्रादि
क्रमांक, ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्र| समय संख्या
विशेष
प्राकृत
१७६८ १३४१
१ २३७६ | अच्युताष्क
संस्कृत | २० वीं (१०-११) अनेककृतिसवलितशताब्दी
गुटका ११०३ | अजितशान्तिस्तव टी० जिनप्रभ प्राकृत १७वीं श. टीका सस्कृत
सटीक १०६५ अजितशान्तिस्तव
नव्यनगर में लिखित - सस्तबक । २७१० अन्तःकरणप्रबोधस्तोत्र | वल्लभाचार्य सस्कृत | १६२५
(११) २७६७ अन्नपूर्णाबृहतीस्तुति
" १६वीं श. ८
रुद्रयामलगता अन्नपूर्णासहस्रनामस्तोत्र वल्लभाचार्य अपराधस्तोत्र
१८२८ ३ नवीनपुर में लिखित १४३४ | अपामार्जनस्तोत्र शङ्कराचार्य १६वीं श. ३६ भविष्योत्तरपुराण
गत। | १४८८ अपामार्जनस्तोत्र
१६०१ १० विष्णुधर्मोत्तर
पुराणगत १० २७६६ अपामार्जनस्तोत्र
१८वीं श १० भविष्योत्तर
पुराणगत ११ ३१०६ अर्गलास्तुति
१६वीं श १०-१२ ११०६ अईन्नामसहस्रसमुच्चय
, १७वीं श ११आदि २६१५' श्रादित्यस्तोत्र
१९०४ ११ प्रथम पत्र अप्राप्त।
भविष्योत्तर
पुराणगत १४ ८२५ श्रादित्यहृदयस्तोत्र १५ | ८६३ | आदित्यहृदयस्तोत्र
१८५८
भविष्योत्तरपुराणगत । मनरा मे लिखित
१८६८
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राजस्थान पुगतत्यान्वेपरण मन्दिर
-
-
-
-
-
ममार प्रन्याह
प्रन्यनाम
फत्तों
| भारा
| लिपि- पत्र। ममत्र सन्या
विशेष
__
श्रादित्यहृदयम्नान १८ श्रादित्यहदयन्तोत्र
सस्कृत रवी श " ., ..
४८ १६
।
भविष्योत्तरपुराणगत। प्रथम पत्र अमान। भविष्योत्तरपुराणगत।
८७ श्रादित्यव्यस्तोत्र
१.
१ध्वी श. १६२५ ध्वी श
03 No'
५ १ कृष्णगढ मे लिखित ४
७. यानन्दलहरी स्तोत्र । शङ्कराचार्य ।
आनन्दलहरी स्तोत्र श्रानन्दलहरी स्तोत्र यानन्दलहरी स्तोत्र श्रापमुद्धारमन्त्रस्तोत्र नया चतुःपष्ट्रियोगिनी
न्लोन १९६० यार्याअष्टोत्तरशतक । महामुद्गलभट्ट ।
नामस्तोत्र
न्द्रानीन्तोत्र बार मन्दानीम्तोत्र
मन्दानीम्तोत्र इन्द्रानान्नोत्र
-
१७२६ । भागनगर मे लिखित १८७१ । १ । देवीपुराणगत १६वीं श. ५
},,.१६-२०
स्कन्दपुराणगत ।
१ भाद ३ नन्नयन
१.
पाहत १७वीं श १३६ वॉ
2.
परमनिम्नोन
मुमुदनन्द
मम्ल १४यीं श.७१-७२ जाएत्रात
५ मा निरनोत्र मामिद्धसेन ..
मटी टाकीर्नि .. एका मदिनार टी. पनागन मसत १७३४ १७ ' स. १६५२ में रचित
टीका बीकानेर मे
लिन्वित। ..
र मागितमेन मगत :
.
* .::
:
मममुगट नमन १२ १०
ग्रागरा में लिन्दिन ।
-
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________________
क्रमांक ग्रन्थाक
ग्रन्थ नाम
३६ | १११३ | कल्याणमन्दिरस्तोत्र सावचूरि
३७ | ३१६= | कायस्थितिस्तव.
सावचूरि पचपाठ
३८ | २६८८ | कालिकाटक २७६८ | कालिकास्तव ४० | २८१० | कालिकोपनिषद्
३६
२७१२ | कालीशतनामावली २६५० | कालीसूक्त
४१
४२
४३ | ३१०६ कीलकस्तोत्र
(3)
४४ १८८२ कृष्णकवच
(१४७)
४५ ३५२
४६
कृष्णस्तव
३५६ | कृष्णस्तव
४७
३५३ | कृष्णस्तवराज ४= | ३५७२ | कृष्णस्तोत्र
(४)
४६ | २७१० | कृष्णाश्रयस्तोत्र
(१३) ५० २३७० गंगालहरीस्तोत्र
(३)
५.१ २३०६ | गंगाष्टक
(६)
गगाष्टक
५२ | २८२१ ५३ | २६०० | गगाष्टक
(७) ५४ २६०१ गगाष्टक
५५ | २६७१ | गंगाप्रक ५६ | ३६६८ गंगाष्टक
५७
५८
।
१४०५ | गंगाष्टक स्तोत्र २८३६ | गंगाष्टक स्तोत्र
हस्तलिखित ग्रन्थसंग्रह
कर्त्ता
रामकृष्ण
चन्द्रदत्त
मृ० सिद्धसेन | संस्कृत १६४५
१६५६
वल्लभाचार्य
"
जगन्नाथ पण्डितराज
शङ्कराचार्य
शङ्कराचार्य वाल्मीकि
वाल्मीकि
37
कालिदास
भाषा
"
प्राकृत
संस्कृत
37
2
23
"
"
22
22
"
"
"2
"
४
22
"" 33
संस्कृत २०वीं श. ४
१६वीं श.
""
""
लिपि -
समय
33
"
१८८६
१८६४
१८८६
23
"
""
पत्र
सख्या
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१६०७
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१६वीं श. २४-२५
२
संस्कृत १६वीं श. १८२५ | १२ वॉ
(१६वीं श
१८६०
१८५१
१७६७
२०वीं श.
१८७७
१६वीं श१२-१५
१६वीं श७८-७९ विष्णुपुराणगत ।
१६२५ १०-११
५५-५६
११
१८२३ १२ वॉ
विशेप
v mr
['3..
नागना में लिखित ।
हिपुरदुर्ग में लिखित |
जर मे लिखित
कृष्णगढ़ में लिखित |
विष्णुयाम लगत
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________________
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
HDa
पत्र
भाषा
- लिपि-
मारु प्रन्यात
अन्यनाम
कर्त्ता
भाषा ममय सख्या |
विशेष
केवलराम
___y. ३३०० गगास्तुति
६० २१ गणेशसहस्रनामस्तोत्र ६१ ३५४३ गणेशस्तोत्र
(२) ६२ ११२२ गणमाएक
सम्कृत १८२७ । ७
" ध्वीं श. १६ . गणेशपुराणगत । '" .., १७ वॉ जीर्णप्रति
" "
ट्टा
६३ १५०६ , गायत्रीमहस्रनामस्तोत्र ६१ २७१५ गायत्रीस्तवराज
६५२६२३ | गायत्रीस्तवराज ६६ , ३३३२ — गायत्रीहदयस्तोत्र ६७ १५७७ गायत्रीहदयस्तोत्र ६८ १८८२ गीतगोविन्द की
। (२१६) अष्टपदी ६६' ८ । गुमगीता
१६५५ १८७७३ ' ब्रह्मतन्त्रगत । कृष्ण
गढ़ मे लिखित । १८८२ १६ प्रथम पन अप्राप्त । १वीं श . १६५५ , ८ १६वीं श १३ध्या।
याज्ञवल्क्य । जयदेव
१८७६१ स्कन्दपुराणगत ।
माडवीविन्दर मे
लिखित । १८७३ २३-२६ । कृष्णगढ़ में लिखित |
७० . २३७३ । गुम्पृजास्तोत्र
७२ ' fe · गुमस्तोत्र ७२' १९०२ 'गुष्क
२०वीं श. १ १६वी श. ३५वॉ
८वीं ग
१
• १८४४ ४ मम्मोहननन्त्रगत ।
१६२५ ३३ सम्मोहनतन्त्रगत । १६वी श' ८०
or
st गुफ २४ गोलशाक 'रघुनाथ ३२४ नापानमहम्मनानम्नोत्र ३३६ गोपानमध्यनामस्तोत्र
गोपालमानामन्नोत्र ७८ ५. गोपानमहमनामनात्र
१ गोपानमन्त्रनामलार ८ : गोरानमहमनामनाय ८ ... गोशनमहामनामनाय
मापिसागर राहगवार्य
गालियान .. गाना
२८यींग ध्वींग १७ १७. ० ९ यी ग. बीग. में
ग्वण्डित मम्मोहनतन्त्रगत । नारदीयपुराणगत
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________________
हस्तलिखित ग्रन्थसंग्रह
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
| भापा
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेप
८५/२६६६
| २८१८
गोविन्दाएक गोविन्दाष्क
शङ्कराचार्य
संस्कृत १६०३ १ कृष्णगढ़ मे लिखित ।
१६वीं श. १-२ ।
१४२६
१८००
२७५६
गौरीदशकस्तोत्र गौरीदशकस्तोत्र ग्रहशान्तिस्तोत्र
१७
१०६०
भद्रबाहु
१७११
रा
कृष्णगढ़ में लिखित । वरवाला ग्राम मे लिखित ।
१६वीं श.
२६०८ ११०५ १०६६
चक्रपाणिस्तोत्र चतुर्विशतिजिनस्तुति चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र आदि चद्रस्तोत्र
| शङ्कराचार्य सोमप्रभ शान्तिचंद्र
www..
११०
१६ | देवीयामलगत ।
१४ चामुडासहस्रनामस्तोत्र ३५५४ | चिन्तामणिपार्श्वस्तोत्र (१३) २८६३
चैत्यवदन
प्राकृत १७वीं श.८८वॉ
| अजमेर में लिखित। | १६२५ ११-१२
२८१५ जगदम्बामहिम्नः स्तोत्र धरानन्दनाथ २७१० जलभेदस्तोत्र (१६) २६१२ जित ते स्तोत्र १०४२ जिनशतक पजिका
मू० जबू, टीकासहित
| टीका शांव २८६३
जिनसभद्रसूरिस्तुति | मतिवर्द्धन
प्रथम पत्र अप्राप्त । १७वीं श. २३ अतिम पत्र
अप्राप्त। १६२वॉ हीरकलश लिखित
"
"
२८६३ (१२६)
जिनसहस्रनामस्तोत्र
| १६२० | १६२- | मेमेऊ ग्राम मे
१६३ हीरकलशमुनि
लिखित । १९वीं श. ६-७
गगकुशल
११२२ जिनस्तवन
| (११) १०५ १११७
जीरापल्लीपार्श्वस्तोत्र ८२१ ढुंदिराजस्तोत्र
शङ्कराचार्य
२७वीं श १८वीं श
१ २
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________________
६]
अत्माक ग्रन्थाद्ध
१०७ २०
तारामहस्त्रनामस्तोत्र
१०८ १८०६ विजयपहुत्त सटीक
(2) 1
२०६ ११०= तीर्थमालास्तव सवाना महेन्द्रप्रभ
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ववोध
१४० २६१२ तुलसीस्नव
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ነ
१२५
ग्रन्थनाम
1
१११ ३१५३ तुलसीम्नव
११२
५१३
७६२ त्रिपुरसुन्दरीमानमीपूजा शङ्कराचार्य ७९३ त्रिपुरसुन्दरीमानसपूजा वत्सराम ११४ २७४७ त्रिपुरायारात्रिका
३१८० त्रिपुरासहस्रनामस्तोत्र
३९
4
११६ २० त्रिपुरसुन्दरीस्तोत्र २३०० त्रिपुरानोत्र
४१७
(२)
१९८ २६९४ त्रिपुरास्तोत्र ११६ २६१६ त्रिपुरास्तोत्र १२० ३६६२ त्रियुगस्तोत्र ११०० त्रिपुरानो सटीक
१२१
५ (*)
1
२६: त्रिपुरास्तोत्र
३:
नियुरासन सटीक
विरागी सदी
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
मेयरमा
कर्त्ता
Kiri
३२० मिन
1T02
शङ्कराचार्य
लघुपडित
रामकृष्ण लघुपडित
13
टी सोमतिलक म ३६७ मे घटीपुरी में रचित
टी. सोमलिक
म १३३७ मे
चित
पुति
भाषा
संस्कृत १०वीं श. १७ १६वीं श२७-२६
प्राकृत
मस्कृत
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लिपि -
पत्र
समय मख्या
मस्कृत
१६५५ १६
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१६वीं श
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२०
विशेष
स्मृतीश. १-१६ स्थानानकटस्कुल की प्रार्थना
नानगर मे लिखित
स्कन्दपुराणगत । २रा पत्र प्राप्त । स्कन्दपुराणगत ७३ पद्य है ।
मेडता मे लिखित | दो रात्रिका है ।
रुद्रयामलगत | प्रथम तथा अन्य पत्र
शोभन
मंडपमहादुर्ग मे लिखित
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________________
क्रमांक ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
१२७ | ३४३४ | त्रिपुरास्तोत्र सस्तवक
१२८ | २३७३ | दक्षिणकालिका कर्पूर(5) स्तोत्र
१२६ | २६५७ | दक्षिणकालिकासहस्रनामस्तोत्र
१३० | २३७३ | दक्षिणकालिकास्तवराज (१७)
१३१ | २७२१ | दक्षिणामूर्तिस्तोत्र १३२ | १४६२ | दत्तमहिम्नस्तोत्र १३३ | २३०६ | देवाधिदेवस्तोत्र
(७)
१३= | ३१०६ | देवीकवच (१)
१३६ ३१६४ | देवीकवच
५४०
१४१
२७६७ | देवीक्षमापरावस्तोत्र १४३६ | देवीसूक्त १४२ | २६४६ देवीसूक्त १४३ | २८२३ | देवीसूक्त १४४ | २७६५ | देवीस्तुति १४५ २०६० द्वात्रिंशिका
हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रह
(2)
नमस्कारस्तव
१४६ | १०४६ १४७ | १९२२ | नवग्रहस्तोत्र
(२२)
कर्त्ता
स्तवककार
रूपचन्द्र
शङ्कराचार्य
१३४ | १०६= | देवा प्रभोस्तव सटीक, मू० जयानन्द
त्रिपाठ
१३५
१६०८ | देवा प्रभोस्तव सावचूरिक, त्रिपाठ १३६ | २१२२ | देवा प्रभोस्तोत्र सवा
लाववोध
१३७ - २७८३ | देवी अपराध भंजनस्तोत्र
"
""
जयानन्द
टीका वानपि
चंद्रदत्त
शङ्कराचार्य
सिद्धसेन
जिनकीर्ति
भाषा
संस्कृत
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संस्कृत
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रचना
१८७३ ६७-१०४, कृष्णगढ़ में लिखित
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प्राकृत १६वीं श
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मे लिखित
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बुरहानपुर में लिखित
रुद्रयामलगत । अजमेर मे लिखित |
अजमेर मे लिखित |
कृष्णगढ़ मे लिखित |
वरवालाग्राम मे लिखित ।
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________________
हस्तलिखित ग्रन्थसग्रह
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
___ को भाषा
लिपि- पत्रसमय / संख्या
विशेष
१६८ १०८८ पार्श्वनाथ स्तोत्र सटीक मू० पद्मप्रभ संस्कृत १६वीं श. ४
| टी० मुनिशेखर १८०६ पार्श्वस्तोत्र सटीक मू० जिनप्रभ मू० प्रा० ,,E-३१
टी० स० १५२ पीताम्बर सहस्रनाम
सस्कृत १८८६६ स्तोत्र ३१७८ | पीयूपलहरी (गगालहरी) जगन्नाथ १६वीं श १३१ पीयूषलहरी (गगालहरी) जगन्नाथ
१८१७ ३०
टी० सदाशिव २७१० पुष्प्रिवाहमर्यादास्तोत्र
"
e
"
। १६२५
वा
रामकृष्ण भट्ट
१८वीं श. १६वीं श.
२ मेदनीपुर में लिखित ३
१६२७, २२ १८वीं श. ४ १९२५ । ३-४
वल्लभाचार्य
पुष्पांजली स्तोत्र प्रणवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र
प्रत्यगिरास्तोत्र १७६५ प्रत्यगिरास्तोत्र २७१० प्रेमामृतस्तोत्र १४६१ | बगलामुखीस्तोत्र
बटुकभैरवशतनामस्तोत्र १४३१ बटुकभैरवस्तोत्र . ३१८५ | वटुकभैरवस्तोत्र २७६० बन्दिमोक्षस्तोत्र , २७१० | बालबोधस्तोत्र
रुद्रयामलगत।
१६वीं श ४
१८५६ ४ १६वीं श. १३
१८८४ । १० १६वीं श १ १६२५, ६-७
"
"
१९२३
१
२२४७ 'बाला आरती तथा
बालासमयाष्टक बालसिंहस्रनामस्तोत्रं बालासहस्रनामस्तोत्र | बालास्तोत्र
२८०६
१८३१ २२ १८८० २१ १६वीं श. २रा
रुद्रयामलगत । पुष्करतट में लिखित
११५
| बृहच्छान्ति -
" "२६वॉ
(११)
८८
न्ति टीका
| हर्षकीर्ति
,
१६६३
७
जीर्णप्रति है।
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Page #17
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________________
हस्तलिखित ग्रन्थसंग्रह
[.११
।
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेष
२१५ २६५३ भवानीस्तोत्र २१६ ८०१ भवान्यष्क
| ११२२ भारतीस्तोत्र
सस्कृत २०वीं श. १
१८वीं श २ " " , ७४वाँ
महाभारतगत
भीष्मस्तवराज २८७६ | भीष्मस्तवराज
सस्कृत १८वी श. १७
१६वीं श. १-३४
८०६
३२६८ | भीष्मस्तवराज
| भुवनेश्वरीस्तोत्र पृथ्वीधराचार्य, १५०६ भुवनेश्वरीस्तोत्र ८१६ भुवनेश्वरीस्तोत्र सटीक पृथ्वीधराचार्य
टी पद्मनाभ २२४ । २७५४ | भैरवस्तोत्र दक्षिणामूर्तिमुनि ,
२६२० | मंगलस्तोत्र
। १८५० २४ महाभारतगत । १८वीं श. २ २०वीं श. -२६ | शारदातिलकगत । १८वीं श. २० -
१६वीं श
३-४
मगलस्तोत्र मगलाष्टक
"
"
कालिदास
मगलाष्टक
सस्कृत
१८४
सस्कृत
विश्वेश्वराश्रम शङ्कराचार्य
"
वल्लभाचार्य
२२६ | २६६८ | मगलाष्टक २३० ३१८४ | मंगलाष्टक २३१ | मणिकर्णिकास्तोत्र २३२, ६३५ मणिकर्णिकास्तोत्र २३३ | ११२२ मधुराष्टक २३४ | २६३६ | महाकालीककारादि
सहस्रनाम २३५ ३२८४ महादेवलिंगस्तोत्र ३२८४ | महादेवस्तुति
| महादेवस्तोत्र
१६५३
६ । हरिदुर्ग में लिखित ।
१८१६
(३)
३७
३२८४
१८१६
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________________
१२ ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
०३८ | २०४८ | महामृत्युं जयस्तोत्र ७१८ | महालक्ष्मीसूक्त ७८४ | महालक्ष्मीस्तोत्र
२३६
२४०
२४१ | ३५७३ | महावीरस्तवन
ग्रन्थनाम
(३०)
२४२ २०६७ | महावीरस्तव महावीरस्तव ऋपभस्तव पार्श्वस्तोत्र २६६४ | मृत्युंजयस्तोत्र २४४११४८ यमुनाष्टक (गुटका)
२४३
1
(२)
२४५ | २७१० यमुनाप्रक
(५)
२४६ | २७६६ यमुनाष्टक
२४७ | ३५७२ | यमुनाप्रक (६)
२४८ | ३१४४ | यमुनास्तोत्र तथा यमुनाष्टक २४६ १८० रकारादिरामसहस्रनाम २५० १८७ रकारादिरामसहस्रनाम २५१ | २३७३ | राजराजेश्वरी स्तोत्र
(१५)
२५२ | ३५७६
२५.३
राधास्तोत्र ३३० | रामचन्द्रस्तोत्र २७७० | रामचन्द्रस्तोत्र
२५४
२५५. ८१६ रामरक्षाकवच २५६
३१८ | रामरक्षास्तोत्र
२५७
७६० | रामरक्षास्तोत्र २५८ २३७६ | रामरक्षास्तोत्र
(2) २५६ | २६०० | रामरक्षास्तोत्र
(२) २६० | २६०१ | रामरक्षास्तोत्र
२६१
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
(२)
३२६६ | रामरक्षास्तोत्र
कर्त्ता
अभयदेव
वल्लभाचार्य
वल्लभाचार्य
वल्लभदीक्षित
निम्बार्कशरण देव तथा गोस्वामी
शङ्कराचार्य
विश्वामित्र
विश्वामित्र
"
"
भाषा
संस्कृत | १८६२
"
""
"
१४
१
१६०१ १६वीं श.
२
,,
प्राकृत | १६वीं श ८१ वॉ | जीर्ण प्रति
संस्कृत १६वीं श
"
ود
"
32
"
""
"
""
39
""
"
"
"
22
लिपि -
समय
""
"
१६२५
१
(१६वीं श| १८००
५-६
पत्र
संख्या
१६२५
२०वीं श
२
१६वींश ६०-६३ |
१६०२
| १६वींश
१८वीं श.
२०वीं श
१६वीं श.
२
१८६८
१२
१८६० १२
"
"
१०
१५१
१५३
२
४
४
१०
विशेष
ন
भैरवतन्त्रगत ।
विष्णुपुराणगत ।
३
पद्मपुराणगत |
ब्रह्मयामलगत |
"
१६३३
१६वीं श.
२०वीं श. १ से६ गुटका ।
१८२५ | ६-१०
१८२३ | ६-१०
२६वीं श.
"
ब्रह्माण्डपुराणगत
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________________
हस्तलिखित ग्रन्थसंग्रह
१३]
लिपि
क्रमांक प्रन्याक
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
पत्रसंख्या
विशेष
समय
२६२ २६३ २६४ २६५
७६६ | रामरक्षास्तोत्र सटीक महामुद्गलभट्ट | संस्कृत | १८३५ / २४ । भुजनगर में लिखित ७८३ रामरक्षा स्तोत्र सार्थ । विश्वामित्र
१८३६ ७८५ रामरक्षा स्तोत्र सार्थ
१८५६ | ५ ३०६ रामस्तवराजः
| १९२० १३ सनत्कुमार संहितागत। ११४८ रामस्तवराज स्तोत्र
१८वीं श. १से१७
" "
|
"
"
ब्रह्माण्डपुराणगत
२६६ २७०
१४२५ २६६५ ३२८२ ३६६० १८०६
रामहृदयस्तोत्र । रामाष्टक लक्ष्मीसूक्त लक्ष्मीस्तोत्र लघुशान्ति सटीक
पद्मपुराणगत ।
१६वीं श. १ १६वीं श २४-२७
WI0y
मू. मानदेवमूरि "
२६१५ वक्रतुण्डस्तवराज
१६वीं श.
१-२
वक्रतुण्डस्तोत्र तथा अन्नपूर्णास्तोत्र वल्लभाष्टक
| वेदव्यास
१८१५ १६२५
२७१०
१ ३रा
मथुरा में लिखित ।
३५७२
वल्लभाष्टक
१६वीं श५६-६०
११०१ | वसुधारास्तोत्र
| वसुधारास्तोत्र
२६२४
३५४
वागीश्वरीस्तोत्र वायुदेवस्तवव्याख्या विवेकधैर्याश्रयस्तोत्र
१७वीं श. ७ १८८१ ४ मकसुदावाद वालो
चर में लिखित । २०वीं श ७ सनत्कुमारसंहितागत ।
मू० तत्वदीपिकाचार्य | १९२५ | १० वॉ
२७१०
२०वीं श
वॉ पत्र अप्राप्त
१८वीं श. २८
विश्वनाथाष्टक तथा व्यास उपमन्यु शिवस्तोत्र विष्णुदिव्यसहस्रनाम'स्तोत्र
विष्णुपंजरस्तोत्र २८४, ८३६ विष्णुपंजरस्तोत्र
विष्णुपजरस्तोत्र
ब्रह्माण्डपुराणगत
१८४८ १८५६ १८२५ / १० वाँ
२६००
..... (३) ।
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________________
१४]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
भाषा
लिपि- पत्रसमय ।
संख्या
• कर्ता
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
विशेष
ग्रन्थनाम
| २६०१ विष्णुपंजरस्तोत्र
संस्कृत १८
| १८२३ | १० घॉ ब्रह्माण्डपुराणगत
३३०३ १८०२
विष्णुपंजरस्तोत्र विष्णुमहिम्नःस्तोत्र विष्णुसहस्रनामस्तोत्र विष्णुसहस्रनामस्तोत्र
, १६वीं श. ४
" , | १३-१५ जीर्णप्रति संस्कृत | १८५१ ३८ " १५वीं श. १-४७
(२)
१६वीं श. १६ १६वीं श. १२ मानकवीश्वर द्वारा
सोनीहरजी ने लिखाया १८९२
३५ पद्मपुराणगत । १६६६
वीं श १६वीं श
१०-१२ महाभारतगत।
१७
| १८२३ | १०-१२
,
२६०१
भागवतसारसमुच्चयगत ।
२८८७ | विष्णुसहस्रनामस्तोत्र
" विष्णुसहस्रनामस्तोत्र (पद्मपुराणान्त
र्गत) २६३ / ८४१ विष्णुसहस्रनामस्तोत्र २६४ २६१६ | विष्णुसहस्रनामस्तोत्र २६५ ३२८१ विष्णुसहस्रनामस्तोत्र २६६ विष्णुसहस्रनामस्तोत्र २६०० | विष्णुसहस्रनामस्तोत्र
| विष्णुसहस्रनामस्तोत्र विष्णुसहस्रनामस्तोत्र विष्णुसहस्रनामस्तोत्र
" तथा अनंतप्रतकथा गार्थ विष्णुसहस्रनामस्तोत्र तथा अंष्टाविंशतिनाम
" स्तोत्र ३०२ ३२६८ विष्णुस्तवराज ३१७ विष्णुस्तुति सटीक टी० हरिदास ,
वीतरागस्तोत्र ३५१८ वीतराग स्तोत्र पजिका हेमचन्द्र,पंजिका , युक्त त्रिपाठ
विद्यासागर ३१ वेणीस्तोत्र प्रयागस्तव । शेप?
वेणीस्तोत्र,त्रिवेणीस्तोत्र
१६वीं श
१६
१६वीं श. २६+५
| १८६१ / १० १६वीं श ५
हेमचन्द्र
महाभारतगत, काशी मे लिखित। भावैरकुरित पद्य की टीका प्रथम पत्र प्राप्त स० १५१२ में पजिका की रचना। प्रयाग माहात्म्यगत | कडा मे लिखित।
"
१५वीं श. . १६वीं श. १३
१८१५
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________________
हस्तलिखित ग्रन्थसंग्रह
[ १५
क्रमाक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेप
| -भागवतगत।
२०६
३०७ |१३०६ वेदस्तुति
सस्कृत १६वीं श. ६ ३०८ १८ | वेदस्तुति सटीक त्रिपाठ टी० चक्रवर्ती , १८५८ | ५० ७५८ व्यकटेश्वराष्टक तथा
" १६वीं श. १ रामाष्टक २७७८ | शनिस्तोत्र
सस्कृत ! १६२८३
स्कन्दपुराणगत : अजमेर में लिखित । स्कन्दपुराणगत .
१८४७७ १६वीं श. १३७
१७६६ ११
स्कन्दपुराणगत
शङ्कराचार्य
१६ठी श.४था
१८६६
१
३११ ३१५१ शनिस्तोत्र ३१२ । ३५६७ शनिस्तोत्र
(२०) ३१३ ३१८६ | शनैश्चरस्तोत्र ३१४ २६३० शन्यष्क ३१५ २६६३ शरभेशस्तोत्र ३१६ ३५५४ शान्तिनाथस्तोत्र
(१२) २०५८ शान्तिस्तुति ७६४ शारदाष्टक ७६८ शारदास्तुति ७७० शालिग्रामस्तोत्र ११४० शालग्रामस्तोत्र
आकाश भैरवकल्पगत अजमेर मे लिखित ।
१८२३१ २६वॉ
-to
१६वीं श.
१
।
।
३१६ ३२०
सस्कृत
४ भविष्योत्तरपुराणगत ।। ३२से३८ -भविष्योत्तर
पुराणगत । -
३२२ | १५१० शालग्रामस्तोत्र । ३२३ ८२४ | शिवकवच
| १३०६, शिवकवच
سا ل
-६
ل
३२५, १५०३ शिवकवच ३२६ / १३६५ शिवदशकस्तोत्र ३२७ | २७३१ शिवपंचाक्षरस्तोत्र ३२८ ३७२ | शिवमहिम्नःस्तोत्र ३२६८११ | शिवमहिम्नस्तोत्र ३३०.१४६७शिवमहिम्नःस्तोत्र ३३१ । २०७३ शिवमहिम्नःस्तोत्र
सस्कृतः
५ स्कन्दपुराणगत १
स्कन्दपुराणगत ।
नवीनपुर में लिखित । १६२३
स्कन्दपुराणगत ! - १८२८ २ नंदिकेश्वर पुराणगत २०वीं श. १ ( १८१३ ७ नवानगर में लिखित । १६वीं श ५ २०वीं श. १५ १७६६
प्रथम तथा अंस्य पत्र शोभन
| पुष्पदन्त
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________________
१६]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
पत्र
लिपिसमय ! सख्या
भाषा
कर्ता
विशेप
ग्रन्थनाम
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
-
३३२
३६८९
शिवमहिम्नःस्तोत्र
पुष्पदन्त
संस्कृत १८वीं श. १-२
१८वीं श. २२
३३३ ।
१६वीं श. १६
७७८ शिवमहिम्नःस्तोत्र
पजिका टीका ३३४ - १७६४ शिवमहिम्नःस्तोत्र-
सटीक ३३५ | ३२९७
शिवमहिम्नःस्तोत्र। सटीक
मू० पुष्पदन्त , टी०अहोवल(?)
१६०७
१६वीं श.
५ स्कन्दपुराणगत ।
लिंगपुराणगत
२रा पत्र अप्राप्त । २१ ।
३३६
१६वीं श.
२१
३३६
| ३१४० | शिववर्मकवच - ३३७ ८०० | शिवसहस्रनामस्तोत्र ३३८ शिवसहस्रनामस्तोत्र | ८०३ शिवसहस्रनामस्तोत्र
श्रादि १ शिवसहस्रनाम २ शिवकवच, ३ शिवताण्डव, ४ शिवस्तोत्र, ५ अपराधस्तोत्र, ६ पचवक्त्रस्तुति, ७ परिपद स्तोत्र, ८ अगस्त्याटक, ६ देवीस्तोत्र, १०
शिवस्तोत्र। १३४२ शिवस्तुति
व्यास | २६६० शिवस्तोत्र
रामानन्द
सरस्वती २६६७ / शिवस्तोत्र
उपमन्यु | शिवस्तोत्र
शङ्कराचार्य २६४५ शिवापराधस्तोत्र
| शङ्कराचार्य
१८१० | १६२२
५ | सूतसंहितागत
कृष्णगढ़ में लिखित
३४३ २०२०
सस्कृत
१८८३ | सस्कृत १६वीं श. १ | १९२७ ४ | अजयनगर में
लिखित । | १६१६ ३ अजमेर मे लिखित । १४वीं श.२१-२३
२६६५ ! शिवापराधस्तोत्र ३४६ | २३०६ शिवाष्टक
| ३५६७ शिवाष्टक शिवस्तोत्र ३४८ , १३८४ शिवाष्टकस्तोत्र
शङ्कराचार्य
| १८१३ ७-६ | मेडता मे लिखित
अगस्तिमुनि
१६वीं श.
१
Page #23
--------------------------------------------------------------------------
________________
हस्तलिखित ग्रन्थसंग्रह
१७]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कतो
त
भापा
माया
लिपि- | पत्रसमय सख्या
विशेप
"
३४६ ३३२ | शीतलाष्टक ३५० २७०५ श्रीमल्ललिताटक ३५१ ११११ शोभनस्तुयः
१११४ शोमनस्तुतिअवचूर्णि २६६३ श्यामास्तोत्र
संस्कृत १७६३ रूपगोस्वामी । , १६वीं श. शोभन
, १७वीं श.
१५३१ , १६वीं श.
२ ५ ७ १
३५२
ज्ञानार्णवगत ।
३५४ | १११० सकलाईत्स्तोत्र टीका गुणविजय ३५५ सन्तानगोपालस्तोत्र ३५६ १८६ | सन्तानगोपालस्तोत्र ३५७ २७०० सन्न्यासनिर्णयस्तोत्र । वल्लभाचार्य
१७वीं श. २०वी श.
६ ६
..
१६वीं श
१ ला।
३५८ २७१० सन्न्यासनिर्णयस्तोत्र
१६२५ ,१२-१३ .
३५६ : १५०४ | सप्तस्मरण ३६० / १८०१ | सप्तस्मरण सटीक
| २६३ सप्तशती (चंडीपाठ) | २६३ सप्तशती (चंडीपाठ)
३६३ ३०७ सप्तशती (चंडीपाठ) ३६४ ! ७५३ सप्तशती (चडीपाठ) ३६५ ८२८ | सप्तशती (चडीपाठ) २६६ १४३६ सप्तशती (चंडीपाठ)
प्राकृत १४वीं श. ८ । सस्कृत ! १७०३ २७ । अन्यान्य आचार्य
कृत सात स्तोत्रों का
संग्रह। । १६५३ । १८६८ | १४० कूर्मदेशे अर्जुनपुर
(नगर) मे
: लिखित । १७४५ १७३६ १८११ १६६६ पत्र १-२ अप्राप्त।
शके १६२८ १६३१ । १७२२ | पत्र १से अप्राप्त। १८वीं श. ७
३६७ १४४८ सप्तशती (चडीपाठ) ३६ १४४६ सप्तशती (चंडीपाठ)
| १५२० सप्तशती (चडीपाठ) । २५१३ सप्तशती (चडीपाठ)
३६६
३७०
३७१ | २६३७ सप्तशती (चंडीपाठ) ३७२ २७५३ सप्तशती (चडीपाठ)
२७६४ | सप्तशती (चंडीपाठ)
१६वीं श ३२ १९वीं श ३ | १६२६ / १३६
३७३
अपूर्ण कृष्णगढ़ मे लिखित
Page #24
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________________
१८ ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
३७४ | २६२१ | सप्तशती (चंडीपाठ)
३७५ | ३०१६ | सप्तशती (चडीपाठ)
३७६ | ३६६४ | सप्तशती (चंडीपाठ) २६८६ | सप्तशती (चडीपाठ) 1
३७७
३७६
सचित्र
३७८ । १४६७ सप्तशती (चडीपाठ)
सटीक सप्तशती (चडीपाठ)
सटीक
२६२२
अन्थनाम
१८२ सरय्वष्ट्रक ३८० ३=१ =१७ सरस्वतीस्तोत्र
३८७
३८८
६८६
३६०
३६१
३६२
३८२ २६१३ । सरस्वती स्तोत्र ३=३ | २६६२ | सरस्वती स्तोत्र ३८४ | २७६६ | सरस्वती स्तोत्र ३८५ | २७१० | सर्वोत्तमस्तोत्र
(2)
३८६ ३५७२ सर्वोत्तमस्तोत्र
1
(२)
३६८४
राजस्थान पुरातत्यान्वेपण मन्दिर
२७८२ | सावित्र्यक
३४२ | सिद्धलक्ष्मीस्तोत्र
1
सर्वोत्तमस्तोत्र भाषा गद्य
३५५ | सिद्धलक्ष्मीस्तोत्र
=३५ | सुदर्शनकवच
३५७२ | सुदर्शनयत्र
(७)
1
३६३ ३२२४ सुन्दरीमहिम्न स्तोत्र २६७ ! सूर्यकवच
३६४
३६५
८३७ | सूर्यपटलादि सूर्यपचाग ३६६ । ३४३२ सूर्यशतक (सटीक) ३६७ २६०६ | सूर्यसहस्रनामस्तोत्र ३६८ २६१२ | सूर्यसहस्रनामस्तोत्र
कर्त्ता
टी० नागोजी
भट्ट
कांति विजय
आनन्द निधि
(?)
1
हरिदेव
वल्लभाचार्य
दुर्गामा मुनि
भाषा
""
संस्कृत : १८६७ | ६७
}
"
"
"
""
"
"
27
"
"
"
"
त्रज
संस्कृत
"
25
"
""
22
"
"
"
33
"
लिपि -
समय
१६८३
1
२०वीं श.
१८६३
२वीं श
१६वीं श
२०वीं श
१६२५
१=२१ २५
| १६वींश. ४२
१६१२ १०३
१६वीं श.
पत्र
संख्या
F
१६वी श
२०वी श
१वीं श.
જી
|१८वीं श.
१६७५ ।
६५
२
"
१६वीं श२७-५३
५वी श १८७६
२०वीं श..
रवी श
११वीं श
१८६४
१
६
१-२
१३
६
ሃ
ン
२ ६३-६७
२
४५
१६५२ । ३३
1
विशेष
| अप्राप्त
लावा मे लिखित |
पत्र १,२,३, अप्राप्त
१३ अध्याय पर्यन्त सीतापुर मे लिखित | पत्र १
अगस्तिसंहितागत !
अजमेर मे लिखित |
ब्रह्मांडपुराणगत |
ब्रह्मयामलगत ।
रावनपुर मे लिखित
रुद्रयामलगत |
४ भविष्योत्तरपुराणगत ।
४ भविष्योत्तरपुराणगत ।
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________________
हस्तलिखित ग्रन्थसग्रह
[१६
-
-
-
-
-
-
कमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेष
१६६ ३१५२ सूर्यसहस्रनाम स्तोत्र । । सस्कृत । १८१५, १३ देवीरहस्यगत ।। १००/ ३२७० सूर्यसहस्रनाम स्तोत्र
१८६८ १० सप्तमीकल्पगत । १०१ / २६३० सूर्यस्तोत्र
i, १४वी श २ रा । पद्मपुराणगत । ४०२ २६३० मर्यस्तोत्र
सस्कृत १६वीं श. ३ रा स्कन्दपुराणगत ४०३ : २६३० । सूर्याष्क
, १६वीं श. २ रा ४०४, ७६६, सूर्याष्टकादि, सूर्याप्टक शङ्कराचार्य , १६वी श ३
निरजनाष्टक, ३ चामु
णडाएक, ४ भैरवाष्टक ०७०० सेवाफलम्नोत्र
४०६ २७१० । सेवाफलस्तोत्र
१६२५ । १४वॉ , कृष्णगढ में लिखित
"
४०७ ८१२ मोन्दर्यलहरी
शङ्कराचार्य
१६वीं श १० ४८ ८२३ सौन्दर्यलहरी ४०६ २३० सौन्दर्यलहरी
१७६४ , ११ ४१० ३२७६ सौन्दर्यलहरी
. १८५१ / २१ ४११. ३६८९ सौन्दर्यलहरी
१८३६ २-६ ४१२ | २६०८ सौन्दर्यलहरी (विवरण मूल-शङ्कराचार्य, संस्कृत ! १९२५ | १७५
'पत्र १ से १० महित) विवरण श्रीरग
अप्राप्त । दास प्राग्वाट् ४१३ । ७६६ । मौन्दर्यलहरी सटीक शङ्कराचार्य टी , १८८८ । ७४
मांडवीबिटर में ___कविराज शर्मा ___४१४ ७६७ सौन्दर्यलहरी मोभाग्य
जीर्णदुर्ग मे
सस्कृत १७५२ वर्द्धिनी टीका (टीका
लिखित । । कैवल्याश्रम) . ४१५, २२७ मौन्दर्यलहरी मटीक । "
" १६७३ । ६५ ।जबूग्राम मे लिखी
पत्र १से६,१८,१६,२८
से३३और ३ से ४६
| अप्राप्त । ४१६ ११०० स्तोत्रसग्रह (नवस्मरण
मू.प्रा.स. १८२४ , ८१ मुनराविंदर में आदि) सस्तवक
लिखित
२२
"
लिखित
Page #26
--------------------------------------------------------------------------
________________
२० ]
00p
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
अन्थनाम
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
४१७ १११६ स्तोत्र संग्रह (स्मरणादि)
४१ ८ १८७५ | स्तोत्रादि संग्रह गुटका (१) त्रुटक २०६४ स्मरणादि
४१६
४२०
३२१ | हनुमत्कवच
४२१ | १३७६ | हनुमत्कवच
४२२
४२३
४२४
२३२ | हनुमत्सहस्रनामस्तोत्र
२७८७ हनुमदष्ट्रक
२८१८ | हनुमदष्टक
(२) ४२५ | २६१= | हनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्र
कर्त्ता
रामचन्द्र
भाषा
संस्कृत
1
संस्कृत
प्रा०सं० १६वीं श . १४६
33
33
""
35
"
लिपि -
पत्र
समय सख्या
23
१७१६ ६
१८६६
१६वीं श.
१६वीं श.
A 16 m
१६६४
१६वीं श.
१६वीं श. २ रा
रवीं श
८
५
विशेष
ताडीयागांम में लिखित |
गुटका
ब्रह्मांडपुराण
Page #27
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________________
(२) वैदिक ग्रन्थ
क्रमांक, ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या ।
विशेष
१५१६ अध्वर काण्ड ब्राह्मण
संस्कृत | १६८४ | १४६
पत्र १ से ४१ अप्राप्त
कात्यायन
। १२२४
| १२५२
१८३६ १८वीं श १० १७६३५ १८२४ १८८७ ५८३१ १६ १६२६ / १२० १६३६ १ध्वीं श ३
१४६१
१६७०
१७वीं श
| २७३ अनुवाक ३७६ अनुवाक
अनुवाक अनुवाक
कात्यायन १२६६ अनुवाक १२६० हषि पचपदार्थी
उपा सभरण ब्राह्मण २८३५ ऋग्वेद सहिता १३३३ ऐषिक चातुर्मासी
पद्धति कर्मप्रदीपभाष्य अपूर्ण आशादित्य कर्मविपाक महार्णवनिबंध कात्यायन सूत्र भाज्य
प्रथमाव्याय ३६८ कात्यायन सूत्र भाष्य
द्वितीय तृतीयाध्याय ३६६ कात्यायन सूत्र भाष्य १२०५ कात्यायन सूत्र व्याख्यान हरिहर
(स्नानादि पद्धति)
कात्यायन सूत्र | ११८१ कुण्डनिर्माण सटीक रामवाजपेय
टीका-स्वोपज्ञ | १६५४ कुण्ड प्रदीपक महादेव
१२४ / पत्र १ से तथा ४१
से ६१ अप्राप्त पत्र २ तथा २०१ से २११ अप्राप्त
१६वीं श
। १८३१
। १८२६
१८२६
१७वीं श
१७
१२७०
"
१६वीं श ३६ १८वीं श) २२
"
१८८३, २१
Page #28
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________________
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
भापा
| लिपि
समय
विशेष
संख्या
12वाश
१६१२
१८२८
२० १४०२ | कुएडप्रदीपक सटीक महादेव संस्कृत १८७२ २१ १४८७ | कुण्डप्रदीपक सटीक | महादेव
१६१८ २२ (१८५ कुण्डप्रदीपक सटीक महादेव
१७६८ | १२६४ कुण्डप्रदीपिका सटीक मजी द्विवेदी | सस्कृत १८३०
रचना १६५३ भीमजीसुत
टी १६५७ वि. टीका-स्वोपन
वृद्धनगर २४ | १४४३ | कुण्डसिद्धि विठ्ठल दीक्षित १६१३
१३३० कुण्डसिद्धि विठ्ठल दीक्षित १८२ २६३४ कुएइसिद्धिविवृति
१७६७ १२१५ कुण्डाहति
रामचन्द्र
। १६४ ६ लाडी में लिखित २८ १४२० । कोकिल स्मृति
१६वीं श (श्राद्ध निर्णय) २६८ कॉपीतकी ब्राह्मण
१५१८ | ५१ पत्र १से३ तथा २७वां
अप्राप्त १३६ गायत्री ब्राह्मण
गृह्यकारिका १२५७ गृह्यपद्वति
वासुदेव १३२२ | गृह्यपद्वति
वासुदेव
१८५७ ३४ १३७३ गृह्यसूत्र
पारस्कराचार्य गृह्यसूत्र पारस्कराचार्य १८२६
पत्र ३से ६ अप्राप्त ३०१८ गोभली
१६१३ गिरपुर में लिखित ७६७ चरणव्यूह
१८०१ भुजनगर मे लिखित १३५३ चरणव्यूह
१८५२ २६३२ चरणव्यूह
१६३३ कृष्णगढ़ मे लिखित ३२७५ चरणव्यूह
१६२३ १३५८ तत्त्वसार
हवीं श. (चरणव्यूह) | १३७४ | दशकुण्डमरीचिमाला | विष्णु संस्कृत १८२७ १२०७ नीलोत्सर्गविधि
१६४६ १२ मत्स्यपुराणगत १४० पचमहायज्ञ फन
१८वीं श ४५ १४८४ परिभापाकसूत्राणि
१६११ ४६ | १९७५ | पाराशर स्मृति
मूल पाराशर
१७६८ | १५६
| तृतीयाध्याय पर्यन्त। टीका (टीका
पत्र १ से ११ तक माधवामात्य)
मूल पाठ है पश्चात् टीका।
१८७६
संस्कृत
१४
केशव
Page #29
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________________
वैदिक ग्रन्थ
[ २३
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेष
Koc 66
४६
४७ २७२ पितृ सहिता ४८ १२४३ पितृ सहिता
१२६६ | पितृ सहिता १३६५ पितृ सहिता १४३५/ पुठी (पृष्ठि ?)
१६४ । प्रतिष्ठा ब्राह्मण | १४४० प्रायश्चित्त सूत्र
ब्राह्मण ग्रन्थ
प्राह्मण ग्रन्थ त्रुटक १५२१ ब्राह्मण ग्रन्थ त्रुटक
अपूर्ण
सस्कृत १८७६
१८८ १८८८
१वीं श संस्कृत | १८३७ ३५ हलवद में लिखित
१६वीं श ६ १६वीं श ३ १७वीं श.व्यस्तपत्र १८वीं श व्यस्तपत्र १७वीं श| ८२ | पत्र १ से ५,
२२, ३६, ३७, ५६, ५७ अप्राप्त
| १५२३ १५१८
m
१७वीं श व्यस्तपत्र १७वीं श १६० १८५५४ १७६६ | पत्र १ से २४ अप्राप्त १७३७
८६ ममेवडी में लिखित १७३० १८४७ नवानगर मे लिखित
५७ १५२२ | ब्राह्मण ग्रंथ त्रुटक अपूर्ण ५८ ३०५ | ब्राह्मण संग्रह
१२८० ब्राह्मणानां वरुण १५१५ व्राह्मणानि (१पादिकार) १२६ ब्राह्मणनि ३ (शतरुद्री) १२२० ब्राह्मणानि ३ १२५६ ब्राह्मणानि ४
(हवियेशनाप्रथमकाण्ड) १ ७४ ब्राह्मणानि ४ १३६४ ब्राह्यणानि ५ १३६०
ब्रामणा न ५ १४२४
ब्राह्मणानि ५ ११६७ ब्राह्मणानि ६ ११६६
ब्राह्मणानि ७ १२३६ ब्राह्मणानि ७ ११६३ ब्राह्मणानि ११ | ११६४ ब्राह्मणानि १२
ब्राह्मणानि २७
संस्कृत
१८७८ | १८७४
१६वीं श १७वीं श १६७२
८३ १८वीं श १३५ १६७१ १६६६ १६६४ | १०२
प्रथमपत्र प्राप्त नवानगर मे लिखित
पत्र ५१ से ५४ तथा ६७ से १०० तक अप्राप्त नवानगर में लिखित।
--
Page #30
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________________
२४ ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
७४
७७
७५ | १२८२ | मत्रशांकली ७६ १५१४ माध्यन्दिनारण्यक
גב
७६
*
८६
ན་
ΞΕ
५०
२=५७ | रामपद्धति
८१
१२०१ |वशा.
=२ | १२०६ | वाजवनो ऋपि छंद
८३
३५८ | वाजसनेय सहिता
८४
८५
६०
ग्रन्थनाम
३४ | मङपकु डसिद्धि सटीक त्रिपाठ
११७४ यजुर्वेद भाष्य (१) १५१६ यजुर्वेद सहिता
अपूर्ण
३८२ यजुर्वेद हव्यन्
"
नाम प्रथमकाण्ड
३३२४ | वाजसनेय सहिता
१२८५ | वाजसनेय सहिता
नुक्रमणिका
१५७ वाजसनेय सहिता
पूर्व खड
१५८ वाजसनेय सहिता
उत्तर खण्ड
३७५ वाजी माध्यन्दिनी
११६०
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
सहितानुक्रमणिका ११६१ वासिष्ठी तथा होम
प्रमाण निर्णय
वृद्धपाराशर
१४०६ | वेदपरिभाषांकसूत्र
कर्त्ता
भाषा
केशव
विठ्ठल दीक्षित संस्कृत १६वीं श
"
دو
525
"
23
33
"
"
29
१८७४
२६
१७६७ ४
१७८८१ ३
४६१८
१८२८
६५
१८५७ ४१
संस्कृत १६२३ २६
""
"
"
23
लिपि -
समय
"
39
१६वीं श
४६
१६वीं श. ३१४
पत्र
सख्या
१७वीं श. १५५ १७वीं श१३६
१८४९ | १५६
१६२४
२१
१६वीं श
१८वीं श
१८वीं श
१८८५
२७६
6
१४६
६६
દ
विशेप
Ir
टीका स्वोपज्ञ है
अपूर्ण पत्र १,५३
से ६३, ८६ से,
१०५ से ११४, १२३, १२७, १५७, १८६,
२००, २०२, २४२,
२५६, २६१, एवं ४४ अप्राप्त
अपूर्ण प्रति है । १६वां अध्याय तक २०वां अपूर्ण नवानगर मे लिखित
UE १२ अध्याय के ८७
श्लोक पर्यन्त अप
प्रति
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________________
वैदिक ग्रन्थ
[२५
-
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क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
भापा
लिपि- पत्रसमय सख्या
विशेप ।
६२ १२०८। वेदोक्त चतुर्मास यन्न
सस्कृत १८वीं श. १३ ।
याज्ञवल्क्य अमरेश
। १६५५ । सस्कृत १८वीं श. १५ |
१९२० से१४ १९२० २२ १८५२ ४२
| १९२०
१५-१६
। १६२६
६३ १३५६ | वनानि (वेदोक्त) ६४ | १४६४ शतपथ ब्राह्मण ६५ १४३३ शिक्षा ६६ / १४७४ शिक्षा ६७ १४८३ शिक्षा १२७१ सर्वानुक्रमणिका
_(यजुर्वेदीया) १४७४ सहिता शिक्षा (२) वाल्मीकि-गर्ग-गोतमोक्त
१५५४ । साञ्चिति ब्राह्मण १८१ | १४२८ सामविधि
१२४५ मामवेदी रुद्री १०३ ३३२२ सूर्योपस्थान १०४ १२६६ स्नान पद्धति
(कात्यायनीय) १०५ / १२७७ | स्नान पद्वति ।
__ (कात्यायनीय) १०६ १२१० स्नानविधि १०७ १४४७ स्नानविधि विवरण
सहित १०८ ' १४८५ स्नानसूत्र १०६ १५०० होम-मत्रा
(पवित्रेष्टि
१८६ १८६१
हरिहर
हरिहर
1112
सस्कृत । १७६० मू० कात्यायन , १६१८ । १४ विवरण हरिहर
" १६१० ३ कात्यायन , १६वीं श १५ ।
-
-
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--
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________________
(३) मन्त्रतन्त्रादि
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
भापा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
भैरवतन्त्रगत
संस्कृत १६०२
१६वीं श ४
२०वीं श ३ 1 , १६वीं श. ७२
Frपसा विचामा
१, ३७७ अघोरमन्त्राम्नाय | २८०४ ! अन्नपूर्णाकवच - ३२३ । अन्नपूर्णादशक ४ . २८६ अर्थरत्नावली
(चतुश्शती टिप्पण) विद्यानन्द . २७५५ : आकर्पणविधानानि ६ ३१६ । कर्णशोधनप्रकार ७ , २६१० कालिकाकवच = । २७२६ । कालिकाकवच ६ २७६०, कालीमन्त्रविधि २० २७६१ ' कालीमन्त्रविधि ११ , २७६२ . कालीमन्त्रविधि १२ — २७६३ ! कालीमन्त्रविधि
३०३ । कालीकल्प २३७३ कालीकवच
(रुद्रयामलगत) २६३४ : कालीपटल २६७० कालीपुरश्चरणविधि
२६० कालोत्तरमहातन्त्र १७६७ फुमारिकापूजन तथा
दक्षिणकालीकवच १४६६ ।
कुमारीपूजन १४६० कुशकण्डिका
कुशकण्डिका २२ ३७०३ कोप्ठयुद्वनिर्णयचक्र २३ ' २६२१ । कौलकुतूहल
२०वीं श ४ : २०वीं श' १० १६वीं श
उत्तरतन्त्रगत । १८७५ १ रुद्रयामलगत २०वीं श १ २०वीं श १ २०वीं श २ २०वीं श २ | १७५३ १६ ! वडनगर में लिखित । १८७३ ११३- कृष्णगढ मे लिखित
(१२)
१६वीं श। १-४
(१)
१६वीं श १६वीं श | १६१८
१ ४
गङ्गाधर
२१ । १४७६
१६वीं श २ 28वीं श
| मत्रमहोदधिगत १७वीं शE १६वीं श १७५ | अपूर्ण (?)
-
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________________
- राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
[२७
-
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-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेप
मेड़ता में लिखित
संस्कृत १८७६१ , १८वीं श १२१
तथा
६६,७४,७६,८५,६४ ६५,१०१ से १०४ (एव १५ अप्राप्त)
२०वीं श.
२
१८७७ १ 'म१ गौतमीयतत्रगत १८७३ १६-२२ कृष्णगढ़ में लिखित
२४ | २७२३ | कोलपादस्थापनविधि २५ २६२६ क्रमदीपिका सटीक | मू० केशवभट्ट (अष्टमपटलपर्यन्त ) टी० गोविन्द
विद्याविनोद
भट्टाचार्य २६ २७३० गणपतिसाधनविधि
१५०८ गायत्रीकल्प २७२४ | गायत्रीकवच २७१६ गायत्रीकवच २३७३ गुरुकवचस्तोत्र
( विश्वसारोद्धारगत ) । २७०६ । गुरुमण्डलविधान
गुरुरहस्यपूजाविधान (१) (विश्वसारोद्धारगत ) ३२६ गोपालपटल ३४६ गोपालपटल ३४६ गोपालपद्धति १२३५ गोपालपद्धति ३६८२ | गोपालपद्धति । ३२८ | गोपालमन्त्र
३१० । गोपालाष्टादशाक्षरकल्प
२३७३
1 १६२५ ४ " . " १८७३ | १५ कृपणगढ मे लिखित
। गुटका सस्कृत १६वीं श १७ :
२०वीं श. २५
|,
,
२१
२६० गौतमीयतन्त्र २६४७ । चण्डीविधान - ३३०६ चण्डीविधान २६५६ | चतुरशीतिपात्र | ३४५८: चिन्तामणिपाथिवपूजा
१७५५ ११ १६वीं श, १३ १८५७ / २२ १७५१६ | सनत्कुमार
सहितागत । १८४८ १७७
१९२६ । | १६०१ / १६ १८६० हरिदुर्ग मे लिखित
१७०४ १०-१२ अपूर्ण राजस्थानी १७वीं श १४१या
यदुनाथ
२८६३
चिहुत्तरजंत्रविधि
। हीरकलश
मस्कृत १६वीं श
२
VEY जगन्मङ्गलकवच वाला
| कवच गणपतिस्तोत्र २६५४ जागुलीविद्या ४८ । २३०४ भाडो
, १७६६ : १ राजस्थानी १६वीं श.. १ ।
Page #34
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________________
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कत्ता
| भापा
लिपि- पत्रसमय । संख्या
विशेप
१८७३
४६ ८४० ' तत्वत्रयशोधनविधिपान- 'संस्कृत १६वीं श.
नवक (शङ्करीपद्धतिगत) पात्रपद्धति (कौलार्णवगत)
तथा दो अन्य कृतियाँ ५०२६२५ तत्र मण्डन
१८वीं श. २६ ५१ १० तन्त्रराज
रामचन्द्र
२०वीं श. ३६ ५२, ३४५७ | तन्त्रसार
कृष्णानदवागीश | १७३४ २३६ ५३ २६८४ तांत्रिकसंध्या
२०वीं श. १० ५४ २६६४ । तांत्रिकहवनपद्धति
। १८८८ १२ ५५, २६७६ तारानित्यपूजाविधि नारायणभट्ट १८८८ २७ कृष्णगढ़ मे लिखित ५६ २६११ । त्रिपुरामंत्रा
१७वीं श. ५ ५७ । २७३८ त्रिपुरसुन्दरीपडाम्नाय
१६३५, २१ | मेडता मे लिखित ५८ , ३३८ । त्रैलोक्यमगलकवच
२०वीं श. ७ । सनत्कुमार तन्त्रगत V६ ३४० त्रैलोक्यमगलकवच ६० | २८११ दक्षिणकालिकाकवच ।
१८७१ / २
| मेडता में लिखित ६१ ' २३७३ | दक्षिणकालिकाकवच :
३१०८-कृष्णगढ़ में लिखित (१०)
१०६ २३७३ दक्षिणकालिकानित्य
" | १८७३ ३३से६६ (५) । पूजापद्धति २७६२ दक्षिणकालिका
| मेड़ता मे लिखित पूजापद्धति दक्षिणकालिका
१९२६ कृष्णगढ मे लिखित | पूजनपद्धति मापा । ६५ २७३५ : दक्षिणकाली पद्धति अनन्नदेव
अनन्नदेव सस्कृत | १८७२ २७ मेड़ता मे लिखित ६६ । २७३६ । दक्षिणकालीरश्मि- ।
". २०वीं श २ । । मालाविधि ६७ २७३७ । दक्षिणकालीपोडशमन्त्रः ।
१६३२ २ । ६८ १२०३ दक्षिणामूर्तिसहिता ६६
१८वीं श. ४५ । अपूर्ण १७५ दत्तात्रेयपटल
१ध्वीं श ७०
२२ । २८१ दत्तात्रेयपूजापद्धति । ७१ । ३३२३ । दमनपूजाविधि ।
,, ,' २२ । भैरवयामलगत ७२ २७११ दशमहाविद्याजन्मोत्सव
१८६८६ ।
१६२७ / १ अजमेर मे लिखित पात्रप्रक्षालन ७३ २३७३ दिग्बन्धहोमपद्धति
। १८७३ । ७०-८८ कृष्णगढ मे लिखित
१८४१,
४
६४ । २७४५
Page #35
--------------------------------------------------------------------------
________________
मन्त्रतन्त्रादि
[२६
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्यनाम
कर्ता-भाषा
लिपिसमय ! सख्या
विशेप
संस्कृत २०वीं श.
१८७७
१६३६
हरिदुर्ग में लिखित
१३६२
१३३६
१६वीं श
७४, ३४४ दिव्यमन्त्रौपधपञ्जर
कवच ३४१ दिशावन्धनविधि २७६८ | दुर्गोपनिपत् २६४२ द्वात्रिंशदीक्षोपदीक्षा
पुटितपद्धति नमकमन्त्राः नमकाङ्गमत्रविधि नमकांगमत्रविधि नवग्रहन्यास
नवग्रहन्यास ३८१ नवचण्डीसक्षेपपद्धति १३६६ नवदुर्गापूजनविधि २६७- नवरात्रपूजाविधि २६५५ नवार्णपद्धति
नारायण कवच
१३३५
op or x x 9
१४६३
१८५४ १६वीं श १८६४
२४ । अजय नगर मे
लिखित
१८८७ १ध्वीं श!
वेदव्यास
(सस्कृत
भागवतपष्ठस्कन्धगत
설
२३७६
नारायणकवच सार्थ नित्यानंद
설
विष्णुयामलगत
석
६१ | ३१७
नारायणचिन्तामणिकवच नारायणचिन्तामणिकवच नारायणवर्म नारायणास्त्रकवच नृसिंहकवच नैमित्तिकविधि
00८
नरसिंह
१८८
१६वीं श, भागवतगत २०वीं श. महाकालसहितागत १६वीं श.
। ताराभक्तिसुधार्णव
का ७ वा तरग
दिल्ली में लिखित । १८७३ / १२१-रुद्रयामलगत
१२६ १८७१ ६ । मेड़ता मे लिखित १८६७, ४ २ पद्य मे रचना है
| २३७३ | पञ्चचक्रनिरुपण
(१३) ६६ २८१६ । पश्चचक्रनिरूपण
पञ्चदशाहयन्त्रविधि
Page #36
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________________
३०]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भापा
लिपि- | पत्रसमय | संख्या ।
विशेष
शिवताण्डवगत
२३७३
संस्कृत | १६२३
| १९२३ १० " १६वीं श. १३०
२७५० पञ्चदश्याम्नाय
| पञ्चमकारशोधनादि (१४) २८६०
पञ्चमुखीहनुमत्कवच पञ्चवक्त्रपूजनविधि पञ्चवक्त्रशिवपूजन पञ्चवक्त्रशिवपूजा
१०१
.cn .com
GE
१६वीं श. १६२१ १६३८ १८७२
विधान
१०४
१०५
१०६ १०७
१२८४
पञ्चाक्षरन्यासविधान २७६४
पात्रशोधनविधि
पार्थिवचिन्तामणिप्रयोग ३३२६
पार्थिवपूजनप्रयोग १४४५
पार्थिवेश्वरचिन्तामणिपद्धति तथा शिवसहस्र
नामस्तोत्र २८२० पार्थिवपूजन विधि
१८वीं श १वीं शह २०वीं श. १ध्वीं श. ३ २६२० १०
own mom
अपूर्ण
१०६ ११० १११
२६५६ । पार्थिवेश्वरपूजा
! अजमेर मे लिखित
११२
१४८२ २७६१
१८४१ १६१५ १६१६ १८७१ १६वीं श
२३ ०
,,
पुरश्चरण पुरश्चरणपद्धति पुरश्चरणप्रयोग पुरश्चरणविधि
| मेड़ता मे लिखित
११३
२७५
११४
૨૩૭
१६वीं श ११०
(११) २७४८
प्रणवन्यास प्रतिष्ठाकर्म
११० " १६वीं श. ३ । " १७६२ ६ । वामकेश्वरतत्रगत
| शाके " .. १६वीं शह
११७ २८०१ । प्रत्यगिरामालामत्रविधि २१८ । २३६८ फुटकरमत्र
। (१४) ११६ : २३६८ फुटकरमत्र
राजस्थानी ,, , ४४-४५,
"
"
"
६३
संस्कृत
१०
शारदातिलकगत
१२० । १४६६ , बटुकभैरवपद्धति १२१ ३८७ वटुकभैरवाम्नायविधि । १२२ २८०७ । बलिदानविधि १२३ । २८०६ बालाकवच
(गारीमारतंत्रगत
१६३१ १६०४ १८वीं श १८८८
३ ३
पुष्करारण्य मे
लिखित
Page #37
--------------------------------------------------------------------------
________________
तन्त्रमन्त्रादि
[ ३१
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता भापा
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेप
२८३२
वालात्रिपुराकवच
संस्कृत २०वीं श. ६ शारदासमुच्चयगत १२५ २७७५ वालात्रिपुरापूजाविधान
, १८६७ , २२ मेड़ता में लिखित पद्धति २७५२ बालात्रिपुरार्चन विधि
|, २०वीं श. १३२ . (किंचिदपूर्ण) २६८५ वालात्रिपुरासामान्य- | माधवाचार्य
१६१२ | १८ | अजमेर मे लिखित पद्धति वालात्रिपुरसुन्दरी
। , १६वीं श. ४६ अपूर्ण पञ्चाङ्ग पटल ३१६१ | बालात्रिपुसुन्दरीविधान.
। १८२६ । पद्धति ३१८७ वालापटल
। १८०० । ६ । मथुरा मे लिखित २७४६ वालापञ्चोपचार पूजा
,, २०वीं श विधि । ११५१ वालापद्धति सच्चिदानदनाथ , १६वी श
कृष्णगढ़ मे लिखित अजमेर मे लिखित
, . ,
२६८२ वालापूजनपद्धति (सार्थ)
सस्कृत | १९१३ २१ २७५१ वीजकोश । दक्षिणामूर्ति , । १६२५/ ३२ ૨૭૯૨ वीजोद्वारकोश
, १६२६ ' ८ १३६ १९२ भगवतीकीलकादि
१६वीं श. | ३१६२ भगवतीकीलक
1" ,। ११ २८६३ मनोवाञ्छामन्त्र
१७वीं श। ११ वां (१८) १३६ १६६५ मन्त्रमहोदधि
महाधर , १६वीं श ११५ १४० १४१ । मन्त्रमहोदधि सटीक । मू० महीधर , , , , १६५
टीका स्वोपज्ञ, १४१ / २३६२ मन्त्रयन्त्रादि
राजस्थानी १८वीं श६
२६५१ । मन्त्रोद्वारकोश दक्षिणामूर्तिमुनि संस्कृत | १९२६ | कृष्णगढ़ मे लिखित १४३ २३७३ | महाकालकवच
, १८७७ १५४-- कृष्णगढ में लिखित (१६) । (गन्धर्वतन्त्रगत) १४४ | २६७६ महाकालमन्त्रन्यासादि ।
१९३३ हरिदुर्ग मे लिखित १४५ २३७३ महाकालीकवच
१८७३ १०४- कालीतंत्रगत १४६ २६३८ । महाकालीकवच
१८७३ कृष्णगढ़ में लिखित (गन्धर्वतन्त्रगत
Page #38
--------------------------------------------------------------------------
________________
३२]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
लिपि.
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपिसमय | संख्या
विशेप
२ | मेड़ता में लिखित
१६वीं
س
م
कृष्णगढ़ में लिखित
२८१२ महाकालीकवच
(कालीतन्त्रगत) १३२५ महामृत्युञ्जयन्यास २६४१ । महायन्त्रसंस्कारविधि
(पद्य) १२२५ | महारुद्रजप
महारुद्रपद्धति
(ऋग्वेदीय) १३७७ महारुद्रपद्धत्यनुक्र
१३३१
१७६७ १८३०
ه
१६वीं श.
م
मणिका
"
"
१७वीं श. १० २०वीं श. ३ | १६२६ ३
س س ه س سه
१५८
१२३८
१
१३८२ महारुद्रपुरश्चरणविधिः १३१७ महारुद्राहुति ३३१७ महालक्ष्मीहृदय
२८१७ महासरस्वतीमत्र १५७ | २६६६ मातृक निघण्टुः
बीजकयुक्त
मातृकान्यास १५६ | २६८३ ।
मातृकान्यास १६०
मातृपूजनपद्धति १३८८ मातृस्थापनविधि २७७७ मालासस्कार ८७३ मु मनाकलंबिनीधर्म
नीदवा २७६३ | मृत्यु जयनित्यजप १२७२ मृत्यु जयपद्धति १३५६ मृत्युजयपीठ
स्थापनविधि १२६३ | मृत्यु जयस्तोत्रजपविधि ११५३ यन्त्रचिन्तामणि २६४० यत्रसस्कार (गद्य)
१६२
१६वीं श. १० २०वीं श ७ | १८४१ १६वीं श
१९२६ | १ | कृष्णगढ़ में लिखित फारसी २०वीं श. राजस्थानी सस्कृत १८८७ | २ | अजमेर में लिखित
१८५५
१६२
19st
वा
भैरवत
दामोदर
१७४३
१८ २३
| भैरवतन्त्रगत मेड़ता मे लिखित तन्त्रसारगत कृष्णगढ़ मे लिखित
१६२
२७४४ रक्तचामुण्डामत्रविधान २४२ | रजस्वलास्तोत्र
राधाकरच
ل
रुद्रयामलगत रुद्रयामलगत
سه
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #39
--------------------------------------------------------------------------
________________
मन्त्रतन्त्रादि
[३३
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
फर्ती
भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेप
३४५
संस्कृत २०वीं श.
०वा श.
५
रुद्रयामलगत
राधाकवच तथा वलिभद्रकवच रामकवच रामचन्द्रस्तवराज
३४३ ३४७
"
१६४२
२०
ब्रह्मयामलगत सनत्कुमारसंहितागत
७६१ २३०६
राममन्त्रविधि रामानंदजी रामरक्षा
१८८८८ राजस्थानी १८.६६-१३
३१४ | २७७२
रामायणमहामन्त्र रुद्रजप
सस्कृत २०वीं श
| १८११
२८५४ | रुद्रजप
१२४२ रुद्रजपविधि (रुद्रपद्धति) १८२ | १३५० | रुद्रजपांगन्यासविधि
१८५७ १८६६ १८६८
१३ | बीकानेर में लिखित
१ से ३ अप्राप्त ३४
रुद्रचिन्तामणिगत मंत्रमहोदधिगत (कुतियाणा में
लिखित)
१८३२
रुद्रजाप्य
परशुरामविप्र
(१० वां पत्र प्राप्त पत्तन नगर में
लिखित १७वीं श. ४० ।
२९१८ २ . २०वीं श. ३
१८६
१८४ | ३०१७ रुद्रपद्धति १४७५ | रुद्रसूत्रप्रथमाध्याय
| रुद्राक्षमत्रविधि १८७ ३२५ लक्ष्मीनारायणकवच १८८ १२४६ वनदुर्गाकवच
२६४६ वशीकरणविधि १६० २४१ वाञ्छाकल्पलता १६१ १४१० विष्णुयन्त्रस्थापनविधि १६२ ११२३ वीसायत्रचउपई
१८६
| १८५६ / १२ / रुद्रयामलगत २०वीं श. १ ।
।१८४२६ अमरसुन्दर राजस्थानी १७वीं श। ७६ वां
१६४
१६३ / २६५२ वैश्वदेववलिविधि
३३०८ वैश्वदेवविधि १६५ २७२५ शक्तिसगमतत्रप्रथमपटल
२७३४ शखोद्धारविधान
संस्कृत २०वीं श.' २
८७२ . ६ १८६५
१६६
(फुन्जिकातत्रगत) पुष्करारण्य क्षेत्र में
लिखित
-
-
Page #40
--------------------------------------------------------------------------
________________
३४ ]
क्रमांक ग्रन्थाक
१६७ | २७२६ | शखोद्धारविधि १६८ २७३२ शखोद्धारविधि १६६ | २६४८ | शतचण्डीविधान २०० ३३०७ शतचण्डी विधान
२०१ | २६६० | शरभप्रयोगविधि
२०५
ग्रन्थनाम
२०२ २७२२ | शरभयन्त्रमन्त्रकथन (आकाश भैरवतन्त्रगत
२०३ | २६८६ | शरभेशयन्त्रपूजनविधान
२०४ | १६७१
शारदा तिलकटीका
1
२०७
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
(अपूर्ण)
१६७२ शारदा तिलकटीका
(अपूर्ण) २०६ | १६७३ | शारदा तिलकटीका (अपूर्ण)
१४४ शारदातिलक सटीक
त्रिपाठ (१-५ पटलपर्यन्त)
२०८ | १३८६ | शारदा तिलकोक्तयन्त्रपूजनविधि
२०६
४१ |शिवपत्रिका
२१० | ३१८ शिवपञ्चवक्त्रपूजापद्धति २११ | २६४३ | शिवावलिविधान २१२ ५२० श्यामाकवच २१३ २८१३ | श्यामानीराजन २१४ २६३४ | श्यामापद्धति
कर्त्ता
(२)
नाथ
२७३६ | श्यामायन्त्रध्यानविवरण भास्करानन्द
नाथ भोजक
२१= | २६२६ | पडद्गरुद्रजाप - दिकपाल
पूजायादि
दामोदरानन्द- |
२१५
२१६ | ११६ | श्रीउपनिपत २१७ | २=१४ | श्रीविद्याक्रमपृजनपद्धति निजात्मानन्द
भाषा
संस्कृत १८६५
१६३२
१६२६
२०वीं श
१८६६
"
"
"
"
"
23
"
29
374
"
29
""
""
"
27
"
23
"
ܙܙ
22
"
लिपि -
समय
26
१८६६
१८०६
| १८वीं श
" "
| १७वीं श| २६०
१२
१६वीं श
""
"
"
"
12
27
"
"
१६२६
२०वीं श.
१६वीं श.
""
पत्र
संख्या
"2
५
३
२४
३
१५
१३४
१
१३
૬
२
११
४-२५
१६७२
१६वीं श.
१६
१६६० | १०३
शाके १वीं श.
१
४
त्रिशेप
कुब्जिका अजमेर में लिखित
आकाश भैरवकल्प
गत
अजमेर में लिखित
आकाश भैरवकल्प
गत
पत्र १४८, १४९, २५४ २५५, अप्राप्त
४६+५०+१५
१ से ५ पत्र प्राप्त अशुद्धप्रति
रुद्रयामलगत
हरिदुर्ग मे लिखित
प्रथम पत्र अप्राप्त
Page #41
--------------------------------------------------------------------------
Page #42
--------------------------------------------------------------------------
________________
રn » વશરા રંગરૂમાવાવ
પોriાવવા *નHariીત-રીવરાજ ઝરૂવારામ-47મા 1. દ્રત કરવાની વાતે
તેવા બાપ નાસ્તા!:34ધારોટલો
10-l: - વેચવટાક્ષિયો વરjiધdવીસ - tત - ૩૨ ની વિધાનનવન િવિય' છે; વીસરશ્નબ- સારી વાત |ોડાનંદ ": 1, "
cle 3ીને તેને તે કોની ? ' '' છે. તેના ફીડર -] રાત્રી ડ -ઇફતાસીરભારને નવ@ 7: ”
“વોnતા-લિપસવ્ય ઋayવાસ હારાવ પતિ
સવારેuી વસ્તૃતાd. " cc -1 રાદડંવીતવાને વેર વાદ્ય છોડ વાવની દીર્વા-રીવારના
सोभाग्यरत्नाकर
માત્ર 40 8 pપ ( Twif; ધ ધીdiaTના+પા બૌદિપાવનાર પિત )
Page #43
--------------------------------------------------------------------------
________________
तन्त्रमन्त्रादि
[ ३५
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
o
-o
-
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता । भाषा
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेप
संस्कृत
४७
मेड़ता में लिखित
कृष्णगढ़ मे लिखित गौतमीयतंत्रगत
१४७७ २९०
२७२४ पडाम्नायन्यास
(ध्यानमत्रयुक्त) पोडशपात्र सन्तानगोपालमन्त्र सन्तानगोपालशताक्षरी जप
सप्तशतीन्यासविधि ৬৬৫ सप्तशतीस्तोत्रमाला
मन्त्रविधान ३४५८ समयातन्त्र
३०६८
कृष्णगढ में लिखित
४८
| सर्वतोभद्रयन्त्रविधान
२०वीं श. १८ २७८१ सर्वमन्त्रोत्कीलन
१६वीं श. १ २६५८ सर्वोत्कीलनमन्त्र
| १५५७। २ कृष्णगढ़ में लिखित २८०२ संक्षेपहोम
१८६४ ३ अजमेर में लिखित २८०३ संक्षेपहोम
१८६४ ५ २७३३ संवित्कल्प
। १७४३ । १ २८६३ सुवर्णसिद्धिप्रयोग
राजस्थानी १७वीं श. १६१वा (१२८) २३३ | २६२०
सौभाग्यरत्नाकर विद्यानन्दनाथ संस्कृत ! १८६५ २६४ अजमेर में लिखित १८१ हनुमत्पञ्चाक्षरी-द्वादशा
, १६वीं श. १५ तरीमालामन्त्र हनुमदर्ग
, २०वी श. १५ हनुमाडवानलकवच- ।
, १६वीं श. ७ पश्चमुखवीरहनुममालामत्र
द्वाडवानलसंहितागत हनुमन्मन्त्र (मन्त्रमहो-!
, १६वीं श. ४ दधित्रयोदश) तरङ्गगत हनुमन्मत्र
१६वीं श, ५ । मन्त्रमहोदधिगत
__३१६
२३६ । १८८
Page #44
--------------------------------------------------------------------------
________________
धर्मशास्त्र
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
भापा
लिपि- पत्रसमय | संख्या |
___ विशेष
.
१) १६७ अनुस्मृति २/ २६४ अनुस्मृति | २८७६ अनुस्मृति
संस्कृत १६वीं श.
" " " " "
महाभारतगत
४३३०२
३६६६
| महाभारतगत
१०००
अनुस्मृति अनुस्मृति अल्लासूक्त आगमसारोद्धार आगमसारोद्धार आचारमयूख आचारादर्श
देवचन्द
२०३५ ३३२५
नीलकण्ठ श्रीदत्त
१६३१
| १६१८ संस्कृत १६वीं श |, १८६७, ७२
३७ वाँ पत्र नहीं है जयनगर मे लिखित
"
| ३०४६ आत्मपक्टोपनिषत् १८७३ आशौचत्रिंशत् ११८ आशौचदशकसभाष्य
२०वीं श. १८वीं श | १७१५
४ १४
मू० विज्ञानेश्वर हरिहर
११८६ आशौचदशकसभाष्य २७८ श्राशौचनिर्णय २६५ आशौचनिर्णय
रघुनाथ रघुनाथ
१८वीं श. ७ १६वीं श. ८ । शाके । १३
। १७५०
त्र्यम्बकपण्डित
२८६ । आशौचनिर्णय १४६२ श्राशौचनिर्णय १२६६ आशौचनिर्णय
,
! १९२४ १७ | १९०६ १६वीं श. २१ । कालनिर्णयात्रबोध
गत।
| ३६ श्राशौचनिर्णय त्रिश- | भट्टचार्य
चल्छोकी मूल २१ , १२६ | आशीचनिर्णय त्रिश- भट्टचार्य
'चल्छोकी व्याख्यासहित
१६१८ | १२
Page #45
--------------------------------------------------------------------------
________________
धर्मशास्त्र
[३७
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय । संख्या
विशेष
१३८७
पत्र १-२ अप्राप्त
आशौचप्रकरण । भट्टोजी भट्ट सस्कृत | १८१३६ ३१५६ आशौचप्रकरण भट्टोजी दीक्षित , १४वीं श. ८ १८९२ | आशौचप्रकरणस्मृत्य
| १४८५ ८५ र्थसार (?) ३१२४ आशौचसग्रह रामभट्ट
१९वीं श. ७ ११८४ आशौचसग्रहविवृति
| १७६६ / २० सहित
भट्टाचार्य १४६८ आशौचसग्रवृत्ति | भट्टाचार्य
१६०५, २५ १३३४ आशौचाष्टक
१९वीं श. २ आशौचाणकव्याख्या
| १८७९ । २६१७ आह्निककर्मपद्धति
,, १८वीं श, २६
विवृति
त्रिशत् श्लोकी टीका
१४७०
| अंत्य ३० वां पत्र अप्राप्त ।
३६
३१ ३०६१ | ईशावास्योपनिषत्
संस्कृत २०वीं श. | ३०६० कठवल्ल्युपनिपत
२०वीं श १४५८ कारिका
, १६३६ । | ३३३६ कालनिर्णय सटीक मू० माधव
१८वीं श
टी० वैद्यनाथ ३५ | ३०४२ / कालनिर्णय सटीकत्रिपाठ, मू० माधव
१२ ३६ | ३७० | कालनिर्णय सिद्वान्त रघुराम " १८३५ ७० । भुजनगर में रचना
७० सटीक टी० स्वोपन
मूलरचनासं० १७०६
टीका रचना १७१० ३७, २५८६ | कालनिर्णय सिद्धान्त ! मू० महादेव
" १८३५ १४६ नवीनपुर में लिखित सटीक 'टी० रघुराम
स० १७०६ में गिरिनार में मूल रचना स० १७१० में भुज
पत्तन मे टीका रचना ३८ । ३०५७ / केनोपनिपत्
| संस्कृत २०वीं शट २ ३६२७०८ कोलोपनिपत
" १६३३ १
हरिदुर्ग मे लिखित ४० २७४२ गन्धोत्तमानिर्णय
, १८६६ २४ स० १८७२ (१) मे
रचित । अजमेर
में लिखित ४१ ३१६३ गारुडोपनिपत्
१८८१ ४२, २७४ गोपीचन्दनोपनिषद्
२०वीं श ६ ४३ . १३३ गोपीचन्दनोपनिपद्
१६वीं श ४
"
Page #46
--------------------------------------------------------------------------
________________
३८]
राजस्थान पुरातत्त्रान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
___ कर्त्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय सख्या
विशेप
३०५३
२५८५ | गोभीलकगृह्यपद्धति
शिवराम
सस्कृत | १८५६ १२८ सुबोधिनी १३१४ छान्दोग्योपनिपत्
१८६६ छान्दोग्योपनिपत्
•०वीं श. ४६ प्रथम पत्र अप्राप्त। १३०७ तिथिनिर्णय
रघुनाथ संस्कृत १८३५६ २३६ तृप्तिदीप
रामकृष्ण
१६वीं श. १७ २४५ तृप्तिदीपव्याख्यासहित | रामकृष्ण
१७६५ ५१
स्वोपज्ञ व्याख्या ३०४३ | त्रिस्थलीसेतुसार
भट्टोजी दीक्षित,
१६१६ | १३ २६०६ | दानचद्रिका
दिवाकर
१६वीं श ३७
| पत्र १६ वा अप्राप्त
काशी मे रचना। १३२६ दानसमुच्चय
| १८६, ४५ १२०४ देवलपद्धति (१) अध्याय
१७वीं श. ६० २५वा अपूर्ण १६३२ धर्मयुधिष्ठिरसवाद
१६१६ ११८७ धर्मशास्त्र
देवलऋपि
१७६६ । १२०० नवरात्रनिर्णय
१७वीं श २६०१ नारदीयसहिता
१८५७
पत्र ३१ वां अप्राप्त १६५ नारायणोपनिपत्
१८वीं श २ १८०३ | नारायणोपनिपत्
,, ४था
५३
,
१५८
२६
३५०५ | नित्याराधनविधि- त्रिमल्लनदि
व्याख्यान ६१ ३२६४ निर्णयसिद्धान्तभापा ६२ | २६०५ | निर्णयसिद्धान्त सटीक | रघुराम
गूजर १६वीं श | सस्कृत | १८७४ |
१५ ७
त्रिपाठ
पत्र १से५ तथा ५६ से ६३ अप्राप्त सं० १७८६ में मूल और स० १७१० मे टीका भुजपुर मे रचित ।
| ११७२ निर्णयसिन्धु | २७६ निर्णयोद्धार 'विशेप
तिथिनिर्णय' १८०३ परमहसोपनिपत्
कमलाकरभट्ट , राघवभट्ट
|,
१७६८२४५ २०वीं श. १४
(४)
१८वीं श ५-६ १८८५ ८
६६ । १४६० । परिशिष्टचरणव्यूह
| कात्यायन
Page #47
--------------------------------------------------------------------------
________________
मधशास्त्र
[३६
-
-
-
-
D
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
DHDHDH
-
-
-
-
-
क्रमाक, ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कता
भापा
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेप
१३७ पुरुपसूक्तभाष्य ५८ प्रतिष्ठामयूख
प्रतिष्ठामयूख
महाचार्य नीलकण्ठ
| सस्कृत | १६३८ । १३
२०वीं श. २० | १८३१ | ३७
अपूर्ण
ग्रन्थकारकृत भास्करग्रन्थका विभाग। अपूर्ण
२६३६ प्रतिष्ठामयूख ३०४८ प्रश्नोपनिपत् १४६३ प्राणाग्निहोत्रोपनिपत २६२३ वालसस्कारादि ३०४५ वृहदारण्यक १३६२ बृहदारण्योपनिपद् ३०५२ ब्रह्मविदुपनिपत्
ब्रह्मोपनिपद्
१६वीं श. १० २०वीं श ५ | १६१५ ४
१६वीं श १ | १६१८ ७१ । १८३६ १०६ २०वीं श ४ १६वीं श २-३
| पत्र २-३ अप्राप्त ।
१८०३
"
१६६४ भास्कर व्यवहारमयूख । नीलकष्ठ
भास्कर श्राद्धमयूख
भृगूपनिपत् १४३
मदनपारिजात उत्तरार्ध १६३१ मदनपारिजात विश्वेश्वर
१६१३ ३०५०
,
१८३६ १४५ १८वीं श १००
१८२२ ।
अपूर्ण, आदि मे मदन राजकुमार का वशवर्णन है। कोठ्यारा ग्राम मे लिखित । चतुर्वर्गचिन्तामणिगत ।
,
१७३७ ।
३०४७
| ३०३८ मनुस्मृति ८४ | २५८६
मलमासनिर्णय हेमाद्रि ३०४६ माण्डूक्योपनिपद् ३६७८ मासकृत्य
मुण्डकोपनिषद् मूलाध्यायपरिशिष कात्यायन याज्ञवल्क्यधर्मशास्त्रमूल याज्ञवल्क्य याज्ञवल्क्यधर्मशास्त्र विज्ञानेश्वर मिताक्षरा याज्ञवल्क्यधर्मशास्त्र
मिताक्षरा विवृति ३४३१ याज्ञवल्क्यधर्मशास्त्र
मिताक्षरा विवृति
|" २०वीं श १२
१६२३ / २१ " २०वीं श ५ सस्कृत १६वीं श ५
१८वीं श ३१ १६वीं श १६७
.
৪০৬৩
१७६६
प्रथमाध्याय
१७२४
योधपुर मे लिखित
Page #48
--------------------------------------------------------------------------
________________
४०]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि
पत्रसमय संख्या
विशेप
११७८
३१४५
११८६ याज्ञवल्क्यधर्मशास्त्र
सस्कृत १८वीं श वृत्ति प्रथमाध्याय ११७७ | याज्ञवल्क्यधर्मशास्त्र | विज्ञानेश्वर
१७६४ वृत्ति प्रथमाध्याय याज्ञवल्क्यधर्मशास्त्र
वृत्ति द्वितीयाध्याय ११७६ याज्ञवल्क्यधर्मशास्त्र
वृत्ति तृतीयाध्याय रामायणप्रयोगविधि
रामानुजकल्पद्र मोक्त १३२ | वासुदेवोपनिपद्
" " ४ दीपिकाटीकासह त्रिपाठ १३१५ | वेददीपटीका महीधर
१८४० ४०वां अध्याय है। १२५० व्रतार्क
श्रीशकर
१८६४ ३३४ चुडा में लिखित व्रतार्क
१८५४ ३३३ पत्र ३२६,३२८,३२७
अप्राप्त १६७६ । शिक्षापत्री सार्थ मू० नित्यानन्द , १६वीं श. १५२ गुटका
स्वामी ३०५१ शिक्षोपनिपत्
२०वीं श ४ १०४ ३०८६ शुद्धिविवेक
रुद्रधर
१४वीं श ४२ १०५ | १३६१ श्राद्वनिर्णय
१८३३ १० | कौलमतानुसारी श्राद्धविवेक रुद्रधर
१८६६६ | प्रथम पत्र नहीं है। १०६२ श्राद्धाधिकार
१८६३ कोकिलपक्षीय। १०८ ३३३६ सन्ध्यातत्त्वविवरण | रामाश्रम
१६वीं श १३६ । पत्र ५चा अप्रा
पत्र ५वा अप्राप्त ।
स० १७०६ मे रचित १०६ | ३६६३ | सन्याससहोमपद्धति शङ्कराचार्य
संस्कृत | २६१७, १० ११० ११६६ सस्कारपद्धति
गगाधर १११ . १२७६ संस्कारपद्वति | १२६० सस्कारपद्धति
" " ११३ १४६५ सस्कारपद्धति
आनदराम ११४ ३३३१ / सूक्तविधान
१६वीं श. ४ ११५ ३०७२ सूक्तविधान भट्टोजिदीक्षित । १८६७ ५ ११६ | "७३५ मृक्नविधान
| १८०६ १ संख्या१७३४ सलग्नहै | ३०६६ स्नानपद्वति हरिहर
१८वीं श, ६ ११८ : १२६५ स्मृतिभान्फरशान्तिमयूख, नीलकण्ठ १६०० १५४
१०३
१६वीं श
११२
"
-
-
-
-
Page #49
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्थाक
ग्रन्थनाम
११६ | २६७५ स्मृतिसमुच्चयाह्निक ६१ | स्मृत्यर्थसार
१२०
१५१७ | स्मृत्यर्थसार
१२१
१२२ | ११८३ | स्मृत्यर्थसार
श्राचारान्याय
१२३ | ११८२ | स्मृत्यर्थसार
प्रायश्चित्ताध्याय
१२४ | १२६१ |स्त्राचारदीपिका १३८६ | स्वाचारदीपिका
१२५
५२६ | ३१७३ | होलिकानिर्णय
}
धर्मशास्त्र
कर्त्ता
बद्रिनाथ
श्रीधर
श्रीधराचार्य
हरिशर्मा
भाषा
संस्कृत १६वीं श.
"
29
"
""
""
""
लिपि -
पत्र
समय संख्या
"
५४
१६२५ | १६०
१५११
१७६८
१७६८
१४वीं श
१८६२
१४वीं श.
=१
२७
३४
३२
20
४
विशेष
[ ४१
पत्र २ तथा १२८वां
अप्राप्त
पत्र ६२६ तथा ५४ से ८० अप्राप्त ।
काशी मे लिखित |
सं० १६६७ मे गुप्त-' प्रयाग में रचित ।
PORN GAY V
Page #50
--------------------------------------------------------------------------
________________
कर्मकाराड
लिपि
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
विशेष
समय सख्या
संस्कृत
१९२४ । १०
६
भविष्योत्तरपुराणगत
१८२७ २०वीं श. १६३६
१८३८
अग्निहोत्रहोम ३६१ अतिक्रान्तजातककर्मादि
चूडाकर्मान्तानुष्ठान अनन्तोद्यापनविधि अन्नप्राशनकर्म अब्दपूर्तिविधान
(वर्धापनपद्धति) १३४३ | अभयैकादशी वैतरणी
एकादशी व्रतोद्यापनविधि ३८६ अमृतहवनविधि १२२७ । अवसानविधि
अश्लेषाविधान १२६७ अश्लेषाविधान १२१८ अस्त्रोपसहरण १३४७ | अस्थिक्षेपविधि १३६१ अस्थिक्षेपविधि १३७६ अस्थिनिक्षेपविधि १४०१ | आतुरसन्यासविधि । ३६० श्राभ्युदयिकश्राद्व रामचन्द्र ३५७ आराधनाप्रयोग
१८३६ १८वीं श १६वीं श १८वीं श १६वीं श
१८३८
१८६८
सगू०
२६वीं श सस्कृत १८७०
शाके १७४८
२०५६
आलोचनाविधि
चनाविधि
।
प्रा०स० रागू संस्कृत __"
सूरतविन्दर मे लिखित
| ३६३ | उपनयनादिव्रतपद्धति
१६८ । उपाकर्म
१९२४, १४ १६४३ १
श्रावणपची पूर्णमासी उपाकर्म है।
२१ । ३६४ । उभयकादशीव्रतविधि ।
,
२०वीं श. १०
-
-
-
--
-
-
-
Page #51
--------------------------------------------------------------------------
________________
1
क्रमांक प्रन्थाङ्क
२२ | १४६४ ' उभयैकादशीव्रतोद्यापनविधि
२३ | ११६५ | ऋतुशांति
२४
२५
३८
१३ = १ एकवस्त्र स्नानविधि १६६६ | एकादशाहकर्तव्य
२७
!
२८ १४२६ एकोद्दिष्टश्राद्धविधि १२६४ और्ध्वदै हिकक्रियापद्धति
३० | २६३३ । श्रपधिप्रतिनिधि
ल
३२
३३
३४
xxxxx 200
४३
४४
४६
ग्रन्थ नाम
४७
૩૪
३८५ । कर्मानुक्रमपद्धति १६१ | कार्तवीर्यदीपदानविधि १९३ | कार्तवीर्यदीपविधान १४३८ कालातिक्रममस्कार ३६ | १५०४ कुण्डदीपिका विशेषवचन ३७ | १३६७ कूष्मा एडीशान्ति ३८३३०४ | कृष्णजन्मोत्सवविधि ३६ १४१६ कृष्ण पूजापद्धति १३०२ । कोकिलाव्रतपूजा ४१ | १३३२ | क्रियापचविधान
४०
४०
४८
१२३१ | ऋषिपंचमीत्रतोद्यापन
विधि सप एकवस्त्रस्नानविधि
४६
४५ १२४४ क्रियापद्धति
yo
नेपणादिग्रहण
| १४७८ कर्मदीपिका
ļ
!
१२१२ | क्रियापद्धति
३१२३ | क्षत्रियसन्ध्या
१४३७ | गर्भाधानसंस्कार
२६ | गर्भाधानसीमन्त-नामकरणचूडाकरणविधि
२७२० | गायत्रीछढोरूपव्याख्या
1
कर्मकres
| हरिदत्त
!
राम
कर्त्ता
१३६३ | क्रियापद्धति (और्ध्वदें- विश्वनाथ
हिकपद्धति ) ३८३ । क्रियापद्धति १२६७ क्रियापद्धति
श्रीधराश्रम
1
भाषा
| संस्कृत | १६वीं श.
१६वीं श १६वीं श.
ور
23
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39
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22
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39
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"
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५ ५
"
"
लिपि - पत्र
समय
संख्या
I
१=३६ १६वीं श
१६१६ १७वींश. | १६वीं श
T
१
१६८२
१६वीं श.
१६वीं श
१६३०
"
" 33 F
२०वीं श.
T
'१६वीं श
१७
"
"
१८४५
१६वीं श.
1
"
2
७
४
४६
५
؟
२७
"
१८४२
१८६८ १८६२ ।
५
१८०७ १२०
1
१६
१ | कृष्णदुर्ग मे लिखित
२
१
२०
३
३
१६वींश. १२३
१८४५ :
દ
१८५६ १६वीं श
२०
2
४५
३८
१३
११
५
विशेष
I
[ ४३
वासुदेवी पद्धतिगत
प्रथम पत्र अप्राप्त
अपूर्ण
अपूर्ण प्रति
Page #52
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________________
४४ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
-
-
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क्रमांक ग्रन्थाङ्क |
ग्रन्थनाम
___ कर्ता
| भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
*
५१ . २६८१ गायत्रीतर्पण ५२ । १४८१ गायत्रीनित्यपूजाप्रयोग ५३ | १३७५- गायत्रीन्यास ५४ १४५ गायत्र्यनुष्ठानविधि
५५ ३०८० : गोदानविधि ५६ १४११ गोप्रसवविधि ५७ १५११ गोमुखप्रसवशांति ५८ ३६७७
ग्रहशांति ५६ २७४७ ग्रहशांतिपद्धति ६० ३१८३ ग्रहशांतिपद्धति ६१ । १३१२ ! चत्वरपूजन विधि ६२ । १२४० चूडाकरणविधि ६३ । ११४७ । चौवीसगायत्रीमत्र
संस्कृत १९३४ १ हरिदुर्ग मे लिखित
१६१५ / ३२
१६वीं श. . स्त्रय प्रकाशेन्द्र संस्कृत | २६१३ ४२ । मरम्वती
१६०५
४ । नंदीपुराणगत । १८३६ १ । शांतिचिन्तामणिगत २०वीं श. १७१५ । सिध क्षेत्र में लिखित १९२६ ३२ । कृष्णगढ़ मे लिखित १६००
१८४३ ।
१८६५ ।
.१८८४ १२४
१४वीं . २३
रचना मंः १७.२
*
१६वीं श.
५
."
"
,।
।
| १६६२ संस्कृत २०वीं श. |, १८७१
* If ww
६ : कृष्णगढ में लिखित १ , १६ ।
६४ ६१ जयसिंहकल्पद्र म श्राद्ध- पौण्डरीक- निर्णय
। याजिरत्नाकर ६५ १३०५ जीवच्छ्राद्धप्रयोग ६६ : १३६६ जीवच्छाद्धप्रयोग ६७ १० जीवपितृककृत्य ६८ २६३६ ' ज्येष्ठाभिषेक ६६ । १४५५, ज्येष्ठाविधान । १३५० तंत्रोक्तवेदोक्तमिश्रित
आगमोक्तकुशकडिका
होमविधि ७१ : २७६६ तर्पण ७२ : १२४१ । तीर्थयात्राविधि ७३ १५०२ । तुलादानपद्धति ७४ १४५० । तुलापुरुषदानविधि ७५ २८७ । तुलसीपूजा ७६ ' ३८१ ' तुलमीविवाह ७७ १४१५ । तुलसीविवाह ७८ ३८० तुलसीविवाहविधि ७६ २६६ त्रिकालसंध्या
२०वीं श. १
१८४४ ३ ००वीं श. ४ | १६२६ २० २०वीं श. ३ १६वीं श. ५ १८२३. ३ १८७२ ४ २०वीं शः १४
Cwk
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________________
1
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
το
७७४ | त्रिकालसन्ध्या
८१ ७७७ त्रिकालसन्ध्या २७१८ त्रिकालसन्ध्या
८३ | २७१६ |त्रिकालसन्ध्या
८४
८५
२८०० | त्रिकालसन्ध्या १३१० त्रिपुण्डधारणविधि ८६ | २६६१ त्रिपुण्ड्रप्रमाण (पुराणोक्त) २२६५ | दक्षिणकाली पूजा छ्द २३७ | दर्शपूर्णमासी विधान १३०३ | दर्शपौर्णमासेष्टि ३३०६ दर्शश्राद्धपद्धति
८७
ग्रन्थनाम
५५
८६
६०
६१ | १४४६ | दशाह श्राद्धविधि १३११ | दिक्पालपूजाविधि ६३ | १३१६ | दिक्पालबलिदानविधि
६२
६४
१३७० दिक्पालवलिदानविधि
६५
१४१२ | दीपदानप्रयोग
६६ १७६६ | दीपमालापूजनप्रकार
६७
६८
६६
१२१७ | दूर्वात्रिरात्र
१३७१ | मानसीपूजा ३६६ | द्वात्रिंशदेवतास्थापनविधि
१०० | १४६८ | द्वादशाहकृत्य
१०१ | २६६४ | नवरात्रित्रतपूजाविधि नागवलि
१०२ १३००
१०३
१६४६ ! नारदपंचरात्र पटल
(२३-२४)
१०४ | १२७६ |नित्यतर्पण १०५ | २८३२ | नित्यतर्पण
(5)
२०६
१०६ | १४४२ | नित्यतर्पणविधि १०७ १४८० नियममोचनविधि
१०८ ! २७३४ | पंचदेवताश्राद्ध, एका
(२)
दशश्राद्ध तथा षोडशश्राद्ध परिणयनविधि
'कर्मका
• कर्त्ता
शङ्कराचार्य
भाषा
संस्कृत १६वीं श.
२०वीं श.
""
39
"
9
"
29
"
"
35
""
""
"
"
""
15
35
55
""
33
35
35
संस्कृत
دو
33
22
59
लिपि -
पत्र
समय संख्या
"
१८७३
१८७७
१८६६
१८७८ -
१६३५ २०वीं श.
| १६वीं श.
""
१८४४
१६०६
१६वीं श.
27
27
१८७४
१८६६
| १६वीं श.
"
"
""
39
37
१८५६
२०वीं श.
१६वीं श
१८३७
२०वीं श
१६१६
१६१८
१८६५
1
१६वीं श.
४
५
४
४
२
३
४७
७
५
४
८
१२
३
८
१६
9
१८६८ १६
१७७४ १०२- गुटका
१०३
06
A
४
विशेष
कृष्णगढ़ में लिखित
मेड़ता में लिखित
हरिदुर्ग में लिखित
कात्यायनोक्त
वृद्धशौनकोक्क
[ ४५
पुष्करारण्य क्षेत्र मे लिखित |
Page #54
--------------------------------------------------------------------------
________________
४६ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
क्रमांक प्रन्थाङ्क
| कर्ता
ग्रन्थनाम
विशेष
| भाषा
लिपि- पत्रसमय सख्या
"
१८६८
له سه سه ر
-----
-
-
و م م م ه
।
"
"
११० ८८६ परिणयनविधि
। संस्कृत १९वीं श. ६ १११ ३३०५ पवित्राविधि।
३३१८ पवित्रारोपणविधि ११३ २७०४ । पितृतर्पण
। १६२५ २- अजमेर में लिखित ११४ २७४१ । पितृतर्पण
. १९२५
३ -अजमेर में लिखित ११५ । १२२१ । पितृपिण्डविधानश्राद्ध ।
। १७२४ ११६ । २६३५ । पुण्याहवाचन, स्वस्ति- ।
| १८१७ वाचन ११७ | १२२६ पुत्तलकविधि ११८ । १४२२, पुत्तलकविधि
१६वीं श. ११६, २६ पुष्टिमार्गीयध्यानप्रकार । १२० । २६६७ पूजाप्रकार १२१ । १३५७ प्रतिष्ठाप्रयोग शंकरदत्त
। १८८४ | २१
निर्णयसिन्धुप्रति
ष्ठामयूखानुसारी १०२ : १०४४ - प्रव्रज्याविधि
प्रा०स० १७वीं श. १३
रा०गू० १२३ : १३७२ प्राणाग्निहोत्रविधि
सस्कृत १४वीं श. ६ २७७६ प्रातःकृत्य
२०वीं श.. ४ - १२५ ३७१ प्रायश्चित्तप्रयोग
। १८६५। २१ । - १२६ / १४८६ | प्रायश्चित्तप्रयोग
१९११ १० : श्राद्धचिन्तामणिगत १२७ ३१२६ | प्रायश्चित्तप्रयोग
हेमाद्रि
(१६२६६ १२८ १२२८ प्रायश्चित्तविधि
१९वीं श. ५ (पुरश्चरण) १२६ . १३१८ बुधपूजन विधि १३० १३०४ । बृहस्पतिगायत्री पोड- |
" , " । शोपचार, पचोपचार१३१ १३६८ · ब्रह्मचारिणामुन्छवृत्ति
सस्कृत ,, .. १ । प्रस्थानविधि १३२ । ३३२१ ब्रह्मयज्ञविधि
, १८७२ १३३, ३३२० ब्रह्माद्यर्चन विधि
१६वीं श. ५ १३४ | ३३१५ | भक्तिचन्द्र
हरिहर , १८वीं श. ७१ अपूर्ण १५वीं कला का । (सटीक, त्रिपाठ) १३५ : १६४८ भक्तिहस 'विवृतिसहित विट्ठल, विवृति, ,
१५ चॉ पद्य पर्यन्त
२८वीं श. १४- भक्तितरंगिणी । रघुनाथ
नामक विवृति ।
१२४
। पूजा
-
-
-
-
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________________
.., कर्मकाण्ड ,
-
-
-
-
-
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-
-
-
-
-
लिपि
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
पत्रसमय सख्या
“विशेप
विष्णुपुरी
१३६ / १६५३ / भगवद्भक्तिरत्नावली १३७ ५४ भगवद्भक्तिरत्नावली
। (सटीक)
सस्कृत
शाके १५५५ में
वाराणसी में रचित , १६वीं श. ६ नवमॉ विरचन के
। प्रथम श्लोक पर्यन्त
पश्चात् अपूर्ण पत्र७३
.' से तक अप्राप्त। । १८६२ , २ .
१८वी श. १७ ।
"
१६वीं श. ५ १६वीं श. ४
१८६८ २६ १६वीं श. ७ । १८६१. १० । शिवार्चनचंद्रिकागत १६वीं श. १ । ब्रह्माण्डपुराणगत
१३८ ! १२४७ । भट्टोजीदीक्षितानां
पद्यानि ।। १३६ १३१३ भूतशुद्धि, प्राणप्रतिष्ठा,
अजपासंकल्प, अन्त
मातृका न्यासादि १४० : १३२८ : भौमपूजनविधि . १४१ १२६३ । मडपादिपूजनविधि १४२ १३४६ ' महामायापूजनविधि
२५६ | महाविष्णुपूजाविधि १४४ २७२८ मुद्राप्रकरण
| २६७२ मुद्रालक्षण १४६ २२६ मूलविधान १४७ १४५१ / मूलविधान १४८ ३१३६. यज्ञोपवीतकर्मविधि
| १२५६ यज्ञोपवीतविधि १५० / २६८० । यज्ञोपवीतविधि १५१ / १३५४ युग्मजननशान्तिविधि
१३७८ रजस्वलामरणविधि १३४५ : राजपट्टाभिषेकपद्धति | १२७५ रामनवमीप्रतोद्यापन ! १२७८ | रामनवमीव्रतोद्यापन
विधि १५६ | १३५५, राहुपूजाविधि १५७ | १२३७, रुद्रपद्धति
रुद्रपद्धति । १३६३ रुद्रपीठदेवतास्थापन
विधि , १६०, ७५ रुद्रपुष्पांजलि
१६२८ । १६०१
१४६
| १८५४
७ जयनगर में लिखित ३ । कृष्णभट्टपद्धतिगत
। कृष्णगढ में लिखित
१९३३ । १८६८।
१७५३
% % x x x 1 4
- मोर्वी में लिखित
१८३३ १८२५
। १८५३
नारायण भट्ट परशुराम
ur
। १८६१ । . 1 १८२६, ६७ | १८१५ : ४६ । मं० १५१५ में रचित १६वीं श २ स्कन्दपुराणगत ८वीं श. १
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________________
४८]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
। पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपिसमय
विशेप
संख्या
संस्कृत १६वीं श.
| १८६१
६ स्कन्दपुराणगत
१६१ १३८० | रुद्रीजापविधि १६२ १४३० लक्षपार्थिवलिंगपूजोद्या
पनविधि १६३ | १३८३ लक्षपुष्पिकोद्यापन विधि १६४ १२८३ लक्ष्मीपूजनपद्धति । १६५ | २७०३ लक्ष्मीसरस्वतीपूजाविधि १६६ १४६ | लघुग्रहशान्ति १६७ १११८ लघुतपोधिकार
वटसावित्रीपूजाविधि
K
१८२७ संस्कृत १८वीं श.
२०वीं श.
१८६५ १७वीं श. शाके १७४६ १८४५
१३२०
१६वीं श
6
वापीकूपतडागप्रतिष्ठा
विधि (जलोत्सर्गपद्धति) २५८ | वापीकूपतडागादिजल
। प्रतिष्ठाविधान | वास्तुपद्धति (ऋग्वेदीया)
वास्तुपूजापद्धति १४०६ वास्तुशान्तिपद्धति ३२२८ | वास्तुशान्तिपद्धति १२८५ | वास्तुशान्तिप्रयोग
३७८
१८५२ १८३८ २० लांगुलपुर में लिखित १९२६ / १५ १६वीं श. ४३ शिवराम विरचित
गोभिलकगृह्यपद्धतिगत १८८८ १३
२०वीं श १ संस्कृत | १८७३ ३०-३२
१७६ १२६८ विनायकपूजन विधि
| १४४ विनायकवेदिकालक्षण १७८ २३७३ विभूतिधारणविधि -
। गृह्यपरिशिष्टगत
१८५२ । १८२३ । २६ १६वीं श. २३
१७६ , १३५१ विवाहपद्धति १८० १४३२ विवाहपद्धति १८१ ३११८ विवाहपद्धति १८२ / ३६६५ । विवाहपाटी (पाठ) १८३ । १४६५ विष्णुतर्पणविधि १८४ ३५६ विष्णुयाग १८५, १२१६ : विष्णुयागपद्धति १८६ / १२८७ विष्णुयागपद्वति १८७ । १२६१ । विष्णुयागपद्धति
(प्रयोग)
१८३२३ १९वीं श. ८७ १७७७ १७ । आमरण में लिखित १८४४ । ११ १८८४ १५ ।
अनतदेव
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________________
कमकाण्ड
[४६
-
-
-
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-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
. भापा
लिपि- पत्रसमय / संख्या
विशेष
संस्कृत १८वीं श.
५
"
" ,
२४
१६०१ । ५ २०वीं श., १४
१८८ ८४३ विष्णुषोडशोपचार पूजा १८६ | २८८५ विष्णुसहस्रनामार्चन १६० ३८४ वृद्धिश्राद्धविधि १६१ १२४४ । वृद्धिश्राद्धविधि १६२ : १५१३ वृद्धिश्राद्धविधि १६३ ३१३८ ! वैतरणीदानविधि तथा ।
महिपीदानविधि · १२३३ वैतरणीधेनुदानविधि १४६६ वैतरणीव्रतोद्यापनविधि १५१२ वैधृतव्यतिपातसक्रान्ति
शान्ति ६०४ वैश्वानराहुतिश्रादि १४५६
व्यासपूजा २५६० व्यासपूजा सयत्र
व्रतवन्ध व्रतोद्यापनविधि
१७६३ १६वीं श. ,,
५ । ४ । ४ । शान्तिमयूखगत
७७६
१८वीं श. ६ मक्त्यपुराणगत १९२४ ७ १७१६, २ १६०६ । ११ १७६६ । ६ श्रीखडडीपुर में
लिखित १८६० ५६ | नवानगर में लिखि २०वीं श. ५ १६वीं श. १०६ पत्र ४६से४६ तक २०वीं श. १३
भप्राप्त १८६० २४ । १८७३ १२ १८वीं श. ११ १८४३, १३ १९३४ १८६२ / १६ । ध्रोल में लिखित
२७७
शतचडीविधानपद्धति ७८८ शान्तिकविधि शान्तिमयूख
भट्टनीलकंठ । शिवपूजनविधि कात्यायन शिवपूजनविधि शिवपूजनहवनविधि शिवरात्रीव्रतोद्यापनविधि शिवलिङ्गप्रतिष्ठापद्धति
शिवलिङ्गप्रतिष्ठापद्धति २११ / १४२३ | शूद्रक कलक्षहोमात्म
कायन श्राद्धकल्प (आपस्तम्ब)
शाके
१७५8
२१३ ! १२२२ श्राद्धकल्प
६
वाजसनेयी, ममेवही में लिखित
२१५
श्राद्धकल्प १७० श्राद्धपद्धति
कात्यायन | राम
१८७६ १८५६
૪૬
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________________
५० ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेप
संस्कृत
१८वीं श. १२ १६३५, ३१ श्राद्धकाशिकोक्त १८१६ ८ १८०३ ११ १८६६ /
१५
२१६ १२११ / श्राद्धपद्धति २१७ १२५४ श्राद्धपद्धति २१८ १३२६ श्राद्धपद्धति २१६ | १३३६ श्राद्धपद्धति २२० १४२१ श्राद्धपद्धति (पार्वण
श्राविधि)
श्राद्धपद्धति ३१३२ श्राद्धपद्धति १३६० श्राद्धप्रयोग २७२७ श्राद्धविधान
श्राद्धविधि (श्राद्धारंभ) ३६८० श्राद्ध (तर्पण) विधि १२५८ श्रावणिकापूजन विधि
श्रावणी उपाकर्म
२२१
१४७२
२२७
રક
१७१
१६०५, २५ १८३८ १२ १६वीं श. श्राद्धमयूखगत
१८९२ ३ | ज्ञानार्णवगत १६वीं श १६ - १५६८ ६ पत्तन में लिखित . १६वीं श. २
शाके २४ १७४४ १६वीं श १८६८६ मत्रमहोदधिगत ।
कुन्तीयाणा मे लिखित १६वीं श ३
श्रीकण्ठमातृकान्यास श्रीकण्ठमातृकान्यास
"
१८८२
व्रज० २ध्वीं श
७७-७८
पोडशोपचार पूजा
सस्कृत
"
५
"
पडष्टप्रायश्चितविवि पोडशारचक्रनिर्माणप्रकार
पोडशोपचार पूजा (१४६) २७७१ १३२७ पोडशोपचारपूजाविधि
१३०८ सकलदानसामान्यविधि २३७, १३१४ सकलशुभकर्मविधि २३८ २६२४ सकल्पश्राद्ध २३६ १३४८ संक्षिप्तदानप्रयोग २४० १४१३ सक्षिप्तदेवप्रतिष्टाविधि २४१, ८१३ सक्षिप्तसन्ध्या २४२ २८१६ संक्षिप्तमन्ध्याविधि २४३ / ३०४ सन्ध्या २४४ । ११६६ सन्ध्या
| पत्र २रा अप्राप्त
१८१३ १८४३ १६०१ १८५७ १८२७ १६वीं श.
१६२१ २०वीं श. १८वीं श
१४ ५।
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #59
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________________
कर्मकाण्ड
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेप
w
२४८
७७२
२४५ | २६५४ संन्ध्या
सस्कृत | १८८७. ३ आचारादर्शगत ।
कृष्णगढ़ में लिखित २४६ २७६५ सन्ध्या
२०वीं श. ५ २४७२६६१ / संध्यातर्पण
१८८७६ कृष्णगढ़ में लिखित २६६२ संध्यानुक्रमकारिका सर्वेश्वर
१८८७३ २४६ १८७५ संध्याप्रयोग
१८८६ १३-७७ गुटका । (२) २८८ सन्न्यासकर्मपद्धति
२०वीं श. १० गुटका कृति ३३३ सन्न्यासपद्धति
१८६६ : ६५. १२८६ सन्न्यासिनासमाराधन
१६वीं श. ३ विधि २२८ समयमयूख
नीलकठ भद्र सरामणो
संगू०) १८३५ सरामणो तथा ;
सरा | १८७४ | मानकूत्रा मे लिखित कागवास
गू० सर्पवलिसक्षेप
सस्कृत । १८२२ सर्वतोभद्रदेवताव्रतोद्या
२०वीं श पनविधि | सर्वदेवपीठस्थापनाभि
" १६३६ ५६ धानपद्धति ३७४ | सर्वदेवसाधारणप्रतिष्ठा शिवराम १६वीं श६ ग्रन्थकर्ताकृत मत्र विधि
चिन्तामणि नामक
ग्रन्थ का प्रकरण है २७४३ सर्वसस्कारपद्धति पद्मनाभदीक्षित, । १६१६ ३२ | कृष्णगढ़ में लिखित २६१ १८६४ | सामायिक
१६वीं श. १ દર १८६५ सामायिक
१६०४१ २६३ (१४५३ सार्वदेविकीपद्धति । पूजामृत
१६२६ २६४, ३६५ / सीमन्तोन्नयनसस्कार
१६०२५ पद्धति | १२३२ सूतक (प्रकरण) सटीक
१७३७ १२ पत्र १० वा अप्राप्त २६६ । १२६८ सूतकादिविधिसार्थ
मू०स० १८२४ २० नवानगर में लिखित
गू० २६७ | १४१६ ) सूर्यमण्डलपूजन विधि
स० १६वीं श. ३ २६८ ३५४७ । सूर्यव्रतप्रभाव
हवीं श. १ ला
२६५
(२)
-
-
-
Page #60
--------------------------------------------------------------------------
________________
५२ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
-
-
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
। कर्त्ता
| लिपि
समय | सख्या ।
विशेप
२६६
१६
१६
१३०१ सूर्यप्रतोद्यापनविधि २७०, ८८५ सूर्यार्घदानविधि
प्रथम पत्र प्राप्त। भुजपत्तन मे लिखित
१८५४ शाके १७३४ १८२७ १६३५ १८३१
मोरवी मे लिखित
१४५६
गंगाधरभट्ट
RU
२७१ १३४६ सूर्यार्घदानविधि २७२
सूर्यार्घप्राणप्रतिष्ठादि १३६६ स्मार्तपदार्थसंग्रह
(प्रयोगपद्धति) १२४६ स्वस्तिवाचन १६४७ । स्वस्तिवाचनकारिका २६३१ स्वस्तिवाचादि
२६१ हनुमदीपदानविधि २७८ २७० हनुमदीपदानविधि २७४ ३३१ हनुमद्दीपदानविधि १४७६ हवनविधिकुशकंडिका
हेमाद्रिप्रयोग १२०६ | हेमाद्रिप्रयोग । ३३३४ हेमाद्रिप्रयोग
७७
सुदर्शनसंहितागत
१८६५ १९वीं श. १२ १६वीं श. २ २०वीं श. ७ १८वीं श. ८ १८वीं श. २७
१६१८ १६ १६वीं श. ४ १६वीं श ७ | १७७३ / ४
"
"
२८०
२
-0
१०
२८३
दतपुर मे लिखित
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #61
--------------------------------------------------------------------------
________________
पुराण
-
-
-
-
-
-
--
क्रमांक ग्रन्थाळू
ग्रन्थनाम
कर्त्ता
लिपि- पत्रभापा
विशेप समय संख्या संस्कृत | १७६८ । ६२ । स्कन्दपुराणगत
१८५६ | १०७
शाके ३२ १७४८ १६वीं श.
१७७ अधिकमासमाहात्म्य
अध्यात्मरामायण अध्यात्मरामायण उत्तरकाण्ड अध्यात्मरामायण किष्किंधाकाण्ड अध्यात्मरामायण बालकाण्ड अध्यात्मरामायण युद्धकाण्ड अध्यात्मरामायण सुन्दरकाण्ड
अरुणाद्रिमाहात्म्य" १८६० अर्जुनगीता (६८) ३२६७ अर्जुनगीता ३२७६ / अर्जुनगीता | ८६३ अवतारगीता
५६ | शिवपुराणगत ।
धरमदास
१७८४ १८५१
पाटण में लिखित
GO
१९११
नरहरिदास बारहट नरहरिदास
| २२१६ | अवतारगीता
०
१८२६
पुनरासर में लिखित स०१७३३ में पुष्करारण्य में रचित । गुटका। पद्यरचना है
हि० १८६० स० १६वीं श
१४ | १८६६ | अश्वमेध की कथा पुराण जयमुनि १५ ८३६
अष्टादशपुराणनामानि आश्विनीइन्दिराकृष्णामाहात्म्य एकादशीमाहात्म्य हरिदास
१६ | ३०७०
ब्रह्मवैवर्तपुराणगत
१-११ राधनपुर में लिखित
सं०१६४७ में रचित
-
-
Page #62
--------------------------------------------------------------------------
________________
___ ५४ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
भापा
लिपि- पत्रसमय | संख्या ।
विशेप
ग्रन्थनाम
। एकादशीवर्णन
गू० १७वीं श.
वॉ
१३६०
६३३
कर्मविपाक कलियुगमाहात्म्य (पद्य) कात्यायनीमाहात्म्य
रागू० सस्कृत
• १८६८
१७४८८७
३६७६
मानकुआ में लिखित स्कन्दपुराणगत,अमदाबाद में लिखित । ब्रह्मवैवर्तपुराणगत
३०८५
कार्तिककृप्णैकादशी माहात्म्य कार्तिकमाहात्म्य
१६०१
२४ ३०६२ / कार्तिकमाहात्म्य २५. ३०६५ कार्तिकमाहात्म्य २६ १८५८ कार्तिकमाहात्म्य
१८८८
" १६वीं श. ३६ । पत्र १, २६ तथा
३०वां अप्राप्त । पद्मपुराणगत । जयनगर मे लिखित
पद्मपुराणगत । १८४८
पद्मपुराणगत । पद्मपुराणगत ।
रामगढ़ में लिखित मू०सं० १६वीं श, ५३ अपूर्ण टीव्र संस्कृत १८६७ २५ शिवपुराणगत " १६वीं श. ६३ " १६वीं श, २२
महाभारतगत , १६वीं श१-४४
१८७६ कार्तिकमाहात्म्य भाषा
टीका सहित २८५१ केदारकल्प २८३८ कैलाशसंहिता
३०१ गजेन्द्रमोक्ष २८७६ गजेन्द्रमोन
३१७५ गजेन्द्रमोक्ष
गरुडपुराणः (सस्तवक)
३७०० गर्भगीता ૩૬૭ चतुर्विशतिएकादशी
माहात्य
| १६०३ | १४ | महाभारतगत मू०सं० २८०२, ३५ वाहडमेर में लिखित स्तरा० सस्कृत १४ची श. ४ " १७४७, २० ब्रह्मवैवर्तपुराणगत
सरस्वतीपत्तन में
लिखित , २०वीं श.१२से१३
३६ २३७६ चतु श्लोकी भागवत
३७, २६०० चतुःश्लोकी भागवत
१८२५ / १२ वॉ
Page #63
--------------------------------------------------------------------------
________________
पुराण
[ ५५
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
| कर्त्ता
भाषा
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेपः
३८ | २६०१ चतुःश्लोकी भागवत
संस्कृत
१८२३ / १२ वॉ
। ७४५ चतु श्लोकी भागवतसार्थ
संगु० १८३६ ५ २७०१ / चतुःश्लोकी व्याख्या | वल्लभदीक्षित | सं० २०वीं श. ४ | भागवतगत । २७१० चतुःश्लोकी शिक्षा
" १६२५ ११ वॉ (१४) ७४६ जालधरपुराण
हरदास रागु०२०वीं श. ४३
" १६वीं श ३७से४०
२३६८
२५८८ | दशावतारावतरणहेतु
,, १६वीं श. १ ज्ञापन ३०६४ दानोपाख्यान
१६१२ | ५ | पद्मपुराणगत । दीपालिकाकल्प सस्तबक जिनसुन्दर | संरा०/ १८७८ | ५६ | रचना सं० १४८३
१०
६३८
दीपोत्सवीकल्प सार्थ पचपद्यानि
२७१०
" १८वीं श १६ सं० | १९२५ १२ वॉ
२५६६ पद्मपुराण अध्याय१से५ १७८ पद्मिन्येकादशीमाहात्म्य
" | १७६८
१६वीं श
५
स्कन्दपुराणान्तर्गत अधिकमासमाहात्स्य गत ।
"
"
२१५ पवित्राद्वादशीव्रत
(नारदीयपुराणगत) ३१६० पांडवगीता ३२७३ पाडवगीता
१३
१६५२ | पांडवगीता सार्थ २८६७ | पितृगीता ३०७१ पुरुषोत्तममाहात्म्य
१६ १६वीं श.. १८ | अणहिलपुर पाटण
में लिखित । सं०गु० १८६७ १६ सं० १६वीं श १ पद्मपुराणगत । १६४२, ८६ स्कन्दपुराणगत,
जयपुर में लिखित। ब्राहि० १६वीं श ३३६ ., ,
नागमंडल १८४० / १२३ वास्तव्यजोसिसो
मात्मजद्वारा लिखित .
११४६ प्रवीणसागर ५८ २८६६ फाल्न
फाल्गुनशुक्लैकादशी
माहात्म्य
१४२ | बृहन्नारदीयपुराण
Page #64
--------------------------------------------------------------------------
________________
५६ ]
क्रमांक ग्रन्थाक
६० | २८६२ | ब्रह्माण्डपुराण भाषा तथा पद्मपुराण भाषा
६१ | ३६८६ | ब्रह्मोत्तरखड ६२ | २८२६ | ब्रह्मोत्तरपुराण
६३
१२८ | भगवद्गीता
६४
७४६ | भगवद्गीता
६५
७५५ | भगवद्गीता
६६ | १८७५ |भगवद्गीता (3)
६७ २३७० |भगवद्गीता
(१)
६८ | २३७२ | भगवद्गीता
(१)
६६ | २५६५ | भगवद्गीता
२६०० | भगवद्गीता
७०
(१)
७१ २६०१ | भगवद्गीता
(१)
ग्रन्थनाम
७५
७६
७७
50
७२ | २६०२ | भगवद्गीता
७३ | २८७६ | भगवद्गीता
(2)
७४ ३११३ भगवद्गीता
३३३३ | भगवद्गीता
२५६२ | भगवद्गीता सटीक
हरिदास
२५६४ | भगवद्गीता सुबोधिनी - श्रीधर
टीका सहित
८६२ | भगवद्गीता भापाटीका जसवतसिंह
२=६१ | भगवद्गीताभापावन्ध
(१)
गीतासार
१२७ | भगवद्गीता सभाप्या भा० शकर
७६
८०
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
1
कर्त्ता
भाषा
रा०
""
संस्कृत १८२५ ११७
१८६५ ५७
१७६८ Σε
१७६६ ६३
१८७८
४०
"
"
22
""
39
""
"
"
"
""
"
"
लिपि -
पत्र
समय सख्या
१८०६ २से११३ | गुटका पत्र १०५वां
में संवत् है । स्कन्दपुराणगत
जयनगर में लिखित
संस्कृत
भुजनगर में लिखी
मानक गांव में लिखित १६वीं श. ७७से१८६ गुटका खडित ।
१६०० ११५
१८५७ १२८
१८५६ २३
१८२५ १६
१८२३ | १ से
१८५६ १३ १६वींश. १-१६८
१८वीं श
29
१८४६ टी०प्र० | १८४७ संस्कृत १८वीं श
५८
विशेष
ब्र०हि० १६वीं श.
रा०
१६वीं श.
१६७४ | १६३
४०
गुटका | कृष्णगढ़ में लिखित |
गुटका
लाडणू में लिखित
१६८
४६ टीकारचना पद्यमय है
६०
गुटका । इस गुटका की सर्व कृतियों मे चित्र है । प्रथम पत्र में शोभन है
पत्र ४५ वां प्रप्राप्त
गुटका
पि (ख) रूश्रा नामक गांव में भीम भट्ट ने लिखी ।
Page #65
--------------------------------------------------------------------------
________________
पुराण ।
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- समय
पत्रसंख्या
विशेष
७५० भगवद्गीता अर्थसहित ८२ ३२३० भगवद्गीता सार्थ ८३ ३०६६ भद्राचतुर्थीव्रत
| ३३३८ | भागवत मूल
सं.अ.व. १८०३ सं.अ.गू. १८१५/ १६६ संस्कृत १६वीं श. २
स
.
तलवाडा में लिखित प्रथम पत्र अप्राप्त। वामनपुराणगत। दशमस्कन्ध पर्यन्त। प्रत्येक स्कन्ध की पत्र स, क्रमशः इस प्रकार है ४३,२४,७६,७२, ५८,४२,४०,४७,१६ प्रथमस्कन्ध के पत्र १ से १८ अप्राप्त।
-
-
-
-
--
१६वीं श. १६० । १७७६ / ०८२
१२६
। ७४३ भागवत चतुर्थस्कन्ध
'" १२४ भागवतपुराण दशम
स्कन्ध भागवतपुराण एकादश- ,, स्कन्ध | भागवत सटीक प्रथम- मूवेदव्यास, स्कन्ध
टी० श्रीधर ४१ भागवतपुराण सटीक
प्रथमस्कन्ध
२६३७
| १७५६ । ५४ १७वीं श. १४२ । अपूर्ण १६वीं श. ८७ प्रथम पत्र सचित्र
और सुवर्णाक्षरा
लकृत
.
..
भागवत सटीक त्रिपाठ प्रथमस्कन्ध भागवत सटीक त्रिपाठ प्रथमस्कन्ध भागवतपुराण सटीक द्वितीयस्कन्ध
"
१६वीं
४६ | प्रथम पत्र सचित्र
और सुवर्णाक्षरा लंकृत।
| भागवत सटीक त्रिपाठ द्वितीयस्कन्ध; भागवतपुराण सटीक त्रिपाठ द्वितीयस्कन्ध भागवतपुराण सटीक टी० वल्लभ
त्रिपाठ द्वितीयस्कन्ध दीक्षित १६६८ भागवत सटीक
द्वितीयस्कन्ध
१२३
६६
पत्र १ से ३६ अप्राप्त
Page #66
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________________
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
लिपि-
पत्र
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
विशेष
समय संख्या
१६६७
भागवत तृतीयस्कन्ध सटीक भागवत सटीक त्रिपाठ तृतीयस्कन्ध भागवतपुराण सटीक तृतीयस्कन्ध
मूवेदव्यास संस्कृत १६वीं श. १०० | अपूर्ण, अध्याय २१ टी० श्रीधर
पूर्ण २२ वां अपूर्ण " " , १६वीं श. ११८
१६१७
४१
। (३)
| प्रथम पत्र सचित्र
और सुवर्णाक्षरालंकृत।
११३
भागवतपुराण सटीक तृतीयस्कन्ध भागवतपुराण सटीक | चतुर्थस्कन्ध भागवतपुराण सटीक । चतुर्थस्कन्ध
&c
, १३१ । प्रथम पत्र सचित्र
और सुवर्णाक्षरा| लंकृत।
"
"
११४ भागवतपुराण सटीक
त्रिपाठ चतुर्थस्कन्ध भागवत सटीक त्रिपाठ पंचमस्कन्ध भागवतपुराण सटीक त्रिपाठ पंचमस्कन्ध भागवतपुराण सटीक | पंचमस्कन्ध
,
१६वीं श. १०५
| प्रथम पत्र सचित्र
और सुवर्णाक्षरालंकृत।
२०३७
भागवत सटीक पचमस्कन्ध त्रिपाठ भागवत सटीक त्रिपाट पप्ठस्कन्ध | भागवत सटीक त्रिपाठ
पप्ठस्कन्ध ४१ भागवतपुराण सटीक । (६) त्रिपाठ पष्टस्फन्ध
|, १८वीं श
७
पत्र १ तथा ३० यो अप्राप्त । प्रथम पत्र सचित्र
और सुवर्णाक्षरालंकृत।
भागवत सटीक पष्टत्फन्ध
Page #67
--------------------------------------------------------------------------
________________
पुराण
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
११२
११७
४१
भागवतपुराण सटीक | मू वेदव्यास संस्कृत १६वीं श. ६० त्रिपाठ सप्तमस्कन्ध | टी० श्रीधर भागवतपुराण सटीक
७२ प्रथम पत्र सचित्र त्रिपाठ सप्तमस्कन्ध
| और सुवर्णाक्षरा
लंकृत। भागवत सटीक त्रिपाठ | " " " " " सप्तमस्कन्ध
| १६२१
.
भागवत सटीक त्रिपाठ अप्ठमस्कन्ध भागवत सटीक त्रिपाठ अष्ठमस्कन्ध भागवत सटीक त्रिपाठ अष्ठमस्कन्ध
-
| प्रथम पत्र सचित्र
और सुवर्णाक्षरालकृत। प्रथम पत्र सचित्र
और सुवर्णाक्षरालंकृत।
भागवतपुराण नवमस्कन्ध सटीक
,
१६वीं
,
१८वीं श. ५१
भागवत सटीक त्रिपाठ | मू० वेदव्यास नवमस्कन्ध भागवत नवमस्कन्ध । मू० वेदव्यास सटीक भागवतपुराण सटीक त्रिपाठ नवमस्कन्ध भागवतपुराण सटीक " " त्रिपाठ दशमस्कन्ध भागवत सटीक दशम- मू० वेदव्यास स्कन्ध पूर्वार्द्ध त्रिपाठ
भागवतपुराण सटीक | वेदव्यास (१०) दशमस्कन्ध पूर्वार्ध टी० श्रीधर
| टी० श्रीधर
, ,
१८६६२२४ १८वीं श. १४६ १९वीं श. १६६
प्रथम पत्र सचित्र
और सुवर्णाक्षरालंकृत । अभ्याय
से ४६ पर्यन्त
१२५ ३३३७ | भागवत सटीक त्रिपाठ
दशमस्कन्ध पूर्वार्ध
,
, ।,
।
१४४
-
--
Page #68
--------------------------------------------------------------------------
________________
६० ]
क्रमांक ग्रन्थाक
१२८
१२६ १६२४ | भागवत सटीक त्रिपाठ दशमस्कन्ध पूर्वार्ध
१२७ | १६२५ | भागवत सटीक त्रिपाठ दशमस्कन्व उत्तरार्ध
७४२ भागवत दशमस्कन्ध सटीक उत्तरार्ध
१२६ ३३२८ | भागवत दशमस्कन्ध सटीक उत्तरार्ध
१३०
१३२. ४१
१३३
ग्रन्थनाम
१३४
१३१ | १६२६ | भागवत सटीक त्रिपाठ
एकादशस्कन्ध
भागवतपुराण मटीक |
४१ | भागवतपुराण सटीक (११) दशमस्कन्ध उत्तरार्ध
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
१३८
(१२) एकादशस्कन्ध
४१
(१३)
१२१ | भागवतपुराण सटीक
त्रिपाठ एकादशस्कन्ध
भागवतपुराण सटीक
द्वादशस्कन्ध
१३५ | १६२७
भागवत सटीक त्रिपाठ
द्वादशस्कन्ध
१३६ १२२ भागवतपुराण सटीक
19
मू० वेदव्यास संस्कृत १६वीं श. १४४
टी० श्रीधर
१६वीं श. १२७
१८५३ | १७६
""
>
"
कर्त्ता
"
"
رد
"
"
د.
"
चत्रदास
"
"
"
त्रिपाठ द्वादशस्कन्ध
१३७ ३५६५
भागवत एकादशस्कन्ध भाषा (पद्य)
(३)
१२५ | भागवत दशमस्कन्धा
• नुवाद १३६ | २३२४ | भागवतपचमाव्यायभाषा नन्ददास २८६३ ! भागवतभाषानुवाद पद्य । व्रजदासी १४१ २८६४ | भागवतभावानुवाद पद्य । व्रजदासी १०२२८६५ भागवत भाषानुवाद पद्य व्रजदामी
१४०
39
"
भाषा
1
33
"
"
"
"
"
""
"
دو
"
रा०
29
लिपि - पत्र
समय संख्या
""
"
१८०२ १२८
१६वीं श. १४५
१८वीं श. १४८
""
"
"
35
"
१६वीं श.
""
१८६६
व्र०हि० १६वीं श. २६२
३७०
१८२७
७५
२५
०हि० | १८७ १६वींश. १३५
५७
१०८
!
"3
१८४०
و
१४५
१४६
४४
४८
४८
100-100
विशेष
मालपुरा में लिखित
प्रथम पत्र सचित्र और सुवर्णाक्षरा
| लकृत | अध्याय ५० से ६० पर्यन्त ।
प्रथम पत्र सचित्र और सुवर्णाक्षरा लंकृत |
प्रथम पत्र सचित्र और सुवर्णाक्षरा
लंकृत |
बीकानेर में लिखित स्कन्ध १ से ३ पर्यन्त
चतुर्थस्कन्ध स्कन्ध से पर्यन्त
Page #69
--------------------------------------------------------------------------
________________
.
पुराण ..
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
| भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेप
| ब्र०
१६वीं श. २२४
१४३ | ११५० | भागवतमाहात्म्य भाषा | सुन्दरकुँवर
आदिपुराण भाषा सारसंग्रह रसपुंज
(रंगमर) ग्रन्थ नेहविधि १४४ | २५६७
भागवतसप्ताहश्रवण
विधि ६१८ भोगलपुराण सार्थ
पद्मपुराणगत।
३२५६
मू-सं० १९वीं श. ८ अ०रा० रागु० १८८७ १६ " १७वीं श. १६८वाँ
२८६३
(११३)
भोगलशास्त्र (भूगोल) मगधादिदेश के नगर तथा ग्राम संख्या मलिम्जुचमाहात्म्य मार्कण्डेयपुराण
सं० २०वीं श. ४ सं० १९वीं श. २१०
२८२७
| स्कन्दपुराणगत
अंत्य २११ वाँ तथा २१२ वाँ पत्र अप्राप्त चित्र संख्या ५२
चित्र संख्या ७२
चित्र संख्या ४२
चित्र संख्या ५२
चित्र संख्या ५३
१५७६ मौद्गलपुराण प्रथमखड
सचित्र मौद्गलपुराण द्वितीयखंड सचित्र मौद्गलपुराण तृतीयखंड सचित्र मौद्गलपुराण चतुर्थखंड
सचित्र १५७६ मौद्गलपुराण पंचमखंड
सचित्र मौद्गलपुराण षष्ठखंड सचिन मौद्गलपुराण सप्तम
खड सचित्र १५७४ मौद्गलपुराण अष्टमखंड
सचित्र १५७६ मौद्गलपुराण नवमखंड
सचित्र १५७६ मौद्गलपुराण अवशिष्ट (१०) चित्रपन्न
चित्र संख्या ४५
(६)
vie
चित्र संख्या २१
(७)
५७.४५
चित्र संख्या ४६
| चित्र सख्या ३८
चित्र संख्या २०
Page #70
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________________
६२)
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क:
ग्रन्थनाम
कर्त्ता
विशेप
लिपिभापा
| समय
पत्रसंख्या
१६० / १८८३ रेणुकामाहात्म्य
संस्कृत | १६४६
४२
पत्र ३रा अप्राप्त स्कन्दपुराणगत
१६२
१८.२
८७ १६वीं श. ३६ " ५४
(४+६)
शिवपुराणगत स्कन्दपुराणगत
२०,"
स्कन्दपुराणगत
| २८२५ लघुनारदीयपुराण
२८३६ | वायवीयसहिता १६३ वासुदेवमाहात्म्य
टिप्पणसहित १६४ | ४४ | व्यतिपातमाहात्म्य १६५ | २८४३ शिवपुराण
३२१५ शिवपुराण १६७ २८४० शिवमाहात्म्य १६८ २८४१
शिवमाहात्म्य २८४२ शिवसंहिता
१६६
१८६६ १२६ १६वीं श,
७४
१६६
स्कन्दपुराणगत स्कन्दपुराणगत
आदिपुराणगत दक्षकाण्डपर्यन्त। श्रामरकाएट वीरमाहेन्द्रकाण्ड
1 २८४४ शिवसाहता
१
१७२
१७० | २८४५ | शिवसंहिता
(शंकरसहिता) | २८४६ शिवसंहिता २८४७ | शिवसहिता ०८४८ शिवसंहिता २८४६ शिवसहिता २३७६ | सप्तश्लोकीगीता
rics
१७४
युद्धकाण्ड १८६५ १४० सम्भवकाण्ड १६वीं श २६ - देवकाण्ड
१८६६ २११ । उपदेशकान्ड २८वीं श.१५से१२.
१७५
६००
सप्तश्लोकीगीता
१८२५
१२वॉ
१७.
२६०१ | सप्तश्लोकीगीता
१८२३ ११वाँ
१७
| तुलसीदास
१८०
ब्रहि० १६वीं श. ५.
१८८७, ७ सं० १८वीं श. ६२
४५
६०१ सार गीता (गद्य)
सूर्यपुराण (कथा) | स्कन्दपुराण । ब्रह्मोत्तरखण्ड हरिवंश हरिविजयग्रन्य प्रथमाध्याय हरिविजयमन्ध द्वितीया याय
, १५० | ४५५ महाराष्ट्री, १६वीं श. ८
१८३
ब्रह्मानन्द
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #71
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक ग्रन्थाक
१८५ | १६३५ हरिविजयग्रन्थ तृतीयाध्याय
१८६ १६३६ हरिविजयप्रन्थ
प्रन्थनाम
अष्टमाध्याय
१५७ १६३७ हरिविजयग्रन्थ
(55
१६०
नत्रमाध्याय
१६३= | हरिविजयग्रन्थ
दशमाध्याय
१८६ | १६३६ हरिविजयग्रन्थ
एकादशाध्याय
१६४० | हरिविजयग्रन्थ
द्वादशाध्याय
१६१ | १६०१ हरिविजयग्रन्थ त्रयोदशाध्याय
१६२ | १६४२ | हरिविजयग्रन्थ
चतुर्दशाध्याय
१६३ | १६४३ | हरिविजयग्रन्थ
पचदशाध्याय
१६४ १६४४ |हरिविजयग्रन्थ षोडशान्याय
१६५ १६४५ | हरिविजयग्रन्थ
सप्तदशाध्याय
१६६ | १६४६ | हरिविजयग्रन्थ विंशतितमाध्याय
१६७ २५६१ | होलिकामाहात्म्य
ब्रह्मानन्द
"
25
"
"
""
39
93
""
17
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कर्त्ता
"
पुराण
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38
11
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भाषा
महाराष्ट्री १६वीं श.
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संस्कृत
महा०
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99
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ܝ
लिपि -
पत्र
समय सख्या
सं०
२०वीं श.
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१८५८
१६
११
१६
१६
१४
१४
१६
२१
१३
१६
१७
१८
विशेष
[ ६३
४ भविष्यपुराणगत
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________________
(७) वेदान्त
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपिसमय संख्या
विशेष
३६८६
२५६३ अध्यात्मविद्योपदेश- शंकराचार्य संस्कृत १८वीं श. १६
विधि अध्यात्मविद्योपदेश
! , १६वीं श. १६ विधि १८१४ अवगतउल्लासभाषा | आतमराम | प्र-हि. १८वीं श. ४
(पद्य) (आत्मप्रकाश) २४६ अष्टावक्रसूक्ति
जीर्णप्रति, अपूर्ण
नलिनाख्यपुर में लिखित ।
विश्वेश्वर
३०६ अपावक्री १४७३ आत्मबोधप्रकरण १९०३ आत्मबोधप्रकरण
१६वीं श. ४४ २०वीं श. ४ १६र्वी श. १-२
१७३७ आत्मबोधप्रकरण सटीक मू-शङ्कराचार्य ,
१८७३ / १४ ३२८५ आत्मबोधप्रकरण सटीक मुशङ्कराचार्य सम्रा०१६वीं श. २५
टी० मुक्तकवि | १६५१ / आत्मबोधप्रकरण सार्थ
| " १८६७ ३४ ३५६२ गरबचिंतामणी रामचरन रा० | १६५६ १-११
| २७७४ गायत्रीव्याख्या
वक्षभाचार्य
१६५३ २०२ गोपालतापनी
१६वीं श. २० | १६२६ | गोपालतापनी (उत्तर- | टी०विश्वेश्वर
(१६१३ / १६ तापनी) सटीक त्रिपाठ | (जनार्दन, ? । १६२८ गोपालतापनी (पूर्वतापनी)
२०वीं श. ८ सटीक त्रिपाठ | ३०२७ | गोरखप्रमोदभापा
रागू०/ १७८४ २ २४७ चित्रदीपप्रकरण सटीक विद्यारण्य मुनि स० । १७६५ / २६ । प्रथम प्रकरण (पंचत्रिपाठ
टी-रामकृष्ण
दशी का)
.. --~--
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________________
वेदान्त
[ ६५
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लिपि
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्त्ता
-भापा
विशेप
समय ! सख्या
।
शङ्कराचार्य
श
२१६८ ज्ञानसमुद्र सुन्दरदास बहि० | १८४६ / ३६ | मलसीसर में लिखित
स० १७१० मे रचित ३२३७ | दत्तगीता साथै
-मूस० २०वीं श. ७
अगू २७१३ धर्मराजसवाद शङ्कराचाय सं० १९वीं श २ नाटकदीप सटीक | मू०विद्यारण्य , | १७६५६ पंचमप्रकरण (पच___ मुनि
दशी का) पत्तननगर टीरामकृष्ण
मे-लिखित । । २५२ | पचकोशविवेकप्रकरण- " , "
१७६५ ११ अष्टमप्रकरण (पचसटीक
दशी का ) | १२१३ पचदशी विवरणसहित , "
१७१३ ३०० | २७४० 1 पंचमकारशोधन
२०वीं श ४ | २५१ | पंचमहाभूतविवेक मू०विद्यारण्य , १७६५ | १६ | सप्तम प्रकरण प्रकरण सटीक टीरामकृष्ण
।- (पंचदशी)पत्तननगर
में लिखित । ८३४ पचीकरण सुरेश्वराचार्य ७४८ | पचीकरणवार्तिक
१६वीं श, ५ १२३४ | पचीकरण सार्थ
सत्र० १७२८१ प्रथम पत्र अप्राप्त।
नवानगर मे लिखित ८५४ पचीकरणानुवाद
७० १८वीं श१५ | अपूर्ण ३२४० विसत(विश्रान्ति)प्रकरण
हि० १८४५ | २६ (अपातक) पद्यानुवाद १६६ ब्रह्मसूत्रवृत्ति राम सं० १६वीं श| ३५८
। (१३४+
२२५) | ३३१४ ब्रह्मसहिता
१६वीं श. ८ २५४ ब्रह्मानन्दप्रकरण सटीक विद्यारण्यमुनि , १७६७ , -१६ १३ वाँ प्रकरण (द्वैतानन्द) टी०रामकृष्ण
(पचदशी का ) ब्रह्मानन्द (विपयानन्द), " " "
| १७६७ १६ । १५ वॉ प्रकरण प्रकरण सटीक
(पचदशी का) ब्रह्मानन्द (योगानन्द) । " " " .
२७६६, ३१ | १४ वॉ प्रकरण प्रकरण सटीक
। ( पचदशी का) महावाक्य ३७ । २४३ महावाक्यादर्श रामजी , १७५६ । (तत्त्वमसि पदोपरि)
पत्तननगर में लिक्षित
२५५
शङ्कराचार्य
"
१६वीं श
।
-
-
-
-
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________________
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
। कर्त्ता
भाषा
लिपि- | पत्र| समय | संख्या
विशेप
| २५६६ | रामगीताटीका
संस्कृत १८वीं श.
५
भयहर नगर मे लिखित ।
विश्वेश्वर
,
२०वीं श.
३
| १६३० | रामतापनी टीका
१३८ | रामोत्तरतापनीदीपिका ४१ ७६५ | वज्रसूची ७७६ | वज्रसूची
| वज्रसूची | वज्रसूची
शङ्कराचार्य
१३ २६७७
कृष्णगढ़ में लिखित
| वासिष्ठीभाष्य
वेदमिन्न
१८३८ । ३४
कुतीयाणा मे लिखित । रचना स० १७१६
२५
वेदान्तमहावाक्यभाषा (पद्य) वेदान्तसार
१६०
मनोहरदास ब्र०हि० १७५० निरंजनी कृष्णानन्द । सं० १६वीं श. (सदानन्द) सदानन्द
२३३ २५८७ २४०
वेदान्तसार वेदान्तसार वेदान्तसार टीका
नृसिंहसरस्वती ,
१६वीं श. ३३
३०१४
રૂદદ
१३६
वेदान्तसिद्धान्तदीपिका
१८वीं श. १४ शतप्रश्नी मनोहरदास ब्र०हि० | १८५५ | १६ | ककू मे लिखित । शुद्धाद्वैतमार्तण्डप्रकाश मू० गिरिधर | सं० १६वीं श. २० टीका सहित त्रिपाठ | टी०रामकृष्ण समाधितत्र वालावबोध | पर्वतधर्मार्थी | रा०गू० १७५६ ८५ भुजनगर में लिखित । सिद्धान्तबिन्दु
सं० १६वीं श. ८-६
३५०७
सिद्धान्तमुक्तावली
१६२५
सिद्धान्तरहस्य
१६२५
V७२
सिद्धान्तरहस्य
| वल्लभदीक्षित बालकृष्णभट्ट
, १८वीं श. १-२ , २०वीं श. .
१४८ | सेवाकौमुदी
Page #75
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________________
राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
हस्तलिखित ग्रन्थसूची (प्रथम भाग )
वारसमगअर्थमऊसवैयाकमुमुक्षाहायसोपावैगुरगमतीनिदानुनमानसशक्षोरियालेय त्यागेविनशमन विवेकवैरागोयाममोसोयाउपरनितितिक्षालयामेरसमसमाधान 'मोसमैनचौरकामाधानध्यान नदिनरापैमनतमरियादोहरा संवनसबासैमाहिती रहबरपवनीतापसवहैसैमहिकरीषमासना हिवतानागाजालौजवहीवाहसीलपक्षेस বিবাহবিকাশফায়াছবিৰহৰীঘলনাগুৰি मनोहरशासनिरंजनीसंथासिमाना भीरता सेवनयावनाइवादियोबारे २५ विज्ञान विश्वनाथामजान वासुदेवमितिनमहोय करमतमयराधं
देविसं . nin nwी श्री 1 नीलn ॥॥ श्री र
: .
ग्रन्थ सख्या ८५३ ।
वेदान्तमहावाक्यभाषा सवत् १७५० में लिखित ( रचनाकाल से ठीक ३४ वपं बाद की प्रति )
Page #76
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Page #77
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________________
क्रमांक, मन्याक
ग्रन्थ नाम
कर्त्ता
६१
२५६८
हस्तामलक सटीक
६२ । ३०१५ | हस्तामलकसवाद
वेदान्त
३३२६ | स्वात्मनिरूपण सटीक ! मू०शकराचार्य
त्रिपाठ
टी०सचिदा
नन्दसरस्वती
शकराचार्य
·
भाषा
स० १८नीं श.
"
लिपि -
समय
"
१७५३ ।
१६वीं श
पत्र
संख्या
२६
२
३
1
विशेष
[ ६७
जलालपुर में लिखित
Page #78
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________________
(८) योग
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
पत्र
ग्रन्थनाम
कर्ता
भापा
लिपिसमय | संख्या
विशेप
गोरक्ष
सस्कृत १६वीं श.
६
७६३ गोरक्षशतक
(योगशास्त्र) | ८५२ | योगवासिष्ठसार
पद्यानुवादसहित
मू० वसिष्ठ । , १८वीं श अनु० कवीन्द्रसरस्वती (१) ब्रज
३० । पद्यानुवाद रचना
मं०१७१४, अन्त्य | (३१ वॉ) पत्र | अप्राप्त । पत्तन मे लिखित।
हेमचन्द्र
or
| ३४३३ | योगशास्त्र प्रकाश
चतुष्टय ६४१ योगशास्त्रवालावबोध
| मेरुसुन्दर
राज० गू०१६वीं श. ६७
६
६४२ योगशास्त्रवालावबोध ३०३२ | योगशास्त्रवालाववोध | १०६६ | योगसार सस्तवक
८ | ११७३ | योगसूत्र सटीक
, , १६वीं श.y
!, १६वीं श ४८ मू० योगेन्द्रदेव अपभ्रश १८६४ ११ राधनपुर नगर मे स्त०
लिखित । राज० गू० मू० भगवान् । सस्कृत १८वीं श ४६ पतंजलि, टीका भोजदेव आत्माराम , १८७६ १२ आत्माराम , १६वीं श १-११ जीर्णप्रति ।
अवतीपुरी मे आत्माराम
१७०६
लिखित ।
| ७६४ हठप्रदीपिका | १८०२ हठप्रदीपिका
(१) ११ | ३०१३ | हठप्रदीपिका
योगीन्द्र
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________________
(6) दर्शनशास्त्र
-
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-
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-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कत्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
३६६७
| १५५५
२४८
तृतीयप्रकरण (पंचदशीका)
६७५
शि १५५२ तत्वाचन्ता
अन्ययोगव्यवच्छेद
सं० १५वीं श. १ द्वात्रिंशिका आप्तपरीक्षा विद्यानन्द
१७वीं श. ६२ कूटस्थदीपप्रकरण मू०विद्यारण्य | १७६५ १३ सटीक त्रिपाठ टीरामकृष्ण गणधरवादवालावबोध
१वीं श. ११ | गंगेश्वर सं० १६वीं श. ५३ अनुमानखंड तत्वदीप सटीक प्रथम | वल्लभदीक्षित प्रकरण तत्वविवेकप्रकरणसटीक विद्यारण्यमुनि , । त्रिपाठ
टी०रामकृष्ण तकौमदी
भास्कर शर्मा
१९१५
१८वीं श.
षष्ठ प्रकरण (पंचदशीका) ग्रन्थकार मुद्गलभट्ट के पुत्र थे।
केशवमिश्र
" "
" "
५६० तर्कभाषा ५६४ तर्कभाषा १५५४ | तर्कभाषा | २४६१ तकभाषा
२१ ३२
१६वीं श. | १७३१ । १६
| छप्पइयाग्राम में
लिखित।
१७वीं श. ३३
"
"
"
| RREE | तर्कभाया सटीक पचपाठ टी० चिन्नभट्ट
३४२६ | तर्कभापा सटिप्पण १७३३ तर्कभापावृत्ति वेनभट्ट २१६२ तर्कभापाप्रकाशिकाटीका बलभद्र
प्रकाशिकाटीका
१६८२ ३८ १६०७ १५६० | १०४
विगयपुर में लिखित पत्र १सेह अप्राप्त केशव मिश्र रचित तर्क भाषा की टीका नं०१७३५ संलग्न
| १७३४ तर्कवाद
१८०६
-
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-
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________________
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
- कर्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय संख्या |
विशेष
|
३३६८ | पड्दर्शनसमुच्चयसटीक | मू० हरिभद्र | संस्कृत १६वीं श. २५
टी विद्यातिलक ६८ | ३४२८ | पडदर्शनसमुच्चयसटीक | मू० हरिभद्र | त्रिपाठ
टी विद्यातिलक ११२२ सप्तनयविचार
सं०रा० ३६५२ | सप्तनयविवरण
, , सप्तपदार्थी शिवादित्य सप्तपदार्थी
१६वीं श सप्तपदार्थी
१६३१ | सप्तपदार्थी
१६वीं श. ४-८
स०
५५३
Wody
३४२४ सप्तपदार्थी ३६४५ सप्तपदार्थी
| १६६५
२६६८ | सप्तपदार्थी टिप्पण
१४८६
लेखक ने कर्त्ता का नाम शिवदेव मिश्र लिखा है। शिवादित्य रचित सप्तपदार्थी का टिप्पण शिमादित्य रचित सप्तपदार्थो की टीका
१७वीं श. २८
३४२५ | सप्तपदार्थी टीका माधव
मितभापिणी | सप्तपदार्थी सटीक मूशिवादित्य
टी० माधवाचार्य सप्तपदार्थी सटीक | ३००० | सप्तपदार्थी संदर्भटीका वलभद्र
५४६ साख्यसूत्र प्रदीपिका ३६४४ स्पर्शनाधिकार
१६१ स्फोटचन्द्रिका १५५० स्याद्वाहमंजरी
स्याद्वादरत्नाकर
१६वीं श. १५६१ शिवादित्य रचित
सप्तपदार्थी की टीका १८५६ | १२ १७वीं श हवीं श) १२ १५२७ ५५ । स० १४१२ मे रचित १७६४ | १७ | सूरति मे लिखित ।
कृष्णभट्ट मल्लिपेणसूरि देवाचार्य
३६५१
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________________
(१०) व्याकरणग्रन्थाः
-
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--
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--
-
लिपि-
क्रमांक ग्रन्थाङ्का
ग्रन्थनाम
कर्ता
भापा
पत्रसंख्या
विशेष
समय
MKocW.
tal
४५७ | अनिटकारिका
संस्कृत १७६५ | २४२५ अनिट्कारिका
१६वीं श. ६ ४४८ अनिटधातुसग्रह
१७वीं श. ३ २४४० | अव्ययार्थाः
, २०वीं श. ५ ३५८५ | आख्यातवृत्ति
१८२५ ११ | मेदिनीपुर में लिखित | उक्तिरत्नाकर । साधुसुन्दर सस्कृत १८७६
राज० गू उक्तिरत्नाकर
संस्कृत | १६६४, १६
राज० गू० २६४८ उक्तिसंग्रह भाष्य तिलक पण्डित संस्कृत १६वीं श. १२ (फोटोकापी)
राज० गू १८४६ उपादिप्रयोगव्युत्पत्ति ।
संस्कृत | १८६६ २१ ४४३ | एकादिशतान्तशब्द सहजकीर्ति , १७वीं श. २
साघनिका औक्तिक (फोटोकापी) । सोमप्रभ सस्कृत १६वीं श. १०प्लेट
राज० गू० श्रानन्दसुन्दर | आनन्दसुन्दर संस्कृत १७वीं श. १४प्लेट
राज० गू० औजढत् साधना
सस्कृत १८वीं श. १ ३४०७ कविकल्पद्म (धातु- बोपदेव
१६३१ । १६ | श्रीकारी सन्निवेश पाठ)
| मे लिखित । कातंत्रधातुपाठ
१८५७/ १-२ भुजनगर मे लिखित ।
४३०
४५४
५०
कातत्रविभ्रम ।
१७वीं श
२८ कातंत्रविभ्रम
-
-
-
-
-
-
Page #82
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________________
राजस्थान पुरातत्यान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्त्ता
लिपि- पत्रभापा ।
समय सख्या
विशेष
अन्नम्भट्ट
'मम्कृत १६वीं श.
६ ,
" "
५५१
२२६ तर्कसंग्रह ५४६
तर्कसंग्रह
| तर्कसंग्रह ५५६ । तर्कसंग्रह
तर्कसग्रह
तर्कसंग्रह २५ २४८७, तर्कसंग्रह २६ २४६० तर्कसंग्रह
१८वीं श. ( १८०२ १वी श
" "o
M
°३ ५
२०वीं श
E
२४८८
.१वीं श.
» * wi
५४८ तर्कसंग्रह टीका ५६३ | तर्कसंग्रह टीका
तर्कसंग्रहदीपिका टीका तर्कसग्रहद्दीपिका
१८वीं श. तर्कसंग्रहदीदिका
१८वीं | तर्कसंग्रहन्यायबोधिनी । रत्ननाथ टीका
(सुरतवासी) ५६७ तर्कसंग्रहन्यायत्रोधिनी | रत्ननाथ " १८३०
टीका
तर्कसंग्रह सटिप्पण अन्नभट्ट ३३६६ तार्किकरक्षा
वरदराज , १६२३ , ३६५० द्रव्यसग्रह (कवित्तवध) भगवतीदास वहि०१६वीं श. स. १७३१ में रचित । १६२१ द्रव्यसंग्रहवालाववोध पर्वतधर्मार्थी | रागू। १६८९ : ४५ १९२० | द्रव्यसग्रह भापार्थसहित नेमीचन्द्र अर्थ प्रा०रा० १९वीं श. ४८
रामचन्द्र २५३ द्वैतविवेक सटीक मू० विद्यारण्य स० १८वीं श १२ नवम प्रकरण टीवरामकृष्ण
(पंचदशीका) । ३६४८ । वर्मपरीक्षा अमितगति
१८ नागोर नगर में
लिखित । स० २०७०
मे रचित । १८१० धर्मपरीना मनोहरदास वहि० १८०५ ४५ । जीर्ण प्रति २११० धर्मपरीक्षा भापा (पद्य)
" , " १८४० ८३ ४३ । ३६४६ | धर्मपरीक्षा भापा (पद्य)
" " , १७८७ ४४. १०२३ | धर्मपरीक्षा सटीक यशोविजय प्रा०सं० १८वीं श, १२३ त्रिपाठ
उपाध्याय टी० स्वोयन
२७७६१
Page #83
--------------------------------------------------------------------------
________________
आमक सन्या
ソン ४४५ नयादिप
X3 KRA
भ
دن
y
४३
४% ५५०
४१.
५५
६६
१४१६
१६५० न्यायमाविना
धन्य नाम
ミジン व्यापारासर
४२५ पाणि
१७६
या न्यायवान्टीका
पार्यपा (फोटो)
५५ मानताका
रिपाठ
४४४ भातपरि
20 आ
फनी गा
याम्यति
नेप
एरिक
वासुदेव
ama
महार ति
नाव
निरोमलि
भट्टाचार्य
शिरोमण
सूदेवापार्य
नोपाया मिलन
दयानन
पान
कपन यश
2:
लिपि
समय
1:
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99%
2+3=1
经济作
चीन
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विशेष
ॐ
Page #84
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________________
७४]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पनसमय संख्या
विशेष
२६७
२१६
। ४०२ | कातंत्रविभ्रम सटीक टी० गोपाल संस्कृत | १६३४ | | २४३६ | कातंत्रविभ्रमावचूरि चारित्रसिंह , १८वीं श. सं० १६७५ में
धवलकपुर में रचित १६१५ कातत्रव्याकरणवृत्ति दुर्गसिंह
१५वीं श. ४२ तद्धितपर्यन्त १९२३ | कातंत्रव्याकरणवृत्ति
१४५०। ६७ आख्यातप्रक्रियापर्यन्त १६०६ | कातंत्रव्याकरणवृत्ति
१७वीं श. २५ कारकखण्डन श्रीमुनि
१८४० १५ कारकचक्र वररुचि
१७वीं श. ५ कारकतत्वम् शेषचक्रपाणि
| १७६२ / ११
पंडित ४३६ कारकपरीक्षा पशुपति
२७वीं श. ३५७६ । कारकपरीक्षा पशुपति
| " १८वीं श./
महोपाध्याय १६८६ | कारकलक्षण
अमर " १७वीं श. १६२ कारकवाद
जयराम , १६वीं श ४५८ कारकविभक्ति
सं०राज०१६वीं श. ७
गुर्जर | २४८६ कारकविवरण
सस्कृत १६वीं श, ४ १६६३ | क्रियारत्नसमुच्चय गुणरत्न
"१७वीं श६० किश्चिदपूर्ण ३३ | २६५३ गणदर्पण (फोटोकापी) कुमारपाल- , १५वीं श ३६प्लेट पत्र १,२ अप्राप्त,सं० कारित
१३८३ में देवगिरि में लिखित प्रतिकी
प्रतिलिपि। ३४ ४५६ / गवाक्शब्दरूपाणि
" १८५७ २
मुजनगर मे लिखित ३५ / २६६७ | गीर्वाणपदमंजरी व रद भट्ट !, १७३६ १०
आगरा महादुर्ग में
लिखित । | जल्पमजरी
१८वीं श. १०२४३६ तद्धितपटल सावरि । मू० वंगदास |
त्रिपाठ २४२३ तद्धितार्थपद्यानि
१६वीं श ३ ३१०२ तिटन्तप्रक्रिया
१६वीं श. (सारस्वत ?) १६५५ । दशलकारसारमंजरी सिद्धान्तवागीश
१६वींश ३१४२ द्विकमैकविचार
३२
१६वीं श
on
Page #85
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक ग्रन्थाक
४२ १६५ धातुतरंगिणी
४७
ग्रन्थ नाम
४३
४४ ३३६२ | घातुमंजरी
४५ ३४०० धातुमंजरी
४६
४६१ | धातुपाठटिप्पण
५१
२४३५
४६
४८ १६६४ | परिभाषेन्दुशेखर ४५५ | पाणिनीयधातुपाठ ४२६ | पाणिनीयव्याकरणसूत्र
५०
पाठ
१६०७ | पाणिनीयव्याकरण
काशीनाथ
२६६७ | धातुरत्नाकर ( धातुपाठ, साधुसुन्दर क्रियाकल्पलताका (सहित) उत्तरार्द्ध
पंच संधिव्याख्या
५२
सूत्रपाठ ३०८५ | पाणिनीयसज्ञाप्रक्रिया ५३ | ३५८३ पाणिनीया परिभाषा ५४ | ११७६ | पातजलमहाभाष्य
५५
१६६० प्रक्रियाकौमुदी ५६ | १६१२- प्रक्रिया कौमुदी
व्याकरण ग्रन्थाः
५७ २४३० प्रक्रियाकौमुदी ५८ ३५७६ प्रक्रियाकौमुदी ४३८ | प्रक्रियाकौमुदीवृत्ति
५६
कर्त्ता
कीर्ति
रघुनाथ
वैद्यनाथ
पाणिनि
"
""
पतञ्जलि
रामचंद्र
"
रामचद्राचार्य रामचद्र
कृष्णभट्ट
भाषा
संस्कृत
""
"
""
""
""
39
,,
"
""
"
""
"39
35
33
""
39
"
लिपि -
समय
१६५५
१८वीं श.
१७४६
१८वीं श.
१७६७
१८वीं श
१७३४
१६वीं श.
१६वीं श.
पत्र
संख्या
६६
८
२८
२०
१६४
१८६४ | १२४
१८वीं शः
२१
१८२८
२७
१६३६
१७२३
३८
२५
२
४
१७३६ | २१४
६१
६३
१६३१
६६
१८वीं श.
८५
१८वीं श. ३६७
विशेप
स्वोपज्ञ सारस्वत
धातुपाठ की वृत्ति ।
[ ७५
पत्र ५,६ अप्राप्त । नागपुर में लिखित |
खडेलवाल वंशीय मसिह की प्रार्थना से रचित |
राजनगर मे लिखित
रचना सं० १९६८०
कर्त्ता वृद्ध निगम
वास और विनायक
के
पुत्र थे 1
पत्र १ से २४ प्राप्त
"3
तृतीयाध्याय - प्रथमपादपर्यन्त । सुबन्तपर्यन्त । सुबन्तपर्यन्त । भुजनगर में लिखित आद्य
और अन्त्य पृष्ठ सुन्दर शोभन है । सुबन्तपर्यन्त ।
77
Page #86
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपिसमय | संख्या
विशेष
| सूरचंद्र
मू० वररुचि
"
| १६६२ प्रणम्यपदसमाधान
| संस्कृत १६वीं श. २ ६१ | ३०५४ | प्रबोधचन्द्रिका वैजलभूपाल
१८५२, १७ ११५८ प्राकृतकामधेनु
रावण
२०वीं श. ४ ६३ | १६८१ प्राकृतप्रकाश सटीक
१८८३ | २२
टी० भामह | १५४६ प्राकृतव्याकरण सटीक | हेमचन्द्र
१५वीं श. २५
टी०स्वोपज्ञ १६८२ प्राकृतानन्द रघुनाथ | प्राकृत
संस्कृत प्रौढमनोरमा भट्टोजीदीक्षत १७६८ | २०३
४३७
| १६५६
भाष्यप्रदीपव्याख्या प्रथमाहिक
नागोजीभट्ट
, १८वीं श. २१
| सिद्धांतकौमुदीव्याख्या । अव्ययपर्यात कर्ता शृंगवेरपुर के रामनृपति के आश्रित थे।
"
"
"
२१
१६५७ भाष्यप्रदीपव्याख्या
तृतीयाहिक २२३ भूपणसारदर्पण ४६३ मध्यसिद्धान्तकौमुदी १६६२ | लकारार्थनिर्णय
हरिवल्लभ वरदराज
,
, ३२७
१६वीं
गोपालदेव
लघुवैयाकरणभूषण- सारटीका लघुवैयाकरण भूपणसारटीका
,
१८वीं श. ७१
लघुभूषण की कान्ति. नामक टीकान्तर्गत। कातिनामक टीका। आख्यातपर्यन्त । कारक से समासार्थनिर्णयपर्यंत। कान्तिनामकटीका। कान्तिनामकटीका। प्रौढमनोरमाव्याख्यान । विभक्त्यर्थपर्यन्त। अपूर्ण ।
२१७
१६वीं श. ५० १४वीं श. १८७
२३१ लघुवैयाकरण भूषणसार
| लघुशब्दरत्न हरिदीक्षित -
लघुशब्देन्दुशेखर ४०३ लघुसिद्धान्तकौमुदी २६१६ लघुसिद्धान्तकौमुदी
वरदराज
१८४७
६०
१८६२
८७ । स्त्रीप्रत्ययपर्यन्त ।
पत्र ३८ वॉ अप्राप्त।
-
-
-
Page #87
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________________
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
*
८७
७६
ΤΟ
८१
४५१ | लिंगानुशासन
८२ | २४२४ | लिंगानुशासन ८३ | २४३२ लिंगानुशासन ८४ ३५६६ | लिंगानुशासन ८५ ३४०३ | लिंगानुशासनविवरण ४५३ | लिंगानुशासनविवरणो
८६
C
८६
६०
६१
६२
६३
६४
६५
६६
६७
555
ग्रन्थनाम
४४४ | लिंगनिर्णय
२६६ | लिंगानुशासन
६८
१६१७
वाक्यप्रकाश श्रौक्तिक सटीक
३३६७ वासनाविवरण
२४२६ | विपरीतग्रहण प्रकरण
३६४ | वैदिकप्रक्रिया २ | वैयाकरणकारिका
खड
१६५८ | शब्दकौस्तुभ व्याख्या ( भावप्रदीप ) ६६ | १६५६ | शब्दकौस्तुभव्याख्या
( भावप्रदीप )
व्यकरण-ग्रन्थाः
२२० | वैयाकरणभूषणसार २४३४ | वैयाकरणभूषणसार १५३ | वैयाकरणभूषणसार (स्फोटवाद )
२३५ | व्युत्पत्तिप्रकाश प्रथम
कर्त्ता भाषा
द्वार
४५२ लिंगानुशासन सविवरण हेमचंद्र
कल्याणसागर | संस्कृत १८वीं श. भट्टोजीदीक्षित
हेमचंद्र
हेमचंद्र
१७२८ | लिंगानुशासन सविवरण हेमचद्र
"
"
० स्वोपज्ञ
विवस्वोपज्ञ मू० उदयधर्म ० हर्षकुल
भीष्म
भट्टोजीदीक्षित
कौडभट्ट
35
99
""
कृष्णमिश्र
"
"
""
""
در
35
"
19
33
""
36
"
33
5
99
"
"
"
34
लिपि -
समय
"
१६८
१८५८
"हवीं श
१६६०
१६वीं श.
१६५७
१६वीं श
१८३६
१६६
१६६३
१७वीं श.
१८२८
१८५६
१८४३
35
"
"2
पत्र
संख्या
35
1=35
१५
८
६
४
६
१०
७६
१८
३७
५१
१८३३ अ
१७५२
१७वीं श.
१६वीं श
८
२
२८
६
55 ~ 200
१० मू० रचना स० १५०७
सिद्धपुर मे राडबर मे लिखित ।
४३
५४
५१
६८
विशेप
३३
{
सिद्धान्तकौमुदीगत |
सिद्धान्तकौमुदीगत ! पिप्पलोद में लिखित
मांडवी (कच्छ) में
लिखित |
विक्रमपुर में लिखित सिद्धान्तकौमुदीगत | दौफणिभाषित भाष्याब्धेः शब्दकौस्तुभ उद्धृतः । तत्र निर्णीत एवार्थः संक्षेपेणेह कथ्यते
मोग्राम मे लिखित
पत्र २२ वां तथा
५० वां प्राप्त । श्रह्निक १से३ पूर्ण, ४ था अपूर्ण । आह्निक ५-६
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________________
७८]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
-
--
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-
-
-
-
-
-
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-
-
क्रमांक प्रन्याक
ग्रन्थनाम
कर्ता
विशेप
लिपि- पत्रसमय | सख्या |
भाषा
सस्कृत १६वीं श.६
आहिक ७ वां।
आहिक ८ वां अपूर्ण
| १५३८
देव आदि ५० शब्दों की रूपसिद्धि।
१६६० शब्दकौस्तुभव्याख्या कृष्णमिश्र
(भावप्रदीप) १६६१ शब्दको तुभव्याख्या
(भावप्रदीप ) १६१८ शब्दपचाशिका सावचूरि
पचपाठ २३६ शब्दपरिच्छेद १६८७ शब्दप्रभेद दन्तोष्ठय महेश्वरकवि
वकारभेद ऊष्मभेद | १६०६ शब्दशोभाव्याकरण १०६ ३५८१ शब्दशोभाव्याकरण १०७ । २२१ शब्देन्दुशेखरटीकाभैरवमिश्र
१९वीं श. १६ १६वीं श. ४
नीलकठ
१७वीं श. २४ १७५६
सं०१६६३ में रचना स० १६६३ मे रचित । कारकपर्यंत । चन्द्रकलाभिधानाटीका।
१६१० | ३७३
काशीनाथ
१७३६ १६वीं
१८२ १६वीं श
र मे लिखित
१.८ २७७ शिक्षाज्योतिषपिंगलादि २०६२४४३ शिशुवोध ११०३५८९ पटकारकप्रक्रिया
३५ समासप्रकरण ११२ १६ समासवाद २६४६ सस्कृतप्राकृत उक्ति
समास (फोटोकापी) सस्कृतमञ्जरी
१११
५
जयराम
११३
१७वीं श.
८
ध्वीं श
६
आदी-कुत्रत्याभवन्तः ? कां दिशमलकुर्वन्तिस्म? कृष्णगढ मे लिखित
११५ २४६२ | सस्कृतमञ्जरी ११६
२४७८ सस्कृतमञ्जरी
३२३३ सस्कृतमञ्जरी १५८ २८५
सारसिद्धान्तकौमुदी ३०५८ सारस्वतकृदन्तप्रक्रिया
| १८६० ५ | १९२२ १६वीं श २०वीं श. १६वीं श, २६
M6m
वरदराज | अनुभूतिस्वरूपाचार्य क्षेमेन्द्र
१२०
४६० सारस्वतटिप्पण १२१ | २६६४ सारस्वतटिप्पण
,
१८वीं श. १२
Page #89
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________________
व्याकरण-ग्रन्थाः
[७६
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
| लिपि- पत्रभाषा
समय । संख्या
विशेष
सं० १७वीं श. १७
१२२ | ३३४८ | सारस्वतटिप्पण १२३ | ३३६० | सारस्वतटिप्पण
क्षेमेन्द्र धनेश्वर
प्रथम पत्र अप्राप्त क्षेमेन्द्रकृत सारस्वत टिपण का खण्डन है ! पत्र १ तथा ७० वां अप्राप्त । नागपुर मे लिखित । सिद्धांतरत्नावली नामकटीका । आदि अत्यपत्रों के पृष्ठ सुन्दर, शोभन हैं।
१२४
४४१ सारस्वतटीका
माधवभट्ट
१८वीं श. ६४
१२५ १६८९ | सारस्वतटीका
पुखराज
पुञ्जराज
१६२१, ७४
अतरपल्लीग्राम में लिखित । श्रत में प्रथकार पुंजराजनरेश का विस्तृत वंश वर्णन है।
१२६ / २६६२ | सारस्वत १२७ ३३४५
सारस्वतटीका
१६६० सारस्वतटीका
कृष्णभट्ट
राय श्रीउदयसंघ के । राज्य में लिखित । पत्र ४१से६२ जीर्ण हैं । द्विरुक्तप्रक्रिया पर्यन्त। भुजनगर में लिखित
सारस्वत त्यन्तप्रक्रिया
४४० सारस्वत दीपिकाटीका | चद्रकीर्ति
१२६
आदि अंत के पृष्ठ शोभन है। पत्र १२८ वां चित्रयुक्त है। फलवदी (धि) नगर मे लिखित ।
४४५ सारस्वत दीपिकाटीका
४४६ १२०२
सारस्वत दीपिकाटीका सारस्वत दीपिकाटीका प्रथमावृत्ति सारस्वत दीपिकाटीका
| २६६३
Page #90
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________________
८०]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता भापा
लिपि- पत्रसमय | मख्या
विशेष
SACT
१३५ | ३३४६ । सारस्वत दीपिकाटीका चद्रकीर्ति १३६ | ३३४७ सारस्वत दीपिकाटीका "
२४३८ सारस्वत धातुपाठ हपकाति २६६५ सारस्वत धातुपाठ ३३५० सारस्वत धातुपाठ
संस्कृत १७वीं श. ८४
,१४३ १७६३ ११
। १७३४८ , १७वीं श १-७
विक्रमपुर मे लिखित
"
१८वीं श,
४ ५
जेसलमेरु मे लिखित
१७४४ मू०सं० १७५६ वागुल मस्कृत १८७६
नागोर मे लिखित
३५८६ सारस्वत धातुपाठ
अनुभूति
स्वरूपाचार्य २४३३ सारस्वत धातुपाठ ४४२ सारस्वत धातुपाठ
वालावबोधसहित ३५८७ | सारस्वत धातुपाठ
व्याख्या २८६६ सारस्वत धातुपाठ सटीक हर्पकीर्ति ।
टी०स्वोपज्ञ सारस्वत धातुपाठ सवालावबोध सारस्वत धातुपाठ सवालाववोध त्रिपाठ सारस्वत धातुपाठ हर्पकीर्ति
सविवरण वि०स्वोपज्ञ ३५६४ सारस्वतपचसंधि
|,
१७६३
४
सं०राज०१७वीं श. गुज० मू०स० १७वीं श.
४
२६६६
सस्कृत
१८१५
१८६१
यशोवती नगरी में लिखित । बगड़ीनगर में लिखित । फुलेथनगर मे लिखित ।
३३८४ | सारस्वतप्रक्रिया
"
१७२४
सारस्वतप्रक्रिया
१७८६
अनुभूतिस्वरूपाचार्य अनुभूतिस्वरूपाचार्य अनुभूतिस्वरूपाचार्य
३३४४
सारस्वतप्रक्रिया
१७३२
५५ मेहरानगर मे लिखित,
आख्यात कृदन्त
प्रक्रिया ३३
१५२ | २६५६ | सारस्वतप्रक्रिया
,
२७वीं श
१५३ | ३०६३ | सारस्वतप्रक्रिया
अनुभूतिस्वरूपाचार्य अनुभूतिस्वरूपाचार्य
128ळशा
आख्यातप्रक्रिया पर्यन्त ।
Page #91
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________________
व्यकरण-ग्रन्थाः
[८१
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
• कर्ता | भाषा
ग्रन्थनाम
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेप
१५४ । २०६८ सारस्वतप्रक्रिया
संस्कृत '१६वीं श. ५५
१५५ : २४२१ सारस्वतप्रक्रिया १५६ १६०५ | सारस्वतप्रक्रिया १५७ | १६६४ सारस्वतप्रक्रिया १५८ ४६७ : मारस्वतप्रक्रिया
अनुभूति- स्वरूपाचार्य अनुभूतिस्वरूपाचार्य अनुभूतिस्वरुपाचार्य
अनुभूति। स्वरूपाचार्य
अनुभूति- :: स्वरूपाचार्य
अनुभूति- स्वरूपाचार्य
१८३८ ७५ (१७वीं श. ४८ । १८१८ । ७२ मांडवी मे लिखित। १७२० / ५६ अंजार नगर में
लिखित ।
स्यादिप्रक्रिया
। पर्यन्त। २७वीं श. ६१ १६वीं श. ८१ १४४५. ११७ । राजनगर में लिखित
१५६ : १८६१ | मारस्वतप्रक्रिया
,
१६० :५८० . सारस्वतप्रक्रिया
अतुभूति
"
स्वरुपाचार्य
१६१३ / ४४ । कृदन्तप्रक्रिया। 1 १६१३ / ११३ आख्यात प्रक्रिया । १८वीं श. ११२ ! , ५८०३ / २२ । श्राख्यातपर्यन्त । १८१४ १०१ । नवानगर मे लिखित
१६१ ३१५४ : मारस्वतप्रक्रिया (कृदंत) अनुभूति.. ,
स्वरूपाचार्य १६२ २६६० । सारस्वतप्रक्रिया
मूअनुभूतिटिप्पणसहित स्वरूपाचार्य १६३ । ४६४ : सारस्वतप्रक्रियाटीका महीदास १६४ ४६५ । मारस्वतप्रक्रियाटीका १६५ ४६६ । सारस्वतप्रक्रियाटीका , १६६ , ४५६ ' सारस्वतप्रक्रियाटीका ". १. १३२३ : सारस्वतप्रक्रिया प्रथमा अनुभूति
वृत्ति सारस्वतप्रक्रिया द्वितीया अनुभूति-. वृत्ति
स्वरूपाचार्य । सारस्वतप्रक्रिया वाला- मूल्अनुभूति-, वबोधसहित
स्वरूपाचार्य - १७० १ १६१३ / सारस्वतप्रक्रिया सटीक मूअनुभूति-,
| स्वरूपाचार्य
! टी०पुखराज । १७१ , १६१४ | सारस्वतप्रक्रिया सटीक मू०अनुभूति--,
। स्वरूपाचार्य टीपुञ्जराज
: स्वरूपाचार्य
। १८०२ । ११६ । नौतनपुर मे लिखित
। १८१३ । ४८ । स्याद्यन्त, प्रथमपत्र
| अप्राप्त। । १६५४ : ६७ । रामपुरा में लिखित
। १५६८ । ६२ ।
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________________
राजस्थान पुरातत्नान्वेपण मन्दिर
-
-
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-
--
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-
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-
-
-
--
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक
लिपि- पत्रसमय , संख्या
विशेष
कर्ता । भाषा
ग्रन्थनाम
१७२ । १५४८ । सारस्वतप्रक्रिया सटीक मूअनुभूति- ! सस्कृत । १७३२ १६८ चक्रापुरी में लिखित त्रिपाठ
स्वरूपाचार्य ।
टीचंद्रकीर्ति १७३ । ३३४६ सारस्वतप्रक्रिया सटीक मृ०अनुभूति- । १७०४ । २५५ । श्रीयशवतसिहजी त्रिपाठ स्वरूपाचार्य
शासित जावालटी०चंद्रकीर्ति
पुर में लिग्वित । २७४ ७६ । सारस्वतप्रक्रिया मटीक मू०अनुभूति- १७२७ त्रिपाठ
स्वरूपाचाये
टी०चद्रकीर्ति १७५ २६५७ मारस्वतप्रसाद भट्टवामुदेव , १८७५ ११० रचना स० १६३४।
कोटला मे लिखित। १७६ २६६१ सारस्वतभाष्य काशीनाथ
१८६०५६ १७७ १५४७ मारस्वतलघुभाष्य रघुनाथनागर , १७६८ २५२ फर्ता हाटकेशपुर
निवासी थे । २१६वे पत्र के प्रथम पृष्ट मे पूर्वाद्ध पूर्ण, उसी स्थान पर सवत है। उत्तरार्द्ध अपूर्ण
१७८ २१६ : सारस्वतवृत्ति जानन्द्रसरस्वती ,, , १९वीं श ४ स्त्रीप्रत्यय पर्यन्त १७६ । ४०५ ! सारस्वतवृत्ति सिद्धान्त- 'माधव
१६६४ ११२ नवानगर म लिखित रत्नावली १८० ४३२ । सारस्वतसारप्रदीपिका जगन्नाथ
१६७४ ५६ टीका १८१ ४४६ सारस्वतसूत्रपाठ
१७५७ ७ , पाटण में लिखित १८२ २४२७ । सारस्वतसूत्रपाठ
१६वीं श. ३ १८३ २६५८ ' सारस्वतसूत्रपाठ
१६वीं श २ । सप्तशतसूत्राणि १८४ । ३१०० सारस्वतसत्रपाठ
१६वीं श . १८५ । ३०८८ सारस्वतसूत्रपाठ
१६वीं श. ४ . १८६ ३१५६ सारस्वतसूत्रपाठ
; १६०७ ११ १८७ । ३३४२ सारस्वतसूत्रपाठ
, १६६१ ४ श्रीरायसिह के
शासन में लिखित। १८८ ३३५२ . सारस्वताख्यातवृत्ति महीदाम , १८वीं श. ८५ ! प्रथम पत्र में श्रीदेवी
' का चित्र है।
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________________
[८३
व्याकरण-ग्रन्थाः
-
-
-
-
-
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-
-
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- -
-
- -
-
- -
-
-
-
-
-
क्रमाक ग्रन्थाङ्क
विशेष
ग्रन्थ नाम
कर्ता
लिपि- पत्रसमय संख्या
भाषा
x
१६वीं श. ३२६
१८६, १६८३ सिद्धशब्दरुपमाला । वररुचि संस्कृत १६० - ४३१ सिद्धहेमशब्दानुशासन | हेमचंद्राचार्य । । १५०४ ३७ चतुर्थाध्याय पर्यन्त। अवचूरि
भाकपद्र नगर में
लिखित । ४३५ : सिद्धहमशब्दानुशासन
, १५वीं श.। ३६ चतुर्थाध्याय पर्यन्त । अवचूरि ४३६ ' सिद्धहेमशब्दानुशासन
,,, १६ सेऽ७ । द्वितीयाध्याय से अवचुरि
पचमाध्याय पर्यन्त। १६३ । ३३६३ सिद्धह्मशब्दानुशासन
१७वीं श.: ८ पत्र १-२ अप्राप्त । दशपाढदुढिका सिद्धहमशब्दानुशासन
१५वीं श. ६ वातुपाठ १६५ ३३६४ सिद्धहेमशब्दानुशासन उदयमौभाग्य ,, १७वीं श १७२
प्राकृतव्याकरणदुंढिका१६६ ४०४ सिद्धान्तकौमुदी भट्टोजीदीक्षित , १६७ । ३३६६ , सिद्धान्तकौमुदी
१७वीं श. २०५ । १६८ ३५८४ | सिद्धान्तकौमुदी
१६वीं श. २६८ १६६ १२ सिद्धान्तकौमुदी पूर्वार्ध
१८५७ १५५ मोतीमहल मे लिग्वित २०० ३५६१ · सिद्धान्तकौमुदी उत्तरार्ध ।
१९वीं श. २१० २०१ ४२८ | सिद्धान्तकौमुदी टिप्पण।
। १८२७ १८६ सूरेत (सूरत) बिन्दर सहित
में लिखित । २०२ - २२२ सिद्धान्तकौमुदी
१६वीं श. ७६ | अव्ययपर्यन्त तत्वव्याख्या
बोधिनी व्याख्या। २०३ ' ३१०५ सिद्धान्तकौमुदी
' , , १२६ | समासाश्रयविधिव्याख्या नत्वबोधिनी
पर्यन्त। २०४, १८५० मिद्धान्तचन्द्रिका
रामाश्रम
। १८५०! ३५ । कृदन्तप्रक्रिया २०५ १६११ । सिद्धान्तचन्द्रिका
१७वीं श ५२ २४२० । सिद्धान्तचन्द्रिका
'१६वीं श १० तृतीया (कृत) वृत्ति। २०७ / २८६ सिद्धान्तचन्द्रिका
। १८५२ / १०७ २०८ : ३११० सिद्धान्तचन्द्रिका
___ १६वीं श. १६ । विभक्त्यर्थ तथा
समासप्रक्रियामात्र २०६ २४४१ । सिद्वान्तचन्द्रिका पूर्वार्धं
, १८वीं श.. ३६ तद्धितप्रक्रिया
पर्यन्त। २१० ३०७६ सिद्धान्तचन्द्रिका पूर्वाध रामचन्द्राश्रम, ,, २०वीं श. १२
Page #94
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________________
४]
क्रमांक प्रन्धाक
२१४ | १६०८ | सिद्धान्तचन्द्रिका
1 टिप्परसहित
४६२ | सिद्धान्तचन्द्रिका टिप्पणसहित
२१६ ३३६१ सिद्धान्तचद्रिका तत्वदीपिकाव्याख्या
२१७ | ३५८६ | सिद्धान्तचन्द्रिका पचसंधिव्याख्या
२१५
२११
३३५१ सिद्धान्तचन्द्रिका पूर्वार्ध रामचन्द्राश्रम संस्कृत
सटिप्पण
२१९२ २४४२ सिद्धान्त चन्द्रिका २१३ | ३५८२ | सिद्धान्तचन्द्रिका ख्यातवृत्ति
२२२
1
२२३ ।
ग्रन्थनाम
२४२८
२५२२
२२६
s
=
२२५ | ३३५०
(२)
३५६०
४४७
४३४
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
रघुनाथ
२१८ | ३५७७ | सिद्धान्तचन्द्रिकाव्या- | सदानद ख्या सटिप्पण पूर्वार्ध
।
२१६ | ३५७= | सिद्धान्त चन्द्रिकाव्याख्या सटिपण उत्तरार्ध
२२० | ३३६= | सिद्धान्तचन्द्रिका
टिप्पण पूर्वार्ध
२२१ । ३३६६ सिद्धान्तचन्द्रिका टिप्पण उत्तरार्ध
२२४ | २४२६ सिद्धान्तचन्द्रिका सुवो
धिनीवृत्ति उत्तरार्ध सेट्अनिट्कारिका
1
स्यादिशब्दसमुच्चय
मधातुपाट हम धातुपाठ मावचूरि
पचपाठ
३३६५ हेमवानुपारायग
}
**
२३० १६१६ हेमविभ्रम
कर्त्ता भाषा
रामाश्रम
शङ्कर
रामाश्रम
रामचन्द्राश्रम |
शकर
' सिद्धान्तचन्द्रिका सुवो ! महानद धिनीवृत्ति पूर्वार्ध सिद्धान्तचन्द्रिका सुवोधिनीवृत्ति उत्तरार्ध
1
"
रामचन्द्राश्रम |
25
""
""
अमरचन्द्र
हेमचन्द्र
11
देवसूरिशिष्य
"
59
"
36
"
"
""
"
در
31
"
99
ܕܙ
ار
"
"
"
"
"
लिपि -
समय
१७५५
१७६५
१९०६
| १७५३
| १६०२
पत्र
सख्या
२४
७१
४१
१८वींश. १०१
१८वी श.
| १८वीं श.
敬
८२
१८४७
१५त्रीं श. (१५वीं श.
।
४२
Ξε
१६०२ ११४
| १८६२ | ४=
१८६१
१६वीं श| १२४
१६२१ १२५
| १६वीं श. १२७
1
१७वीं श' ७ वॉ
६
1
१७वीं श| १२७
१५वीं श. ४
विशेष
योधदुर्ग में लिखित |
सं० १७४१ में रचित, रियां में लिखित |
सेरगढ़ में लिखित |
सुरगढ़ में लिखित |
39
""
२ मरतबिंदर में लिखित ।
३
माम मे लिखित
Page #95
--------------------------------------------------------------------------
Page #96
--------------------------------------------------------------------------
________________
८६ ]
b0000">09-(><><><>()-(-8000-6-42TB
क्रमांक प्रथाक
१३
१४
१५
१६
५४३ | अभिधानचिन्तामणि
१७ | २४४५ | श्रभिधानचिन्तामणि । १८ | ३४०१ श्रभिघानचिन्तामणि १६ | १९१६ श्रभिधानचिन्तामणि
५२८ | अभिधानचिन्तामणि हेमचन्द्र
५३६ श्रभिधानचिन्तामणि
५४२ | प्रभिधानचिन्तामणि
२७
२८
ग्रन्थनाम
२२ । ५३८ श्रभिधानचिन्तामणि
1
सावचूरि पचपाठ
२३ । ४०१ अमरकोश
२४ १२५३ अमरकोश
२५ | १३३६ अमरकोश
२६
२४४४ अमरकोश
२८७० मरकोश
२९०२ | अमरकोश
E
३५६५ श्रमरकोश
३० / ३५६६ | श्रमरकोश
राजस्थान पुरातत्त्रान्वेषण मन्दिर
३२ २६४३ ३०८७
३४
२५
૩૬
(१)
२१ श्रमरकोश प्रथम ड
3088
१४४
२०७२
(२)
२० . १७२६ | अभिधानचिन्तामरिण | हेमचन्द्र सटीक त्रिपाठ टी० स्त्रोपज्ञ २१ | ३४०२ | श्रभिधानचिन्तामणि | हेमचन्द्र सटीक
टी० स्त्रोपन हेमचन्द्र
अमरमिद्द
कर्त्ता
अमरकोश प्रथम काण्ड अमरकोश प्रथम काण्ड अमरकोश प्रथम काण्ड अमरकोश द्वितीय सड
श्रमरकोश द्वितीय काण्ड
"
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دو
39
33
23
37
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21
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|
भाषा
संस्कृत १६वींश. १३१
१८वीं श.
६५.
१७०७
७५
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39
כ
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131
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23
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33
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लिपि - पत्र
समय
संख्या
१७६४
| १८वीं श
१७४४
| १८वीं श.
i
१६५८
| १७वी श. १८०
१६वीं श. દર્
१५४८ કર્
२०वीं श.
ग
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४५
६५
१६वीं श. १७
४२
१७
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१६३
१६१२
१व ग.
१८६६ ५७
१८०४
१०५
नवीनपुर में लिखित
१८८६ १२८ कृष्णगढ में लिखित
३६
अपूर्ण
१८८३
૬
૨
७३
/
१८६२ ।१ – ११० दैत्यारि दुर्ग में
लिखित |
पत्र १, १४ तथा प्राप्त
२२ वा
४१
५०
33
>-->-->---
1
विशेप
शेषकांड
गूर्जर भाषा वीजक
सहित | को
नगर में लिखित |
कराडिया ग्राम में लिखित |
पत्र ४ था अप्राप्त ।
शेष सहित
मुनि विवेककलशलिखित |
कृष्णगढ़ मे लिखित
Page #97
--------------------------------------------------------------------------
________________
. कोश-प्रन्या. .
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
__ कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
संस्कृत १९वीं श. २५ , ,
३७ ३३३० अमरकोश तृतीयकाण्ड अमरसिंह ३० ३६०२ अमरकोशटीका प्रथम भानुजीदीक्षित
काण्ड ३६ ३५६२ अमरकोशटीका प्रथम
काण्ड अमरकोशटीका द्वितीय
काण्ड ३६०३ / अमरकोशटीका द्वितीय,
काण्ड ३५६४ अमरकोशटीका तृतीय ।
काण्ड ४३ ३६०४ | अमरकोशटीका तृतीय ; ,
काण्ड ४४ ३६ अमरकोश मटीक। मू० अमरसिह त्रिपाट
टी० भानुजी
दीक्षित । ५३४ । अमरकोशोद्घाटन क्षीरस्वामी ११५७ एकानरकोश मनोहर ११२६ । एकाक्षरनाममाला मुधाकलश
, १७वीं श. ४० । अपूर्ण प्रति ।
, " "
१६वीं श. ५७ । प्रथम काड । १८८४ २ १८वीं श.६५से६७'
२४४६ एकाक्षरनाममाला ५२४
एकाक्षरनाममाला ३३५६
एकाक्षरनाममाला
एकाक्षरनाममाला ५२३ । एकाक्षरनाममाला । ११२६ काचरनाममाला
(३) ३५६६ एकाक्षरनाममाला
" १७वीं श। ५वा सौमरि विश्वशभु
___" १७वीं श ३ । योधपुर मे लिखित । रतनूवीरभाण , , १८५६ - २ । अमरकचि
१६वीं श, १ "१८वीं श६५वा
अमरकवीन्द्र
१८६२ ११०- । दैत्यारि दुर्ग मे
१११ / लिखित १८८३, ५ मानकुआ मे लिखित
५४४ ५६ २४४६
२४५०
१९२४६
एकाक्षरनाममाला मार्थ | अमरकवि एकाक्षरनाममाला कालीदास व्यास एकाक्षरनाममाला एकाक्षरनाममाला कालीदास
दामोदरत्मज
१६वीं श. १८वीं श.
७ ८
"
-
-
-
-
--
-
-
Page #98
--------------------------------------------------------------------------
________________
८]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
| लिपि- | पत्र| भाषा
समय | संख्या
कर्ता
विशेष
ग्रन्थनाम
१८६६
| नरसिह
संस्कृत
धन्वतरि
। २७
निघण्टु
धन्वंतरि
५६ १७७१ | गणितनाममाला हरिदत्त सस्कृत १८१४ | भुजनगर में लिखित | २४५१ गणितनाममाला
१७वीं श. ६१ ६२६ ज्योतिषनासमाला ६२ ५२२ भाषानाममाला
१८५६ ६३ | १७२६ नाममाला
नंददास
१६२० ६४ ५२५ नाममाला
धनंजय
१८१५
भुजनगर मे लिखित ६५ ३३५३ नाममाला
१६८८ १६६ | निघण्टु
१८३१ ३८२५ निघण्टु
१८८८ ३८४०
१७७५
| जैसलमेरु मे लिखित निघण्टु ३८४७
१७६४ २७
| रतनपुरी में लिखित १७२७ निघण्टुनाममाला
१६वीं श. २० किंचित् अपूर्ण ३५३१ निघण्टुनाममाला
धनंजय
| १६४३ ५ प्रथम परिच्छेद पर्यन्त निघण्टुनाममाल
| १७८८ ७४६ । ७३/ २४०० निघण्टुशास्त्र
१६वीं श. २६ । पाईयलच्छीनाममाला | पं० धनपाल । प्राकृत १८वीं श. १० । रचना सवत्तथा अनेकार्थनाममाला
। १०२६, सुन्दरी प्रथम कांड
| नामक वहिन के
। लिये रचना की। ५२६ | पारसातनाममाला कुअरकुशल व्रज हि० १८५७ २४४८ | बृहत्कणाभरणकोश हरिचरणदास , १९०५ ५७ । सं०१८३८ मे चैन
| पुर मे रचित । २७८८ | मातृका निघण्टु महीदाम संस्कृत | १६५ ५ । पुष्करारण्यस्थजाट
कुंज में लिखित ३०६४ मातृका निघण्टु
__, २०वीं श ३ । (एकाक्षरकोश) मानमजरीनाममाला नन्ददास ब्रज हि० १८७७ / १२ मानकूत्रा मे लिखित | मानमंजरी नाममाला ।
, १८वीं श. १०। ११२६ मानमंजरी नाममाला । , , १८२७ १२से२३' (२) १८७६ | मानमजरी नाममाला । . " १८वीं श.६७-१०८ गुटका
(२) ८३ ३५१७ मानमजरी नाममामा
":१८३३ वालोतरा में लिखित | ३६०० मानमजरी नाममाला
,, १८६२ १३ । कंटालीया मै लिखित
५.५ ५३६
Page #99
--------------------------------------------------------------------------
________________
• कोश-प्रन्थाः --
[८६
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्त्ता, भापा
लिपिसमय
पत्रसख्या
विशेष
८५ ३६०६ -मानमंजरीनाममाला ८६ ३६०८ मानमंजरीनाममाला | ५३२ -मानमजरीनाममाला
तथा रसमंजरी ८८ २४४७ | लघुकर्णाभरणकोश
२८६३ वस्त्रपल्लवी (६३) १५७८ शारदीयानाममाला
नन्ददास वहि० १८६५/ १८ सुरजगढ़ में लिखित
१८४१ ६ पत्तन मे लिखित ।
| १७६८ २४ । ।। हरिचरणदास , १८८४ | १६ | अजमेर मे लिखित
सस्कृत १७वीं श. १६०वा | दोश्लोक हैं। , १६वीं श. २४ ।
। हर्षकीर्ति
६१ ३५६- शारदीयानाममाला ६२ | २६०१ शारदीयानाममाला ६३ | ३६०५ शारदीयानाममाला ६४ ३६०७ शारदीयानाममाला
प्रथम काण्ड ५२६ शेषनाममाला
शेपमग्रहह्मारोद्धार
१८६४ : २४ । सुरजगढ़ मे लिखित १८०७
१३ सवराड़ में लिखित । १८३१ ।
१३ रीया गांव मे लिखित १८३६ . ११ । पाली में लिखित ।
"
हेमचन्द्र
मानकुआ में लिखित
" "
१८५८ । १० १७वीं श १-५
६७ / २०५६ श्रुतिभूषण हरिचरणदास व्रज हि०/२०वीं श १३ । एकाक्षर एव कान्त
खान्त शब्दों से षान्त शब्द पर्यन्त, पश्चात् किंचित
अपूर्ण। ६८२७४१ सदाशिवकलापोडशक
सस्कृत २०वीं श. १ ६६३५६१ सरस्वतीनाममाला | महादास भाटवजाहि० १७२६ / अत्य १३ पन त्रुटित
११२० सुबोधचन्द्रिका अने-
कार्थनाममाला
फकीरचद चौहाण
,
१८२८
६०
एकाक्षर अनेकाक्षर सोभरीनाममाला के
आधार से संवत् १८०० में रचित । पाप. खाख.र में लिखित । मानकुत्रा ग्राम मे लिखित । स०,१७७६ । में रचित।
_ १०९ ५३३ हरिजसनाममाला
रतनू इमीर
राज०१८
Page #100
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________________
१०]
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
। कर्ता भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
संस्कृत १६वीं श.
३
| ७६८ | हरिनाममाला | ७६० | हरिनाममाला
हरिशब्दार्थ द्योतक शब्दों का संग्रह। हरिशब्द के पर्यायवाची शब्दों के पद्य
"
| १६०३ |
बलराज (शंकराचार्य)
१०४ १८८२ | हरिनाममाला
ब्रज
१६वीं श.७६-१
-
-
-
-
Page #101
--------------------------------------------------------------------------
________________
T
A
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
१
६३५ | अकडमचक्र २ | २५४५ | अकडमचक्रविधि
6 ू
३ | २५६७ | अकडमचक्रविधि
४
१७६७ | अक्षयतृतीयाविचारादि
५ | ३८०२ | अक्षरचूडामणि ६ ६२१ अयोदय तथा शुक्रोदय विचार
८
(c
ग्रन्थनाम
१०
(१२) ज्योतिष - गणितादि
१७६४ अङ्गविद्या २८६३ | अङ्गविद्या
(७६)
११२३ अङ्गस्फुरण विचार
(१७)
२८६३ | अधिकमासविचारादि
(१११)
११ | ३७४२ | अबयदीशकुनावली
१२ | ३७५८
वयदीशकुनावली
१३ ३७२१ अयनांशकरणविधिश्रादि
१४ | १७५३ | अर्धकाण्ड
१५ | २६४४ अर्घकाण्ड १६ | ३७७६ | अर्घकाण्ड २० | अर्धदीपक
१७
१८ | २८६३ | अर्धप्रकरणवर्णन (४६)
१६ २८६३ श्रश्लेपाविचार
(६५)
कर्त्ता
सतोदास
हेमप्रभ
भाषा
संस्कृत १७०७
१८३३
२०वीं श.
१६वीं श.
39
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रा०गु०
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रा० गु०
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33
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लिपि -
समय
ر
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१८वीं श. ११वीं श.
सं०रा० गू०
रा० १८वीं श हि०
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11
सं०
36
१८८२
रा०गु० १६वीं श.
"
संस्कृत १८वीं श
१
" 13
१७वी श. १४१वां
"
A
१६वीं श.
| १८र्वी श. १६वीं श.
"
पत्र
संख्या
१
१
M1043
"
१
१
वां
१६८वां
o x x x x we so
३
२४
३
१४
१५
|रा० गु० १७औँ श. वां
१३२वां
१६
१४
विशेष
सूरत में लिखित
उदेपुर में लिखित |
विक्रमपुर में लिखित
किंचित् अपूर्ण
पत्र ६ ठा अप्राप्त ।
पत्र १३ वां प्राप्त | धान्यादि मूल्य के विषय में हानि वृद्धि द्योतकप्रकरण हैं ।
Page #102
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________________
____६२]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
-
-
-
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-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
| लिपि
पत्रभाषा
समय संख्या
विशेष
जैमिनी
२० । ३२६२ अष्टचत्वारिशत्सहमानि
संस्कृत १८वीं श. १ २५६१ । अष्टाविंशतियोग तथा
, १६वीं श. ५ द्वादशभावफल ६५३ अष्टोत्तरीदशाफल ३२३८ | अष्टोत्तरीमहादशाफल
१८७४ १६ २४ | १६६५ अष्टोत्तरी दशाफल
१७वीं श. ४ २५ । ३४४८ आरंभसिद्धि सटीक मू० उदयप्रभ , १६६२ / ११८ स० १५१४ मे आशा | टी० हेमहंस
पल्ली मे टीका रचना | २८६३ श्रापाढीपूर्णिमा विचार । | सं०रा० १७वीं श. १६४वा
(१०४) श्रादि २७ ३२३६ । उपकरणविधि आदि
गु० १६वीं श. ६ ( भुजनगर मे लिखित ११६३ | उपदेशसूत्र
स० २०वीं श. ६ १५५६ करणकुतूहल भास्कर
१८वीं श । ६०८ करणकुतूहल
। १७२५ , १० ब्रह्मसिद्धान्ततुल्य । ६६१ करणकुतूहल
२८वीं श, १० ६८४, करणकुतूहल
१८वीं श २२ करणकुतूहल
| १६३६ ७ करणकुतूहल (ब्रह्मतुल्य)
१८वीं श' । कोष्टकस्पष्टाधिकार ३७५६ करणकुतूहल (ब्रह्मतुल्य)
भापा करणकुतूहल मकरन्द- भास्कराचार्य स० | १८८१ ( फलवृद्धि मे लिखित टीका सहित मू० श्रीपति करणकुतूहल मकरन्द-1 मू० भास्कर
१६ अपूर्ण टीकायुक्त
श्रीपति करणकुतूहलवृत्ति
सुमतिहर्प ३७२७ करणकुतुहलवृत्ति
१८५२ भास्कराचार्य रचित
टीका सोजतनगर
मे लिखित ४० ३४५६ करणकुतुहलवृत्ति
, १७७४ २५ पत्र १, २ अप्राप्त ११. ३४५२ करणकुतूहलवृत्ति
,, १८वीं श. २४ १२ । ६७७ करणशाल सारिणीसह कल्याण , १७३० ३५ मगलपत्तन में रचिता
नवानगर में लिखित
३३७६
૨૭૭
५३
६७
"
१८वीं श.
Page #103
--------------------------------------------------------------------------
________________
ज्योतिष-गणितादि
[६३
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- | पत्र| समय | संख्या |
विशेष
४३
३२१६ | कपूरचक्रविधि १४०३ कर्मविपाक १४४४ कर्मविपाक ३८१७ | कर्मविपाक ३७१० | कलकी जन्म पत्री
विचार २५३५ कशावली
संस्कृत २०वीं श. ५ गूर्जर १६वीं श. ७
, १६१६ १५ राज० । १८१६५
१६वीं श. १
रोहिठ मे लिखित ।
रा०
, ,
१
२८६३
काकपिंडविचार
१७वीं श.
१४३
नक्षत्रवार के योग . से प्ररूपिता। पत्र का थोड़ा भाग त्रुटित है। पत्र का थोड़ा भाग त्रुटित है।
२८६३
काकस्वरस्वरूप
रागु० , , १४३
स. १६वीं श ५
| १६२५, २० , १७वीं श. १६६
१६७ १४वीं श १
कामधेनुटिप्पणिका ३२३१ कामधेनुपद्धति २८६३ | कूर्मचक्र (१०६) १३८५ कूर्मचक्र तथा दीपस्थापन
विधि ३७६० केशवीपद्वत्युदाहरण ! विश्वनाथ
टीका ३०८४ कौतुकलीलावती खंडखाद्यक
ब्रह्मगुप्ताचार्य खातचक्रादिविचार
, १८४७ ४३ शाके १५४० मे
रचित । , १६वीं श. ४ , १७६४ १४ रागु०१७वीं श. १३२वां
मू०सं० १६वीं श १७ । सारणी सहित
| १६६६
खेटभूषण बालावबोध- | रामचन्द्र सहित खेटभूपण गणितग्रन्थ साठीसो | महिमोदय दोहा
। सं० १७वीं श.
रा० १७५७
१ ६
६२ ३७३२ गणितमकरन्द
जोबनेर मे लिखित सं० १७३७ के राखीदिनके रोज रचित। जालोरगढ़ में लिखित ग्रन्थकार वडनगर निवासी थे
रामदास
स० | १८६६ /
२५
६३ | २००६
गणितसार मूल
श्रीधराचार्य |, १७वीं शः
३
Page #104
--------------------------------------------------------------------------
________________
६४]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम'
कर्त्ता
भापा
लिपि- | पत्रसमय | सख्या
विशेप
* *
२००७
६८१
| ३००७ | गणितसार मूल श्रीधराचार्य संस्कृत | १५१३ | | कर्करपुर में लिखित ६५ | २००५ | गणितसार सटीक
मू०सं० १६वीं श. ५.
टी रागु | गणितसार सटीक
सं० १४४७ ३१ | गणितसार सार्थ शंभुनाथ अरा० १८वीं श. ८
( महादेव ) ६८ | ३८११ गतेष्टकरणविधि
रा० १६वीं श. २ नागोर में लिखित। ३२४७ गणितचन्द्रिका फकीरचद त्राहि. १८१६ २०
भुजनगर में लिखित ७० | १८६० । गर्गमनोरमाटीका
| संस्कृत | १८७२ १२ | गिरिधरानन्द वेदांगराय " १६वीं श. ७५ | १६वां अध्याय १६५
श्लोक तक, पश्चात् । अपूर्ण । पत्र ६० वा नहीं है। अजमेर नृपति गिरिधर की आज्ञा से रचित । आदि के २३ पद्यों मे गौड़
नृपवंशवर्णन है। गुरुचार
। रा० १८६१ | २३-३२ वगड़ी नगर मे
लिखित । गुरुचारादि
सरा गु. १८वीं श. ६ गुरुचारादि
१८२७ | ५-१६ | गुटका । ७५, २५४१ गुरुफल
___
० १७१६ २ | नारदपुरी में लिखित १९८४ गुरुविचार
रागु०१७वीं श. ३ ७७ | ३१७७ | गूढप्रश्नप्रकाशन
| १८६७ ५ ६७३-1 गृहगोधाविचार
रागु०१७वीं श. गोलाध्याय
सं० १६वीं श, १३से५२ अपूर्ण २८६३ | ग्रहकेवली लग्नकेवली.
१६२८ १३०वां (६३) तथा नक्षत्रकेवली ६४५. ग्रहणलिखनानुक्रम नारायण
, १८२६, ३७ । स०१५८२ मे ग्रन्थ
कार रचित कृति नष्ट १)होने से, तदनतर ग्रथित कृति विस्तृत होने से प्रस्तुत रचना स०१६१६ में कपिला में की।
Page #105
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
८२ ६१८ ग्रहणविचार ८३ : १७७७ ग्रहण विचार ८४ २५७४ | ग्रहणविचार
८५
८६
5G
ες
ζε
६०
६१
४
६२
K
६७
६८
६३
३१५७ | ग्रहलाघव ग्रहलाघव
६४ ३४५४
६५ ३७७६ | ग्रहलाघव
६६
ग्रन्थ नाम
१००
६४५ ग्रहणसाधन
६७४ | ग्रहणादि अनेक विचार
४११ | ग्रहणार्कज्ञान
३७०६ |ग्रहभावप्रकाशताजिक
२५१४ | ग्रहभावफल
२८६३ - | ग्रहभावफल (पद्य)
(१४)
६२२ |ग्रहलाघव
६५८ | ग्रहलाघव
२०१
महलाघव उदाहरणवृत्तिसह त्रिपाठ
५८५ | ग्रहलाघव टीका
५६७ | ग्रहलाघव टीका
ज्योतिष गणितादि
कर्त्ता
ब्रह्मगुप्त
पद्मप्रभ
गणेश गणेशदैवज्ञ
22
मू० गणेशदैवज्ञ टी० विश्वनाथ
दैवज्ञ,
विश्वनाथ
विश्वनाथ
३७८७ हलावव (गणेशकृत)
टीका
३७८८ ग्रहलाघव (गणेशकृत) दिनकर
टीका
भाषा
रा०गु० १६वीं. श १६वीं श.
""
रा० १६वीं श
रा०गु०
29
सं०
و
स०
33
"
लिपि -
समय
"
"
""
"
१८४० १७वीं श११
ह
१६वीं श. रा०गु० १७वीं श, ध्वां
6
"
१६०३
१७३३ १८५७
१७वीं श
१८५६ २०
१८२७
१६
१८२७
पत्र
संख्या
१८५१
२
१८२०
२
!
|१६वीं श. १०३
८,
3
409
३५
३२
२३
[ ६५
विशेष :
नदिग्राम में रचित | दिग्राम में रचित 1, भुजनगर मे लिखित
वां तथा १० वा अधिकार मात्र । षांन राहीवर में लिखित पत्र पन्द्रहवां नहीं है । टीका करने आदि में ग्रन्थकार की अन्य कृतियों का नामोल्लेख दिया है। सिद्धान्तरहस्योदाहर, टीका । गोलग्राम मे रचित । सिद्धान्त रहस्योदाहर. टीका । गोलग्राम में रचित । मेदिनीपुर में लिखित |
रूपनगढ़ मे लिखित
ग्रन्थकार वारेजाग्राम निवासी थे ।
Page #106
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________________
६६]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
| ३२१४ ग्रहलाघवसारणीविधि
६२८ | ग्रहशीघ्रसिद्धि
रागु० १६२८
त्रिविक्रमदैवज्ञ
सं०
१८८४
भाथोला में लिखित स० १७७६ में नलिनीपुर में रचित ।
१०३
महादेव
१८वीं श. " ,
२ २
१०४
१०५
१५६० ग्रहसिद्धिप्रकरण २००० | ग्रहसिद्धिप्रकरण ३२४८ ग्रहस्पएकरणविधि १९८३ चक्रावली २८६३ चतुरक्षरपासाकेवली (६१)
१८२ १६२२ | ११५से राजलदेसर ग्राम मे ।
| मुनि हीरकलश ने
लिखी। रागु० १७वीं श. ६ वां
१०२८
२८६३ चद्रगुप्तस्वप्नफल (१३) ६६१ चन्द्रग्रहणाधिकार
१०६
करणकेशरी से उद्व त। करणकेशरीगत ।
६८७
१८वीं श
८
१७वीं श
A
चन्द्रविग्रहणटिप्प
गोदाहरण १११ | २८६३ चद्रराशिनिरूपण आदि
(१७) ११२ ३८०६ चद्रसूर्यग्रहण सुगमप्रकार ११३ , २२४ चद्रार्कीसूत्र दिनकर ११४ २५८४ | चद्रार्की ११५ | ३२५३ / चंद्रार्की ११६ | ३८१५ चद्रार्की ११७ : २५८२ चद्रार्की टीका
१४वीं श
१९०४ १६वीं श
१८२८
मोढज्ञातीय दिनकर कृत चद्रार्की की टीका है।
१७८७ । १६वी श
२५
११८ ३१४१ चद्रोन्मीलन ११६ | ६६३ | चमत्कारचिन्तामणि | नारायण १२० | ११६२ | चमत्कारचिन्तामणि । वैद्यनाथ १२१ ३१२८ चमत्कारचिन्तामणि १२२ | ३७६८ चमत्कारचिन्तामणि | चमत्कारचिन्तामणि
| मू० नारायण सटीक
टी० धर्मेश्वर
8वीं श
१८६० १६१२
६ | वगडीद्र ग में लिखित
२०
Page #107
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्थाङ्क
१२४ | ३१६८ | चमत्कार चिन्तामणि सटीक त्रिपाठ ६५५ | चमत्कारचिन्तामणि
१२५
ग्रन्थनाम
सस्तबक
१२६ | १७८७ | चमत्कार चिन्तामणि स्त० वेकर (?)
१२७ | ३२२६ | चमत्कारचिन्तामणि स्त० कर
१२८ | ३२६६ चमत्कार चिन्तामरिण
सस्तबक
३७६७ चमत्कारचिन्तामणि
१२६
सस्तवक
१३१
१३० | ३१७१ | चमत्कारचिन्तामणिसार्थ ३७६८ | चमत्कारचिन्तामणिसाथ ६११ |चमत्कारचिन्तामणिसार्थ तथा द्वादशभावफल
१३२
१३३ | १९८५ चैत्रार्घकांड
१३४ | २८६३ | छायाज्ञान (१०८) १३५ | ३७४४ जगद्भूपण सारिणी १३६ | ३७६० जगद्भूषणसारिणी १३७ ६२० | जन्मकु डलीविचारादि १३८ २८८२ जन्मपत्रीगणितक्रम १३६ - ६३८ | जन्मपत्रीपद्धति
१४० २०१० | जन्मपत्रीपद्धति १४१ ३७४६ जन्मपत्रीपद्धति १४२ ३७६२ जन्मपत्रीपद्धति १४३ | ३७०५ जन्मपत्रीपद्धति
५६० जन्मपत्रीपद्धति
१४४
ज्योतिष- गणितादि
कर्त्ता भाषा
मू० नारायण संस्कृत १६वीं श.
मू० राजऋषि स०स्त० १७८६ रा०गु०
स०स्त० | १७४२
नारायण
प्रभ
हरिदत्त
हरजीत्
लब्धिचन्द्र
रा०गु०
| स०स्त० | १६१६
रा०गु०
| स०स्त० १७६८
रा०गु०
स०स्त०
रा०गु०
अ०रा०
रा०गु०
स०
लिपि -
समय
१८८४
१८७७
""
सं०० | १८०८
| रा०गु०
स०
सं०रा०
स रागु
सं०
१६वीं श
१६वीं श.
रा० १६वीं श
१६वीं श.
१८२२
"
स०रा०
स०
१७वीं श
१८७६
१८४७
"
स रागु १८वीं श
पत्रसंख्या
२६
१२
१५
१८१० १२
१६
१४
४४
३०
१३
SS
७१
१३०५
१६
प्रति १५ वीं श० की ज्ञात होती है।
१७वीं श. १६५वां हीराक (हीरकलश) लिखित । शाके १५६० में रचित
६
२६
१६
२६
१७५
७६
६६
[ 200
१८५४ १३६
विशेष
स्तंभतीर्थ में रचित |
पत्तन में लिखित |
देवली में लिखित
माडवीविन्दर में लिखित |
पल्लिका मे लिखित |
योधांका वराटीया
ग्राम में लिखित ।
स. १७५१ में वेला कूल में रचित । माडवी विन्दर में लिखित |
Page #108
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रथाक
१४५
प्रन्यनाम
१४६ ३४३६ जन्मपत्रीपद्धति
( मासांगरी)
१४७ | ३७४७ जन्मपत्रीपद्धति
३७६१ जन्मपत्रीपद्धति
(मानसागरी)
१४८ | ३७६३ जन्मपत्रीपद्धति
१५३
(मानसागरी)
१४६ ३७६२ जन्मपत्रीपद्धति १५० ६१० जन्मपत्रीपद्धति १५१ ६३ जन्मपत्री लिखनक्रम १५२ ३४४६ जन्मसार
१५४
७ | जन्मेष्टकालशुद्धि (इदर्पण) निषेकादाहर
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
कर्त्ता
लव्धिचन्द्र
३५६४ जमानारा दूहा
(ভ)
१५५ १६६३ | जातककर्मपद्धति १५६ २५२३ जातककर्मपद्धति १५७ २५२६ जातककर्मपद्धति १५८३३७१ जातककर्मपद्वति १५६ ३७८२ जातककर्मपद्धति
( श्रीपतिकृत) वृत्ति १६० | १७७५ जातककर्मपद्धति सटीक
१६१ | ३२५८ जातकपद्धति सस्तवक
१६२ | ३११६ | जातकभूपण १६३ | २५४४
जातकलक्षण
१६४
४०
जातकसार
मानसागर
17
32
39
""
विश्वनाथ
22
कृष्णदैवज्ञ
श्रीपति टी० कृष्णदैवज्ञ
ढूँढिराज
23
भाषा
""
सं०
""
""
महामाई वायक रा०
श्रीधराचार्य
श्रीपति
""
"}
27
در
33
स०
""
"
"
"
53
22
लिपि -
समय
""
१८५६
१७६८
१८६२
१७६०
१८१८
१८०८
१८००
१६७६
१६वीं श
१६वीं श
मूस स्त १८वीं श
रा गू
99
१३०
१०३ | बाडमेर मे लिखित
३५
७५
देवपुरी मे लिखित । गागुरडाग्राम मे लिखित |
आदि श्रीमद्व्रजजन
वल्लभचरणसरोज
प्रणम्याद्दम् । जन्मेष्ट
कालशुद्धिं यवनैरुदि ता निवन्धामि ।
१८६१ | ३५,४३ |वगड़ी मे लिखित ।
१५७१
१८वीं श
१७०७
१६१२
१८८१
पत्र
संख्या
१७७४ १६वीं श
१६१६
१६६ सं० १७५१ में वेला कूल में रचित । जेलमेरू मे लिखित ६६ | कंटालियानगर में लिखित |
१२७ | फूला ग्राम मे लिखित ।
६४ | सुद्धद्धतीनगर मे लिखित |
विशेष
15
w
मेडता मे लिखित ।
ह
ε
१३ चित्रकूट में लिखित ।
६४ | फलवर्धिपुर मे
लिखित | ४५ अपूर्ण
१३
१०० मनोहरपुर मे लिखित
४ देवपुरनगर मे लिखित १० | गुटकाकार है ।
Page #109
--------------------------------------------------------------------------
________________
- ज्योतिषमाणितादि
.,
६]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
लिपि
ग्रन्थनाम
| भाषा
कर्ता
विशेप
समय
संख्या
१६५ १८५५ जातकसारोद्धार
माधवाचार्य
१६वीं श.
द्वादशभावः
विचारात्मक अंश है। ६१ मेडता में लिखित ।
हुँढिराज
| १८१८
१६६ ३७६१
३७४५ | २६४५
५६
जातकाभरण जातकाभरण जातकाभरण जातकालंकार
१८वीं श. १८वीं श
रून
गणेशदैवज्ञ गणेशदैवज्ञ मू० गणेश टीहरिमानु
"
जातकालंकार जातकालकार सटीक
१८५२ १६०२
३०७४
| अपूर्ण ११ सं० १५३५ में
प्रधपुर में रचित । शाके १५५५ में रचित शाके १५५५ मे सूर्यपुर में मूल रचित खडेला मे लिखित । अंत मे लेखक ने स्वरोदयविचार लिखा है,
२५८३ | जोगवत्रीसी
सोम
स० १७१६ "१८वीं श " १७वीं श
२
चार श्लोक हैं
३७१२ ज्ञानप्रदीप केरलवृदावन
६६२ | ज्ञानप्रदीपक २८६३ ज्येष्ठप्रतिपदाविचार (१०३) ३५४७ | ज्योतिषदूहा (३) ३५४७ ज्योतिषहा
रा० १८वीं श. १ ला
"१६वीं श
स्वाश CE-20
| श्रीपति
सं०
सम्व० १६२४ संबरा०१६वीं श
१७०२ | १७८१
१७६५ "१६वीं श
१७५६ | ज्योतिषप्रकीर्णक ३७७३ ज्योतिषप्रकीर्णक २५७६ ज्योतिपरत्नमाला ३२६८ ज्योतिपरत्नमाला ३७०६ ज्योतिषरत्नमाला
ज्योतिपरत्नमाला सटीक पचपाठ ज्योतिपरत्नमाला चालावबोधसहित ज्योतिषरत्नमाला सवालावबोध ज्योतिपरत्नमाला सस्तवक
टी० महादेव मू० श्रीपति
स वा रा १७४३
मू० श्रीपति
" | १७०१
जाजुरनगर में
लिखित । ५४ -जावालपुर में
लिखित ।
श्रीपति
मूस स्त १६६६ रा गू
Page #110
--------------------------------------------------------------------------
________________
१०]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषणं मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
| भापा
| लिपि- पत्र समय | संख्या
भापा
विशेष
| १८६६ ज्योतिपरत्नमाला सार्थ
श्रीपति
३७०७ ज्योतिपरत्नमाला सार्थ ३७२५ ज्योतिपरत्नमाला सार्थ ३७३५ ज्योतिपरत्नमाला सार्थ
मूसं.स्त.१६वीं श. १-१०७ रागु० मू.स स्त. १७८६ रागु० मू संस्त
पत्र १५,१६वांअप्राप्त रागु०
रतलाम में लिखित मूस स्त
रतनपुरी मे लिखित 'रागू०
विक्रमनगर मे
वालाववोध रचना। स रागु १६वीं श १०
१८वीं श. १-११
१७६७
| ६४२ ज्योतिप विचार
२५७५ | ज्योतिप विचार १६३ ३४३६ ज्योतिप विचार
११२५ ज्योतिपश्लोकसंग्रह
SAR हपकाति
सस्कृत | १६६३ २३
१८२७६५-१८
५८८
१६५ १६६
ज्योतिपसग्रह २५१६
ज्योतिषसार २५५३ | ज्योतिषसार
१६७
५२८
१८ ६३२ ज्योतिषसार दुहा
१६६२७४१ / ज्योतिपसारशास्त्र १५५७ ताजिक
ताजिक
| २६१६
नीलकंठ
१८वीं श. ५३ । रचना सं० १७२० मुंजादित्य
१७१४ भगवदास
२७ सं०१६६४में शाहजहां
के शासन मे रचित मेघराज रागु० १८६६ क्षत्रिय गोवर्धन के
लिये स० १७२३ मे
भैंसरोड़ में रचित। राग०१८४६ १७ सम (र)सिह , १६वीं श. ४७ नीलकठ स० १८४० ४६ पत्र ४ था तथा से
१० प्राप्त १६०
शाके १५०६ में
रचित । मू० नीलकठ
टीकाकार ने आदि | टी० विश्वनाथ
में अपना विस्तृत
परिचय दिया है। गोवर्द्धनमस्कृत १८वीं श ३ " १८३७ १६ । सावरदा ग्राम में
लिखित ।
२०० २६३६ ताजिक २०३ ३७१७ ताजिक
X
ताजिक (सज्ञातत्र) सटीक
२०५ : ४०६ : ताजिकपद्मकोश
४१० । ताजिकपद्मकोश
Page #111
--------------------------------------------------------------------------
________________
ज्योतिष-गणितादि
[.१०१
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
| लिपि- पत्रभाषा
समय संख्या
विशेष
२०७
गोवर्द्धन
६०६ ताजिकपद्माकोश ५६४
ताजिकसार ६०६ ताजिकसार १६६६ ताजिकसार २००२ ताजिकसार २०७१ ताजिकसार રહ૦૬ ताजिकसार ६६४ ताजिकसार सार्थ
२३
सं००
३७२६ ताजिकसार सार्थ
१५० ताजिकसार टीका
सामन्त
सं०
| १६६६
६६७ ताजिकसार टीका ३००१ ताजिकसार टीका ३३७२ ताजिकसार टीका ३४३७ ताजिकसार टीका
संस्कृत १७वीं श. ३से
१७६८ / २१ सिणधरी में लिखित १७२६
रायधनपुर मे लिखित १६६४ १७वीं श. २६ १८वीं श. १७७४ | पत्र वां अप्राप्त १८१६
भुजनगर में लिखित रागू० सं००
सोमत में लिखित। रागू
सं० १६७७ मे विष्णुदास नृप के शासन
में पेरवा मे रचित। १८वीं श २५ | सं० १६७७ में रचित १७५६ ३३ १७२० मेडतानगर में लिखित १७६३
श्री विष्णुदास शासित खेरवा में
स०१६७७ में रचित | १८०६ २२ आकासादाग्राम में
लिखित । , १८वीं श २२ श्री विष्णुदास
शासित खेरवानगर में
स०१६७७ में रचित , १६वीं श. ४६ अपूर्ण | , १८१६ । १०. भुजनगर में लिखित
१६६४१ उन्नतदुर्ग में रचित। सरागू०१८वीं श स०
१८२१ । रायणपुरमें लिखित १६वीं श. १८६२
लकूटपरमे लिखित
३७३३
ताजिकसार टीका | ३७५२ ताजिकसार टीका
सुमतिहर्ष
२२५
२२३ | DE३२ ताजिकसुधानिधि नारायण २२४ ६६६ | तिथिकल्पद्रुमसारणी कल्याण
२००३ तिथिचूडामणि रामचन्द्र । ६७६ / तिथिनक्षत्रफलादि । ६५२ तिथिसारणी ब्रह्मपचे) | त्रिविक्रम
तिथिसारणी | ३१२५ तिथिसारणी केवलराम ३२४६ तिथिसारणी मनोहर
(गगाप्रकाश)
६६५ नि
w w w my
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #112
--------------------------------------------------------------------------
________________
१०२ ]
राजस्थान पुरातत्यान्वेपण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
--
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
भापा
| लिपि- पत्र| समय | संख्या ।
विशेष
राम्गू० १८वीं श. १ सं०रा०/१६वीं श ६ रा०गू० १७वीं श. १४६ वां
| सस्कृत १ध्वीं श. ३१ रा० गू०१७वीं श.१७५-७६ स. १६१५ में
| वेलासर में रचित।
रा० "
१८वीं श. ६ १८वीं श २७यां
१८वीं श.
१
२३१ २५८१ | तिथ्यानयनटीका २३२ | ३८१६ | त्रिपष्टि
२८३ दशा विचारकोष्ठक (८७)
६१६ दिनकरी सारणी दिनकर २८६३ | दिनमानकुलक
हीरकलश (१२०)
६६२ दोपावली १७८५ | दोपावली ३५५४ | दोपावली (१६) ३२५२ द्वादशभावप्रश्नलग्नादि
विचार ६१२ द्वादशभावफल २४१ १७८२ द्वादशभावफल २४२ १७८३ | द्वादशभावफल २४३ १७६१ द्वादशभावफल २४४ १७६२ द्वादशभावफल २४५
१६६४ | द्वादशभारफल २४६ ३८०३ द्वादशभावफल
द्वादशभावफल द्वादशभावफल
तथा मु थाफल १२१४ द्वादशभाव फल लेखन
पद्धति २५३६ द्वादशभावविचार २८६३ नक्षत्र विचारादि (८४)
नक्षत्रशकुनावली
१७३७ १४वीं श. १८वीं श.
new cere. m
सं०
रा० १७वीं श. ४ सं० | १७६३ ।
१८वीं श
| १८६६ | नागोर में लिखित ". १७६६ ११ " १८वीं श १ संरा गु१७वीं श. १४५ १४च्या पत्र का अर्ध
भाग नष्ट है रा० गु० " ५६-६०
३७७४
नक्षत्रशकुनावली ३३४४ नरपतिजयचर्या ३५०१ नरपतिजयचर्या
रा० | स.
"
नरपति | नरपति
१६वीं श
१७३४ १८वीं श
१ ५१ । हर्णपुर मे लिखित १६० पत्र ७४वां अप्राप्त
२५५
Page #113
--------------------------------------------------------------------------
________________
ज्योतिषगणितादि
[ १४३
लिपि-
क्रमाक
ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
| भाषा
पत्रसख्या
विशेष
नरपति
सस्कृत
१८वी श. ४६ १६वीं श. ३
पद्य रचना है।
-३८०० नरपतिजयचर्या १७६० नवग्रहचक्र गजचक्र
अश्वचक्र रथचक्र नवग्रहद्वादशभावहफिल नवग्रहभावफल
२५३०
१८४७
४
| १८०७ १से४६
गुटका
६६८
२६५
५८७
44
"
४०८ नष्टजन्म तथा मृत्युन्नान
। , १६वीं श २ १९८७ नएजन्मविचार
रागु नष्टजातक
स रागु. १६वीं श ७८६ नष्टजातक
संस्कृत १८वीं श. नष्टज्ञान नारचन्द्र
नरचन्द्राचार्य , १६वीं श २६६ / ६०५ नारचन्द्र २६७ १६८० नारचन्द्रज्योतिष
१७वीं २६८ ६७५ नारचन्द्र प्रथमपरि- सागरचन्द्र
१८वीं श च्छेदटिप्पण १६६७ नारचन्द्रज्योतिष टिप्पण
१६६३ नारचन्द्रटिप्पण
१७५४ नारचन्द्रटिप्पण
| १६६४ ३४३८ नारचन्द्रटिप्पण
१७वीं श प्रथम पत्र अप्राप्त ३७३७ नारचन्द्र प्रथम प्रकरण
१६वीं श ३७७० नारचन्द्रटिप्पण सागरचन्द्र
१८०६ नारचन्द्र सस्तवक नरचन्द्र सस्त०]
रागु० ३७२८ | नारचन्द्र सस्तवक
सस्त०१८वीं श ३२ प्रथम प्रकरण
रागु० नारचन्द्र प्रथम प्रकरण
संस्त०१७ सस्तबक नारचन्द्र प्रथम प्रकरण
सं०स्त० १७६२
३१ | सिरोही में लिखित सस्तवक
रागु
६०
१७२४
३७६३
रागु०
३७६६
-
-
-
--
Page #114
--------------------------------------------------------------------------
________________
१०४ ]
क्रमांक प्रथाक
२७६
२८० २८१
२८२
२६३
३०६९ | पचपक्षी
६६६ | पंचमहापुरुपलक्षण
३१८१ पंचांगग्रहानयनाधिकार | रामचन्द्र २८३ ६१४ पचागग्रहानयनाधिकार ६५१ पंचांगपत्ररचना
"
२८४
कल्याण
२८५
३२५४ |पचांगपत्रानयनसारणी | सदांशिव
२८६
६६०
२८७
सदाशिव
२८८
३१ पद्मकोश २८६ ३१३५ पद्मकोश
२६०
३७१५ | पद्मकोश ताजिक
२६१ | १५२३ | पल्लीशरटपतन विचार
२६२
२६६
ग्रन्थनाम
८ पचपक्षिनिदर्शन
२६७
२६८
२६६
३००
पंचांगफल
५६६ पंचांग सारणी
(१८)
१७
पल्ली शरदशान्ति
विधान (निमित्त )
२६४
१७७२
२६५ | २८६३
(७२)
२५६६ पातशाहनामोपरि शकुनावली
१८६७ | पाराशरसूत्र ३२६५ पाराशरी भापाटीका
४६ पाराशरी मटीक ३१७६ | पाराशरीवच निका
( उडुप्रदीप )
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
२०० पवनविजय (स्वरोदय
शास्त्र) अर्थ सहित पवन विजय ग्रन्थ
पाचगाथा शकुनावली
कर्त्ता
परम सुखदैवज्ञ
भाषा
सं० १६वीं श.
29
"
33
31
,,
"
"3
"
"3
""
""
"
15
अ.गू०
लिपि -
समय
रा०
१वीं श.
सं०
| ००
22
१८५०
१७४३
१८०७
१७६१
१६वीं श.
"
36
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=
स० १६वीं श
रा०
पत्र
संख्या
"
"
१८६४
१६०१
५.
2242 20
१७
१७३५
१=१६
१६वीं श.
१८वीं श.
४
१७वीं श | ७८ वा
१६वीं श.
२४
५
१६
१३
६
स०
१८७३
प्रा. रा. गु १७वी श. १३५
१३६
२
३
४१
३५
८
१५
१६
विशेष
श्रते - पारिजाताख्य
शास्त्रे स्मिन् खंडेरत्ना.
कराभिधे प्रश्नशास्त्रमिदंप्रोक्त' चतुर्थाध्याय संज्ञितम् ।
रामविनोदातर्गत रामविनोदसे उद्धृत
आदि-श्रथातः संप्रवक्ष्यामि शृणु शौनक यनतः । पल्ल्याः प्रपतन
चैव शरटस्यप्ररोहणम्
स० १६६८ मे रचित
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________________
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
३०१ ६५७ | पास केवली ३०२ | २८६३ | पासाकेवली
(६२)
३०३ | ३५५४ | पासा केवली
51
(१७)
| ३०४ | २३६ = | पासा केवली भापा
(६)
३०५ | २५३ = | पुरुप-स्त्री जन्मकुंडलिका विचार
३०६ | २५५४ | पूनिमविचार आदि ३०७ | २५६० | पूनम विचार आदि
३-=
३०६ | १७६६ | प्रश्नकालज्ञानादि ३१० | १७६२ | प्रश्नचिन्तामणि
३११ १६६२ प्रश्नज्ञान ३१२ | ३०६७ | प्रश्नज्ञान ३१३ | ३१२६ प्रश्नज्ञान
३१४
२५३४ | प्रश्नज्ञान प्रश्नज्ञान
३१५ २८६३ (१०) ३१६ | १७४६ | प्रश्नप्रदीपक ३१७ | ३७८५ प्रश्नप्रदीपक
३१८ | २६१४ | प्रश्नरत्नटिप्पणी ३१६ | २५६२ | प्रश्नरत्नसटिप्पण
३२० ३७३६ | प्रश्नरत्नसटिप्पण
ज्योतिष - गणिता
३२१ ६४१ | प्रश्नविज्ञान ३२२ / ३१३१ | प्रश्नविद्या ३२३ | ३१६६ | प्रश्नविद्या
कर्त्ता
गर्ग ऋपि
ऋ
उत्पलपट्ट
उत्पलपट्ट
उत्पलपट्ट
काशीनाथ
काशीनाथ
२३ | प्रतोदयत्र सटीक त्रिपाठ मू. गणेशदैवज्ञ स०
टी ग्रथकार शिष्य
नन्दराम
नदराम टी० स्वोपज्ञ
नदराम टी०
स्वोपज्ञ
भाषा
महादेव
गर्ग
गर्ग
स०
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रा०
35
सं०
रा०
33
रा गुस
सं०
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31
35
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33
'लिपि
समय
१८४७
१६६२
१६वीं श
=ir
| १६वीं श२७-२८
१८४६ ४१-४६
१८६४ १६वीं श
15
१८२२ १७वी श
२६वी श
२०वी श
१७६३
१८५०
१६वी श
- पत्र
संख्या
१८८७
१६वीं श
11
१६०३
६ मांडवीवंदर में लिखित
१२४ से मुनिहर १३० कलश लिखित
2
१६
२४
१
४
३
१८२७
२६वी श श्वां वीश
72 ur
५
६
St
१०
co
५
३५
४६
२५
६
30 m
१०५ ]
४
विशेष
३
नागोर में लिखित
मन्दसोर के खलची - पुरा में लिखित । पत्र १ से ६ प्राप्त
मू० रचना सं
१८०८, टिप्पन रचना स० १८२७ भट्टपुर में लिखित
6
Page #116
--------------------------------------------------------------------------
________________
१०६ ]
क्रमांक प्रन्याक
३२४
११५६ वैष्णवशास्त्र
३२५ | ३०४४ वैष्णवशास्त्र ताजिक
ग्रन्थनाम
प्रश्नवैष्णवशास्त्र
३२६ | ३११६ ३०७ ३१६० |प्रश्नवैष्णवशास्त्र ३२= | ३७०४ | प्रश्नवैष्णवशास्त्र प्रश्नसंग्रह
३२६ | १८५३
३३०
२१ प्रश्नसार
३३१ | ३७८४ | प्रश्नसार
३३२ | ३८०१ प्रश्नसार ३३३ | ११२३ | प्रस्थानमासदिनफल
(२१) १८६६ | प्रेमज्योतिप
(१)
३३५ | १७५४
३३४
३४८
३४६
साठसंवच्छर
वालजातक
३३६ ६१३ ३३७ ६८८ वालजातक ३३= | १७८१ बालजातक ३३६ ६१५ | वालata
३४० ६४७ | बालबोध ज्योतिप
३४१ ६६६ बालबोध ३४२
१७६३ बालबोध
३४३ | २५११
३४४
३४५
३४९
३४७
वारमामफल वक्रग्रहफल संक्रान्तिफल
बालबोध ज्योतिप
२८८० बालबोध ज्योतिष
१६८८ | बालविवेकिनी
१८ | वाताववोध श्लोक
२८६३ | विडीया
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
(222)
३१२७ | बृहज्जातक
१६८६ | बृहज्जातकविवृति
कर्त्ता
नारायण
33
13
नारायणदास
हयग्रीव
31
33
महिमोदय
हरिदत्त
मुजदित्य
"
"
11
भाषा
वराह
उत्पलभट्ट
सं०
23
नान्हिदत्त सहजानंदस्वामी दीरकलश
33
93
"
"
====
"
"
१८८५
१६वीं श.
१८७४
१८४३
१८८०
१
रा०गु० / ७वीं श८० वां
""
54
93
"
सं० १८वीं श १६वीं श
"
"2
39
23
रा० १८१८ १-१५ गुटका स० १७३३ / के रक्षात्रधनदिन के
रोज रचना । गुटका । भुजनगर मे लिखित |
""
""
लिपि -
समय
"
रा०गु०
१८५०४
स०
१८३३
१६वीं श.
१६वीं श.
"
१८७२
3
95
4
""
23
१८६७ १८वीं श
पत्र
संख्या
२३
C
१७७८
१६वीं श.
37
"
१७वीं श
१६वीं श
३२
७४
१८४३
१७वीं श
२५
१७
१४
११
१८
8
५
८
ε
२३
ε
१०
ε
२७
४
७
१७वींश. १६३त्रां
विशेप
३६
३६
सवाई जयपुर में
लिखित |
कल्याणपुरी मँ लिखित |
प्रथम पत्र अप्राप्त
अपूर्ण
प्रथम पत्र अप्राप्त
अध्याय ८ १७ तक
Page #117
--------------------------------------------------------------------------
________________
ज्योतिप-गणितादि
[ १०७
-
-
--
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपि- पत्र भापा
| समय | संख्या -
विशेष
२०२८
___३५० १७७६ बृहज्जातक विवृतिसहितमू० वराहमिहिर रा० १८वीं श ___७ टीका रचना काल उत्तरार्ध वि उत्पलभट्ट
शाके 44 २६०० वृहज्जातक सटीक मू० वराह रा० | १८५८ ६४ सवाई जयपुर मे त्रिपाठ टो० महीदास
लिखित । शाके १५२० मे टीका रचना । पत्र
११ से १४ अप्राप्त । ३५२ ३०७३ | बृहत्सहिता वृद्धवसिष्ठ स० | १८५८ १२१ | जगन्मोहन नामक
तृतीयस्कंध मात्र ३५३ | ३३७५ बृहत्संहिता वराह ___" १६३५/ १५१ वृहत्सहिता सटीक मू. वराह
१६वीं श ४४ | अपूर्ण। पत्र १ से टी० उत्पलभट्ट
२ अप्राप्त ३५५ २६२६ बृहत्सहिता मू० बराह
" " ४३६ अपूर्ण । पत्र १ से टी० उत्पलभट्ट
१०३ तथा ३६० से
| ३८७ तक अप्राप्त । ३५६ / २५१८ | ब्रह्मतुल्य टीका
" | १७१५ | ३३ जावालपुर मे लिखित । ब्रह्मतुल्य सारणी
१वीं श ३७४० भडली दूहा | भडली पुराण
१-३३ गुटका (5) १८७७ | भडली पुराण
१६वीं श ६ अपूर्ण। ३७५७ भडली विचार ५६८ भडली वाक्य दूहा भडली राहि. १८वीं श भवानीजीवायक
राहि. १८६३ जमानारा दूहा ३६४ / २२०६ भवानीवायक
१८७७ ___३ लाडुली झमुनगर
मे लिखित, १००
पद्यमय रचना है। ३२२५ भावाध्याय
देवेन्द्र कवि स०
१८६२ ६२७ भुवनदीपक
पद्मप्रभ | १८१८ | भुवनदीपक
पद्मप्रभ
| १८०० |६-१२ शुद्धदंती में लिखित । (२) १८५७ भुवनदीपक पद्मनाभ
१८वीं श १३ ३६६ ३०१० भुवनदीपक
१६६१ १७ लघुकडि मे लिखित । ३७६५ भुवनदीपक पद्मप्रभ
१८०७६ देलवाडानगर में
लिखित
३५६४
।
४
२५३३
३६६
१७६६
१७
३६८
Page #118
--------------------------------------------------------------------------
________________
१०८ ]
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
मन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेप
पद्मप्रभ
| 적설 설
|,
१८वीं श
२६
३७६५ | भुवनदीपक
संस्कृत १६वीं ३७२ / २५५० भुवनदीपक टीका
२०वीं श. ३८ ३७६६ भुवनदीपक टीका
पद्मप्रभीय भुवन "
दीपक की टीका ३७४ ३००५ भुवनदीपकावचूरि
१६वीं श. ६१७ भुवनदीपक सस्तवक 'पद्मप्रभ संस्त० १९वीं श १४ भुजपुर मे लिखित
रागु० ६७२ भुवनदीपक सस्तवक मू० पद्मप्रभ संस्त० १८वीं श.
বাংge | भुवनदीपक मस्तबक
संस्त० १८१२
रागुल
३७६६ । भुवनदीपक सस्तवक ३७६ | २५७ | भोमादिग्रहस्पष्टविधि
| भ्रमस्यग्रहकोष्टकाणि
सस्त० १६वीं श..
| रागु | आशाधर स. १७०८ त्रिविक्रमद्विज ,
। १८१८ १६१
३८० ५६
माडवी वदर मे लिखित ।
१६वीं श. ११ । ७वीं श१४४
३१०६ मकरन्द विवरण दिवाकर २८६३ | मडलविचार (८३) ६४० मनकेवलीशकुनावली ३४४३ मनोनन्दन सटिप्पणहरिवंश । २५ मयूरचित्र
१७वी श ७ १८४८ १७ धान्यादिमूल्य हानि
वृद्धिविचार तथा प्रवृष्टिविचारादि की प्ररूपणा है पत्र २ रा तथा ३रा नहीं है।
अपूर्ण १८५ | २३ | पत्र २१ वां अप्राप्त
१६वीं श
१६
नारदमुनि
२८६
२८६ २८६ मयूरचित्रक ३८७ २६०७ मयूरचित्रक ३८८ महादशाविचार
महादेवी
महादेवी ३६१ | २००४ महादेवीग्रन्थकोप्रकाति ३६२ ३७७८ महादेवीलव्यशेपोपरि ३६३ । ३७४३ महादेवीसारणी
६२५
महादेव
اس
३६०
لس
MKM - ww
اس
१८वीं श, ७६
Page #119
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रथाक
३६४ | ३७४६ |महादेवी सारणी ३६५ ३७५६ | महादेवी सारणी ३६६ ३७६ महादेवी सारणी ३६७ | ३५६७ महामायावाक्य आदि
ग्रन्थनाम
(३२) ३६८ | १७ | मातृहानियोगा दि ३६६ | १८५२ मास प्रवेश दिनप्रवेशफल
४००
६८६ | मासफलानि
४०१
६७६ | मुथाफलादि
४०२ ३१५० | मुथाभावफल
४०३
४०४
११२३ | सुष्टिज्ञान
(१०)
४०५ २५३१ मुष्टिज्ञान ४०६ २५२० मुहूर्त ४०७ २५२१ मुहूर्त २५३७ मुहूर्त
४०८
१७४ | मुष्टिचक्र (दोपावली) अर्थसहित)
४०६
४१०
२५५६ मुहूर्त २६३१ | मुहूर्त कल्प ४११ | ३११५ | मुहूर्त गणपति
४१२
६४४ | मुहूर्तचिन्तामणि ४१३ ३११२ | मुहूर्तचिन्ता नि ४१४ | ३४५५ मुहूर्तचिंतामणि ४१५ २६४१ मुहूर्त चिन्तामणि पीयूपधाराटीका सहित
ज्योतिष- गणितादि
४१६ | ३०६२
४१७ ३०६३ मुहूर्तचिन्तामणि
कर्त्ता
४१ = | ३०६५ | मुहूर्त चिन्तामणि पीयूपधाराटीका
विट्ठलदीक्षित गणपति
दैवज्ञ राम रामदैवज्ञ
रामदैवज्ञ
मू० राम टी० गोविन्द
मुहूर्तचिन्तामणि पीपधारा टीका सहित टी. गोविन्द
मू० राम
मू० राम पीयूपधाराटीका सहित |टी गोविन्द
रामदैवज्ञ टी० खोपज्ञ
COLD H
भाषा
सं०
33
रा०
19
सं०
"
EE
सं
"
,,
सं.रागू १८वीं श.
53
""
रा
35
सं
29
99
१८३८
सं० रा० १६१४
१०
रा० गू० १७वीं श ६१ वां
,
33
R
""
11
पत्र
लिपि - समय संख्या
35
""
१८४८
१६वीं श
39
१=६१ ६२
१५२
७६ नागोरनयर में लिखित
१७७
१८०
66
१७७५
37
==
१६वीं श.
१८वीं श
१८७६
१६०६
| १६वीं श
...
१८६६
१६६६
२०वी श
56
"
१६०६
२०वीं श
३
७
१० मालपुरा नगर में लिखित
३
१
N
१०६ ]
विशेष
३०
६३
२
५७
६१
अपूर्ण
६ नक्षत्रप्रकरण पर्यन्त
५६
२७
पत्र ३२, ३३, ३४ तथा
४
अप्राप्त शुभाशुककरण पन्त २० | गोचरप्रकरण
सक्रातिप्रकरण
३४ नक्षत्रप्रकरण । अपूर्ण
Page #120
--------------------------------------------------------------------------
________________
११०]
राजस्थान पुरातत्त्रान्वेषण मन्दिर
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
फर्ता
लिपिसमय
ग्रन्थनाम
विशेष
भापा
संख्या
४१६ ५६ मुहूर्तचिन्तामणि
सटीक
| ५६२ | मुहूर्त चिन्तामणि
सटीक
रामदैवज्ञ । संस्कृत | १८२८
। ६०
प्रमिताक्षरा टीका टी० स्वोपज्ञ
सं० १५२२ वाराणसी में रचित ।
भुजनगर में लिखित रामदैवज्ञ , १८४३ २४६ प्रमिताक्षरा टीका टी० स्वोपज्ञ
देखो नं० ५८६ रामदैवज्ञ , १८वीं श. ८१ विवाह प्रकरण से टी० स्वोपज्ञ
अन्त तक वाराण सी में शाके १५२२
मे रचित। , १६वीं श ४४ । अपूर्ण
मुहूर्तचिन्तामणि
उत्तरार्ध
४२२ | २६२७ । मुहूर्तचिन्तामणि
सटीक पंचम प्रकरण मुहूर्तदीपक
महादेव
१८८०
१२
१६वीं श ६३
मुहर्तदीपक व्याख्या सहित त्रिपाठ मुहूर्नदीपक सटीक
मुहूर्तमार्तण्ड
नारायण
N
४२७ | ३२२० । मुहूर्तमार्तण्ड
मुहूर्तमुक्तावली
| मुहूर्तमुक्तावली मुहूर्तमुक्तावली
| १६०० २१ १६वीं श. ३१ । शाके १४६३ में
उदकटाग्राम मे रचित । मांडवि बिन्दर में लिखित। शाके १४९३ मेंरचित नाडाप (य) ग्राम में
रचित। १८६३ १८७०८ कर्ता का निवास
स्थान नापाठग्राम था १६०२ मू सं.स्त. ध्वी श. ६
नाडायग्राम में रचित | रागू. मू संस्त. १८२ नाडायग्राम मे रागू
रचित । राधनपुर में
लिखित । मू.संस्त वीं श. ४६-६३ | रा.गू.
MY I
४३१, ३१२२ मुहूर्नमुक्तावली
६२२ मुहूर्तमुक्तावली सस्तवक |
४२५
४३३ / ६५६ मुहूर्तमुक्तावली सस्तबक
W
४३४ २३७७ मुहूर्तमुक्तावली सस्तवक
Page #121
--------------------------------------------------------------------------
________________
..
. ज्योतिष-गणितादि
[१११
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्यनाम
___ कर्ता
| भापा
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेष
मुहूर्तमुक्तावली
सस्तबक २५४२ मुहूर्तमुक्तावली
सस्तबक ३२३५ मुहूर्तमुक्तावली
सस्तवक १७८४ मुहूर्तविचार सार्थ
मुहूर्तसार सावचूरि
पचपाठ ३२६५
मुहूर्तानि २८६३ | मूलनक्षत्रविचार आदि
(६४) ४४२ २२०८ | मेघवावनी
| मू०सं०१८वीं श. १० स्तरा० मू० सं० १८७३ | १४ अगस्तपुर में लिखित । स्तरा० मू०स० १८६५ ____ ५ राधणपुर में लिखित। स्त०रा० मु०सं० १९वीं श. १६ स्त०रा० सं० १६वीं श. ३
रागु० १७वीं श. १
" १३१ वां
मेघराज
४४३ | १७ | मेघमाला ४४४ १७६८ | मेघमालादि
रा० १८४६ २ अहिपुर नगर में
लिखित रचना
सं० १७२३ रागु० १६वीं श. ५ गुटका सं०रा० | " ३३ | ज्योतिष सबन्धी
अनेक विचार हैं
अंत में कागपरीक्षा है मू०सं० १७८६ २७ पत्र २६ वांभप्राप्त स्त.रागु. | मूल्स०१८वीं श. १५ स्त.रा.गु. हि० १८वीं श. १-११
२५२२ मेघमाला सबस्तक
मेघमाला सार्थ
४४६
मेघावलीविचार
| यवनजातक
सं० | १८२०
३
मांडवी बन्दिर में लिहित।
४४६
१३
४५० ४५१
यवनजातक यात्राभाव युद्ध वर्षादिविचार पद्य
, १४वीं श ६
१८वीं श १ रागु०१७वीं श. १४२ वां
(७६)
४५२३७
योगफल
सं० १४वीं श
१८२३
३८८१
२ ६८ | मूलका वराह
४५३ ।
योगयात्राटीका
उत्पलभट्ट
Page #122
--------------------------------------------------------------------------
________________
११२]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
४५४ ६८० |योगाध्याय
४५५ १३६७ योगाध्याय
४५६ | ३८१२ ११२३
४५७
ग्रन्थ नाम
(5)
४५ = १७५७ रघु वंशशकुनावली ४५६ | २२६३ | रत्नदीपक ४६० ३४४१ रत्नावली पद्धति ४६१ ३७०८ रत्नावली पद्धति ४६२ | ३३७३ |रमल
४६३ | ३७१३ |रमल
४६४ | ३७१६ रमल ४६५ १७८५०
योगिनी दशाफल रघुवशशकुनावली
४६६ | ३७१४
४७०
४६६ | ३७३१ | रमलतन्त्र भापा
४६७ | ३७२२ |रमजतन्त्रभाषा गद्य ४६८ | ३०३६ |रमलप्रश्न
४७५
रमलग्रन्थ
रमलप्रश्नतन्त्र ३८ रमलप्रश्न संग्रह
४७१
१७७४ रमलशकुनविचार
४७२ ६७१ रमलशकुनावली ४७३ ३५०४ रमलसार संग्रह ४७४ ३२६१ रश्मिकरण द्वादश
भावफल
३२१ = | रात्रि दनसह मविधि
राजस्थानपुरातत्यान्वेपण मन्दिर
लिपि -
समय
कर्त्ता
भट्टदा
गणपति
गणपति
गणेश
गणेश
राम
राम
भाषा
सं०
रा गुसं सं०
"
""
""
"9
१७२४
१७वीं श.
१८६३
१८८०
रा० गु० ११
"
रा०
"
हि०
चिंतामणिपडित सं०
""
रा०
"3
सं०
29
१८०१
30
१८०४
१६वीं श
१८वीं श
१८वीं श.
१वीं श
१७वीं श५८-५६
१८६७
१६वीं श १८८७
१८८२ १६वीं श
पत्र
संख्या
१=७७
१८०१
१८७१ १वीं श
१६वीं श
११
१२ सिणधरी में लिखित
रत्नदीपकत
यथकारकृतरत्न
प्रदीपकथान्तर्वर्ती ।
चुडा मे लिखित |
2288
४
१० किंचित् पूर्ण |
८
६
६ |पद्यरचना
८ | कृष्णगढ़ में लिखित ६ | नाद्यारा मे लिखित ३० जीर्णप्रति है | मांड
वी विन्दर मे लिखित | १५ पल्लि कापुरी मे लिखित |
१७
५६
पत्र २, ३ तथा ८ वां प्राप्त । त्य पुष्पिका इति मुसललमानी भाषा कोरमल
२५ | नागपुर मे लिखित
Purm
M
१६
विशेष
४
५०
५
१
C++
Page #123
--------------------------------------------------------------------------
________________
ज्योति-गणितोदि
..
[ ११३
SS
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
अन्धनाम
फर्ता भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
४६
१६ रामविनोद
रामचंद्र
| संस्कृत | १६३२. ३६
अर्गलपुरमें लिखित,पत्र १ से ६ नहीं है, अक. बरशाह के महामात्य महाराजा रामदास की प्रेरणा से रचित
१
२५३६
१ ३४
तडाग्राम में लिखित
४८२
| आरंभसिद्धिगत।
४८३
४२४
१६६१
४०६
.
a
२२ शिष्यप्रियावामक'
टीका
|२५६८ रामायण दोहा
प्राहि० २०वीं श शकुनावली राहुविार
रागु०१६वीं श. ३०८६ | लग्नचन्द्रिका काशीनाथ सं० । १८८४ ३४४२ । 'लग्नचन्द्रिका
१७४६ २५६६ लग्नदोषारली
१८१ ३४४६ लग्नपरीक्षा
स० १७वीं श. ६८३ लवुजातक
१८वीं श. | लघुजातक
१७वीं श. लघुजातक
| १८१६ लघुजानक
१६वीं ४८७
| लघुजातक टीका महेश्वर ६६३ लघुजातक सटीक मू० वराह
टी.महेश्वर | लघुनातक सटीक मू० वराह
१७वीं
टी० महेश्वर ५६३ लघुजातक सटीक मू० वराह
१७२४ त्रिपाठ
टी० उत्पलभट्ट ३७८१ लघुजातंक सटीक मू० वराह
१६७५ टी० उत्सलभट्ट लघुजातक सटिप्पण वराहमिहिर १६६६ लघुजातक सटिप्पण उत्पलभट्ट
१८२४ लीलावतीगणित भास्कराचार्य
१८६४ ६७ लीलावतीगणित
१७४७ १५५६ | लीलावतीगणित
१५वीं श लीलावतीगणित
१७१५ २०.८ | लीलावतीगणित सटीक
१६६८
गंगाधर ४६६ १८६४ | लीलावतीगणितं भापो मोहनमिश्र वहिः १६वीं श
विक्रमपुर में लिखित
जावाल पुर मे लिखित कृष्ण गढ़ मे लिखित
.३
२५७१
भुजपुर में लिखित
५६७
३०
सं० १७१४ में रचित
Page #124
--------------------------------------------------------------------------
________________
११४ ]
राजस्थान पुरातत्यान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्यनाम
कर्ता । भाषा लिपि- पत्र- विशेष
भापा
| समय | संख्या
पद्य
५०० ३५६४ | लीलावती गणितभाग | लालचन्द रा० । १६१ / १ ३५ वगडीपुरवर में पद्य
लिखित । सं० १७३६
में बीकानेर में रचित ५०१ | ३७१८ लीलावती गणितभाग , रा० । १८४५) २१ । सं० १७६१ में गुढा
ग्राम में रचित । सरीयारीग्राम मे लिखित प्रस्तुत रचना वीकानेर में सं० १७३६ में ही हुई है। जो कि पेज पर समाप्त हो जाती है। शेष तीन पेजों मे अक पाश प्रस्तारादिनाणित लीलारती लिखी गयी है । जिसका रचना काल सं० १७६१ तथा रचना स्थल
गुढा ग्राम है। ५०२ | ३७२३ / लीलावती गणित भापा ,
7 रा० २६वीं श| १५
वीं श १५ | सं० १७३६ मे बीका पद्य
नेर मे रचित । संख्या ३७१८ कीरचनाऔर प्रस्तुत रचना एक है
प्रशस्ति में वैशिष्य है लेखा
, १८वीं श. १०७
१०८ | वर्पफलगणितादि
सं.रा.गु १८वीं श. | वर्पफलपद्धति (केशव | विश्वनाथ । सं० | १८५५ | १५ | मीरीमहंकावती कृन) टीका
नगरी मे लिखित । वर्पफलप्रकरण मणिस्था.?)चार्य , १७वीं श. ४ १७५५ | वर्पफल भडलीवाक्य
रा०स० १६वीं श. १०२ । गुटका शतसंवत्सरसमुद्रकल्पादि १७६१ वर्पवेसाडयाविधि तथा
"१६वीं श २ द्वादशभावफल २८४३ वराजाफल आदि
सं.रा.गू १७वीं,श १६वां
३७८०
१६८२
Page #125
--------------------------------------------------------------------------
________________
- - - - ज्योतिष-गणितादि
[११५
।
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता । भाषा
लिपिसमय | संख्या
विशेष ..
५१०
१८५० १६६६ १८२७
१७६ ८३
सवाईजयनगर में .. लिखित ।
-
Rk
RCM
is w
w
३३३५ वसन्तराजशाकुनभाषा ५११ ३४५१ वसन्तराजशाकुन वसन्तराज
वसन्तराजशाकुनसटीक वसन्तराज त्रिपाठ
टी०भानुचन्द्र वाराहीसंहिता वराहमिहिर ३७६६ विवादोष (पटल) २५१७ | विवाहदोष गद्य ६०० विवाहपटल
विवाहपटल
विवाहपटल २५७३
विवाहपटल ३२५० विवाहपटल
विवाहपटल ३७१६ विवाहपटल
२७५४ विवाहपटल ५२४ | ३८१% विवाहपटल
६०७ FEES
वीं श. रा० १८वीं श
१८वीं श १७५६ रायधनपुर में लिखित। १६७७ | राणीवाड़ा मे लिखित १८६
१००६ " १६वीं श १८६६ २५ सोमत में लिखित।
१२ | १८०० १६ शुद्धदंती में लिखित
संस.पू. १८२४
,
१६८५/
२६३७.
२५८० विवाहपटल(षट्पंचाशिका) ६८२ | विवाहपटल चौपाई अभयकुशल | रागू०/१६वीं श. ६ विवाहपटल (बाला
मू.सं.बा. १८वीं श ११ यत्रोध सहित)
राजगूर | विवाहपटल वाला- वाअमरसाधु मू स.त्रा १८१६ | कंटालियाग्राम में वबोध सहित सोमसुन्दर शिष्य राज गू.
लिखित । विवाहपटल भाषा पद्य | मतिकुशल मू.मं.वा. १८३०
राज गू विवाहपटल सस्तबक
मूस.स्त.
रापुर (कच्छवागड) राज.गू.
में लिखित । | विवाहपटल सस्तवक
मू-सं० १६वीं श
स्तरा० | विवाहपटल सस्तवक
मू-सं० , , १८
स्तरा) ३७५५ विवाहपटलसार्थ
मू०सं० १८४६, १४
अकरा० ३७७७ विवाहप्रकरण
सं० १६वीं श ६ काशीनाथ कृत शीघ्र
। बोधान्तर्गत
-
Page #126
--------------------------------------------------------------------------
________________
११६ ]
राजस्थान पुरातत्वानवेपण मन्दिर
| लिपि- पत्रक्रमांक ग्रन्थाङ्क । कर्ता भापा | लिपि
विशेष
समय | संख्या ५३५ ६४६ | विवाहान्दारन केशवार्क | सं० १७४३ / १६ श्रावलियालाग्राम में
लिखित । | २८६ | विवाहपृन्दावन सटीक केशव (2) | १८३२ १० पत्र १ से ६अप्राप्त ५३७ ।। २८३ विविधमुहूर्तनक्षत्र
रागू०१७वीं श. १६४((१०५) विचार
१६५ | ३०५६ वृत्तशन
महेश्वर सं० १४वीं श १८ वृद्वयत्रन जातक | मीनराज
१६वीं श २६६ अन्त्य २६७ व २६८
पत्र अप्राप्त । | ११५१ । | वृद्धयावन
| १७५१ १७६५ | वृष्टिज्ञान
१६वीं श १ २५७८ शकुनविवारचक्रयुक्त
५ २ दिशा के शकुन ३५.६ शकुन सनक पद्य | तुलसीदास व हि० | " | पत्र २०,२१ वा
अपाय। | २६३ | शकुनावली
हि० १७वीं श
५३६
३१११
रागू. २०वी श १५४
५४५ ३५७५ | शकुनावली
(३४) (पासाकेत्र | २८६३ शादिनप्रहर मुइन
(२८) घड़ी संख्या चौपाई ५४७ ३७७५ | शतसवच्छरी
"
१७वीं श ६४ वां
१८२७
| शतसंवच्छरी पूर्ण - | करके लेखक ने दश
अवतार के कवित्त
लिखे हैं। २२
रा०
| १८६८
१७५० शतसंवच्छरी तथा
भडलीवाक्य सतसंवच्छरी तथा
राशिफल ३५६४ शनिचार
(६) १७७% शनिपुत्तलकविचारादि ११२५ शिवालिखित
रा० गू-१७वीं श १२ शतसवत्सरी स.१७०१
से १७६९ | रा० १८६१ ३३-३४ | बगड़ी ग्राम में
लिखित । "रवीं श २ भूजनगर मे लिखित । संगू० १८२७ १-४ गुटका ।
५५२
५५३
२५४६ शिवालिखित
२५२४ | शीघ्रबोध ५५५ । २५२६ शीघ्रबोध
१
| सं० काशीनाथः । " काशीनाय । "
१६वीं श
१७४० १६वीं श
३०
Page #127
--------------------------------------------------------------------------
________________
- ज्योतिष-गणितादि
[११७
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
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-
-
-
-
-
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-
-
-
कर्ता भाषा
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
विशेष
लिपि- | पत्रसमय | संख्या
ग्रन्थनाम
काशीनाथ
५५६
३७३६ शीघ्रबोध ३८१४ शीघ्रबोध
५५७।
संस्कृत | १८३८ | २७ वीदासर में लिखित , १६वीं श. २७ अंत्य दो पत्रों में द्वाद
शभावफल लिखा है सं.अ.रा.| १६०० | ५१ | चूरूनगर में लिखित
, १६वीं श. ८८ पत्र ७६वां अप्राप्त : सं.रागु. १७वीं श. १६श्वां
२५५७ / शीघ्रबोध सार्थ - ३१२१ शीघ्रबोध सार्थ | २८६३ | शुक्रास्तोदयविचार (१०७) २००६ श्रीपतिपद्धतिटिप्पणक २८६३ श्वानचेष्टाविचार
USO
सं० १७८७ ३५ रागु०१७वीं श १४३-१४३ वां पत्र का
१४४ थोड़ा भाग त्रुटित है
५६३
पृथुयशा
मांडवी में लिखित
५६५
५६६
५६६
३८०६ १७५१
प्रथम पत्र प्राप्त
२८६३ श्वानशकुनविचार
, १७वीं श| १४०६५६ पटपंचाशिका ५६४
सं. १८४८ ३ ६७३ पटपंचाशिका
१६वीं श. ४
१७३२ । । १२२६ पटपंचाशिका ५६७ ३७३८
१७६१ पट्पचाशिका षट्पंचाशिका
१७७० पटपंचाशिका सटीक पृथुयशा
टी० उत्पलभट्ट षट्पंचाशिका सटीक | पृथुयशा
१८४४ टी०उत्पलभट्ट षट्पंचाशिका सटीक पृथुयशा
१७५४
टी०उत्पलमट्ट ३४४७ पट्पचाशिका मवालाव. पृथुयशा संवा०१८वीं श. बोध
रागु० पटपंचाशिका सार्थ
सं०अ०
वहि० ३८०७ पटपचाशिका सार्थ
सं००
५७० ! २५
।
५७१ । २५
ट
५७२
| ३७३०
लयां मे लिखित ।
७४
नागोरनगर में लिखित ।
३३७४
पटपंचाशिका सावचूरि
पंचपाठ ५७६ ३२५१ षड्बलवार्ता
१७७६
श्रीपति पद्धतिटीका के आधार से रचित पत्तननगर में लिखित
Page #128
--------------------------------------------------------------------------
________________
११८]
राजस्थानपुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता । भापा
लिपि- पत्र समय | संख्या
विशेप :
सं०
१८२०
६ मांडवी वन्दिर में
लिखित।
" १८वीं श
५७७ १७७६ | पड्वर्गफल
३१३७ | पड्वर्गफल ५७६ | ३७७१ | पड्वर्यफल ५८० ६०१ | पषिप्तवत्सरफत ५८१ ६५४ पष्टिसंवत्सरफल
पोडशयोगवर्णन सटीक
१० हिल्लाजजातकगत
रा. गू०१८वों श
" | १८७१ सं० १९८२
५८२ | १७७३
भुजनगर में
लिखित ___E नागौर मे लिखित।
| ३८०८ पोडशयोगविचार तथा
गुरुचार ६ सकेतकौमुदी
हरिनाथ भट्टाचार्य
५८५ २५४३ / संक्रान्निफल
३५०४ | संक्रान्तिफल ३८०४ | सकान्तिफल आदि
रा० गू० १७५४
स० १६वीं श. सं०रा० १७३.
५ कुवडा ग्राम में
लिखित ।
रा. गू०१६वीं श
२५४० | संक्रान्निफल तथा
पूनमविचार ३२१७ | सज्जनवल्लभ | २६२६ संज्ञाविवेकविवृति
भानुपंडित माधव
| सं० १६१३
"१वीं श
१४ | वांकानेर में लिखित ४४ | अपूर्ण। नीलकठकृत
ताजिकग्रंथ के संज्ञाविवेक नामक प्रथम प्रकरण की टीका है।
989
सन्तानदीपिका समरसार
१८०८ १८३६
५६३ । २१३ समरसार सटीक
" १६वीं श
४२
रामचन्द्र सोमयाजी रामचन्द्र सोमयाजी टी० भरत रामचन्द्र सोमयाजी टी० भरत
| समरसार सटीक
|
२६ | ग्रन्थ का मुख्य विषय
युद्धजयोपाय है टीका कार मूल ग्रन्थकार का छोटा भाई है।
Page #129
--------------------------------------------------------------------------
________________
ज्योतिप-गणितादि
[११६
__ क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय । संख्या
विशेष
५६५ २६२५
समाविवेक विकृति
माधव
सं०
१८वीं श
| अपूर्ण, नीलकंठकृत ताजिकग्रंथके समाविवेक नामक द्वितीय प्रकरण की टीका
५६६ / १४६ सर्वार्थ चिन्तामणि
६३३ सहमफलस्पष्टाध्याय ३२३६ सहमानि ३२६४ सवत्सरसार ३१६६ । संवत्सराचानयनविधि २५५६ साठसवच्छरदोहा २८३७ साठसवच्छरफल
साठसवच्छरफल
बँकटेशशिष्य सं० १९.३
रा०१६वीं श स.रा० १७८४
१८१२
१०० चुडा मे लिखित ।
१ २ २२ १३ १२ ४५
१वीं श
६०६
१८६०
६१ | १-२२
५६१ साठसंबच्छरी
१७वीं श. सानुद्रिक
स० १०६ १९८१ | सामुद्रिक
" १८वीं श सामुद्रिक
" | १७७३ ३८०५
" सामुद्रिक
१६वीं श ११३२ सामुद्रिक दोहा चौपाई सुमतिसुम(१) ७० हि० "
३२६०
M
ernm k km x
अजैलाप के विनो दार्थ रचना
-
F
रा० । १७७४ मू सं वा. १६६८
६२३ | सामुद्रिक भाषा पद्य ८४५ सायति
सामुद्रिक भाषा वंध २५७२ सामुद्रिक शास्त्र गद्य २५६४ सामुद्रिक सवालावबोध ३४५० सामुद्रिक सवालावबोध
सामुद्रिक सवालावबोध १८८६ सामुद्रिक सार्थ
प्रथम पत्र अप्राप्य
मू संवा १७वीं श | रागू० मूस वा १५३१ | रागूः मूस अ. १६वीं श | रा० गू०
m
गुटका । ७५ वां पत्र में सामुद्रिक पूर्ण होता है।
| २५३२ सामुद्रिक सार्थ
मूस अ. रो० गुण
-
-
-
--
-
-
-
--
-
-
-
-
-
-
Page #130
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________________
१२० ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
६१८ ३०१२ सामुद्रिक सार्थ
६१६ | ३५२७ सामुद्रिक सार्थ
६२० ३२८० सारणी
६२१ ३२२६ सारसंग्रह ६२२ | १७६० | सारसंग्रह सबालावोध
६२३ ३७०१ सारसंग्रह सार्थ
ग्रन्थनाम
६२४ १६६० सारावली ६२५ | ३०५६ | सारावली ६२६ १८६८ सावरण
(५)
६२७ ३७५१ साहाकाढणरा दूहा ६२८ | २६१३ | सिद्धांतरहस्योदाहरण ६२६ | २६१० सिद्धान्तशिरोमणि सिद्धान्तशिरोमणि (खेटकर्म ब्रह्मतुल्यो
६३०
२६६
दाहरण)
६३२ २६४० सिद्धांतशिरोमणिसटीक ६३३ २८६३ | सुभिक्षादिवर्णन पद्य
६३४
(१६)
=१४ सूक्ष्मारोदय
६३५ १७६६
राजस्थान पुरातत्वान्बेषण मन्दिर
लिपि -
समय
कर्त्ता
६३१ २६३८ सिद्धांतशिरोमणिसटीक भास्कराचार्य
मुजादित्य
(शिवस्वरोदय) सूतिकाध्याय जातककुंडली विचार पंडूवर्गविचार
कल्याण कल्याण वर्मा मालदेवजी
मोतीराम विश्वनाथ भास्कराचार्य
भास्कराचार्य
भाषा
सं०
मू.सं. बा.
रा० गु०
मू. महादेव भट्ट मू सं.अ. १७६७
मू.सं.य. १७वीं श.
सार्थ
रा० गु०
मू.सं.अ. १७८१
रा० गु०
रा० गु०
स०
39
रा०
""
सं०
"3
"
"
टी कृष्णदैवज्ञ "
"
22
१८वीं श.
१६०४
१८११
रा० गु०
१६वीं श १८४८
१८६१
१६१५
मू.सं.अ. १८२
पत्र
संख्या
१५
सं० १६वीं श
५ भुजनगर में लिखित ।
१८वीं श
२०वीं श.
१३६ रा० गू० १७वी श १० वां
१५०
३० राधनपुर में लिखित
२८
२५
१७वीं श.
२
१६वीं श
可以
१७६३ | १–१३ |गुटका । (पर्वतसर में
लिखित) इसके पांच पन्ने तो ठीक अवस्था अन्तिम पेज
आपस में ऐसे चिपके
हुए हैं जिन्हें खोल
कर पढ़ना भी असम्भव है। ३ सं. १८३२
रचित ।
पत्र ७१वां श्रप्राप्त ।
पत्र ३,४
प्राप्त
७२
६०
१७
विशेष
धमड़कानगर मे लिखित |
३२ पूर्ण ।
३
३३ | भुजनगर में लिखित
Page #131
--------------------------------------------------------------------------
________________
" ज्योतिय-गणितादि
[१२१
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
मन्थनाम
कर्ता
भापा
लिपिसमय संख्या
विशेष
६३७
६३६ / ६३४ | सूर्यचन्द्रपर्वाधिकार | भास्कर
१२ सूर्यसिद्धांत | २८-३, सूर्यसिद्धान्त
३७११, सूर्यसिद्धान्त गोलाध्याय
२४
सं० १८वीं श १ करणकेशरीगत " रध्वीं श. , शा.१६३६ " | १६१३, १६ श्रीउदयसिंघजीशासित
चित्रकूट मे लिखित
प्रथम पत्र अप्राप्त रा० १६वीं श १ सं० १७वीं श.१४१ वां
| १७६३ | स्त्रीकुंडलिकाविचार २८६३ स्त्रीगर्भनिर्णय (७७) | ३७५० | स्त्रीजन्मकुंडलिकाफल २५५२ / स्त्रीजन्मपत्रीपद्धात
१४वीं श | १८५०
११
लब्धिचन्द्र
३
सं० १७५१ में वेलाकूल मे रचित
रामचन्द्र
| २५५१ स्त्रीजन्मपत्री फल
६०३ स्त्रीजातक
६८९ स्त्रीजातक । ५८५६ | स्त्रीजातक | ३७४८ स्त्रीजातक
१६वीं श
१७८६ १७वीं श
१७६७ | १८७६
विश्वनाय रामचन्द्र
६४६, ३७६३ स्त्रीजातक
रामचन्द्र
१६वीं श
१२
| गूर्जरपत्तन में रचित ६ प्रथम पत्र नहीं है।
सवाई जयपुरमेलिखित | ग्रन्थकार गूर्जरपत्तन
निवासी थे। १२ ग्रंथकार का निवास
स्थान गुर्जरपत्तन था। पत्र ८ वां में प्रकरण पूर्ण होने के बाद लेखक ने स्त्री कु डलिका विषयक काव्य लिखे हैं चमत्कार चिन्ता मण्यन्तर्गत । सरीयारी मे लिखित।
६५०, ३७६४ | स्त्रीजातक सटीक
१८४८
६५१ ३७६४ स्त्रीजातक सार्थ
१६
मू०स० १८५२ अव्राक सं० १८वीं श
६५२
३२ | स्वप्नाध्याय
४ प्रकरणकर्ता हरि
दास का शिष्य व पुत्र होगा, अन्त्य पृष्ठ खराब होने से अस्पष्ट है।
Page #132
--------------------------------------------------------------------------
________________
१२२ ]
क्रमांक प्रथाक
मन्थनाम
६५३
३०११
स्वप्नाध्याय
६५४ | ३१८६ | स्वप्नाध्याय ६५५ | १७४० स्वरोदय
( नरपतिजयचर्या ) ६५६ १७५६ स्वरोदय
६५७ २५१० स्वरोदय ६५= | ३७८६ | स्वरोदय ६५६ ३७२६ |स्वरोदय नापा पद्य १६० | ३७०२ | स्वरोदयशास्त्र ६६१ | २५४= | हस्त रेखा चित्र ६६२ | १७४ = |इंसचक्र ६६३ | २६३० | हायनरत्नटीका
६६४
६६५
राजस्थान पुरातत्रान्वेषण मन्दिर
३०४० हिल्लाजताजिक ६८५ |होराप्रदीप सार्थ
६६६ | ३२२१ | छोराप्रदीपक सार्थ
६६७
१७५८ |होलीविचार कार्तिक शुक्ला ५ विचारादि
कर्त्ता
चरनदास
चिदानंद
चरनदास
जीवनाथ
बलभद्र
भाषा
सं० १६वीं श.
१७६०
१८८०
"
19
ब्रःहि०
रा० सं०
व्र हि०
सं०
लिपि -
समय
29
१६०२
१९११ १८वीं श.
१६वीं श
१७वीं श
रा०गु० १६वीं श. सं. १६वीं श
१६वीं श.
पत्र
संख्या
१६०८
"
मू.सं.अ. १६वीं श. रा गु.
मू सं . १८६२
रा.गु. ब्र. हि. गु. १६वीं श.
१
५
કદ
१४
aw is mar.
२१
१३
२
११०
२४
५
१०
१
10
विशेष
भुजनगर में लिखित कर्ता का नाम रनजीत था, उनके गुरु सुखदेवजी ने बदल कर चरनदास रखा सं० १६०७ में रचित
अपूर्ण । पत्र १,१५से २० तथा ५ वा
अप्राप्त ।
Page #133
--------------------------------------------------------------------------
________________
(१३) छंद-शास्त्र
माक
अन्याङ्क
___ ग्रन्थ नाम
का
लिपि- पत्रभापा समय संख्या
विशेष
ब्रज हि०
अनुप्रासकथन अनुप्रासकथन अष्टगणविचार गणविचारचोपाई
19 m
"
"
५६६ ५७६ ५८१ २८६३ (२३) २१५६ २४५६
"
हीरकलश
| राज.
, ,
गणसिद्धिप्रकार गाथालक्षण सटीक
३ | अपूर्ण
अपूर्ण
५७
छंदरतनमाला
संस्कृत ,, , मू० प्रा०१७वीं श.
टी०सं० कविभोलानाथाव० हि० १८वीं श. भट्ट महासिंघ , १८७६ सेवग साधुराम
|" " १८६७ रत्नशेखर । प्राकृत १८वीं श
५८० छंदशृंगार
२०
on a on us
सं० १८५५ में मेरता में रचित। कृष्णगढ़ में लिखित ।
२४६०
छंदसूची पद्य छंद कोश छंदःकोश पिगल
| १६७३
अपभ्रश१८वीं श. ३६ | नागडी ग्राम में
लिखित । वज हि १६०२ २७ | कृष्णगढ़ में लिखित।
गढा में लिखित ।
सूरत
पिंगलग्रन्थ पिंगलभापाजन्मपत्रिका पद्य आदि पिंगल सटीक
राज० १८वीं श. ४७
२३६४
SEE
रघुनाथरूपक
मंछाराम सेवक , ध्वीं श. ७६ | सं०१८६७ में
जोधपुर में रचित । भवानीदास | रा० गूध १८५८ | ७ | रचना स० १७७६ पुष्करणा बज हि०
२३६४ / रूपदीपक पिंगलभाषा
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #134
--------------------------------------------------------------------------
________________
१२४ ]
, राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
५७६ | रूपदीपक
जैकिसन
। ब्राहि. १८२६ / १-५
सं० १७०६ में रचित गूढा में लिखित । सं० १७७६ में रचित
२४५७
or "
रूपदीपपिंगल वर्णपनाकामेरुविधि वर्णपताकामेरुविधि वृत्तचन्द्रिका वृत्तमौक्तिक
१८वीं श. १६वीं श.
८
गदावर
व्रज.
२३
५८३
चन्द्रशेखर
सस्कृत
१७वीं श
कवि
१८वीं श. १२ १८३६ ७वीं श. ८ १५वीं श. ५ १६६१ ।।
७४
१८१
रिणी में लिखित ।
१८वीं श. ११ १७वीं
वृत्तरत्नाकर भट्टकेदार वृत्तरत्नाकर
वृत्तरत्नाकर १६७२
वृत्तरत्नाकर
वृत्तरत्नाकर २४५४ वृत्तरत्नाकर २४५५ वृत्तरत्नाकर २४६८ | वृत्त वाकर (१)
वृत्तरत्नाकर टीका ३४०२ 'वृत्तरत्नाकर टीका ३६५४ वृत्तरत्नाकर टीका ३६५७ वृत्तरत्नाकर टीका ३००४ वृत्तरत्नाकर सटिप्पण | केदारभट्ट
वृत्तरत्नाकर सटीक मू० भट्टकेदार त्रिपाठ
टी-समयसुन्दर १६७६ वृत्तरत्नाकर सटीक समयसुन्दर
रचनासं०१३२६ (१)
सं० १३२६ में रचित
३७
५५०
सं० १६६४ मे रचित
१६६६
टीका रचना संवत् १६६४ जालोर में।
| ३६५३ वृत्तरत्नाकर सटीक ४० | ३६५६ | वृत्तरत्नावली
चिरजीव
ध्वीं श. ३१ १८१६
यशवंतसिह नृपति के विनोदार्थ रचित मकसूदाबाद में लिखित । भुजनगर में लिखित
४१, ५७०
श्रुतबोध श्रुतबोध
कालिदास
| "
ध्वीं श.
२
"
"
"
३०
Page #135
--------------------------------------------------------------------------
________________
छन्द-शास्त्र
[ १२५
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्यनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
श्रुतवोध
कालीदास । संस्कृत १७वीं श. ३ श्रुतवोध
" श्रुतबोध टीका
" १८वीं श. १ कालीदास रचित
श्रुतबोध की टीका १९७७ श्रुतबोध सटीक मू० कालीदास ,
आडिसरनगर में टी.मनोहरशर्मा
लिखित । ४७/ २४५२ | श्रुतबोध सटीक त्रिपाठ मू०-कालीदास , १७वीं-श. -५ -- माणिक्यमल्ल-क्षितिटी.मनोहरशर्मा
| पाल के सन्तोषार्थ
टीका रचना। | २४५३ श्रुतबोध सटीक त्रिपाठ मू० कालीदास , १८वीं श. ८
टी० हंसराज
मुनि श्रुतबोध सटीक त्रिपाठ मू० कालीदास
७ अजयदुर्ग में लिखित टी मनोहरशर्मा श्रुतबोध वालावबोध मू० कालीदास "
मेडता में लिखित। सहित त्रिपाठवा० नेतृसिंह । श्रुतबोध सार्थ त्रिपाठ मू० कालीदास ,
रापुर रायपुर (कच्छटी.मनोहरशर्मा
वागड) में लिखित
111 111 il
-
-
Page #136
--------------------------------------------------------------------------
________________
KH
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
१ ३५५७ रागमाला
(2)
२८३२ रागविलास
(७)
(१४) संगीत - शास्त्र
कर्त्ता
३ ८४७
रागसागर (गद्य)
४
देव
२५२८ | सगीत रत्नाकर चतुर्थाध्याय ५ २६५४ | संगीतराज (फोटोकापी) कुम्भकर्ण
भाषा
व्रज
हिन्दी
"
लिपि -
समय
"
राज० १६वीं श
संस्कृत
पत्र
संख्या
१७६१ ७३-७४
१७७४ ६८-१०२ गुटका
,, ""
w o
२१
विशेष
| १६वीं श. प्लेट
दो विभाग हैं ।
५०८ | पहले विभाग की प्लेट २२० और दूसरे विभाग की प्लेट २८८ एवं कुल
५०८ प्लेट हैं ।
Page #137
--------------------------------------------------------------------------
________________
(१५) कामशास्त्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
विशेष
समय
कल्याण
| १७०१
७३७ | अनंगरंग १८७६ अनंगरंग
अपूर्ण गुटका
७३६
पत्र १, २ नहीं है।
कामसमूह कामसूत्र
वात्स्यायन
अपूर्ण प्रति है पर
वात्स्यायन
| "
१६४५
२०४
२५ वां अप्राप्त । टीका जयमंगलानामक
ब्रज
१८वीं श
२३७६ कामसूत्र सटीक
| कोकसार चौपई २२६८ कोकसार चौपई
कोकसार चौपई ३५६० | कोकसार चौपई
आनन्दकवि श्रानन्दकवि आनन्दकवि
१८६८
वालिम में लिखित गुटका पर्वतसर में लिखित ।
आनन्दकवि
ब्रज हि. १७६५ | १-१८
१८११ | कोकसार चौपई १६०२ कोकसार चौपई
आनन्दकवि | ब्रज हि १६वीं श आनन्दकवि ब्रज हि "
(३)
गुटका
- १२ १८३८ कोकसार चौपई सस्तबकाम् आनन्दकवि ब्रज हि १६००
| कोकशास्त्र (भाषागद्य) कोकदेव राज. गू | १६१२ १४ ७३८ कोकशास्त्र (भाषागद्य) कोकदेव राज. गू १८१४ १५ १८३४ कोकशास्त्र
नरबद राज. गू १८वीं श , १६ १८३३ | रतिप्रमोद
जगन्नाथ राज
१८५७
५ मात्र १०वां प्रकार।। २२ , सं० १८२२ में
जैसलमेर में रचित
Page #138
--------------------------------------------------------------------------
________________
(१६) काव्य नाटक चम्पू
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
पत्र
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपिसमय | संख्या
विशेष
शाकुन्तल
| कालीदास
संस्कन
तृतीयांक पर्यन्त, खण्डित प्रति।
२ | ३३१६ अभिज्ञान शाकुन्तल
| अर्थरत्नावली | समय सुन्दर (अष्टलक्षार्थी ) टीका
,
१७२७ १६६३ |
४३
| "राजानोददते । सौख्यम्” इस चरण
के आठ लाख अर्थ
४ | २३७६
अष्टपदी
जयदेव
,
२०वीं श. १से१२ | गीत गोविन्दगत ।
टीकानाम अानन्दवर्तिनी, सुखवर्तिनी
८०४
आनन्दवृन्दावन चम्पू | मूल कर्णपूर |, १९१२ | ४८६
सटीक त्रिपाठ टीका (१) ११४५ ऋतुसंहार
कालीदास
१८५७ कमला भारती संवाद । मधुसूदन भट्ट , १९वीं श. १६४८ कर्पूरमंजरीनाटिका राजशेखर । प्राकृत | १६५३ २६७२ कर्पूरमंजरीनाटिका
संस्कृत | १६३५ १०. टीका २६८८ कादंबरी पूर्व खण्ड वाणकवि |, १७वीं श. ८५ १८३६ | कान्हगुजरीझगड़ा
| व्र० | १८३० | २-८
४८८ किरातार्जुनीयकान्य
भारवि
संस्कृत
१७०४
६०
आद्य पत्र १ अप्राप्त गुटका अन्त्यपत्र सुशोभन है। सूरतिविंदर मे लिखित । भुजद्रग में लिखित
१३ | ५०८ | किरातार्जुनीयकाव्य १४ १८५४ | किरातार्जुनीयकाव्य
१६७१ | किरातार्जुनीयमहाकाव्य | २८७२ | किरातार्जुनीयकाव्य
८० ८३
१८१६ १७८८ १७८ १८२६
५७ |वलाहूवपुर मे लिखित
Page #139
--------------------------------------------------------------------------
________________
काव्य-नाटक-चम्पू
[१२६
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
१२५
१००
१५६६
४७६
१४६२
३४०४ | किरातार्जुनीयकाव्य भारवि सं०१६वीं श. ४४ प्रथम पत्र अप्राप्त १६५३ किरातार्जुनीयकाव्य मल्लिनाथ
पत्र से७ अप्राप्त टीका
श्रीमत्कणी में लिखित | किरातार्जुनीयपंचदशम प्रकाशवर्ष १७वीं श. १३
सर्ग टीका ३४०५ | किरातार्जुनीयलघुटीका
१७२८ किरातार्जुनीयलघुटीका भारवि
१६१६ दंतीपाटक में सहित त्रिपाठ
लिखित । किरातार्जुनीयकाव्य | भारवि
आसलकोटनगर में सटिप्पण
लिखित । कुतुबशत
१५७० १५४५ कुमारपाल चरित्र
| जयसिंहसूरि सं० १४८३ महाकाव्य | कुमारपाल चरित्र जयसिंहसूरि
महाकाव्य १६१६ कुमारविहारशतक रामचन्द्र
१६वीं श. कुमारविहारशतक
१८वीं श कुमारसंभवकाव्य कालीदास
१७२३ २४ सप्तमसर्ग पर्यन्त २८७५ कुमारसंभवकाव्य
कालीदास
१८२७ २७ वी (वी) क्रमपुर में
लिखित । १५२७ कुमारसभवकाव्य
कालीदास
१५३०
अष्टमसर्ग पर्यन्त १५२६ कुमारसभवकाव्य
कालीदास | १५२६
जीर्णप्रति ५१४ कुमारसंभवकाव्य
कालीदास
१७त्री श सप्तमसर्ग पर्यन्त ४६५
कालीदास कुमारसंभवकाव्य
१७ | सप्तमसर्ग पर्यन्त
अनूपपुरा में लिखित २८२ कुमारसंभवकाव्य कालीदास १४३१ ६३ अष्टमसर्ग पर्यन्त ।
पुष्पिका 'स्वस्ति सं. १४३१ वर्षे द्वितीय श्रावण शुदि १४ शुक्र
अद्य हमूदरडीग्राम राजश्रील्लप्रतिप्रती मेदपाटज्ञातीयपं राउलसुन पं राघवेणकुमार। सभवकाव्यपुस्तको | लिखित ।
१६४२ २४८४
१७५२
-
-
-
-
-
-
Page #140
--------------------------------------------------------------------------
________________
१३०]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषणमन्दिर
न
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
अन्थनाम
कर्ता भाषा
लिपि- पत्र| समय | संख्या
विशेष
दास
१६६०
"
१७१२
कुमारसम्भव काव्य | मल्लिनाथ संस्कृत १८ची श. ७०- | सप्तम सर्ग पर्यन्त टीका
पत्र १४ वां अप्राप्त | १९५४ कुमारसभव काव्यटीका
, १६१२ | १२० सप्तम सर्ग पर्यन्त ।
देलवाडा मे लिखित | ३६३३ कुमारसंभव काव्यटीका
|, १८वीं श ४३ सप्तमसर्ग पर्यन्त ३८ | ५०७ | कुमारसभव काव्यटीका चारित्रवर्धन | " | १८०५ | ३८ प्रथम पत्र अप्राप्त
रचना सं० १८०५ अरडकमल्ल की प्रार्थना से टीका
रचना। कुमारसभव काव्य लघु
अष्टम सर्ग पर्यन्त टीका सहित त्रिपाठ कुमारसभव काव्य
सप्तमसर्ग पर्यन्त सटीक त्रिपाठ.. कुमारसंभव काव्य कालीदास
| सप्तमसर्ग पर्यन्त सटीक पंचपाठ टी०मल्लिनाथ
पट्टभेद नगर में
लिखित। २६७६ | कुमारसंभव काव्य | कालीदास , १६वीं सप्तमसर्ग पर्यन्त -
सटीक पंचपाठ कुमारसंभव काव्य मूकालीदास
, १७वीं श) ४६
सप्तमसर्ग पर्यन्त सावचूरि द्विपाठ कुमारसभवाष्टमसर्ग सापचूरि पचपाठ कृष्णरुक्मणीवेली पृथ्वीराज
(पीथल) कृष्णरुक्मणीवेली | पृथ्वीराज
| १७५० रचना स०१६३७ (पीथल)
भुज मे लिखित कृष्णरुक्मणीवेली पृथ्वीराज
|, १८६७ कृष्णरुक्मणीवेली पद्य | पृथ्वीराज
१८वीं श २० मूल रचना सवत् टीका सहित (पीथल) टी०
१६३८ (?) पद्य गोपाललाहौरी
रचना सं०१६४४। ४६ ३७४३ | कृष्णरुक्मणीवेली भू-पृथीराज मूव्रज १७६% ३५ मूल रचना सवत् पद्यवालावबोधसहित | वाजयकीर्ति बाराज
१६३८ सं०१६८६ में बीकानेर में बालावबोध रचना।
श./ ३०
,
१६वीं श.
व्रज १६वीं
Page #141
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________________
काव्य-नाटक-चम्पू
.
१३१.]..
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भापा
लिपि-7 पत्र समय | संख्या
विशेष...
-
| ३६४२ कृष्णरुक्मणीवेली पृथ्वीराजकल्या- मू. व्र..-१७३८ . ८१ | मू. रचना सं..१६३७, वालावबोधसहित णमलोत, वा. वा. रा.
वाला. र. स. १६४४, शिवनिधान । कृष्णरुक्मणीवेली मू पृथ्वीराज | राज० | १७६१ | १-६६. योधपुर में लिखित.। सटीक कल्याणमलोत
मू रचना सं १६३८ ५२ | ३५४८ | कृष्णरुक्मणीवेली मू. पृथ्वीराज मू. ब.हि.१८गं श. १-७३ सं०६८६ मे बीका| सवालाबोध वा. जयकीर्ति वा. रा.
नेर मे बालावबोध रचना । पेजलदी.
तिमरी में लिखित । ___५३ | २०६६ | कृष्णरुक्मणीवेली मू पृथ्वीराज | मू रा. १७६ | ३३ न्यग्रोधनगर मे सस्तवक | (पीयल)
लिखित । मू. रचना । स्त. शिवनिधान
सं० १६३८ । ___५४ | १८६८ | कृष्णरुक्मणीवेलीसार्थ | पृथ्वीराज
| मू व्र. १७६२ / १-६७
गुटका। अद्रिशर (पीथल) अ. रा.
मे लिखित । कल्याणमलोत ____५५ | २०७० कृष्णरुक्मणीवेलीसार्थ | मू. पृथ्वीराज मू. व्र. | १७२२ ४६ / चहूबाण श्री (पीथल) अ. रा.
राजसीजी के शासन में सोहीगांम में लिखित । स. १६३८
(१४),
में रचित।
सं० १७वीं श " | १६७२
५६ २४७४ | खण्डप्रशस्ति सटिप्पण | २८७७ खण्डप्रशस्ति (दशावतार टी. गुणविनय
स्तुति) सटीक त्रिपाठ गीतगोविन्द
जयदेव गीतगोविन्द
जयदेव
१२ २६ | सं. १६७१ में टीका
रचना । गुटका।
२वीं श
११५
Jोंश
"
हवीं श
| २८५८ गीतगोविन्द | ३८७६ | गीतगोविन्द सटीक
त्रिपाठ गीतगोविन्द सार्थ
जयदेव मू जयदेव
४६ | पत्र २३ यां तथा
२७ वा अप्राप्त ।
| मू. जयदेव
स अ.रा | १७२८
५४ | गुटका । रूपनगर में
लिखित पत्र ३५ से ४१ तक नष्ट।
Page #142
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________________
१३२ }
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्र
_ विशेष समय | संख्या ।
am & 06
६३ / १०८ गीतगोविन्द वालाव- । मू. जयदेव मू सं.बा. १८वीं श. वोधसहित
रागु० १७०२ घटखपरकाव्य सटीक
| सं० १८७५ २४६६ घटखपरकाव्य सटीक
| " १७वीं श त्रिपाठ ३४११ | घटखर्परकाव्य सटीक | मू कालीदास " १८वीं श
टी शंकरसूरि ३४१६ घटखर्परकाव्य सटीक मू कालीदास " १७वीं श २३६२ जगनबत्तीसी जगन पुष्करणा व्र० हि० १७७६ (१०) १५३१ दमयंतीकथा चम्पू
त्रिविक्रमभट्ट सं० | १५१८ दमयंतीकथा चम्पू त्रिविक्रमभट्ट
१६वीं श दमयंतीकथा चम्पू त्रिविक्रमभट्ट
| १४६१ १६६२ दशावतारवर्णन
१७वीं श (खण्ड प्रशस्ति (1) २१६१ दुगोलीगांवरी गजल | अर्जुनचन्द्र । . १६३४ | दुर्घटकाव्य सटीक
१७७६
८ राजाराम रघुवीर
की बत्तीसी
१६६४ १९६५
७५ ५५
शोधित प्रति है। सिरोही में लिखित।
५ रचना सं. १९२६
अहम्मदपुर में लिखित ।
१८८६
दुर्घटकाव्य (दशावतार स्तुति) सटीक त्रिपाठ दूतागढ़ नाटक दूतांगद नाटक दूतागद नाटक नखशिख वर्णन
३२८६
।
सुभट सुभट कवि सुभट कवि केशवदास
" १५वीं श ४ " १७वीं श ४
१८५० ६ नागपुर में लिखित। वहि० १८वीं श६०-१०६
U
-
३६८४ नखशिख वर्णन सार्थ मू. केशवदासमूब हि. १७५६ | २३ रसिकप्रियान्तर्गत
अरा
वालोत्तरानगर में
लिखित । नलोदय
सं. १७२८ ७ ३०-३ नवरत्नकाव्य
"१वीं श २ 1३५६६ नवरसकाव्य
नारायणदास गू०१७वीं श८-२६
भरुची २५०६ नगराजशतक
नागराज
सं०१६वीं श ११ १८ नीतिमजरी
सवाई प्रताप हि० १६वीं श.६३-७३
रिनीतिशतक 1 (२४) सिंहजी
पर भापा काव्य।
Page #143
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________________
क्रमांक मन्थाङ्क
5දි
८७
८८
८६
- ग्रन्थनाम
१
१५३६ नैषधीयचरित सटिप्पण ६२ ३६०६ नैषधीयचरितमहा
६४
२६ | नैषधीयचरितमहा
काव्य
४०६ | नैषधीयचरितमहा
काव्य
१५२६ नैषधीयचरितमहा
काव्य
१६३७ | नैषधीयचरितमहा
काव्य
२६८२ | नैषधीयचरितमहाकाव्य प्रथम सर्ग टीका
काव्य
६३ | ३६१० | नैषधीयचरितमहाकाव्य सटीक द्वितीय सर्ग त्रिपाठ
३६११ | नैषधीयचरितमहाकाव्य सटीक तृतीय सर्ग त्रिपाठ
६५ ३६११ | नैपधीयचरितमहाकाव्य सटीक त्रिपाठ
०३
६६ | ३६१३ | नैषधीयचरितमहाकाव्य सटीक पंचम सर्ग त्रिपाठ
३६१४ | नैषधीयचरितमहा
काव्य-नाटक चम्पू
श्री
कर्त्ता
"
"
19
नारायण
श्रीहर्ष कवि मू० श्रीहर्ष
मू० श्रीहर्ष टी० नारायण
मू० श्रीहर्ष टी० नारायण
मू० श्रीहर्ष टी० नारायण
० श्रीहर्ष टी० नारायण
मू० श्री
काव्य सटीक पष्ठ सर्ग टी० नारायण
त्रिपाठ
६८ ३६१५ | नैषधीयचरितमहाकाव्य सप्तम सर्गे
त्रिपाठ ६६ | ३६१६ | नैषधीयचरितमहाकाव्य | मू० श्रीहर्प
टी० नारायण
सटीक अष्टम सर्ग त्रिपाठ
मू० श्रीहर्प टी० नारायण
भाषा
संस्कृत १६वीं श.
१६वीं श.
""
29
19
"
""
99
""
""
14
""
31
""
लिपि -
समय
"
१५०१
१६वीं श.
१६वीं श
१५१६ | १८५
१५वीं श १४५
A
१८४७ ६२
""
१८८
१८५५
१८८६
पत्र
संख्या
१६वीं श.
५५
| १६वीं श
७८
१३७
१८
१६
२१
१५
२२
१८
१६
२३
विशेष
[ १३३
सप्तम सर्ग पर्यन्त
अन्त्य पत्र (७)
अप्राप्त ।
सर्ग १५ पर्यन्त
१६ पूर्ण भृगुपुर मे लिखित |
वीरपुर मे लिखित |
भट्टपुर में लिखित ।
Page #144
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________________
१३४ )
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
-o
tan
-
-
-
Domoovees
o
-
DODo
DOORNameeDommu
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
| भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
,
१६वीं श. २८
१०४
१०० ३६१७ | नैषधीयचरितमहा- मू० श्रीहर्ष
काव्य सटीक नवम टी० नारायण
सर्ग त्रिपाठ १०१ | ३६१८ नैपधीयचरितमहा
मू० श्रीहर्ष काव्य सटीक दशम | टी० नारायण
सर्ग त्रिपाठ | ३६१६ | नैपधीयचरितमहा- | मू० श्रीहर्प
काव्य सटीक एकादश टी. नारायण
सग त्रिपाठ १०३३ ३६००
पधीयचरितमहाकाव्य सटीक द्वादश टी० ना ायण
सर्ग त्रिपाठ ३६२१ नैपधीयचरितमहा- मू. श्रीहर्ष ।
काव्य सटीक त्रयोदश |टी नारायण
सर्ग त्रिपाठ १०५ ३६२२ नैषधीयचरितमहा- मू० श्रीहर्ष
काव्य सटीक चतुर्दश | टी० नारायण
सर्ग त्रिपाठ १०६ | ३६२३ नैपधीयचरितमहा
काव्य सटीक पंचदश टी० नारायण
सर्ग त्रिपाठ | ३६२४ नैपधीयचरितमहा- मू० श्रीहर्ष
काव्य सटीक षोडश टी० नारायण
सर्ग त्रिपाठ १०८ ३६२५ नैषधीयचरितमहा- मू० श्रीहर्ष
काव्य सटीक सप्तदश टी० नारायण
सऐ त्रिपाठ. | ३६२६ । नेपधीयचरितमहा- मू० श्रीहर्प
काव्य सटीक अष्टादश टी० नारायण
सर्ग त्रिपाठ ११० ३६२७ नैपधीयचरितमहा- मू० श्रीहर्प
काव्य सटीक एकोन-टी नारायण विंशतितम सर्ग त्रिपाठ
,
१८वीं श. १६
१८८६
२३
,
१८वीं श ३७
.
१८वीं श: २४
,
ध्वीं श. १८
-
-
-
-
-
-
-
Page #145
--------------------------------------------------------------------------
Page #146
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
r
ग्रन्थ संख्या ४२६ ।
हस्तलिखित ग्रन्थसूची ( प्रथम भाग )
आनन चरावर खरुः श्रीनारायणः श्री यनी॥ ग्रंथ संस्ह्या ८९ ८४॥ चतयत्सप्ता पर्वतविष्यति॥नशायमा यः श्लोकः॥ ततोऽब्रवीन्मयः पार्थं वास्तु दिवासोत प्रांजलिःल यावा या इज यिचा मुनःपुनः॥शिवमनुसर्वजगतःपरहित नि रतात दंडवगणाः । दोषाःप्रयां चुना शंस वत्रख खीसवच लोकाना : संच मु त्रिषः संयत्रिणः। प्रधनाःधनाः सूं संतोजीचं संततं ॥ द्धि दलू१५०५ वार्षशाके १३०० प्रवर्तमाने दक्षिणायने शिशिर जाँतो महामांग लावल सहशै मा ग्निश्वदिपाक्रम्रतिपतिथिगुरुवासरे नेषधपुर वसता ज्ञातिसरोजिनी विवखतो ज्योतिश्री जयशमात्रेण कर्म लाक नाभ पना ३३४ चैतथाखाञ्च येशिल नांवावना थी तथा सर्वषां वनांमनोविनोदाय श्रीमहाना रतीयं आदिमंप बसि खितं लिलिख॥ चिरं नंदखल कंहारः प्रसादात्॥ श्रीम
महाभारत विक्रम संवत् १५०५ मे लिखित
Page #147
--------------------------------------------------------------------------
________________
1
क्रमांक ग्रन्थाक
१११
११२
११४
११५
कर्त्ता
३६२८ | नैषधीयचरितमहाकाव्य मू. श्रीहर्ष सटीक त्रिशतितमसर्ग टी. नारायण त्रिपाठ
११३ | ३६३० | नैषधीयचरितमहाकाव्य मू० श्री हर्प सटीक द्वाविंशतितम
नारायण
सर्ग त्रिपाठ
१२०
१२१
१२२
१२३
१२४
३६२६ | नैषधीयचरितमहाकाव्य मू. श्रीहर्ष सटीक विंशतितमसर्ग टी नारायण त्रिपाठ
११६
१६४३ पद्मानन्दकाव्य ११७ ४७६ | पार्थपराक्रम व्यायोग
१२५
११८ २६७३ | पार्थपराक्रम व्यायोग
११६
१२६
ग्रन्थनाम
१२७
काव्य-नाटक- चम्पू
१२८
१६२८ | नैषधीयचरितमहाकाव्य मू. श्री हर्ष सावचूरि पचपाठ ८६ पउमचरियं
विमलसूरि
३३१३ प्रबोधचन्द्रोदयनाटक मू. कृष्णमिश्र सटीक त्रिपाठ
टी रामदास
दीक्षित
अमरचन्द्र
१६५२
बाल भारत
१६६६ | बालरामायणोद्धार २१६२ | बिहारीसतयासार सिगाररसपुंजसतक
२३४ महानाटक
२६४६ महानाटक
३५०२
६८
अमरचन्द्रसूरि प्रल्हादन
प्रल्हादन
महानाटक
सटीक
महाभारत (हरिवंश)
१०६ | महाभारत अश्वमेधपर्व
४२६
सटीक महाभारत आदिपर्व
हनुमत्कव हनुमत्कव
भाषा
हनुमत् टी० मोहनदास मिश्र कृष्णद्वैपायन
व्यास
कृष्णद्वैपायन
व्यास
कृष्णद्वैपायन
व्यास
सं० १६वीं श.
"9
37
७७.
"
35 १६६७
प्रा० १६वीं श
सं० १८वीं श.
१७वीं श
55
१६६०
29
"
51
""
सं०
99
33
लिपि - पत्र
समय
संख्या
39
33
व्र. हि. १६३३
""
१८८६
"
36
१७वीं श १६वीं श.
१७२६
१६वीं श
"
१६वीं श
""
१५०५
२०
३१
심
२५३
१०० सुशोधित प्रति ।
७
86m 6
६
७
७०
२११
२
त्र
१३५ ]
१५६
विशेष
४१
प्रथम और अन्त्य पत्र नव्य लिखा है ।
श्रष्टमसर्गमात्र
७
६६ अपूर्ण । पत्र १, २
अप्राप्त
पत्र २६ वां श्रप्राप्त
कैलाशयात्रा
हरिपुर में लिखित
१२८
३३४ पत्र १ से २६ श्रप्राप्त नैपधपुर मे लिखित
Page #148
--------------------------------------------------------------------------
________________
१३६ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
-
-
-
00
0
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक प्रन्याङ्क
अन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपिसमय ।
विशेप
पर्व
१३४ १८८८ महा
महाभारत आश्रम- कृष्णद्वैपायन संस्कृत १८२६ वासिकपर्व
व्यास महाभारत ऐषिक पर्व | कृष्णद्वैपायन सटीक
व्यास महाभारत गदापर्व कृष्णद्वैपायन , १८०० सटीक
व्यास १०६ | महाभारत प्रास्थानिक | कृष्णद्वैपायन
व्यास १०८ | महाभारत मौशल पर्व | कृष्णद्वैपायन
व्यास महाभारत विराट् पर्व शिवदास वहि० १६वीं श) १६
अपूर्ण ७४१ | महाभारत शान्ति पर्व | कृष्णद्वैपायन |
अपुणे व्यास १०० महाभारत शान्ति पर्व कृष्णद्वैपायन , १६वीं श. २४०
(राजधर्म प्रापधर्म) व्यास
सटीक १०५ महाभारत शान्ति पर्व कृष्णद्वैपायन , १६वीं श. ४३३
सटीक (मोक्षधर्म) व्यास महाभारत सटीक कृष्णद्वैपायन , १६वीं श. ५३५ (हरिवंश)
व्यास महाभारत सटीक कृष्णद्वैपायन , १६वीं श. ३११
आनुशासनिक पर्व व्यास
( दानधर्म) टी० नीलकठ १८८७ महाभारत सटीक
पत्र १०वां अप्राप्त त्रिपाठ अश्वमेध पर्व १८८७) महाभारत सटीक
" , " १६वीं श. ६५ । (१६) त्रिपाठ शान्ति पर्व
आपद्धर्म १८८७ महाभारत सटीक त्रिपाठ |, १६वीं श ४३८ । | पत्र १ से १०१ (२०) आरण्यधर्म (वनपर्व)
अप्राप्त । १८८७ | महाभारत सटीक
| , , , १८वीं श २८ (१०) त्रिपाठ आश्रमवासिक
(१४)
पर्व
१४४ १८८७ महाभारत सटीक
। (३) त्रिपाठ उद्योगपर्व
"
"
,
१७६०
३०४ । पत्र १५१ से २०६
अप्राप्त।
-
Page #149
--------------------------------------------------------------------------
________________
काव्य-नाटक-चम्पू
[१३७
कर्ता
१७६०
१७८
क्रमांक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थनाम
लिपि- पत्र| भाषा
विशेष
| समय | संख्या १४५ | १६७४ | महाभारत उद्योगपर्व | कृष्णद्वैपायन संस्कृत १७वीं श.७०से१३३ अपूर्ण
व्यास महाभारत सटीक मू.कृष्णद्वैपायन ,, त्रिपाठ ऐषिकपर्व टी० नीलकंठ महाभारत सटीक मू.कृष्णद्वैपायन , त्रिपाठ कर्णपर्व | टीः नीलकंठ महाभारत सटीक मू कृष्णद्वैपायन , १७६१ त्रिपाठ गदापर्व टी० नीलकठ महाभारत सटीक
१७६१ द्रोणपर्व महाभारत सटीक
१८वीं श. ११ त्रिपाठ मौशलपर्व महाभारत सटीक
" १८वीं श. ७६ त्रिपाठ विराटपर्व महाभारत सटीक
१६वीं श. ५ त्रिपाठ विशोकपर्व महाभारत सटीक
,, १७६० ४५ शल्यपर्व महाभारत सटीक त्रिपाठ
" १६वीं श. १०० शान्तिपर्व-दानधर्म महाभारत सटीक
"१६वीं श. ३०० । (१७) शान्तिपर्व-मोक्षधर्म ।
पूर्वार्द्ध महाभारत सटीक
१६वीं श ३०१से (१८) त्रिपाठ शान्तिपर्व मोक्ष
धर्म उत्तरार्द्ध महाभारत सटीक
१६वीं श. २१० । पत्र १ऽध्या अप्राप्त (१५) त्रिपाठशान्तिपर्व राजधर्म महाभारत सटीक
१८वीं श| १२४ . अन्त्य १२५ मा पत्र त्रिपाठ सभापर्व
अप्राप्त। महाभारत सटीक
१८०८ २० | सौप्तिकपर्व १६० १८८७ महाभारत सटीक
" १८वीं श २० , (११) स्त्रीपर्व
अपूर्ण
१८५७
१८७
१८८७
-
-
-
Page #150
--------------------------------------------------------------------------
________________
१३
]
राजस्थानपुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
| भाषालाप- पत्र
विशेष
समय | सख्या
१०६
सानन्द ग्राम में लिखित ।
महाभारत सभापर्व कृष्णद्वैपायन संस्कृत | १६"५ व्यास
(१५५५)? महाभारत सौप्तिकपर्व मू कृष्णद्वैपायन " सटीक महाभारत स्त्रीपर्व
व्यास
१०४
११० | महाभारत स्वर्गारोहण २६७४ मुरारिनाटकटिप्पण ४७८ मेघदूत
४७८
१६५ १६६ १६७ १६८
१५वीं श
१६५१ १६वीं श. १८६२
कालीदास कालीदास कालीदास
मेघदूत मेघदूत
५०१
१७ मांडवी बिन्दर में
लिखित ।
१६६
मेघदूत
१७१
मेघदूत
१६२८ १८४३ १८५३ १७वीं श
१७६८ | १६५३
१३
मेघदूत
आऊआ मे लिखित साचुर में लिखित।
२०
१७५
१९४५
कालीदास १७० २४७३ मेघदूत
कालीदास २८७४
कालीदास २६८४
कालीदास १७३ ३६३६ मेघदूत
कालीदास ३५३२ मेघदूत कल्पलता मू. कालीदास
व्याख्या सहित | २३० मेघदूत टीका
मल्लिनाथ १७६ ४६६ | मेघदूत टीका मल्लिनाथ ३६३५ | मेघदूत टीका
मल्लिनाथ १७८ ४६० मेघदूत मटिप्पण म कविकालीदास १७६
५०५ मेघदूत सटिप्पण
३३६१ । मेघदूत सटिप्पण कालीदास १८१
४७४ | मेघदूत सटीक कालीदास
१५४१ मेघदूत सटीक मू कालीदास १८३ | ३४३१ | मेघदूत सटीक मू कालीदास "
२६८५ | मेघदूत सावचूरि पचपाठ मू कालीदास " १८५२
२६८६ | मेघदूत सावचूरि पचपाठ मू कालीदास "
१६वीं श १८वीं श
६० संजीवनी टीका
संजीवनी टीका
२७
१५वीं श १८वीं श. | १५४८ १६वीं श. १७वीं श १८वीं श १७वीं श | १६५८
१५ झाकग्राम मे लिखित।
| ३४०६ | मेघदूत सुखलतावृत्ति । मू कालीदास "
१८वीं श
१७
Page #151
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक ग्रन्थाक
ग्रन्थनाम
१८७ २९७१ मोहपराजय नाटक १८८ १६६८ | यशोधरचरित्र १८६ | १६६१ | युधिष्ठर विजयमहाकाव्य सटीक
१६०
४७ | रघुवशमहाकाव्य १९१ १५२५ | रघुवंशमहाकाव्य
१६२ | २८७६ | रघुवशमहाकाव्य
१६३ | २६०३ | रघुवशमहाकाव्य
१६४ | ३१२० | रघुवंशमहाकाव्य १६५ | ३६३२ | रघुवशमद्दाकाव्य १६६ ०११ | रघुवंशमहाकाव्य नवमसर्ग सटीक
१६७ १६५७ रघुवंशमहाकाव्य सटीक
१६८ | १६७० रघुवंशमहाकाव्य सटीक त्रिपाठ
१६६ २६७५ | रघुवशमहाकाव्य सटीक त्रिपाट
२०४ ५०६
काव्य-नाटक- चम्पू
कर्त्ता
यशः पाल
माणिक्यसूरि मू० वासुदेव
टी० रत्नकंठ
राजानक
कालीदाम
"
"
33
39
मूकालीदास टी-मल्लिनासूर मू० कालीदास टी०मल्लिनाथ कालीदास
मू० कालीदास टी० श्रीवल्लभ
२०० | ४६७ | रघुवशमहाकाव्य टीका | मल्लिनाथ
२०१ | ३६३१ | रघुवशमहाकाव्य टीका मल्लिनाथ २०२ | २८७३ | रघुवंशमहाकाव्य टीका | समयसुन्दर
२०३ ४८६ | रघुवशमहाकाव्यटीका
"
रघुवशमहाकाव्य टीका गुणविनय
i
भाषा
संस्कृत १५वीं श
१६६२
१८वीं श.
59
"
22-2
י
"
"
دو
33
39
"
"
77
"
23
33
11
1
लिपि -
समय
1
१६०२
१५वीं श
१६६५
१८८४
पत्र
संख्या
१७
३०
७१
१८६१ ११४ १६वीं श. १६वीं श
६४
१६४४
8 x xxx
१७वीं श. १४५
१६वीं श३५३
६६
१००
५१
६२ | पत्र ३१ से ३५
६८
१८
१४०
१८०६ १८४
[ १३६
१७०२ । ८४
विशेष
१६वीं श. २२५
प्रथम पत्र अप्राप्त
राव श्री दुर्गाजी के शासन मे रामपुरा मे लिखित ।
१८५६ ! ७६ ६ सर्ग पर्यन्त भुजनगर मे लिखित | भट्टपुर मे लिखित स० १६६२ मे स्तम्भ तीर्थपुर में रचित | छालारदेशे चरणथली ग्राम मे लिखित | सं० १६६२ में स्तभतीर्थ मे रचित कबर के शासन
काल में विक्रमपुर मे मं० १६४६ में
| रचित |
सप्तम आश्वास पर्यन्त |
अप्राप्त ।
जयपुर में लिखित प्रथम पत्र प्राप्त
१६ सर्ग पर्यन्त १७ व अपूर्ण ।
Page #152
--------------------------------------------------------------------------
________________
१४० ]
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
। कर्ता
भाषा
लिपिसमय संख्या
विशेष
१५४४ रघुवंशमहाकाव्य जनार्दन । सं० १६वीं श.
लघु टीका २६६ रघुवंशमहाकाव्य | मू. कालीदास मू. सं. १७नीं श. टिप्पणी सहित
टी.रा.गू. । १६६५ रघुवंशमहाकाव्य साव- मू. कालीदास स० १६वा श
चूरि प्रथम सर्ग सुमतिविजय
१७
२
२१५
२०८ | ३३५७ रघुवशमहाकाव्य सावचूरि मू कालीदास " | १६६० | २०६ ४७० रघुवशसर्ग परिचय
" १७] श २१० | २०६८ | रसिकमनमोदिका सुखदान व्र.हि. २११ २४६३ राक्षसकाव्य
कालीदास सं० २१२ १६६७ | राक्षसकाव्य सटिप्पण मू 'कालीदास | १८७५ | ३०२८ | राधिकानखसिख वर्णन केशवदास व्र.हि.
न.हि१८वीं श २१४ | ३६८९ रामाज्ञा
तुलसीदास
१४वीं श. १८४७ रामाज्ञासुगुरणप्रबन्ध | तुलसीदास
१८४० २१६
रामकृष्णकाव्य पंडित सूर्य | स० १६वीं श ८६१ रामचरितमानस
तुलसीदास क्र. हि १८६५ रामचरितमानस
तुलसीदास १२३४ रामचरितमानस
तुलसीदास लंकाकांड ३०५५ रामायण बालकांड | वाल्मीकि
वीं श. प्रथमसर्ग रामायणबालकांड वाल्मीकि प्रथमसर्ग लखपति (कक्छनरेश) कुअर कुशल व्र।
मंजरी नाममाला २२३ ११२१ लखपतिमनरी नाममाला कु अर कुशल व्रज.
१८८५
कवित्तवध पत्र ३,४ तथा २३ वा अप्राप्त।
१६वाश.
७
SSE
१३
२२४ १८६३ लगनपच्चीसी
जगदीश भट
अ.हि. १८५६
१२ सं० १७६४ में रचित
कच्छनरेशवंश वर्णन १३ भुजनगर मे लिखित ।
भुजनरेश के वश
वर्णनमयकृति है। १८ गुटका सवाई जय
नगर मे लिखित । सवाई प्रतापसिंहजी
की आज्ञा से रचना १६ | प्रथम पत्र नहीं है।
२२५, ५१० लटकमेलकप्रहसन
| शखधर
स० १८वीं श.
Page #153
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________________
काव्य-नाटक चन्पू
[ १४१
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
२२६ | १६५०
१७०७
लटकमेलकप्रहसन वाग्भूषणशतक
शंखधर संस्कृत १७वीं श. १२ रामचन्द्र
| " | १६११ १३ टी० स्वोपज्ञ
२६२ | वासुदेवस्तुतिश्लोक
पचार्थी टीका सहित
वासना वासुदेवस्य वासितं भुवनत्रयम् । सर्वभूतनिवासीनां वासुदेव नमोऽस्तुते इस श्लोक के पाच अर्थ हैं।
१५२० | २०१
विदग्धमुखमण्ड
श.
१३
적적
सं०१६६६ में तेजपुर में टीका रचना। शक्तिपुर में लिखित।
वासुपूज्यचरित्रमहाकाव्य
धर्मदास १९२३ विदग्धमुखमण्डन १६३५ विदग्धमुखमण्डन
| विदग्धमुखमण्डनटीका शिवचन्द्र विदग्धमुखमण्डन मू० धर्मदास सटीक
टी०विनयसागर विदग्धमुखमण्डन | मू० धर्मदास | ,
सावचूरि त्रिपाठ | विदग्धमुखमण्डन
सावचूरि पचपाठ अ० सहदेव विदग्धमुखमण्डन मू० धर्मदास सावचूरि पचपाठ | विदग्धमुखमण्डन " सावचूर्णि विद्वज्जनाभिरामकाव्य मूकालीदास सटीक विरहमंजरी नन्ददास
석
:
적
적
१४२से
:
विरहसलिता
"
"
रचना सं०१८५०
सवाईप्रतापसिंहजी पुरुषोत्तम
१७६
विष्णुभक्तिकल्पलता
प्रवन्ध १६६० | विष्णुभक्तिकल्पलता
प्रवन्ध टीका
महीघर
१७६६
१७ | स० १६५७ में गिरी
। शपुरी में लिखिता
Page #154
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________________
१४२ ]
क्रमांक 'ग्रन्थाङ्क
२४४
२४५
२४६
२४७
ग्रन्थ नाम
२५५ २५६
२२६५ | विसरभंजन ६३ शतार्थकाव्य सटीक
५०२ | शिशुपालवधकाव्य
१५२८ | शिशुपालवधकाव्य
२४८
२६७६ | शिशुपालवध काव्य २४६ ३०७५ शिशुपालवध काव्य
२५०
३३५६ शिशुपालवध काव्य
२५१
२५२
64
२५३ | १७०४ शिशुपालवध टीका २५४ | ३६३४ | शिशुपालवध टीका
HOD HY
५११ शिशुपालवध टीका ५१५ | शिशुपालवध टीका
राजस्थान- पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
२६८०
२६८१ | शिशुपालवध सटीक
त्रिपाठ
कर्त्ता
सिवदान सोमप्रम
टी. स्वोपज्ञ माघकवि
माघकवि
माघकवि
माघकवि
माघकवि
वल्लभ
वल्लभ
दिनकर मिश्र श्री वल्लभ
शिशुपालवध सटिप्पणमू माघकवि
मू माघकवि टी वल्लभ
भाषा
राज० २०वीं श.
स०
१६६३
""
"
"
"
""
33
""
,"
"
""
लिपि -
समय
""
121
१५१४
१वीं श १८८६
१६वीं श.
१८०४
१८६६
१वीं श १८३८
१७०४
१७०१
पत्र
संख्या
२
२६
६३
विशेष
११६ | श्रीमद्रण हल्लपुरपत्तने ढढेरवाटके
एकवृत्त के सौ अर्थ है।
१० म सर्ग पर्यन्त । महादुर्ग मे राजानन्द लिखित |
६७
५६
११४
६५ १६वां सर्ग पर्यन्त ।
२६७
१०६
१६२
श्री जयप्रभ सूरिणा स्त्रहस्तेन मुनि पूर्णकलशपठनार्थ लिखिता
११ वे सर्ग पर्यन्त । राधरपुरनगर मे लिखित |
६०
१० वां सर्ग पर्यन्त |
२३४ विजयसिंह शासित
मृतसागर
वांत द्वारा लिखित ।
विक्रमपुर मे लिखित
१५ वे सर्ग के वे
श्लोक पर्यन्त टीका लिखित है। वहीं पत्र १९४वे के प्रात
में लेखक ने इस प्रकार पुष्पिका लिखी
'स. १६६४ दि १४ दिने बीकामध्ये '
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________________
, काव्य-नाटकचम्पू
,
[ १४३
-
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-
-
क्रमांक प्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेष ।
२५७ । ४७५ शीलदूत
२५८
५० शृगारतिलक
सतसया सतसया
चारित्रसुन्दर संस्कृत १६वीं श . ६. मेघदूत चतुर्थपाद
। समस्या पूर्तिबद्ध कालीदास , १७वीं श ३ विहारीदास वाहि० १८वीं श २७
१७१५ | ११० । संवत् १७०२ में
| आगरा में रचना। सुभटपुर मे लिखित
१८५७
२६१ / १८५६ २६२ १८६८
२६
मतसया सतसया
१७६१
२६३ । १६००
गुटका । (पर्वतशर मे लिखित ) शाकम्भरी में लिखित ।
मतसया,(इ)
२६४ १६०२
सतसया (इ)
१६वीं श. १-५३
ર૦૭૬
सतसया सतसया
१८वीं श २० १८७७ । ३६
कृष्णगढ़ मे मगनीराम कवि ने लिखी। रचना स० १७१६ । मेडता मे लिखित ।
| सतसया
सतसया २२८५ सतसया
सतसया
१८वीं श १८७० १८३८
१३ ३४ ३०
२३६३
प्रथम पत्र अप्राप्त गुटका। गुटका
सतसया
१७७४ २२सेन
३३५२
उदयपुर मे लिखित
१७८७ १८५६ १८५८
सतसया अर्थ सहित सतसया टिप्पणीसहित सतसया पद्यटीका. मू० बिहारीदास सहित
टी० कृष्णकवि सतसया सटीक बिहारीदास
| टी० कृष्णकवि
२३६६
१८२३
मधुपुरीगांव में टीका रचना गुटका, स०१७८२ मे मधुपुरी गांव में टीका रचना। सं० १८३४ में टीका की रचना।रूपनगर मे लिखित, प्रथम पत्र अप्राप्त।
२७६ / २२८१ / सतसया सटीक त्रिपाठ
,
१८३५ / १३४
बिहारीदास टीव्हरिचरनदास
Page #156
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________________
१४४]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
-
पत्र
क्रमांक प्रन्याङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता
| भाषा
लिपिसमय संख्या
विशेष
सतसया संस्कृत विहारीदास वाहि० १८०५ टिप्पण सहित टी०नान्हान्यास टी०सं० सतसया सार्थ पंचपाठ | विहारीदास बहि० १७६३ / ४८
२७२
८७६ | सतसया टिप्पण
अनवरचन्द्रिका नाम
मू०विहारी
,
१८वीं श.
६
श्रुतबोध नामक टिप्पण। सं० १७४२ में बुरहानपुर में रचित, पत्तन में लिखित ।
आदि के तेरह प्रकाश नहीं हैं, १४, १५, १६ प्रकाशमात्र। अपूर्ण देहका नाम और वर्णकथन युक्त। भुजनगर मे लिखित ।
८
| सतसया टीका सतसया सूची
गिरधर | मगनीराम
" ,
२०वीं श. १९२१ /
२८२ | २६८६ | स्वप्न वासवदत्ता टीका नारायण
सं०
| १७३० / ३६
Page #157
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमाक ग्रन्थाक
१
१४६ | वृत्तिवार्तिक २२६६ | मरचन्द्रिका
ग्रन्थनाम
(३)
(१७) रसालंकारादिशास्त्र
३ / २३३८ अलकारभेट कवित्त
४ ५७२२
अलकारशास्त्र
५ २३६७ श्रष्टजाम
६ २४६१ | उज्ज्वलनीलमणि
E
३७ | कविकटीक
१. कविकल्पलता
६ ३२८६ | कविकल्पलता
1
कर्ता
अपय्यदीक्षित संस्कृत सूरतमिश्र
खुसराम
देवदत्त
शंखधर
देवेश्वर
देवेश्वर
१० ' ११६६ 'कविकुलकटाभरण सटीक मू दुलाराय =६० | कविप्रिया
११
१२. २६६४ / कत्रिप्रिया सटिप्पण
केशवदास केशवदास
भाषा
१३ | १७२१ | कत्रिरहृम्य (अपशब्द हलायुध भापास्य काव्य) टीका | टी. रविधर्म
सावचूरि
१६१० ०हि० | १८२०
२०वीं श प्राकृत | १५वीं श
संस्कृत
लिपि -
पत्र
समय संख्या
म
४२
| ० हि० ( १६वीं श७२ से ६०
""
""
"
१६५० १६वीं श.
१७वीं श
१८८३
टी हि १६वीं श
० हि० | १८३१ ऋ० हि० | १७५७
'सम्कृन ध्वन
१८
७
५०
११
विशेष
विहारीदासकृतसतसया की टीका है | जोधपुर नरेश श्री अभयसिंहजी के श्रमात्य अमरसिहजी की प्रार्थना से
रचित ।
अपूर्ण ।
पूर्ण
(छन्दोनुवर्ती) ६७ | पत्र १ से ५ व २६
१०
वा नहीं है। ३२. मांडवी बंदर में लिखित |
२८
१२७ भुजनगर मे लिखित । स्तम्भ तीर्थ मे लिखित, प्रारम्भ से इन्द्रजीत नृपति का विस्तृत
वर्णन है। संद १६५८ में रचित ।
Page #158
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________________
१४६ ]
राजस्थानपुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
--
--
क्रमांक ग्रन्याङ्क
ग्रन्यनाम
कर्त्ता
भाषा
लिपि- पत्र समय | संख्या
विशेष
___ ८६
१४ | १५४३ | कविरहस्य (अपशब्द | मू. हलायुध | सं० १६६३
भापाख्य) टीका सावचूरिटी रविधर्म १५ / २२३४ कविवल्लभ हरिचरनदास वहि० १९८४ ____७३ | स० १८३६ मे रचित १६ । २२६७ | कविवल्लभ हरिचरनदास " १८८६
१२७ / स० १८३६ मे रचित
कृष्णगढ़ में लिखित । १७ ४८२ कवि शिक्षा
अमरचन्द्र स० १७वीं श. ११० १८ । २४८२ काव्यकल्पलता अमरचन्द्र
" १७६६ १६ ३६३६ । काव्यकल्पलतावृत्ति अमरचन्द्र | " १६वीं श. ४४ दधिपद्रपुरमें लिखित । २० १८५१ । काव्यप्रकाश सटीक मू मम्मट
.१५ | अपूर्ण। २१ १६७५ । काव्यप्रकाशसकेत मम्मट २२ . ११२६ | काव्यसिद्धांत
सूरतमिश्र त्राहि० " २३ २२६३ | काव्यसिद्धांत
सूरत मिश्र
१९२५ १६ | कृष्णगढ मे लिखित
| स. १७६८ मे रचित। २४ | ११२८ | काव्यसिद्धांत सार्थ सूरतमिश्र
स.१७६८ मे रचित, महाराजकुमार लखपतजी (कच्छ राजपुत्र) के पठनार्थ
लिखित । ५१३ | काव्यालंकार (शृ गारा- वलदेवस १८वीं श ४
लंकार) कुवलयानन्द
अप्पय्यदीक्षित "१७वीं श ७१ २७ । ३४२२ । कुवलयानन्दटीका वैद्यनाथ (अलकारचन्द्रिका)
स १६०४ मे रचित २१८७ओमविलाम
खुमराम वहि० १६०८
६५ | साढेछासठ पत्र प्रथ(मगनीराम)
कार के पुत्र बलदेव द्वारा लिखित, अन्तिम भाग ग्रथकार द्वारा लिखत स्वकीय पुत्र बलदेव के निमित्त रचित । अथ के प्रांत मे मेडता के राज
वंश का वर्णन है। २६ २८ ! गुमपिनाम
ग्यपूर्ण। यमराम
२८वीं ८७ (नगनीराम)
"
१५वीं श|
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________________
रसालंकारादिशास्त्र
[ १४७
लिपि
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कत्ता
भापा
पत्रसंख्या
विशेष
समय
४५
३० | २२४६ खुसविलास खुसराम वहि० १६०८ | ७१ रचनासं०१६०४,ग्रन्थमगनीराम
कार ने अपने पुत्र बल देव के लिए यह प्रति
कृष्णगढ़ में लिखी। २८३ चन्द्रालोक
जयदेव सस्कृत १६वीं श. २६ २४७६ चन्द्रालोक
१९२४ १३ | कृष्णगढ में लिखित २४७५ चन्द्रालोकटीका महादेव , १७४८ १२ | १६६६ चन्द्रालोकसटीक त्रिपाठ मू० जयदेव , | १६०१ /
टी भट्टाचार्य जलवयशहनशाहइश्क
जयकवि वहि० २०वीं श, १६ | अपूर्ण ३६ २२८६ | जलवयशहनशाहइश्क | जयकार |, १६४५ २१ सं० १६४५ मे प्रकाशिकाटीकायुक्त | टी-स्वोपज्ञ
कृष्णगढ़(हरिदुर्ग)मे रचित, स्वय कर्ता
द्वारा लिखित । दृष्टिनिरूपण भगवद्दास , १८वीं श. ११ । ग्रन्थकारकृत शृगा
रसिधु का हवा
कल्लोल। २३४३ नायकभेटवर्णन
,२०वीं श६ प्रश्नोत्तर परतापपचीसी शिवचद
अजमेर मे लिखित। २५५५ पिंगलशास्त्र हरिराम
१६२८, १६ छंदरतनावली,
स. १७६५में रचिता ३२६६ भावशतक
नागराज सं० १८३७, २२ | २२३८ | भापादीपक हरिचरनदास बहि० १८८६ १८ कृष्णगढ में लिखित.
स०१८४४ मे रचित। ४३ ८५ भापाभूपन
जसवतसिह , १८५६ | १८ ध्राग में लिखित । ४४ १३० भाषाभूपन
हवीं श. ६-१०
२३३७
कृष्णगढ मे लिखित
४५ । २१५५ भाषाभूपन १६ १८४८ | भापाभूपन ४७ २२६४ भापाभूपन ४८ २६८३ रघुवशादि महाकाव्य
दुर्घटानि । १५४० रसतरंगिणी
भूपण
1208 हरिचरनदाम , १९०५/ १५ राजकुडकवि | स०१८वीं श. ३३ भानुदत्तमिन्न, वीं श. २३
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________________
१४८]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
-
-
--
-
-
-
--
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
पत्र
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपिसमय
| संख्या
विशेष
२४६४ / रसतरगिणी ५१ | ३४१४ रसतरंगिणी
भानुदत्तमिश्र सं० । १८८६ भानुदत्तमिश्र
|, १७१४
४७ कृष्णगढ़ में लिखित । १४ डीडवाणपुर में
लिखित । द्वितीय
पत्र प्राप्त। १२६ रचना स० १८४१ ।
भानुदत्तमिश्र
"
१६वीं श
५२ २०५ | रसतरगिणी सटीक
त्रिपाठ | २२४१ / रमनिवध
खुसराम
ब्रहि० १६१४
५४ २२५१ रसनिवध
खुमराम
ज.हि. १६१४ |
१२ स. १६१४ में अज
मेर में रचित, और स्वयकर्ता द्वारा लिखित, कर्ता ने अन्त में अपने दो नामो का इस तरह पृथक्करण किया है 'न्यात जात व्यवहार मे मगनीराम कहात । कविताछ द प्रवध मे
कविखुसराम विख्यात' १८ | स १६१४ मे अज| मेर मे रचित और कर्ता द्वारा लिखित प्रशमादर्श, कर्ता कवि
वृदजी के वंशज हैं। १२ स० १६१४ मे
रचित, प्र थकार के हस्ताक्षर, कृष्णगढ
में लिखित । ३० स० १८४६ मे रचित
प्रथमादर्श है । ग्रथकार प्रसिद्ध कवि वृन्दजी के वशज
५५ २२८६ रसनिवध
खसराम
"
१६१४
५६ २२५० । रसप्रबोध
दौलतकवि
"
| १८४६
५७, २३६६ | रसग्रवोध
दौलतकवि
"
| १८४६
३० | सं. १८४६ मे कृष्ण
दुर्ग मे रचित प्रथमादर्श।
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________________
*
रसालकारादिशास्त्र
[१४६
-
क्रमांक ग्रन्थाहा
प्रन्यनाम
कर्ता
लिपि- पत्रभाषा
| समय / संख्या
विशेष
२३६७ | रसमंजरी
भानुदत्तमिन | संस्कृत १४वीं श. १५०से |
१६८ १६वीं श, १८ १८५४ १८२६ भुजनगर में लिखित । १६वीं श. १६२० १८५६ । कृष्णदुर्ग में लिखित । १७वीं श जोधपुर में लिखित। १८२७
२४/ रसमंजरी ३६३ | रसमंजरी
रसमंजरी रसमंजरी रसमंजरी
रसमंजरी રદES रसमंजरी ३०६७
रसमंजरी ३६३% रसमंजरी
रसमंजरी ११४० रसमंजरी
२३
१६वीं श ७ कुलपतिमिन ब्रहि० १७७६ / ८९
| सं. १७२७ में रचना राजगढ़ में लिखित।
रसरहस्य
-
ब्र.
१८वीं श
७०
२२८८ | रसरहस्य
ब्राहि० १८०२ /
मगनीराम
७२ २२३५ रसराज ७३/ २२४८ रसराज
१६०३ १८८६
सं. १७२७ में आगरा मे रामसिंघजी की
आज्ञा से रचित। कृष्णगढ़ में लिखित। कृष्णगढ़ में लिखित, कर्ता ने अपने दो नाम इस दोहा से वताए हैं। 'बोलन में मो नाम है मगनीराम सुहात । कवित छद के वध में कवि खुसराम विख्यात'। स. १८२२ मे रचिद
मगनीराम
११११ | ३०५
२८४८ रसराजसटीक
| रमवर्णनकवित्त फुटकर (२)
रसविलास
२३४७
२०वीं श४-७
गोपाल
१८५७ / २५
लाहोरी
म.१६४४ में मिरजाखान के विनोदार्थ रचित।
-
-
-
-
-
Page #162
--------------------------------------------------------------------------
________________
१५० ]
राजस्थानपुरातत्यान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता | भापा
लिपि- पत्र समय | संख्या
विशेप
७७ ११३४ रसविलास
कृष्ण
न हि
१७८८
१६२ | विहारीकृत सतसया
की टीका सं. १७८ में रचित। कच्छ नरेश देशलजी के कुमार लखपति के विनोदार्थ रचित तथा उनके लिये
लिखित प्रति। ६४ भुजनगर मे लिखित ।
८५५ | रसिकप्रिया ७ .०६ रसिकप्रिया ८० १६७८ रसिकप्रिया ८२ १८६८ | रसिकप्रिया
कशवदास केशवदास केशवदास
१८५६ १८१५ १७३३
गुटका। साहनिहानाबाद में लिखित। गुटका । पर्वतसर में लिखित ।
केशवदास
१७६१
१८वीं श.
१६
३१
२०६६ रसिकप्रिया २०७७ | रसिकप्रिया २२८७ रसिकप्रिया २३६५ रसिकप्रिया ३०३३, रसिकप्रिया
केशवदास केशवदास केशवदास केशवदास केशवदास
१६०५ ६२ कृष्णगढ मे लिखित । १८४३ १३२ १७७२ २५ अजितसिंहजी शासित
योधपुर में लिखित । १८वीं श. ६३ १८०१ ६० १७६५ ३२-११०
केशवदास
३०३४ रसिकप्रिया
रसिकप्रिया ३५६० | रसिकप्रिया
केशवदाम केशवदास
२२८३
३५६ रसिकप्रिया
केशवदास
" "
१८वीं श २ रनिकप्रिया सटीक मू केशवदास " | १८७६ | १०४ । साहिपुरनगर मे टी हरिचरनदास
लिखित । ३०२१ रसिकप्रिया सस्तवक केशवदामन.हि स्त. १७६२ | १४२
राग ३०२२ | रसिकप्रिया सस्तवक | केशवदास ।
१७३४
स्तवक रचना सं
१७२४ जोधाण में। ३६१३ | रसिकप्रिया सस्तवक | मू केशवदास "
६६ तर्णीपुर मे लिखित। १८७६ रसिकप्रिया मार्थमू केशवदाम व हि० १७४१
गुटका। अरा०
"
१७
१८७७
-
-
-
-
-
Page #163
--------------------------------------------------------------------------
________________
रंसलिंकारादिशास्त्र- - -
१५१ }
--
-
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता
भाषा लिपि- पत्र
विशेष
समय | संख्या
व्र
१६वीं श
रसिकप्रियागत
केचिदलंकाराः ६७ १ २३२३ रितुसुखसार
दौलतकवि
२६६८ २६६६
१८६३ __ ७ सं० १५८५ में
सुरगढ़ में रचित,
कृष्णगढ़में लिखित । | १५२८ २३ जीर्णप्रति ।
१५२८ ५५ | जीर्णप्रति । व. हि. १८वीं श ११६-४२/
रुद्रटालंकार रुद्रटालंकार टिप्पण रूपमजरी
रुद्रट ननिसाधु नन्ददास
ર૩૬૭
०५६८
वाग्भटालकार
वाग्भट
स० १७वीं श. ७-१८
દ
"
१६६४ १७वीं श.
वाग्भटालकार
वाग्भट वाग्भटालंकार सटीक | मू वाग्भट
टी० सिहदेव ४६१ , वाग्भटालंकार सटीक , मू. वाग्भट
टी० सिंहदेव | वाग्भटालंकार सटीक
मू वाग्भट चाग्भटालकार .
वाग्भटालंकार सविवरण ४६१ वाग्भटालकार सावचूरि
पंचपाठ वाग्भटालंकार पंचपाठ वाग्भटालंकार सावचूरि
१७२७ १६१० १७वीं श १५वीं श
१५३३
२६६४
१४७६
वाग्भटालकार सावंचूरि पचपाठ वाग्भटालंकारावचूरि शब्दवृत्ति (पद्य) शिखनख (पद्य) शिखनख वर्णन शिखनखवर्णन शिखनख सटीक
राम बलिभद्र
१७८३ ब्र.हि. २०वीं श. ५ अपूर्ण ।
१६वा श ३
१८५७ ८ भुज में लिखित । १६वीं श ५५-७१)
२३६७
११६८
मू बलिभद्र टी मनीराम
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--------------------------------------------------------------------------
________________
१५२ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
-
-
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-
-
-
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-
-
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-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्यनाम
___ कर्त्ता
| भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
११६ ११२ १२००
११८ | ११३८ सिखनखवर्णन सार्थ
५१२ शृङ्गारतिलक | २६६६ | शृङ्गारतिलक १२१ | २२८४ शृङ्गारविलासिनी १२२ | २२६४ | साहित्यसार
| मू० केशवदास बहि० १६वीं श. १६ रुद्रट | सस्कृत १८वीं श. १५ रुद्रटभट्ट
१८वीं श. १० देवदत्त
१८४८ ब्रजनाथ हि० १८३६
३३
रचना स. १७५७ । सं १८०५ में रुपनगर मे रचित। प्रथम पत्र प्राप्त ।
१२३
| ८५१ सुन्दर
सुन्दरदास
सुन्दरसिंगार १२४ | १८८५ | सुन्दरसिंगार
(१)
" "
१६८७ | १७६१
३२ १-५०
गुटका। प्रथम पत्र अप्राप्त । सवाई जयपुर में लिखित।
५६
| गुटका।
१६०३ | सुन्दरसिंगार | २०७३ | सुन्दरसिंगार | २२७० | सुन्दरसिंगार
१८५२ १८०६ १८०१
३६
जहानाबाद में लिखित । प्रारंभ में शाहजहां का वर्णनहै। गुटका।
सुन्दरसिंगार
१८वीं श. ५५
सुन्दरसिंगार
१८२८ | १३२
(२) ३३१२ ३५३६ ३५७०
१८०१
सुन्दरसिंगार सुन्दरसिंगार सुन्दरसिंगार
१७६३
(१)
१८७१ | सुन्दरसिंगार आदि
१७४६ १-५४ | पत्तन नगर में
लिखित । १८७२/ ७४ गुटका । ७१ वें पत्र
मे सुन्दरसिंगार समाप्त होता है।
Page #165
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________________
(१८) सुभाषित-प्रकीर्णादि .
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपि- | पत्र| समय | संख्या
विशेष
अक्षरवत्तीसी दूहा
२१७१ | ३५६७
(३०) | २१४२
अधूरा पूरा -
३११७
अधूरैपूरैरादूहा (प्रहेलिका) अमरमूलप्रन्थ आलोयणछत्तीसी
कबीर
हि० । १८२४ ६०-६७
समय सुन्दर रागू० १७वीं श
१
संवत १६६८ में . अहम्मदपुरमे रचना।
७
प्राकृत मु.प्रा.रत.
" "
से
इन्द्रियपराजयशतक इन्द्रियपराजयशतक सस्तवक इन्द्रियपराजयशतक सार्थ इश्कचिमन
रा०
"
१० वां
ईसरशिक्षा उत्पत्तिबहुत्तरी उपदेशगाथा
ईसर श्रीसार
२१६४
प्रा०
१७वीं श. २४४वां
२९४३ (१३६) २६६०
बहि. १८वीं श १६-२८
उपदेश चितावनीसवैया सुन्दरदास उपदेश चितावनी सवैया सुन्दरदास
१४
११२२.
|
,
"
४८ वां
(४१) ८५८
..
उपदेशवावनी उपदेशसत्तरी
किसनदास श्रीसार
१८५१० । २-४ पद्य रचना, कालूग्राम
मे लिखित ।
(२)
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #166
--------------------------------------------------------------------------
________________
१५४ ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
१७ | ३५७५ उपदेशसत्तरी (४३)
१८ | ११२२ (१७)
१६
२०
२४
प्रन्थनाम
(५७)
२१ | २०५६ कक्काबत्तीसी २३६८ कक्काबत्तीसी
२२
२५
२३३२ ऋतुवर्णन कवित्त
३५७३ कक्काभास
(१६)
२३ ३५६५ कबीरजी की वाणी
(२)
३५५७ कबीरजी की साखी
(१)
३५७५ करमछत्रीसी
ऊँ (ट) तथा हाथीवर्णन
(१६)
२६ २०११ कर्पूरप्रकर सावचूरि त्रिपाठ
२७ ३५६७ कवित्त (१०) २८ | ३५६२ कवित्त
(११)
२६ | २३१४ कवित्त
२० | २३२१ कवित्त
३१ ३४३० कवित्त आदि
३२ | ३५७० | कवित्त - छप्पय - दूहा
(7)
३३ | ११२२ | कवित्त छप्पे
३५
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
દ
(६)
३४ | ११२२ | कवित्त - छप्पे दहा
(६६)
३५१६ कवित्त जेठवारा दूहा
श्रदि
(3)
३५५७ कवित्त- दूहा
(घ)
कर्त्ता
श्रीसार
विद्याविलास
जीवोॠषि
कवीर
י
27
समयसुन्दर
मू हरिपंडित
. जिनसागर
भाषा
रा०गू० २०वीं श. २११
२१६
राज० १६वीं श १० वां
प्र०हि०
रा०
23
33
त्र : हि०
रा०
रा०
"2
در
व्रज०
लिपि -
पत्र
समय संख्या
रा०
""
و
२०वीं श
१६वीं श १५४वां जीर्ण प्रति ।
33
37
C
93
"s
1
"
"
रा०गू० २०वीं श -६१ मुलतान में संवत्
१६६= मे रचित । पत्तन में लिखित |
सं०
१६६४ ५२
१६वींश. ११२वां
२०वीं श६७त्रां
133
१६वीं श व्र०हि० २०वीं श १८वीं श.
रा०
व्र०रा०
"
6
२
४,६०-६३
" "
१५२
१६२
१-११
विशेष
१
२
३
५५-७८
१६वींश ८३-८४
१८ मन्त्रा
१६वींश ३१-३६
१८वीं श ६८-२०१
Page #167
--------------------------------------------------------------------------
________________
-~~ सुभाषित-प्रकीर्णादि ... -
[ १५५०
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
___कर्त्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय । संख्या
विशेष
३५६७ कवित्त-पद दूहा
(१४)
रा० १६वीं श १२६
१३१ वहि०
०वीं श
१६वीं श, ६ पत्र ३, ४था अप्राप्त रा० | १८५७ १० । रचना सं० १७४८। क्र. १६वीं श. ६५-६६
| २८८५
| २३१८ कवित्त प्रासंगिक | २३५६ । कवित्त फुटकर पत्र २१८२ कवित्तबावनी
कवित्तवावनी ११२२ कवित्त सवैया
(४) । १८८२ | कवित्त ३
(००१) ४४ १८८२ कवित्त
(१६७)
राजकवि जिन
"
", |१२६वां
"
"
जगन्नाथ किशोरदयाल दामोदरदास, तुरसी
| ५ वें कवित्त में १०८ छत्तीस रागों के
नाम हैं।
४५. १८८२ | कवित्त
(१६५) | १८८२ / कवित्त संख्या २३ |
सुन्दरदास
१०४ ",६५सेहत
(१६३)
२३३६ कवित्त फुटवर ३०१६ कवित्त सवैया २३१६ कवित्तसंग्रह २३४०
| कवित्तसंग्रह १८६८ कवित्तसंग्रह २२६६ | कवित्तसंग्रह
कवित्त सुभाषित
आनंदघन
२०वीं श १८वीं श २ | १८६४ १४ कृष्णगढ़ में लिखित । २०वीं श
अपूर्ण। १८वीं श, ३० | अपूर्ण। २०वों श १२८
प्राय. आध५पत्र
अप्राप्त । रा० २०वीं श. १२-१६ सं० १६०५ में रचित
भूधरदास
३५६२ कायानगर को कागद
| कुण्डलिया
कुण्डलियाबावनी ५७ | २३७४ क्षमाछत्तीसी
| गिरधर वहि० १८६४ धर्मवर्द्धन राज० । १८०७ समयसुन्दर | रा०गू० १६वीं श
६ | अजमेर में लिखित ।
| रचना सं० १७३४। से३१)
| क्षमाछत्तीसी
"
"
२०वीं श.६१-६७) नागोर मे रचित ।
Page #168
--------------------------------------------------------------------------
________________
१५६]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्याल
प्रन्यनाम
कर्ता
| भापा |
लिपि- पत्रसमय | संख्या ।
विशेष
५६ | १८६६ गंगजी के कवित्त आदि
बहि० १६वीं श. १५-२२ ६० ३२०२
गाथाकोप (सप्तशती) | टी. दिवाकर- मू. प्रा. १७वीं श| ४० अहिपुर में लिखित । सटीक
दास टी. स. गाथासाहस्री .
प्रा. स. १६६५ ३२ ३५६२ गुणसागरप्रय (पद्य)
१९६७ | २१-३४ जोबनेर में लिखित। घोडावर्णन तया वर्षा
" १६वीं श. ३०-३१ जीर्ण प्रति वर्णन दूहा चौरासी सीख, प्रास्ताविक श्रादि
गुणसागर | व्र. हि. १९४१ । १४ । प्रयन पत्र अप्राप्त । छुटक दूहा
रा० १६वीं श ३ जसराजवावनी जिनहर्प प्र.हि. " ६ सं. १७३८ में रचित । ३६८५ जिनरंगबहुत्तरी जिनरंग २८३२ ज्ञानपच्चीसी
वनारसीदास
१७७४
गुटका।
छपे
३६७०
२०१६
ज्ञानपंचाशिका
हंसराज
"
१६वीं श.
१-५
हसराज
ज्ञानवावनी मानसागरपथ
" | १८५८७मानकुत्रा में लिखित । हि० | १८२४ | १-६०
(७
कबीर
| ११२२
टाकरपचीसी
टाकर (१)
रा० गू० १६वीं श. ७ यां
। (१२)
२१८ तरकचिन्तावणी
सुन्दरदास
७०
"
१०-१२
| २२६२ पति वाक्यविलास गुपालकविहि . १६३२ ५२ | वृन्दावन मे रचित,
अन्त्य ५१-५२ पत्रों में प्रथ की विस्तृत
विपयसूची लिखी है। ७६ ३५६५ दादूदयालजी की वाणी | दादूदयाल " १८वीं श. १-२५२
७७ १८७२ दादृवाणी 5 । ३५७३ घटा
रा०
"
केसरसिंह जतायत
६६ गुटका । १ वां जीर्ण प्रति।
-
-
-
-
-
-
Page #169
--------------------------------------------------------------------------
________________
सुभाषित-प्रकीर्णादि
१७]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थ नाम
कत्ता
भाषा
लिपि- पन्नसमय | संख्या
विशेष
२३१२
दूहा कवित्त
प्र०हि० १८वीं श.
दूहा संग्रह दृष्टान्तशत
कबीर कुसुमदेव
१६वीं श.
"
सं०
-११
१८१५
२७० धर्मबावनी ८८२ धर्मवावनी
धर्मवावनी ।
धर्मसी धर्मसी धर्मसी
३५५०
धर्मसिंघ वावनी
धर्मबर्धन
१८०२ १४वीं श. ७५-७६ सं. १७५० में
रचित । १४६- सं. १७४३ में
| रचित । " १४
धर्मोपदेश प्रास्ताविक श्लोकाः धर्मोपदेशश्लोकाः
"
१६२४
-
-
-११० रात्रि भोजन मांस
मदिरा द्विदलाहार-त्यागादि के विषय में शांतिपर्वादि ग्रंथों के अवतरण हैं। पत्र १०५ के प्रथम पृष्ठ के अन्त में लि हीरकलस मुनि इस प्रकार पुष्पिका है। सं. १८७वे पत्र में हैं।
वहि० २०वीं श
word
८८ २३३४ नायिकाभेद कवित्त १२३३१ नायिकाभेद कवित्त आदि ६० २३३३ नायिकाभेदवर्णन कवित्त खुसराम | २३३५ नायिकाभेदवर्णन कवित्त २३४५ नायिकाभेदवर्णन व वित्त २३४६ नायिका वर्णन तथा
रसवर्णन कवित्त फुटकर ६४ | २८६३ निगुणपच्चीसी
(११६) | २२७१ नीतिप्रबोध
| अपूर्ण।
स प्रा रा. १७वीं श| १७२
१७३
सं. १८८६ में अजमेर मे रचित । स्वयं कवि द्वारा खिखित।
Page #170
--------------------------------------------------------------------------
________________
१५८]
राजस्थान पुरातत्त्रान्वेषण मन्दिर
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
पत्र
ग्रन्थनाम
भाषा
कर्ता
लिपिसमय
विशेष
संख्या
१६वीं
६६ | २२७२ नीतिप्रबोध
खुमराम वहि० १६२३८ कृष्णगढ़ में लिखित। ६७ / २४६६ | नीतिशतक सटीक मू० भर्तृहरि सस्कृत १६वीं श. २१
टी० श्रीनाथ
व्यास | ३६६३ नीतिशतक सटीक मू० भर्तृहरि । १८५६ | नीतिशतकादि शतकत्रय "
९८५६ | तक्षिकपुर में
लिखित नीति श्रृंगार त्रैराग्यशतकत्रय नीति-श्रृंगार-वैराग्य
१८२२ | रायपुर मे लिखित। शतकत्रय नीतिशृंगार-वैराग्य
चित्रकूट में लिखित शतकत्रय नीतिशतक-शृगार
, १६वीं श पत्र १,२,६,१६ शतक-वैराग्यशतक
वां श्रप्राप्त, अपूर्ण। नीतिशृंगार-वैराग्य.
, १८१२ ४५ ।
150
श.
शतक
३६६२
"
नीतिशतक-श्रृंगारशतक वैराग्यशतक सस्तबक पद्मणीनोछंद
स्तरा० १८६०, ६० | पाटोदाभौमका ग्राम
वीरप्रगना मे लिखित। रा० १६वीं श ८५ वां
११२२
कीको
११२२ (३४)
बारा० ,,| ३३-३५
१०८३६६८
पद्मिनी आदि स्त्री वर्णन पुराणाग पदिषोपदेशसार सार्थ पुरुपना कुत्रखांणछंद
स०अ० ११ १३ । ममोई बिदर में रागू
| लिखित । रा-गू० १६वीं श ८४ वां
११२२
१८३७
पुरुपनी७२ तथास्त्रीनी ६४ कला पुरुपप्रति स्त्री का लेख दूहा बन्ध पोथी प्रेम दूहा
, १७वीं श १ रा० | १८७६ १६-३४ श्रामेर मे लिखित।
१६वीं श. १ला
| पोथी रक्षा प्रेम दूहा
१८२६ | १५वां कटालिया में लिखित ।
Page #171
--------------------------------------------------------------------------
________________
— सुभाषित-प्रकीर्णादि ...
[१५४
क्रमांक प्रन्या
लिपि- पत्र
ग्रन्थनाम
कर्ता
विशेष
समय ।
मंख्या
११४ | ३६७१ / प्रज्ञाप्रकाशपब्रिशिका | रूपसिंह ११५ ०३६८ प्रहेलिका
| सं० १६वीं श. | रा० " |४६-५०
| २८६३ प्रहेलिका
हीरकलश
रा०गू० १७वीं श ४ था । रा. १६वीं श. ३२-३
प्रहेलिका आदि सुभाषित प्रास्ताविक प्रास्ताविक
सं०
१८वीं ४० | प्रथम पत्र नहीं है।
श २८ वां
44...
प्रास्ताविक
३५ वां
प्रास्ताविक
४४-४८
११२२ / प्रास्ताविक
|७२-७३/
(५४)
२०२४ २३०३ २८६३
प्रास्ताविक प्रास्ताविक प्रास्ताविक प्रास्ताविक
मगनीराम
सं०१८वीं श.
२०वीं श. रागू० १७वीं श १६२ वा
भ9M
२८६३
प्रास्ताविक
१६३ वां
प्रास्ताविक
२८६३ (११४) २८६३
१६६१७०
प्रास्ताविक
| ३५६७ / प्रास्ताविक
(१९) १३१ ३६७३ प्रास्ताविक | ११२२ | प्रास्ताविक कवित्त
(३८) १३३ १८४३ प्रास्ताविक १३४ | २३०५ प्रास्ताविक कवित्त
१८वीं श १३६
१३७ १८वीं श. ६ १६वीं श. ३६-४४,
५३२
७०
"
२०वीं श
Page #172
--------------------------------------------------------------------------
________________
१६० ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
‘कर्ता
लिपि- | पत्र| समय | संख्या
विशेप
खुसराम
वहि० २०वीं श २४से४३ त्रुटक अपूर्ण ।
१३५ ०३५३ प्रास्ताविक कवित्त | २३५१ | प्रास्ताविक
(स्फुटकवित्त) २८६३ | प्रास्ताविक कवित्त
राग १७वीं श ५वां
३०२६
प्रास्ताविक कवित्त
रा० ,,, ७ २३४४ प्रास्ताविक कवित्त के
व.हि० १६.२०वीं, २२ फुटकर पत्र
शताब्दी २३४८ प्रास्ताविक कवित्त तथा खुसराम | , २०वीं श. ७
पुष्करजी को कवित्त ११२२ प्रास्ताविक कवित्त दूहा
व्ररा सं. १८वीं श.६६-७१ गूढा आदि २६४६ प्रास्ताविक कवित्त
ब्राहि० २०वीं श. १० फुटकर २३५२ प्रास्ताविक कवित्त
फुटकर पत्र ८७१ प्रास्ताविक कवित्त ११२२ प्रास्ताविक कवित्त (६०) ११३० प्रास्ताविक कवित्त प्रास्ताविक कवित्त
व्र०स० (४२) श्लोक
प्रागू | १६६१ प्रास्ताविक काव्य सार्थ
संबरा०
|" , २ प्रादि अव्ययानि श्रादि
तथा २४ उपसर्ग एव दो कृतियां
अधिक है। ३५५० | प्रास्ताविक कुंडलिया | धर्मवर्धन
- रा० ,,, ७०-७४ | सं. १७३४ में बावनी
रचित । २८६३ प्रास्ताविक गाथा श्लोक
प्रा०म० १७वीं श. १४६वां (८) | १८८२ प्रास्ताविक छप्पय अग्रदास वहि० १८वीं श६७ से (१६४) कवित्त (सख्या ४५) कल्यान तुरसी
१०३ बिहारीलाल मोहन नंद बलमद्र
११२१
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #173
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्थाक
१५२ १८४१ प्रास्ताविक दूहरा प्रास्ताविक दूहा
१५३ | २=३२ (५)
१५४ | ३५६२ | प्रास्ताविक दूहा
ग्रन्थनाम
(१७)
१५५ ३५७३ प्रास्ताविक दूहा
(४०)
१५६ | ३५७३ | प्रास्ताविक दूहा
(५०)
१५७ | ३६६१
T
प्रास्ताविक दूहा सवैया
आदि
१५८ १८४० प्रास्ताविक दोहा १५६ ३५५० प्रास्ताविकबावनी (१०)
१६० १७४२ प्रास्ताविक श्लोक १६१ २८६३ प्रास्ताविक श्लोक
(१३) १६२ | ११२२ (४४) आदि
सुभाषित-प्रकीर्णादि
प्रास्ताविक श्लोक कवित्त
१६३ | ११२२ (५७) आदि
१६४ २८६३ प्रास्ताविक श्लोक
१६५
प्रास्ताविक श्लोक कवित्त
(१२) सस्तबक
७०६ प्रास्ताविक श्लोकादि सार्थ
१६६
७१२ प्रास्ताविक सस्तत्रक
१६७ ११२२ प्रास्ताविक सुभाषित
(४)
१६८ | ११२२ | प्रास्ताविक सुभाषित (२४) १६६ | २३७१ (३)
फुटकर कवित्त
कर्त्ता
भाषा
० हि० १६वीं श.
राज०
34
"
"
व रा. गू
त्रः हि०
सज
सं०
39
सं. प्र.
"
लिपि -
समय
त्र रा
हिरा.
३
१७७४ | ४८-=8 गुटका ।
२०वीं श. १३६
१४५
१६वीं श १०१वां जीर्ण प्रति ।
१२८वां
34
15
"
"
39
127
प्रा० सं० १९७८१
रा०यू० संरागू. १८वीं श
सं० रा० | १६वीं श
पत्र
संख्या
१८८८५ १९वीं श. १६४वां
""
३३
13
स. रागू १७त्रीं श ६ वां
३
७६-८३ स. १७५३ में रचित ।
२५ भुजनगर में लिखित ।
७५-८१
५४ - ६१ जहांगीरशाह तथा
कच्छ नसों के कवित्त भी हैं ।
७
विशेष
29
१४
२रा
१६१ ]
१७- २३
५२
गुढ़ा मे लिखित 1
Page #174
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________________
१६२]
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
-
-
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-
-
-
-
क्रमांक, प्रन्थाङ्क
कर्ता
लिपि
प्रन्यनाम
भाषा
पत्रसमय | संख्या
विशेष
३५६७
फुटकर कवित्त
रा० १६वीं श. १५५- वैद्यक यत्र मत्रादि
| १७६ । भी लिखा है।
गुटका।
३१
१८७४
फुटकर कवित्त संग्रह | गंग आदि तथा इस्कचमन अनेक कवि
(४)
३५५७
. १८४६
"
"
फुटकर दूहा
रा. १८वीं श. ७२ वां | फुटकर दूहा
, १६वीं श. ७२-६६ वैद्यक फुटकर भी
लिखा है। | फुटकर दूहा कवित्त
, १७६१ / ७८-८१] | आदि बाजीत फाग कवित्त
मजादर में लिखित। भमरभूधरमहिनाआदि १७६ १८५८ बाराखडी
पारीखदास बहि०१६वीं श. ४ सं. १८६८ में रचित ३५६७ बावन अख्यरो कानडदास
बारठ ८५० बावनी तथा बारहमास किशनदास नहि ,, १७ अत में फुटकर तथा
कवित्त हैं। सुन्दरदास भर्तहरीयशतकत्रय नैनकवि
| नृपति अनूपसिह के भापा पद्य
-पुत्र प्रानन्दसिंहजी
के आनन्दार्थ रचित। | १०८ भववैराग्यशतक
प्रा.रा.गू.१७वीं श. ८ सस्तबक भववैराग्यशतक
,, १८वीं श ६ सस्तबक १०८४ भववैराग्यशतक
, ,, ३८से४४ सस्तवक भववैराग्यशतक
, १६वीं श. से१६ सस्तवक भावरसादिवर्णन कवित्त खुसराम वहि० -०वीं श ३५से७० अपूर्ण । मजलस
हि. १९वीं श. ६-७ मरद अस्त्री' लिखै
रा० | १८७६ | १४-१८ आमेर में लिखित । तिणरी पैठ दूहाबंध
१०८०
१०४७
१८४ २३३६
२१४२
Page #175
--------------------------------------------------------------------------
________________
सुभाषित-प्रकीर्णादि
१६३ ]
कमांक ग्रन्थाङ्क
लिपि-
पत्र
प्रन्थनाम
भाषा
विशेष
समय | संख्या।
रा० । १८७६ |४-१४
आमेर में लिखित ।
प्र.हि. २०वीं श. रा० गू०१७वीं श. ८८ वां
२३३०
| २३०० | मरदप्रति लुगाइरी पैठ
(२) पत्र लेखन] दूहा बंध | १८१६ माझ तथा कवित्त २८६३ | मारू देश निन्दागीत (४७)
मुखवर्णन कवित्त आदि
मूर्खबहुत्तरी | ८६६ मूर्खाधिकार
मेडताका कवित्त
| योगशास्त्रान्तर्गतश्लोकाः हेमचन्द्र ३५६५ रजवजीका कवित्त रजव
११४४
व्र. हि. १४वीं श रा० "
३०-३२
रा० गू " प्र.हि. २०वीं श. सं०
व्र. हि. १६वीं श
। ३७०
| रजबजीका सवैया
१८०३
३७६ ३६८४०३ १६ सं. १८१४ में रचना,
मानकूत्रा में लिखित । सं. १८१४ में रचित ।
| राजनीति
जसुराम
८८१
स
| राजनीति
१८२७
१६वीं श २०वीं श.
७०
| राजनीति
देवीदास " राजाोष्ठि आदि के | खुसराम आदि " कवित्त लघुचाणक्य तथा वृद्धचाणक्य सार्थ लघुचाणक्य राजनीति
सं०
।
१६वीं
५५-६०
लघुचाणक्य राजनीति
१८५३
५ मानकुत्रा में लिाखत ।
लघुचाणक्य राजनीति तथा रामरक्षास्तोत्र
२३६८ | लघुचाणक्य राजनीति
साथै
संरा १८वीं श. २-२६ गुटका ।
Page #176
--------------------------------------------------------------------------
________________
१६४ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
२०६
२४०६
अजमेर में लिखित।
२४०७
लुकमान हकीमकी नसियत लुकमान हकीमकी नसियत वचनामृत वणिक छपै
१६८०
सहजानंदस्वामी गू०१८वीं श १०२ गुटका ।
रा०
११२२
२८६३ वासप्रास्ताविक (४६) २८६३ विद्वगोष्ठी (E) ५७१६ विद्वगोष्ठी तथा ज्ञान
क्रियासवाद | विद्वद्भ षण टिप्पण
सहन
| विविधदृष्टांतगीत (११८) २२१८ | विवेकचिन्तावणि
हीरकलश रा० गू० १७वीं श. ८वा |
| सं० " | १६२ वां
|, १६वीं श. ३ बालकृष्ण , १८वीं श. १३
रा० गू-१७वीं श.१७३ वि. सुन्दरदास । ७० १९वीं श १२-१३
३४२६ वृद्धचाणक्यराजनीति २५०५ वृद्धचाणक्यराजनीति
सवालाबोध ३५६४ वृद्धचाणक्य राजनीति
सस्तवक ३५५५ | वृन्दबहुतरी दूहा (१०)
वैराग्यमजरी
सं.रा.गू.१७वीं श. १० १६५६ ५| चकलासी ग्राम में
लिखित। स रा १८५७ १-४४ बगड़ी मे लिखित ।
१८८
(१६)
वृन्दकवि | रा० १६वीं श १-२ जोधपुर में रचित । सवाई प्रताप- हि० " ८३-६४ रचना सं. १८५२। सिंहजी
भर्ट हरीय वैराग्य
शतक पर भाषाकाव्य। खुसरामप्र. हि १९०५ ७ स १६०५ मे कृष्ण
दुर्ग मे रचित ।
| कर्ता के हस्ताक्षर । भरी हरि स० १६वीं श १२-१८
२१ २२६१ / वैराग्यविनोद
२२२ १८०३ वैराग्य शतक
Page #177
--------------------------------------------------------------------------
________________
सुभापित-प्रकीर्णादि
[ १६५
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
भर्तृहरि
सं० १६वीं श.
२२३ २४६५/ वैराग्यशतक २२४ १७३६ वैराग्यशतक सटीक २२५ | ३१७४ वैराग्यशतक सटीक
१८६६
टी०घनश्याम मिश्र
। शाके
| सं० १८५० मे नारायणपुर में टीका रचना, पत्र ४० वां
अप्राप्त । १८५६ १६ । १६वीं श. ४२ '
,
| मू.प्रा १७वीं श. से१७
वैराग्यशतक सटीक २१२ वैराग्यशतक सटीक
त्रिपाठ
वैराग्यशतक सस्तवक १८७६ वैराग्यशतक सार्थ
वैराग्यशतक सावचूरि पंचपाठ | शतकत्रय सस्तवक
स्त.रा.गू
मू. सं. १८वीं श १०८से गुटका
अ.रा. | स. १८वीं श. ११ ।
| शतकत्रय सार्थ
२३०४ शांतिनवक
मू० भर्तृहरि , १८वीं श. १से३८
सं.अ. १६वीं श. १से४३ | रा. गू
कृष्णगढ़ में लिखित
कर्ता के हस्ताक्षर। सवाई हि० १६वीं श. ७३से८३ भरी हरीय श्रृंगारप्रतापसिंहजी
शतक पर भाषा
खुसराम
१८८६ शृंगारमजरी
काव्य।
अपूर्ण, नीतिशतक ६१ वां पद्य तक।
७०५ | शृगारवैराग्य मुक्तावली | सोमप्रभाचार्य | स० १६वीं श ४
शृगारशतक तथा नीतिशतक शृगारशतक सटीक मू० भर्तृहरि , १९वीं श ३२ शृंगारशतक मू० भर्तृहरि
टी० धनसार शृगारशतक
| १८५६ / १५ | षट्चकवैकवित्त
रा० १६वीं श. १४५
| पडदर्शन वर्णनकवित्त
,
१६वीं श. १०५
१०६
Page #178
--------------------------------------------------------------------------
________________
१६६]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
पत्र
क्रमांक, प्रन्या
विशेष
प्रन्यनाम
भापा | लिपि-
का
| समय | संख्या
२४२
१६०२
सतसया
वृन्दजी कवि
वहि० १८४१ / १-४१
गुटका ।
२४३
२०७६ सनसया ११३६ सतमया ११२२ | सपाईनी जाति
२४४
सं १७१८(१)मेंरचना।
" | स०
| १९४१ / ७५
वीं श ७२ वां
२४७
२२१७ सप्तव्यसनहाकुंड-भीम , वीं श. ३रा
लिया •८२२ सप्तशती
गोवर्धनाचार्य | सं० | १८७२ ८० गुटका। २४८ ११२७ सभाप्रकाश
हरिचरणदास ब्राहि६वीं श ५७ स. १८३४ में रचित। २४६ २२३३ सभाप्रकाश
। १८६ कृष्णगढ़ मे लिखित,
सं.१८१४ मे रचित । २५०२३४२ सभाप्रकारा के प्रश्नोत्तर
, २०वीं श. २
अपूर्ण। ८६६ सभासार
।, १६१४ ३२ ।
कवि का निवासस्थान सारङ्गपुर (अहमदा
बाद) था। २३५० समस्याफवित्त आदि | मगनीराम
| , २०वीं श. ४ ३५६५ सर्वागयोगप्रदीपिका सुन्दरदास
, १६वीं श. ३६०
रघुराम
८७४
(२४)
२२०० सासो सीख धर्मसी
| रागू ०वीं श. २ संवेया
सुन्दरदास क्र. १८वीं श. ५ सबैया छन्द स्तोत्र सुभा
सब १८४७ | १६० गुटका। पित ज्योतिपादि संग्रह
रागू ३४५ सबैया दूहा
रा० १८वीं श १४६२५८ ११२२/ संचणी स्त्री छंद
रागू०१६वीं श ४-५ . (६४) २५६ : ३५७५ मतोपछत्तीसी समयसुन्दर " वीं श८५-८- लूणकरणसर में
सं.१६८४ मे रचित । २६.' मगरमायनवारनी कान्तिविजय , वीं श ६ ।
। (मानचिन्तामणि) २६१ २९१७ मारियां
हि०१८२४ -३८ २५१५ मानवारराहा
रा० १६वीं श, १६ वा । (६)
कबीर
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #179
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्थाक
प्रन्थ नाम
२०४ | साहित्यरत्नावली
२६३
२६४.
७०६ | सिन्दूर प्रकर ७०८ | सिन्दूर प्रकर २६६ | १७४१ | सिन्दूरप्रकर
२६५
२६७
सटीक
६०७ | सिन्दूरप्रकर सावचूरि पंचपाठ
सुभाषित - प्रकीर्णादि
२६ = | २५०३ | सिन्दूरप्रकरावचूरि २६६ ३५७५ सीमंधरजी को जीवाजी (३५) की चिट्ठी
२७० ३५५५ सिरोही मांडेश्री बीका(१६) नेरी जोधपुरी बोलीयां २७१ | २३५६ | सिवदास सिरोया आदि के कवित्त फुटकरपत्र
२७२ | ११४४ | सीखत्रहुत्तरी (२)
२७३ २०७५ | सीखामरणढाल २४ ११४२ सुभाषित (3)
२७५ | २५०१ | सुभापित काव्य २७६ | २४६३ | सुभाषितगाथा सटीक त्रिपाठ
२७० | २१५३ | सुभाषित दोहा कचित्त २७८ SEE सुभाषित दोहा कवित्त आदि
२७६ | २२६४ | सुभापित श्लोकाः २४६६ सुभापित श्लोकाः
マニュ
२= १ | २५०६ | सुभाषित संग्रह २=२ | ३:६६ | सुभापित सारोद्धार २=३ | २५०८ | सुभाषितानि २=४ | ३६६० | सुभाषितानि
२८५ | ३६७२ | सुभाषितानि २८३ | ३६७५ सुभाषितानि
कर्ता
उदयराम गौड सं०
सोमप्रभ
31
भापा
सोमप्रभ टी. कीर्ति
सोमप्रभ
33
"
"
""
"
रा०
35
रा०
સં
"
39
० हि० २०वीं श
लिपि -
पत्र
समय | संख्या
५ ७५ ७
१६०६
सं. रा.
"
१८५२
१८वीं श.
१७६६
स.प्र.
सं.प्र रा. १६वीं श. सं.प्रा
रात्रः १७त्रीं श
प्र०
१६वीं श.
१६६५
१६वीं श
१०
२०वीं श१६९
१७३
१६वीं श. १०२ रा
17
| १६वींश २२-३०
१७वीं श
३
१८वीं श१-१७
≈
"
१३
२३
रवीं श. १५वीं श
१वीं श
37
१० कर्ता का निवास स्थान ओडग्राम था । राधापुर में लिखित ।
वीं श
१८५७
२२ राझिपुर में लिखित ।
४७
u 58
ε
५
२०
१५
४
विशेष
५
१४ प्रभासपुराणगठ
૪૦
२३
3
28
१६७ ]
५
पीचूद में लिखित |
Page #180
--------------------------------------------------------------------------
________________
१६८]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
लिपि-
कर्ता
ग्रन्थनाम
| भाषा
पत्र
विशेष
। समय | संख्या
।
| पाटण मे लिखित ।
सकलकीर्ति | संस्कृत | १७४३६ कनकविमल । गू०सं०] १६०६ १५
सं० | १८६६ १० गू० १६१२ १५ सं० १८वीं श. ४ सं०मा० १६वीं श. १६ सं० १८वीं श.
सूक्तानि
२६२
२६३
| ध्रांग में लिखित ।
२६४ २६५
१७३६ २५०७
"
१८७२
२६६
२८७ १७४० सुभाषितावली
१७३८ सूक्तमाला २८९ | २५०४ | | सूक्तमाला २६० ३६६७ सूक्तमाला २६१ ७०३
२५०२ सूक्तानि ७०१ सूक्तावली ७०४ सूक्तावली
सूक्तावली
सूक्तावली २६७ ३६६६
सूक्तावली २६८ ३६६६ सूक्तावली २३०० स्त्रीप्रतिपुरुप लेख
दूहाबंध
स्त्रीप्रशंसा आदि ३०१ | २८६३ | स्वजनछत्तीसी (११५)
हरियालि (४८) २८६३ हरियालि
, ,
२०वीं श. १४ १६वीं श ५ । १८८६
१८७६
आमेर में लिखित ।
२०६६
रा. १७वीं श सं.प्रा. , ,
१७०
२८६३
हीरकलश हेमाणंद
हरियालि
बील्हा
३०५ |
१०४६
| हिंसाष्टक सावचूरि
| हरिभद्रसूरि
राधणपुर में
हीरकलश
१७वीं श १३४वां
लिखित. -
हेमाणद
२८६३ हीयाली (६६) २८६३
हीयाली (६६) ३०८२८६३ हीयाली
(७०)
।
"
" ,,, १३४वां वृद्धिपुरी मे रचित । , | १६५७ / १३५वा १३५वां मुनि हीर
कलश नामदर्शक
प्रहेलिका। " १८वीं श. ४था
३५१०
हीयाली
Page #181
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्थाक
ग्रन्थ नाम
१ | १८६६ |राजबल्लभ
(१६) शिल्प - शास्त्र
३ | ३११४ | वास्तुस र
कर्त्ता
२२ | वास्तुशास्त्र (रूपमंडन ) मंडन सूत्रधार
भाषा
सं०
"
"3
लिपि -
समय
१८वीं श.
१७६४
१६२७
पत्र
संख्या
४६
१७
२०
HE HERMA
विशेष
पूर्ण ।
गुटकाकार है ।
Page #182
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२०) आयुर्वेदशास्त्र
-
-
-
-
--
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
विशेष
समय | संख्या
१
७१६ | अजीर्णमजरी सार्थ
| मू. स. | १९०३
| १६३०
१२
१८०५
अजीर्णमजरी काशीनाथ सं० १८वीं श. ३ ७१६ अनुपानमंजरी
| " | १८५६ / ११ ३००६ अष्टांग हृदय संहिता | धाग्भट
प्रथम द्वितीय स्थान ५ २३६१ श्रात्रेयसारसग्रह
२०१ विदासर में लिखित । सस्तवक | २३६८ आनन्दमाला
श्रानन्दभारती, | २४०५ आयुर्वेद महोदधि सुखेनदेव
१६ | कर्ता के हस्ताक्षर । (सुपेणदेव) आयुर्वेदमहोदधि सुपेणदेव
१८२४ ____२४ | सवाई जैपुर में (अन्नपानविधि)
लिखित । आयुर्वेदमहोदधि
१८७४ | २४१६ आयुर्वेदशास्त्र सुश्रुत
|शरीरशास्त्रात्मक
विभाग। ११ / २८६३ श्रीपधपल्लवी
" १७वीं श १६० वां केवल एक श्लोक है। १२ ३८४१ औपधपुराण भापा (गद्य)
ध्वीं श १२
२
Page #183
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्थाक
प्रन्थनाम
१३ | ११६२ | कराबदीन सफाई का सखा की वचनका
१४ ३=५६ | कल्पस्थान
१५ | २४११ कालज्ञान १६ | २=६३ कालज्ञान
(६७)
१७
७१४ १८ | ३८४३ १६ | ३४६६ | कालज्ञान भापार्थसहित
कालज्ञान कालज्ञान भाषा पद्य
२०
७१५ कालज्ञान सस्तचक
२१
२४
७१७ कालज्ञान सस्तचक २२ २२ | कालज्ञान सार्थ २३ | ३८२४ | कालज्ञान सार्थ १८४ कूटमुद्गर सटीक आदि २५ | ३५७३ | केशकल्प आदि वैद्यक (५) २६ २५४७ | कौतुकचिन्तामणि
श्रायुर्वेदशास्त्र
कर्त्ता
वाग्भट
शंभुनाथ लल्मीवल्लभ
ا.
भाषा
""
हि० १८६६
संस्कृत १८वीं श
"3
"
स०रा०
मू० शंभुनाथ मू सं. स्त,
रा गू
"3
लिपि -
समय
"7
"
प्रतापरुद्रदेव संस्कृत
१७८६
१८५५
१८२८
"
संस्कृत १६वीं श. राज०
१८६०
१८वीं श.
१७३१
१८५७
१८७० १७वीं श. १३३ - १३४
पत्र
संख्या
३२
१७३३
ป
१८
यह कल ७
१६
३०
१४
२५
१८
१६वीं श १३५
४३
विशेष
[ १७१
पुष्पिका इति किताब
कराबादी सफाई
कानुस (खा) श्री मनमहाराजाधिराजराजेन्द्र महाराज श्री ईश्वरीसिंहजी
आग्या करी लिखा
(ख) ई हती तीकी वचनिका हिन्दी में श्रीमन्महाराजाधि राज राजेन्द्र श्रीसवाई प्रतापसिहजी कराई
संवत् १८५७ मिती
माश्र (घ) सुदि १५ | पोथी छंगालालजी फारसी की हींदगीम पाई ।
सहिता
गव ।
कृष्णगढ़ में लिखित | अपूर्ण । श्रय ३० श्लोक नष्ट |
१७४१ में रचित ।
कोहड़ा में लिखित |
जीर्ण प्रति ।
नपुर पत्तन मे लिखित |
Page #184
--------------------------------------------------------------------------
________________
१७२ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
२७/२३८६
गुणागुणग्रन्थ २८ ३८५७ | चिकित्सासारसंग्रह
संस्कृत १६वीं श. १५
| वगसेन
२६ | २३६६ | ज्वरतिमिरभास्कर
चामुडकायस्थ
,
१७४८ | ५८
पातिसाह श्री नोर गसाह के समय में आगरा में लिखित । सूई मे लिखित । स० १५४६ मे योगिनी पत्तन (मेदपाट) में श्रीराजमल्ल के शासन में रचित ।
| राज० । १८३०
५२
| १७४६ | तिव्बसहावीफारसी की | सीताराम
भापा (पद्य) २३८७ त्रिशती
शांर्गधर ३४६२ त्रिशती ७३२ द्रव्यगुणशतश्लोकी
त्रिमल्लभद्र २४०१ द्रव्यगुणशतश्लोकी ३८५२ द्रव्यगुणशतश्लोकी
सस्तवक
नाडीपरीक्षा (१६)
नाडीपरीक्षा नाडीपरीक्षा सस्तवक
१८३३ १७२१ १७३० १७५८ १८८५
२६
सं.१८३१ में पाली पुर मे स्तवकरचना।
११२३
,
१७वीं श ७ वां
१०
" | २६३८ मू०सं० १९वीं श.
५ २
रा००
२४१२
कृष्णगढ़ में लिखित। विदासर मे लिखित ।
१२६७
पट्टीप्रकाश पथ्यापथ्य विनिश्चय सस्तवक पाकाणव पाकावली
३८५१ २३६६
३४६७
३६२ । २२५
पालकाप्यगजायुर्वेद फरासीसहकीमवैद्यक वालतत्रग्रन्थभापावचनिका
देवीचद्र व्यास संस्कृत | १६२६६
मू-सं० १९२०, ५२ स्तरा० सस्कृत १८वीं श २३ " १६वीं श. २३ / किसी ग्रन्थ के
अतर्गत प्रकरण है। १८वीं श.
द्वितीयस्थान पर्यन्त । राज० १६वीं श ६२ कल्याण
दीपचन्द्रोपाध्याय पडित
रचित संस्कृत ग्रन्थ
का अनुवाद। ब्रज० वीं श१४५
추석적 절
४६ | २३८३ | बालतंत्र भापा
Page #185
--------------------------------------------------------------------------
________________
आयुर्वेद-शास्त्र
[ १७३
-
-
-
क्रमांक ग्रन्था
ग्रन्थनाम
भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
| १३४
भावप्रकाश पूर्व खंड | भावमिश्र १३५ भावप्रकाश उत्तर खण्ड १७४३ | भिषक्चक्र चित्तोत्सव हंसराज
| मदनविनोद | २३६४ मदनविनोद- मदनपालनरेश
५० ३८२३
| १८७१
__५२ | ३८४८
मदनविनोद मदनपाल | मदनपाल निघण्टु
सं० १ध्वीं श. १४३ २८ वें प्रकरण
पर्यन्ता।
संपूर्ण। " |१११२० ३७ " १८वींश. ४३ अत्या४४ वां-पत्र
अप्राप्त। "
६४ मेडता में लिखित,
सं. १४२१ मे रचित।
अन्त ग्रंथकार का
विस्तृतमेवंशवर्णन है। | १८४२ जगत्तारणिनगर में
लिखित । सं १४२० में रचित । १४ पद्यों में ग्रंथकार की
विस्तृत प्रशस्ति है। " १८८०
नागोर में लिखित। | १६४३ / श्रीउदयसिंह शासित
सुभटपुर में लिखित । योधपुर नरेश श्री मल्लदेव
की प्रेरणा से रचित। १७वीं श १
" ७६-६०
५३ | ३८४४ | मनोरमायोग प्रथ
मल्लप्रकाश
। लोकनाथ
५५ | ३४६१
| माधवी चिकित्सा ११२३ मूत्रपरीक्षा
(२०) २४०२ २४१६
| मूत्रपरीक्षा
१८वीं श. १ मूत्रपरीक्षा
१६वीं श १ मूत्रपरीक्षा तथा
१७वीं श.१६५ वां कालज्ञान योगचिन्तामणि
| सं० १७५४ ___३६ / फलवर्द्धिनगर में
लिखित । योगचिन्तामणि भाषा मू. हर्पकीर्ति मू.सं.भा.१६वीं श टीका सहित
टीरा गू ७१४ योगचिन्तामणि वालाव: "
" १७४६ ।
२०४ | तेरा (कच्छ) में वोधसहित
लिखित ।
हर्षकीर्ति
३८१६
Page #186
--------------------------------------------------------------------------
________________
१७४ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
-
क्रमांक प्रन्थाङ्क
. प्रन्यनाम
___ कर्ता
भाषा / लिपि ।
पत्रसमय | संख्या
विशेष
रा०
७२३
६३ | २३८५ योगचिन्तामणि सस्तवक मू० हर्पकीर्ति मू०सं० १८७३ | ६४ | २४०३ | योगचितामणि सस्तवक
| १७७७ मेडता में लिखित । ३८३६ योगचितामणि सस्तबक
१८वीं श १०८ ३८४६ | योगचिंतामणि सस्तवक
| १८२० १२८ | घटियालीनगर में
| लिखित । ३५५२ योगचिंतामणि (सार
| " १८वीं श६७-१६० (३) | संग्रह) सार्थ
योगमुक्तावली सार्थ | नागार्जुन | " २०वीं श| ८६ ७२७ | योगरत्नाकरचौपई नयनशेखर | रा० गू० १८१४ १२८ रचना सं १७३६ । २६२ योगशत सस्तवक
मू सं.स्त. १८४३
रा० गू० १५६२ | योगशत टीका रूपनयन
वेद्यवल्लभाख्या
टीका। ३८२८ योगशतक
" १६वीं श. ११ ३८५५ योगशतक
१६६५ केकिंद में लिखित। योगशतक सटीक योगशतक सार्थ मू० वामन मू सं. | १८१४ ३६
रा. गू | रससंकेतकलिका चामुण्ड | सं० १८वीं श. ११ | कोटा मे खिखित ।
कायस्थ | रामविनोद
रामचन्द्र 5. हि १८०५ १०३ । गुटका । ओरंगजेव
के शासनकाल में सम्वत् १६५०
(१) में रचित । । | ३५५२ रामविनोद रामचन्द्र मिश्र स० | १७६३
अकबर शासित केशवदास सुत
मेहरासहर में सं० | १६२० मे रचित ।
भिन्नमाल में लिखित ३८३३ / रामविनोद
| घृततेल भाजनग्राम
में लिखित। | ३४४६, रामविनोदभाषा रामचन्द यति राजस्थानी १६३० १५१
पत्र १०० से १०४ पनिका
तथा ११७ से ११६ अप्राप्त। सं १७२० में रचित ।
३८२६
१७४४
Page #187
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________________
आयुर्वेदशाक्ष
-
-
-
-
-
-
क्रमांक प्रन्या
प्रन्थनाम
कर्त्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय ! सख्या
विशेष
माधव
રહર૦ रामविनोद वचनिका १५६१ रुग्विनिश्चय २३८० रुग्विनिश्चय
रुग्विनिश्चय | रुग्विनिश्चय (माधवनिदान) रुग्विनिश्चय विनोदवैद्यक
२३६५ २६०४
"
८४
| ३८५३ वैद्यकगुणसार
राजस्थानी १६वीं श. २१ संस्कृत १५वीं श. ३३ अपूर्ण। , १६वीं शह
अजमेर में लिखित । " १८६५ ७४
पत्र ४६ से ६०
अप्राप्त ।
१८६७ मानजीमुनि बहि०१६वीं श. ३८ स० १७४५ में ला
होर में रचित । प्रथकार का निवास
स्थान बीकानेर था। राज० | १८५६ | १०८ प्रथम तथा तीसरा
| पत्र अप्राप्त । , २०वीं श. ६
| १८०६ १२ १६वीं श ११३- जैन स्तवन पद भी
१२६ / लिखें हैं। १८१- मत्र यंत्रादि भी
२३६ | लिखा है। अनंतराममिश्र हिन्दी १६०७ , ४४ । सवाई प्रतापसिंह
जी की आशा से
रचित । | राज० १६वीं श. २७ मू.सं अ " ,
२४०६
२४०४ ३५६७
वैद्यकनुखसा वैद्यक प्रास्ताविकसंग्रह वैद्यक फुटकर
३५६७ वैद्यक फुटकर (३३) ३०४१ वैद्यकभाषा
| ३८३२ | वैद्यकसार ३८३७ | वैद्यकसार सार्थ
संग्रहमन्थ है।
२३८२ | वैद्यकसारोद्धार २४१५ | वैद्यजीवन २४१८ | वैद्यजीवन ३८३० वैद्यजीवन टीका
राज० । १६१९ / २४० लोलिंबराज | संस्कृत १७वीं श.
१८६६ १३ रुद्रभट्ट
। १८३१ । ३६
प्रथम पत्र अप्राप्त। जोधपुर मे लिखित। षट् खेटकाख्य नगर में रचित । पट्टेट नगर में रचित । प्रथम पत्र प्राप्त। साकंभरी मे लिखित।
"
,
ॐ
१६वीं श|
| ३८५४ वैद्यजीवन टीका १०१ | ३८२१ वैद्यजीवन सटीक
लोलिंबराज
Page #188
--------------------------------------------------------------------------
________________
१७६ )
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक प्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्र समय | संख्या
विशेष
| ३८३१ वैद्यजीवन सस्तवक
| लोलिम्बराज मू सं.स्त. १८६५
३७ लूणासर में लिखित
७२८ | वैद्यजीवन सार्थ ७२६ वैद्यजीवन सार्थ
१८२५
।
५ वैद्यमनोच्छव
नयनसुख
१०६ | ७१३ वैद्यमनोच्छव १०७ ७२६ वैद्यमनोच्छव
" "
१०८ २३६३ वैद्यमनोच्छव
"
" १६वीं श किंचित् अपूर्ण।
३२) मुनराबदिर मे
लिखित । वहि० १८१६ | ___५६: देवपुरी में लिखित।
संम्वत् १६४२ में अकबर के राज्य में
रचित । | १६१० आग्रा में रचना। " १८६४ १४ ।। सं. १६४६ मे अक
वरशादशासित सिंह
नदनगर में रचित । " १६वीं श. १३ सं १६४६ मे अक
वरशाह के शासन में सिंहनदनगर में
रचित। " | १८२५ | सं० १६४६ में अक
वरशाह के शासन में-सौहरिद (सिंह नंद) नयर में रचित।
पत्र १४वां अप्राप्त । १७७२
संवत् १६४६ में अकबर के शासन
में रचित। १८४०
सवत् १६४६ मे अकबर के शासन
में सिंहनढमें रचित १८वीं श८४-६६
१०६ २४१७. वैद्यमनोच्छव
"
१५.
सं.
११० | २८८४ वैद्यमनोच्छव १११ | ३१८२ वैद्यमनोच्छव
१६.१५
३२६२
वैद्यमनोच्छव
| वैद्यमनोच्छव
वैद्यमनोच्छव | ३८४५ औद्यमनोच्छव
१८०६
२४ | संवत् १६४६ में
रचित। १५ देवगढ़ में लिखित।
१८६७
Page #189
--------------------------------------------------------------------------
________________
आयुर्वेदशास्त्र ,
[ १७७
--
-
-
-
-
--
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाक!
प्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
१२१ | २३७८ वैद्यविनोद
४०० वैद्यवल्लभ हस्तिरुचि | सस्कृत | १८५५ १४ २०३ | वैद्यवल्लभ सस्तबक
मू.सं.स्त १८७८ २३
रागू० ७२५ वैद्यवल्लभ सस्तबक
१९वीं श. २२ ७३५ | वैद्यवल्लभ सस्तबक
| १८५७ / २५ | जीर्णगढ़ में पसा
गरी वेलाजी के लिये
लिखी। १२० ३८३६ वैद्यवल्लभ सस्तबक
" १७६८ १२ पंडपग्राम मे लिखित । शकर भट्ट । स० | १८८३ | ६१ किशनगढ़ मे लिखित ।
रामसिंह नरेश की
प्रेरणा से रचित । १२२ २३८६ वैद्यविनोद
धन्वतरि , १८वीं श. १८ १९२ | २३८१ | वैद्यविनोद टिप्पणयुक्त मू० शंकरभट्ट | " | १८६५ | १७३
कृष्णगढ़ में लिखित। रामसिंह नरेश की
प्रेरणा से रचित। १२४ २३६२ वैद्यविनोद सस्तवक
, १६१७ / १३४ रामसिंह नरेश की
प्रेरणा से रचित । | १५६३ | वैद्यसंजीवन
१८वीं श ३ वैद्यावतस लोलिंबराज
१६वीं श ७
वैद्यावतस पूर्ण करके लेखक ने अनगरंगमत वाजीकरणादि
के श्लोक लिखे हैं। | २६३३ व्याधिध्वसिनी | भावशर्मा !,१६वीं श. ७३ | अपूर्ण, पत्र ४ था
१७ वा अप्राप्त । ३६% शतश्लोकी बोपदेव शतश्लोकी
१६३८ १३ नीमर मे रचित । शतश्लोकी सटीक बोपदेव टीका ,
१८२२
चन्द्रकला नामक स्त्रोपज्ञ
टीका। शतश्लोकी सटीका
राजनगर मे लिखी। चन्द्रपला नामक
मूल कृति। ७३० शतश्लोकी सार्थ
१८वीं श. २५ । चन्द्रकला नामक। १७५ शार्गधरसहिता पूर्व शांर्गधर , १६११ । १६ ।
खण्ड
| २३६०
३८२०
६१
| १७१६
Page #190
--------------------------------------------------------------------------
________________
१७३ ' ]
क्रमांक प्रन्याक
१३४
१७३ | शांर्गधरसंहिता उत्तर
खण्ड
१३५ | ३८१५ | शांर्गघर संहिता सटीक त्रिपाठ
१३६ | २४१३ शालिहोत्र १३७ | ३५४६ | शालिहोत्र
शालिहोत्र
(४)
१३ = | ३५५०
मन्थनाम
१४०
(६)
१३६ ३४५६ शालिहोत्र ( श्रश्वचिकित्सा )
१४१
१४२
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
७३१ | सन्निपातकलिका
२४०८ | सन्निपातकलिका सटिप्पण
१४३
३६९ | सन्निपात चिकित्सा १४४ २१ सन्निपात चिकित्सा सार्थ
१४५ | २३८४ संहिता
१४६ | ३४६४ | सार संग्रह
१४७ | ३४६३ | हितोपदेश
६४८
नकुल
२४१४ | शालिहोत्र अर्थ सहित मू० नकुल
७२४ | हिंमतप्रकाश चोपाई
१४६ | ३=२६ हृदयदीपक निघण्टु
कर्त्ता
शांर्गधर
दामोदर
शांघर
दामोदरसूनु
श्रीकठ
श्रीपतिभट्ट
चोपदेव
भाषा
संस्कृत १६११
19
राज०
""
"
राज.
सं०
लिपि -
समय
मू० सं०
अ: राः
स०
""
२६वीं श
,
सं० १७वीं श
99
गूः सं० | १८१७ अर्थ राज.
सं० १७वीं श
मू.सं. टि. १६३६
१=१५
८
१६वीं श ४०-४५
•
19
१६वीं श.
१८वीं श
"
पत्र
संख्या
६६
"
|संस्कृत १०७१
८४
४१-५०
1
१६
१६वीं श.
५५
| १७त्रीं श| १०६
२२
८
१०
३२
बहि० १८३४ ४२
२४
विशेष
अश्व चिकित्सा |
POS
अपूर्ण ।
सूरतिविन्दर में लिखित |
मध्यखंड पर्यन्त | पत्र ६१ वां नहीं
है ।
पत्र १८, १६, २० अप्राप्त । माधवनिदान की भाप मे चोपाई ।
नवा हिमतखान
की आज्ञा से गुजराती औदीच्य ज्ञात य श्रीपति ने संवत् १७३० मे रची
Page #191
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२१) जैनागम
-
-
-
--
कमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कत्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
हेमचंद्र (मल) सं० १६वीं श.
प्राकृत- १७वीं श.
१६वीं श.
my
१५८४ | अनुयोगद्वार टीका १५६० | अनुयोगद्वार सूत्र मूल १५८२ आचारांगसूत्र मूल १५६२ आवश्यकनियुक्ति
आवश्यकनियुक्ति | २१११ आवश्यकपीड़िका
बालावबोध | १६०४ | आवश्यकसूत्र लघु
वृत्तिसहित
w
सोमसुन्दर | रा० गू०१७वीं श. शिष्य टी० तिलका- मू. प्रा. १३वीं श. २०२ टी. रचना सं० चार्य
१२६६ । प्रथम पत्र
सचित्र। रा० गू०१८वीं श. २३ प्रथम पत्र नहीं है। अर्धमा-१५वीं श २८
टी. सं.
६६५
उत्तराध्ययनकथा वालावबोध उत्तराध्ययन मूल
गधी
१० १६१२ | उत्तराध्ययन मूल
प्राकृत- १६७६
५० वणथलीनगरे
जामजसाजी राज्ये लिखी।
५४
२२३
११ | १६१० उत्तराध्ययन मूल
" १७वीं श. १५६५ उत्तराध्ययन मूल
" १६६१ १६०० उत्तराध्ययन लघुति । वृ. नेमिचन्द्र | मू प्रा. १७वीं श सहित
टी स. उत्तराध्ययन सवाला
प्रा रा.गू १६० ववोध त्रिपाठ उत्तराध्ययन सबाला
ववोध | १६०१ | उत्तराध्ययन सबृहद्वति टी. शान्ता. प्रा.टी सं| १६६१
"
१६००
अहमदाबाद नगर में लिखित ।
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________________
१८०
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
| लिपि- पत्रभापा
| समय | संख्या
विशेष
मू. प्रा १६वीं श. टी.सं.
१३८
१५८४ | उत्तराध्ययन संस्कृत
तथा भाषार्थसहित १६०६ उत्तराध्ययन सावचूरि
पंचपाठ उत्तराध्ययनावचूरि ऋषिभाषित
"
१७वीं श
१५८१ ।
स० १५वीं श. अर्धमा | १९६२ गधी प्राकृत | १६१५
9car
टी०सं
१५८७ औपपातिकसूत्र
औपपातिकसूत्र सटीक टी० अभयदेव
त्रिपाठ २६०५ | कल्पसूत्र कल्पद्रु कलिका टी. लक्ष्मीटीका सहित
वल्लभ २६०६ कल्पसूत्र टीका
१८५६
६
।
धडूला में लिखित।
सं०
१८८०
कल्पद् मकलिका नामक टीका का संक्षेप है।
भद्रबाहु
| १६०६
कल्पसूत्र मूल
| कल्पसूत्र सचित्र ११७१ कल्पसूत्र सचित्र
सस्तवक कल्पसूत्र मवालाववोध
प्राकृत १७वीं श
१६४१ प्रा. रा. १७०३
चित्र स०६२ है। चित्र सं०४३ है।
| कल्पसूत्र सस्तबक
मू प्रा बा.
१७५३ रा. गू
१६६८ स्त. हेमविमल " १८वीं श
२८६१ | कल्पसूत्र सस्तवक
३१ १५८३ कल्पान्तर्वाच्यटीका
स० १५७६ ३२ | २११३ चतु शरणप्रकीर्णक | वा. धनविजय प्रा. वा १७वीं श
सवालाववोध
| पत्र १ तथा १४ वां अप्राप्त । प्रथम पत्र में चित्र। वालावबोधकार के शिष्य वीर विजय ने लिखी।
३३ २११४
१७१६
३४
१०८४
चतु शरणप्रकीर्णक सबालावबोध त्रिपाठ चतु'शरणप्रकीर्णक सस्तवक जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति मूल
मू० वीरभद्र
"
१८वीं श
| ४५-४६
| १६०३
प्राकृत | १६६१
११८ | थिरपुद्रनगर मे
| लिखित।
Page #193
--------------------------------------------------------------------------
________________
__ -- - ---
जैनागम - -
। १८१
कमांक ग्रन्थाङ्क
- ग्रन्थनाम
। कर्ता
| भापा
लिपि
पत्रसमय सख्या
विशेष
___३६ १५६६ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सटीक टी-शांतिचंद्र पाटी सं. १६६४ ३२०
त्रिपाठ
पदार्थरत्न मंजूषा नामक टीका । उ० श्री नयविजयजी ने लिखाई।
३७ २००४ ज्ञानाधर्मकथांग ३८ | १५६३ ज्ञाताधर्मकथांग ३६ | १५८८ | ज्ञाताधर्मकथांग मूल
प्रा. १७वीं श १२१ , १६४४ | १४६ , १६३५ | ११४
| प्रथम पत्र नहीं है। जंगत्तारणि में पातिसाह अकंबर राज्य मे लिखित ।
४० | १६०२ | ज्योतिष्करएडक
टीमलयगिरि मूलप्रा० १८वीं श. १५६
सटीक
२१३३
२२१२
तंदुल नगारिकप्रकीएक | वा. पासचंद प्रा.रामू. १९७६ सवालावबोध दशवकालिक घाला. मू:शय्यंभव " | १६६२ वबोध महित त्रिपाठवा-लक्ष्मणमुनि दरावकालिक सटिप्पण मूळ शय्यभव प्रा.टी.स १७१६
| भुजनगर में लखित ।
| सं० १६६१ में
सभतीर्थपुर में लिखित ।
१६:दशवकालिक सटीक | मू-शययंभव , १७वीं श ५७
टी समय
सुन्दर १५६७ दशकालिक सात्र- मू० शय्यंभव प्रासं० १७१८ | २३
चूर्णि पाठ दशवैकालिका रचूरि पीस्तालीस श्रागमनाम
प्रा० १७वीं श६० वां
जाउरनगरे लिखी।
प्रदेशीराजालापक
प्रश्नव्याकरण बाला वबोध सहित प्रश्नव्याकरण सस्तबक
, १७वीं श| १६४ वां बारा गू. १६३० | १०३ राःगू १८वीं श ८८
, १८वीं श. ७.
पांच अध्ययन पर्यन्त । अध्ययन ६ से पूर्ण । पत्र ६२वां अप्राप्त।.
प्रश्नव्याकरण सस्तवक
Page #194
--------------------------------------------------------------------------
________________
१२)
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता
भाषा लिपि-
विशेष
| समय / संख्या
प्राकृत १५१६, ७५ नागपुर में लिखित । | | १६७० ७०-थिरुपुद्र में लिखित । प्रा.रा.मू. १७वीं श. १४८से
। २०१
प्रा.टी.सं. " , ३से१६१ अपूर्ण है।
समयसुन्दर
५२ | १५८५ राजप्रश्नीयसूत्र ५३.१६१२ | राजप्रश्नीयसूत्र ५४ २८६३ शास्त्रीय पालापकादि (१३४) सार्थ ७४
श्रावक प्रतिक्रमणसूत्र सटीक
पडावश्यफवालावबोध २१६० पडावश्यकबालाववोध १५६६ -समवायांग मूल
साधुप्रतिक्रमण वाला
वबोध २२५० साधुप्रतिक्रमण वाला.
वबोध संग्रह साधुप्रतिक्रमणसूत्र वालालाबोध सहित
त्रिपाठ |-१५६१ | सूत्रकृतांगनियुक्ति
राज.ग १८वी श. ३३
२७वीं श. ३० प्रा० १६वीं श. ६६ रागू०/१७वीं श. १८
प्रा-गू० १८३६ / १३
-चूरू में लिखित ।
प्रा.रा.गू. २७वीं श.
प्रा०
"
"
८
Page #195
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________________
क्रमांक प्रत्याङ्क
१ २०४२ श्रतिचार तथा स्नात्र
(१)
विधि
८७
is and g
३२२०३ श्रव्यात्मसारमाला
४ । २८६३ (७३)
अल्पबहुत्व विचार
५ | २०४१ | श्रष्टप्रकार पूजा ६ | १०४७ आदिनाथ देशनोद्धार (३) सार्थ
७ | २१३६ | आराधना गद्य
5
१०
११
१०३६ १०३२
७१
*
प्रन्थ नाम
६४५
१०२०
१२ १३ १०१७ १४ २०५६ १५ / ३५२६
(PP) जैन प्रकरण
कर्त्ता
समय सुन्दर
धर्मदास
"
अध्यात्मसार सटीक मू० यशोविजय सं० २०वीं श. २१४
टी० गम्भीर
विजय
नेमिदास
उपदेशमाला
उपदेशमाला उपदेशमाला (पुष्प. हेमचन्द्र
मलधारी
भाषा
रत्नप्रभ
उपदेशमालावचूरि धर्मनन्दन उपदेशमालावृत्ति उपदेशमाला सस्तबक धर्मदास उपदेशरत्नकोश 1- समालावबोध
रा० ० १७८३ | १-६ मगरवाड़ा में
लिखित ।
रा० गूट १८वीं श
29
"
प्रा रा.गू.
प्राकृत
".
लिपि -
समय
राः गू०
99
सं०
11
| १६वीं श.
""
प्रा.रा.गू प्रा. बाला.
रा.गू.
| १७वीं श. १३७
१३=
२०वीं श.
माला)
उपदेशमाला अक्षरार्थमू धर्मवास प्रा.रा.गू. १६वीं श. सहित
पत्र
संख्या
१७वीं श.
39
१५७७
-६ संवत् १५६५ में रचित ।
२
१६-११
विशेष
१० सं. १६६४ में रिणी
नगर मे रचना, बीदासर में लिखित ।
१ ला पत्र नहीं है ।
सापुरी में लिखित ।
प्रथम पत्र नहीं है।
२७
१७
१७
--
१५१६
३४
१६वीं श. २३६ अपूर्ण ।
१८वीं श.
४४
१७वीं श.
८
Page #196
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________________
१८४]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा | लिपि- पत्र
विशेप
| समय | संख्या
| एकविंशतिस्थानक मू सिद्धसेन प्रा.रा गू,२८वीं श. प्रकरण सत्तबक एकविंशतिस्थानक " , | १८२५ मन्दराबिन्दर में प्रकरण सस्तवक
लिखित । मर्मग्रन्थत्रिक | देवेन्द्रसूरि प्रा० | १६८१ | १४ | वाक्पताकानगरी में
लिखित । - कर्मग्रन्थपंचक
" " -वीं श. १२ कर्मग्रंथसटीक (१ से " " १५वीं श ६२ अंत्य पत्र सं १७३४ | टी. स्त्रोपज्ञ.
में अनुसंधित । | कर्मप्रकृतिटीका मलयगिरि | सं० १५वीं श. १३६ कर्मप्रकृति सटीक मू. शिवशर्मा मूपा० १८३०, १६६ मक्सूदाबाद मे टी मलगिरि टी०स०
लिखित । २८६३ | कर्मविचारसारप्रकरण | साधुरग प्रा० । १६२५ १५:- डेहि मे हेमराज
सहित हरिकलश लिखित । श्रोएसवशीय पाल्हापात्रक
की प्रार्थना से रचित। १०५१ | कर्मविपाक कर्मस्तव | देवेन्द्र " १८वीं श६
(कर्मग्रन्थ) | कर्मविपाकवृत्ति परमानन्द- सं० १६वीं श.- १६
सूरि कर्मविपाक सस्तबक देवेन्द्रसरि प्रा रा.गू | १८२४ ७ मुनराबिन्दर मे.
लिखित । | कर्मस्तव सस्तवक . " " १८२४ - ५ मुनर बिन्दर में
लिखित । क्षामणा
जीर्णप्रति। क्षुल्लकभवालिसकरण श्रका धर्मः सावचूरि पंचपाठ . | शेपरगेणि क्षेत्रसमास रत्नशेखर
| १३ | मुनराबिन्दर में
लिखित । ३१, ४२१ | क्षेत्रसमास
श्रागरानगर में प्रक बरशाह के शासन काल मे लिखित।
Page #197
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैनप्रकरण
[ १८५
समांक प्रन्थाङ्क
पत्र
प्रन्यनाम
___ फर्ता
भाषा
लिपिसमय
___ विशेष
३३ / १२४
१६६
द्विवाठ
३२/ ६५६ क्षेत्रसम सकरणी
वत्सराज रागू० १७वीं श. १३ | सं. १६६५ में रचना। वालावबोध
क्षेत्रसमासटीका मलयगिरि स० १५वीं श. १५३ । सुरगिरि में लिखित। ३४ | ३४६३ | क्षेत्रममास बाजावबोध | मू० रत्नशेखर रा.गू प्रा./ १६८४ | १० सहित
टी० दयासिंह
गणि ३५ ३६१६ / क्षेत्रसमास सबाला मू० रत्न रोखर , १७६६ ४५ / विक्रमपुर में सवत् कबोध टी० उदयसागर
१६८६ में लिखित | उदयपुर में बालावबोध
रचना। २११५ क्षेत्रसमास सबालावबोध
, १६८४ १६ गुणस्थानक्रमारोह
सं० १७वीं श. १७ प्रकरणवृत्ति १३६ गौतमपृच्छासबातावबोध
प्रा.वा.रा.१७वीं श. ६ | गौतमपृच्छाबालावबोध
१५३२ ६ राजपुर नगर में
लिखित । २०२७ गौतमपृच्छासवाला- | बाजिनसार , १८५३ / ४१ पेसूबानयर में वबोध
लिखित । ३४७६ गौतमपृच्छासवाला
१८वीं श. १२ वबोध द्विपाठ ३४६२ गौतमपृच्छासबाला
" १७वीं श. वबोध द्विपाठ ३६१७ | गौतमपृच्छा सवाला
" | १७६१ | ३७ ।
मूलत्रांणनगर में वबोध
|-लिखित। १०५ गौतमपृच्छात्तिमहित | वृत्ति श्रीतिलक मू.प्रा.सं.१५वीं श २ ३५२३ गौतमपृच्छा सार्थ
मू प्रा रा. १७वीं श. ५ चतुरनकोश पृथ्वीधराचार्य सं० १६वीं श. १२ चतुर्विशतिजिनकल्याण
प्रा० १७वीं श१0वां वर्णन चातुर्मामिकल्याख्यान | समयसुन्दर संप्रा० १७४७६ कृष्णदुर्ग मे लिखित। चातुर्मामिक-याख्यान
| सं० १८वीं श. ६ ६५६
चातुर्मासिकव्याख्यान | सूरचन्द्र रागृ० १८वीं श. १२ बालावबोध | चातुर्मासिकव्याख्यान
प्रथम तथा अंत्यपत्र । बालात्रवोध
शोभना
७००
२८६३
(७१)
દરદ
१७वीश
Page #198
--------------------------------------------------------------------------
________________
१८६
राजस्थान पुरातत्त्रान्वेषण मन्दिर
HD
कमांक, ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
| भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या |
विशेष
सं.
(८५)
२१६२
२८६३ चोवीसगति प्रागति
रागू० १७वीं शE-६० विवरण १०१३ जीवविचार सावचूरि | शांतिसूरि प्रा.सं. १७५८ ५ राशीग्राम में लिखित ।
त्रिपाठ ___७० ज्ञानसार (अष्टकानि)
५६४६ ३२०७ ज्ञानसार
यशोविजय.पा " १७६४
ध्याय १०४६ | ज्ञानसार सटीक त्रिपाठ | मू यशोविजय " १८६६ | ६३ ज्ञानमंजरी टीका । टी. देवचन्द्रजी
१ से ६१ राधणपुर
में लिखित । २८६३ तिथ्याराधनविचार
प्रा० १७वीं श. १४८ वा पत्र का अर्ध भाग
| नष्ट होने से
अस्पष्ट। तीर्थकरभवसंख्या
" " ११ वां त्रैलोक्यभवदीपिका (सदारंगशिष्य) रा० गू०१८वीं श. ४ चोपाई
दर्शनशुद्धिप्रकरण सटीक मू चंद्रप्रभसूरि प्रासं. २०वीं श| ८४ १८३६ दशपंचक्खाणवर्णन | रामचन्द रा० गू० १६वीं श. ४४-४७ गुटका । (१०) ३५४ दिक्कुमारीवर्णन
" १७वीं श. ४ २६६६ / द्विजवदनचपेटा | अश्वघोप | सं० । १८८७ |
प्रस्तुतकृतिका द्वितीय भिक्षु
नाम बापूची
प्रकरण है। ५:४ धर्मबिन्दुवृत्ति | मुनिचंडसूरि " | १७६२ |
धर्मरत्न करणवृत्ति देवेन्द्रसूरि । स प्रा १६वीं श ६६ कथात्मक ग्रंथ। नत्रतन्वप्रकरण सस्तबक
मू प्रास्त १६वीं श १४
| रा. गू | नवतत्वबालावबोध
रागू. १७वीं श. नत्रतत्ववालावबोध मेरुतु गशिव्य " १६.२
अलवरनगर में विचार
लिखित। नवरत्ववालावबोध
प्रा. वा० १६२१ चित्रकोटनगर में सहित
रागू०
लिखित । २१२० नवतत्ववालावबोध
| स्तभतीर्थ में लिखित।
"
| १७२०
Page #199
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्थाक
७१ | ३०६३ नत्रतत्वमहालाबोध ७२ / ३५७५ | निगोदविचारस्तवन
(8°)
७३ | २११६ | पचनिर्ग्रन्थी करण
सवालावध
७४ | १८६३ |पंचमेरुपूजा ७५१०६८ पचसंयत प्रकरण
मन्थनाम
सस्तबक
७६ | १५७३ - पचाशक
カウ
१५७२ |पचाशक १०५७ पर्यन्ताराधनाप्रकरण
७
७६ | १०८३ | पर्यन्ताराधनाप्रकर
सस्तवक
१०६३ | पर्यन्ताराधनाप्रकरण
सस्तबक
८१ १०६१ पर्यन्ताराधनाप्रकरण
८०
८२
24
सस्तबक
७० | पर्युपणाष्टा हिकाव्या
ख्यान
८३ १०६४ पिण्ड विशुद्विप्रकरण छायासहिन ६२ | प्रकृतिविच्छे प्रकरगादि प्रकरण चतुष्क
८५
८५ प्रबोधचिन्तामणि
८६ १०३८ प्रव्रज्याविया नकुलक १५७१ प्रशमरति प्रकरण सटीक
EU
त्रिपाठ
जैनप्रकरण
"H>>>POV<
"3
कर्त्ता
क्षमाप्रमोद
वा मेरुसुन्दर प्रारा गू १६४१ '
हरिभद्र
25
""
सोमसूर
19
रा०
मू० जीवविजय प्राः स्त०
भाषा
रागू० १८७५ २०वीं श.
जयशेखर
27
राःगूः
प्रा
लिपि - पत्रसमय संख्या
"
""
प्रास्त:
१६वीं श.
१८२४
१७००
१७वीं श
१८वीं श.
१७५२
रागू
प्रास्त० १८वीं श.
रागू० प्रास्त० १६११
रागू संस्कृत १६वीं श
मूत्र जिनवल्लभ प्रा छा सं १६२२
जयतिलक
संस्कृत १६६३
२०वीं श १७वीं श.
33
प्रा०
| संस्कृत | १=वीं श
६८
१६५
१६६
:&
४
-११
-३६
३५
४
६
५.
Ε
६
२१
५६
२
५०
1 १८७
विशेष
-हाला कंदी में लिखित ।
सत्यपुर में रचना ।
प्रत्यपत्र में संवत् १७८३ उ० मेघविजयें लीधी छई इस प्रकार पुष्पिका है। उपाध्याय मेघविजय प्रसिद्ध जैन विद्वान् है ।
मंडपावर्ग में लिखित |
जीर्ण प्रति है ।
'प्रकृतिविच्छेद प्रक २. सूक्ष्मार्थसंग्रह ३ प्रकृति
स्वरूपसरूपण ४. स्वामिलप्रकरण ।
Page #200
--------------------------------------------------------------------------
________________
१८-
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
-
-
क्रमांक प्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
फर्ता
भापा ।
| लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
२०१२ प्रश्नशतप्रकरण सार- मू:जिनवल्लभ | सं० | १५०४ ७ पल्दादनपुर में चूर्णि पंचपाठ
लिखित । दूसरा पत्र
अप्राप्त ।। १५७५ प्रश्नोत्तरसमुच्चय | कीर्तिविजय |, १७वीं श ४७
(हीरप्रश्न) प्रश्नोत्तरसार्धशतक- क्षमाकल्याण रा
सं०१८५३ में भापा
बीकानेर मे रचित। प्रश्नोत्तरसार्धशतक
स०१८५३ बीकानेर में रचित तथा
लिखित। | १०३१ भवभावनाप्रकरण
| मू०प्रा०/१५वीं श. १० सारचूरि
अव०सं | १०६२ भवभावनाप्रकरण हेमचन्द्रमूरि प्रा.रा. | १८६६ | १५ | स्तबक रचना संवत् सस्तबक स्त.शांतिविजय
१३२५॥ चंबारी
नगर मे लिखित । | १५७६ | भावप्रकरण सावचूर्णि मूविजयविमल मू०प्रा० १८वीं श. ७ अवचूणि रचना | श्रम स्वोपज्ञ अव०सं०
सं०१६२३। १०३० | भाष्यत्रय सावचूरि मू० देवेन्द्रसूर प्रा.व. १७२३ / १६ त्रिपाठ
सोमसुन्दर । सं. ३५२५ मनस्थिरीकरणविचार सोमसुन्दर | रागू०१६वीं श १३ | पत्र २,३,४ अप्राप्त। १००१ | रत्नसंचयप्रकरण सस्त- मूबङसाह | मू प्राध्वीं श ४६ वक
स्त रान २५४६ रविकरप्रसरविचार
प्रा०सं० १६वीं श. ३ १०६५ | लघुक्षेत्रसमास सस्तवक रत्नशेखर मू.प्रा | १८१६ / ६५
स्त पार्श्वच द्रस्त रा.ग. २०३६ लघुसंग्रहणी हरिभद्र । प्रा० १७वीं श. २८६३ लेश्याविचाररादि (१३१) २१५६ | लोनालिकाप्रकरण
प्रा.टी स , , सटीक विचारपत्र
प्रा सं. १६वीं श. ७४ २०६२ विचार वालावबोध
गूि.७वीं श) १७ | २६.७ विधिप्रपा
जिनप्रभ
प्रा० १६वीं श १०३ विवेकमजरी
श्रासह
" ५वीं श. ४
Page #201
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैनप्रकरण
१८.]
क्रमांक प्रन्थाइ
प्रन्यनाम
प्रन्यनाम
कर्ता । भाषा लिपि- पत्र
भाषा
पत्रसमय | मंख्या
विशेष
निका
१८७ ३४६. विवेकविलास सबाला- जिनदत्त पूरि सं.रा.गू | १५८७ ११६ नगरयट में लिखितः।
बोध १०८ | ११:५ | विवेकविलास सार्थ मू जिनदत्तसूरिमू.सं.अ. १८२७ | १४-६४, गुटका । भुजनगर(३)
म लिखित । स्वप्न शास्त्र गणित निमित्त अदि अनेक विपयों
का चर्चण किया है। १८४५ विशेपशाक समयसुन्दर | सं० १८४६ / ४६ / मुनराबिन्दर मे
लिाखत । २३७४ | बीसस्थानकपद पूजा | लक्ष्मीसूरि रा. गूः१६वीं श. ६३-७१ रचना सं. १८४५ ।
तथा विधि
व्याख्यानपद्धति | २६५६ व्याख्यानपद्धति वच
" ६वीं श. प्लेट ३६ फोटो कारी। श्रावकमाराधना
संवत् १६६७ में उलचानगर में रचित । कोटा में
लिखित । समयसुन्दर । " १८वीं श ५ संवत् १६६७ में
उच्चानगर में
लिखित । शास्त्रीयविचार
रा.गू प्रा. १७वीं श २३६
२४२ शीलांगयन्त्र
१६० शीलोपदेशमाला शीलापदेशमाला बाला- मू जयकीर्ति प्रारा गू१८२२ / १७० | कथामय अन्य है। वबोधसहित वा मेरुसुन्दर शीलोपदेशमाला सवृत्ति मू जयकीत प्रापृ.सं. १९वीं श. १४१ / शीलतरगिणीन म. वृ.विद्यातिलक
वृत्ति १०७३ | शीलोपदेशमाला
मू जयकीति म.प्रा.स्त.१७वीं श. . सस्तबक
स. हरिश्चंद्र | रा. गू.]
मुनि श्राद्धविधिप्रकारा आमाकल्याण | रा. गू. १८.१ '१७-२ जैसलमेर में लिखितः ।
११४ १०५२ श्रावक आराधना
जयकीर्ति
१६४८
_
१.४३ (२)
Page #202
--------------------------------------------------------------------------
________________
१६०1
राजस्थान पुरातत्यान्षण मन्दिर
coRONDARD-BIDI
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
१२२ | ७२ | श्रावकधर्मविधिप्रकरण | मू० धनपाल | प्रासं. | १६६३ | L | सटीक
टीधर्मचन्द्र | १०२८ | षट्कर्मग्रन्थ टीका -टी देवेन्द्रसूरि, सं० | १६२३ |
| स्तम्भतीर्थ में | मलयगिरि
लिखित । पांच की टीका देवे.
न्द्रगिरि ने की है। |१०२६ षट्कर्मग्रन्थसावचूरि मूल्देवेन्द्रसूरि प्रा.अ.सं.१७वीं श. १८३ |१ से ५ ग्रंथतक टीका १०७७ पष्टिशतक सस्तवक मू० नेमिचन्द्र | मू.प्रा.,,,| १०
स्त.रा.गू. | पोडशक सटीक त्रिपाठ मू० हरिभद्रसूरि सस्कृत | १८३६ | ४३ | सुरतिबिंदर में
| लिखित । संख्याताविचार
रा.गू. १७वीं श. १४६वां
|,
१८वीं श.
संग्रहणीप्रकरण हेमसूरि शिष्य मू.प्रा. १८वीं श. ५२ सस्तवक
स्त.रा.गू. ३६१४
संग्रहणीवालावबोध | शिवनिधान | रा.गू. | १८११ । ७३ वडलनगर में लिखित ३६१५ संग्रहणीबालावबोध दयासिंह २११७ संग्रहणीसबालावबोध | श्रीचन्द्र
| श्रीचन्द्र प्रा रा.गू. १६१७
वा०दयासिंह १०६० | सग्रहणी सस्तबक | हेमसूरि शिष्य मू.प्रा. | १६०३ | ५३
स्त.रा.गू. १०५० | सप्ततिका (कर्मग्रन्थ)
| प्रा. १८वीं श६ २११८ | सप्ततिका कर्मग्रन्थ | वा० कुंभऋषि मू .ग्रा. | १७३३ | १६ जैसलमेर में लिखित।।
सबालावबोध त्रिपाठ । पार्चन्द्र शिष्य ६६२ सप्ततिका वालावबोध | मूलचंदमहत्तर मू.पा.बा १७वीं श ७१
| बा०जयसोम समवसरणस्तववाला.
रा.गू. १६वीं श. ६ पबोध सम्बोधसप्ततिका
प्रा० १६वीं श ४ सम्बोधसप्ततिका
मू प्रा. | १७१७ | २३ सूरतबिंदर में लिखित। सवालाववोध
बा.रा.गू. सम्बोधसप्ततिका
मू० जयशेखर| मू प्रा. १८वीं श. १२
|स्त रा. सम्बोधसप्तति मूरनशेखर | मू.प्रा. १९६१ २१ सटीक
सहित
१११५
१०७६
सस्तवक
टीअमरकीर्ति सी. | १६६१ / २१
Page #203
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैनप्रकरण
१९१ ]
कमांक, प्रन्थाङ्क
ग्रन्यनाम
लिपि- पत्रभाषा
| समय | संख्या
विशेष
८६४
| समयसारनाटक बनारसीदास हि० | १७५८ ३१ | ३६१८ समयसारनाटक
व्र.हि. १८वीं श. __५१ सं. १६९३ में आगरा
में रचित । समयसारनाटका मू.बनारसीदास ७० | १८०४ १४४ व्यालपुर (भुज) .. सस्वबक स्त० राजमल्ल
में लिखित । समाधितंत्रवालावबोध मू कुदकुद(१) मू.सं.बा. १७१२ ८४ सहित
वा. पर्वतधर्मार्थी रा. गू. समाधितंत्र वालावबोध "
___/अलीगहुरपातशाह सहित
के राज्य में अंबइटा
में लिखित । साधुविधिप्रकाश क्षमाकल्याण
क्षमाकल्याण सं० -१६ जैसलमेर में लिखित। १८७६ सिद्धपचाशिका सस्तवक मू. देवेन्द्रसूरि प्रा. स्त.
रा.गू. | २८६३ | सिद्धांतवोल . सूक्ष्मार्थविचारप्रकरण मू. जिनवल्लभ
| यवनपुर-स्थित (सार्थशतक) सटीक टी० धनेश्वर टी. सं.
कमलसयमोपाध्याय ने देविणीनामक लेखक द्वारा
लिखाई १५० | १० | स्थविरावलिकावचूर्णि
| सं० १७वीं श. ४
1-8३
५४
यव
Page #204
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२३) रास
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थ नाम
फर्ता
लिपि- पत्रभाषा
| समय । संख्या
विशेष
(१)
रचित ।
| ११२४ | अगड़दत्तचौरई सुमति हपंदत्त | रा0 गू० १६७६ / ६२-३६
सं० १६ १ में शिष्य ६६४ | अजापुत्र चौपई . सुमतिप्रभ ।" | १५२६ | ४२ स. १८२२ में रचना,
बजुतरी ग्राम में लिखित । सांचोर
मे रचित। अजापुत्ररास धर्मदेव " १८७१ १२/ संवत् १५६१ में
सीणी ग्राम में रचित पे (खे) टकपुर में
लिखित । १९२२ जनाचौपाई
१७६४ ३५५३ | अजनासुन्दरी चौपाई | पुण्यसागर । १८७७ नागर में लिखित। ३८६० अंजनासुन्दरी चौपाई | "
|सं.१६८८ में सांचोर मे रचिना हीया
देसर में लिखित। | ३८७६ अजनासुन्दरी चौपाई |
सकर ग्राम मे. लिखित । स. १३६
मे सांचर में रचिन। + | ३६६६ जनासुन्दरी चौपाई |
पा (खा) रीयानीवरा मे लिखित । स. १६८२ में साचंर में रचित ।
१००
११-७७
१७
Page #205
--------------------------------------------------------------------------
________________
- रास
" १६३
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
-प्रन्यनाम .
-
| " कर्ता ।
भाषा
लिपि-- पत्रसमय | संख्या
विशेष
"
१७२२/
६।३६६७ ।। अंजनासुन्दरी चोपाई। भुवनकीर्ति रागू०।१८५६ २२ बीकानेर मे लिखित
| सं० १७०६ में राणा
श्रीजगतसिंहजी के प्रधान केशरीसिंह के छोटे भाई भागचद की प्रार्थना से
उदयपुर मे रचित । __ , १०० ३८७७ : अंजनासुन्दरी चोपाई। भुवनकीर्ति , १८७४ । २१ । सं० १७.६ में उद
'यपुर में रचित । ११ २२२३ अंजनासुन्दरी चोपाई । "
२७ । सिरुवंज मे लिखित । उदयपुर नरेश श्री
जगतसिंह जी के अमात्य श्री हेमराज 'के छोटेभाई भागचद की प्रार्थना से
रचित । १२ | १८२० अजनासुन्दरी रास' मालमुनि (१) , १७वीं श ७ १३ -३८६२ . अजनासुन्दरी रास
पीपाड नगर में
लिखित । " १४- २८६३ अढारनातराचोपाई । हीरकलश , । १७वीं श.६१से६४ कर्ता द्वारा स्वय
लिखित । अनाथीसघी खेमो
। १७५६ | '४ स. १७४५ में कल्या.
णपुर में रचित । - १६ | ११२४ |
| अभयकुमाररास ११२४ अमरतेतराजा धर्म- रतनविमल । , | १६७५ २से१८ स. १६०६ में (१)- बुद्धिमंत्रीरास
रचना। प्रथम पत्र
अत्राप्त । १८ | २०१७ | अभसेनवयरसेनचोपाई, जयरंग , | १७७० सं० १७०० (१७१७) (१)
मे जैसलमेर मे रचना । पत्तन मे
'लिखित। १६ ३८६३ अमरसेनवयरसेन- पुण्यकीर्ति , १८वीं श. १५ । सं० १६६६ मे चोपाई
सागानेर मे रचित ।
: : :
रत
Page #206
--------------------------------------------------------------------------
________________
१६४]
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
कमांक ग्रन्थाङ्क
अन्यनाम
फर्ता
| भापा
लिपि- पत्र समय संख्या
विशेष
२३६
२०७८ अमरसेनवयरसेन रास राजसुन्दर | रा. गू. १८वीं श. २३ सं. १६६७ में जालोर
जावालिपुरमें रचना। २१ | २३७४ अम्बरीषी रास माइदास , १८वीं श| १६-२० २८६२ | अम्बडविद्याधररास मंगलमाणिक्य " | १६ ३ ८३ / पालगंजानगर में
लिखित । सं. १६३६
मे उजेणी मे रचित। २१३० अर्जुनमालीरी चोपाई | मुक्तिनिधान | रा० | १८६३ -५ सुवाहगाम में लिखित । १८. अपतीसुकुमालचौपाई | जिनहर्षरा गू० १८३१ | ५७-६५ गुटका, रचना सं. (१०)
१७४१। २१४६ अवंतीसुकुमालचौपाई
| " १६वीं श ८ रचना सं० १७४१ । २३७१ अपतीसुकुमालचौपाई
" " ३१-३४ रचना सं. १७४१ । २७ / २८३ | श्रागमवचन (कुमती हीरकलश रा.गू प्रा. १६२१ | २०२--
सं १६१७ में कनक। (१३५) वि०सणाधिकार) चौपाई
पुरी में रचित । कर्ता
द्वारा स्वयं लिखित । २८ २१४० आणंदुसंधि श्रीसार रा. गू० १८२४ १२ सं १८०० (?)मे पुहकर
। पीनयरी में रचना। २६ | २१७७ आणंदल
" १६६६ १२ सं. १६८४ मे पुहकर
णी में रचना, राजल
देसर में लिखित । ३० १२२० आणंदसंधि
संवत् १६८४ में पुइकरणीनयरी में
रचित। | ३५७३ श्राणंदसंधि
" १६वीं श. ८९-७ सं १६८४ पहुकरणी
नगरी में रचित ।
जीर्णप्रति। | ३८७१ श्राणदसंधि
" १७६४ कृष्णगढ में लिखित।
सवत् १६८४ में पुहकरणीनगरी में
रचित। ३३ | २८७६ आणंदसधि
वीछवाडीया ग्राम में लिखित । संवत् १६८४ में पुहकरणी नयरी में रचित।
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #207
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्थाक
३४ १००८ श्राराधना
३५ | ३४६= |आरामशोभा चोपाई
३६
६४६ | श्रार्द्र कुमार चोपाई
३७ ३०३० श्रार्द्र कुमारचोपाई
३८
१४ | श्रद्र कुमारधवल
६२७ आपाडाभूति धमाल
३६
प्रन्यनाम
४०
६६६ | पाढाभूति धमाल
४१ २१६७ पाढाभूति घमाल
४२ ३५७३ आषाढाभूति धमाल (१०) ४३ | १०१२ | आषाढाभूतिरास
४४ | २०१५
पाढाभूति रास
४५ | २०६५ | पाढाभूतिरास
४६ | २३७४ आषाढाभूतिरास
(१५)
३२४५ | पाढाभूतिरास
४७
४८ ३६१६ | आषाढाभूतिरास
अजितदेव
दयासार
ज्ञानसागर
33
कनक सोम
19
29
"
"2
कर्त्ता
ज्ञानसागर
"
35
25
"
19
रास
भाषा
राःगूः | १६४७
99
""
31
37
,,
99
"
11
33
""
"
"
लिपि -
समय
""
१७४६
१०३०
१७७=
१७वीं श.
१७७
१७४
पत्र
सख्या
१८७४
१०
७५१
१६
१२
१३
३
३
२
ε
१२
१वीं श
६
१६वीं श ३२-३३ सं० १६३८ में
१८१३
१८वीं श
द
विशेष
{
५
सं० १५६७ वीरम
पुर रचना | मालपुरा मे लिखित ।
रचना सं० १७०४
सं० १७२४ चक्रा
पुरी रचना | मे
चक्रारी ग्राम में २० १७०४ मे रचना ।
१७६५
सं. १७२४ मे चत्रापुरी गांम में रचना |
१६वीं श ७२ से ६ सं. १७०४ चक्रापुरी
में रचना ।
[ १६५
मुलतानगर में । सं० १७२९ में लघु
वटपद्र मे रचना |
स० १७२७ में लघु
वडपद्र में रचित । सं० १६६४ में
मरिसर में रचित | ग्राम में लिखित | रचना
स० १६२८ ।
स० १६३८ में
रचना ।
सं० १६३= मे रचित ।
रचिन | जीर्ण प्रति ।
सं. १७२० में चमी.
पुरी में रचित । वमतपुर नगर मे लिखित ।
ताग्राम मे लिखित, स० १७०४ मे चक्रीपुर मे रचित ।
Page #208
--------------------------------------------------------------------------
________________
. १६६ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
-
-
-
-
क्रमांक प्रन्या
प्रन्यनाम
। कर्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
- विशेष
२५५३ श्रापाढाभूतिरास
: बानसागर - रागू | १६०५ १६०- सं. १८३२ मे नागोर
| १६४ में रचित । मेडता में
लिखित। | १६७१।। ३ खेमराज
१७वीं श ५ प्रथम पत्र अप्राप्त। १६वीं श.-६०-६१ जीर्णप्रति ।
३६२० २०७२ ३५७३
श्रापाढाभूतिरास उग्दुपारी संधि इग्बुकारी संधि
(२६)
२१.३
इखुकारी संधि २२१७
| इग्बुकारी संधि
खेम मुनि
६०४ इलाचीकुमाररास
ज्ञानसागर
१७वीं श. २ ।। १७६० १-३ किशनगढ में लिखित
स०:१७४७ में उद
यपुर मे रचित । | १७५६ - १७ संवत् १७२६ मे
रचित । घोघावन्दर
में लिखित । '.५/ सं. १८२१ शेषपुर
-
-
इलाचीकुमाररास
-
में रचना।
६३ इलाचीकुमाररास
" ।। १८२
इलाचीकुमाररास { इलाचीकुमाररास
"
।। १७६
१५६६ लाचीकुमाररास ६१ : २३४५६इलाचीकुमाररास
() ६२ ३०३१ लाची/माररास
१७६८ १४ स. १७१६ मे शेप
पुर मे रचना। शेपपुर-मे सम्बत्
१७१४ मे रचना। १७-२२ स. १७२६ मे शेपपुर
मंरचना पत्तन में
लिखित । १७ मं. १७१६ शेपपुरी
में रचना। १ध्वीं श. २०-२५ रचना सं० १७२१
मे शेपपुर मे। " वीं श ११ सं० १७१६ मे शेप
।पुर में रचित । नट
पदनगर में लिखित । " । १८६५१८ बीजापुर मे लिखित ।
। मं. १७२५ मे पाटण
मे रचित । " १७११ । १६ राजकोटनगर में
लिखित।
६३ . ३२१६. उत्तमामाररास
. जिनदर्ण
६१ .
" ' पांवधियाइलो
सेवक
Page #209
--------------------------------------------------------------------------
________________
रास
[१७
क्रमांक प्रन्याङ्क
प्रन्थनाम
फर्ता
विशेष
मय संख्या
सेवक
१३ । राधिकापुर में
लिखित ।
ऋषभदेवविवाहलो (धवल) ऋषभदेवविवाहलो (धवल) ऋषभदेवविवाहलो (धवल) ऋषभदेवविवाहलो
जीर्ण प्रति।
०२ | एकादशीमाहात्म्य । विष्णुदास
| १८३१ । २६ । प्रथम पत्र प्राप्त । चोपाई
सं० १६२४ में रचित । मानकुआ
ग्राम मे लिखित । ___७० | ३६८५ | एकादशीमाहात्म्यभाषा मानदास
हि० १८६८ | ४६ पाटण नगर में पद्य
लिखित । सं० १८३४
मे रचित। | ९०५ | प्रोखाहरण
प्रेमानन्द | गूर्जर | १६०३ / ७४ | ओखाहरण
१९वीं श. ३७ कयवन्नाचोपाई (जयतसी)
उदयापुर में लिखित। जयरंग
सं०१७२१ मे
रचित । ___७४, २०३२ | कयवन्नाचोपाई | जयरंगरागू० १८२३ सं० १७२१ में :
बीकानेर में रचित, सुरतिविन्दर.में
लिखित । ____ ७५ ) २०६० | कयवन्नाचोपाई
सं० १७२१ में वीका
नेर मे रचना। ६ | २२०६ कम्वन्नाचोपाई
अडसीसर प्रामे मरुस्थलदेशे लिखित सं० १७२१ में
बीकानेर मे रचित । ७ ३८७४ फयवन्नाचोपाई
सरीयारी में लिखित स० १७२१ में
वीकानेर में रचित। ५८ | ३६२१ । कयवन्नाचोपाई
" १८वीं श १८ | सं० १७२१ में
बीकानेर में रचित।
"
| १८५५) १९
Page #210
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________________
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
-
-
-
क्रमांक ग्रन्याङ्क
ग्रन्थनाम
“कर्ता
भाषा | लिपि- पत्र
समय | संख्या
विशेष
१५
m.
३८७५ कयवन्नारास गुणसागर । रागू १८वीं श. प्रथम पत्र प्राप्त। २०६२ करगडूचौपाई मतिशेखर
"१वीं श | २:८ कर्मविपाकरास वीरचन्दमुनि
सं०१७२८ में पाटण
में रचित । ८२ | ३८७२ | कलावतीचौपाई रायचन्द | २१८३ | कान्हडकठियाराचौपाई | मानसागर , १८२ विदासर में लिखित।
स १७४७ में मतिह
मे रचित । | ३५५४ कान्हडकठियाराचौपाई
" १६वीं श. ६५-६७ स० १७४७ में पद
मावतीनगर मेंरचित । ८५ | ३८७३ कान्दडकठियाराचौपाई " " | १८४१६ वीनातटनगर मे
लिखिन ।संब{ १७४१ में पदमावतीनगर में
रचित । ८६ | ३८८० | किसनजीरी ढालां
राज. २६वीं श. . | १५६४ | कुमारपालप्रवन्धरास हीरकुशल रागू० १७वीं श. १८ रचना सं० १६४० ।
अझिमपुर मे
रचित। ६६३ कुमारपालरास
, -१२० १० । स० १६७० वावती
में रचना। ३४७०० कृष्णविवाहलो
१८वीं श६४४- केशी गौतमसंधि
पभ्रंश १३वीं श ४ ११२३ -केशी गौतमसंधि
रागू १७वीं श| ७५-७६ -१८६६ | खदकमुनिचौढालीयु
२६२३-२७ गुटका। . ३५७५ खंदकमुनिचौढालीयु
" २०वी श. ६६-७७ २३७४ खेमासानो रास | लक्ष्म रतन १८५७ | ४३-४७ रा १७४१ उनाउया
मैंरचना। ३६२३ गजसुकुमालछटालीयो केशव
गजसुकुमालढाल शुभवर्धन (१) ६४७ गजसुकुमालविवाह शुभवर्धनशिष्य
१८वा
|
"
या
"
| १७८०
Page #211
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________________
रास
[ १६६
कमांक प्रन्याङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपि- | पत्रभाषा
-ममय संख्या
विशेष
२१०३
२०५२ | गजसुकुमालसंधि मूनाऋषि । १६६५ स. १६२१ में
साचोर मे-रचना। . गुणप्रथीर जरासी
हिन्दी १६वीं श. १-३५ ७६५ पद्य पर्यन्त, (१७)
अपूर्ण। गुणरत्नाकर छंद सहजसुन्दर रागू. १७४६ १६ रचना सं० १५७२। गुणावलीकथा चोपाई
१८वीं श. २०३३ गुणावलीकथा चोपाई
१७४३ चिगयपुर में सं.१६७२
| मे रचना दसाहा
ग्राम मे लिखित । गुणावलीचोपाई
१८७१ / २६ स. १७५७ में
रचित । गुणावलीचोपाई दीपऋपि | रा० | १८४८ २४
| मौषडंदा ग्राम मे लिखित । सं. १७५७
में मनसर मे,रचित। १०५ / ६०६ गुणालीबुद्धिप्रकाशरास श्रुतसागर रागू०-१७वीं श. १. गधारनयर में रचित । १०६ | ३६२४ गुणावलीरास
राजकुशल " | १७१८ १८ अरदवाडा नगर में
लिखित । सं. १७१४ .
मे रचित गुसाइजी की लीला कृष्णदास व हि० १७वीं श-१०-१७
चोझड गोवर्धनलीला नारयणदास , १६०८ २६-३७
बडोदरी | गोराबादलकथा जटमल रान० | १८२८ सबुलागांम में सं०
१६८५ (पाटा । ७७५) : मे रचित पुनरासर
मे लिखित.। गोरावादल की बात
, १८वीं श १५से१७
१०६
गोराबादल करित दूहा बंध
,
३३८४ गोराबादल चोपाई ३३८५ | गोराबादल चोपाई
भाग्यविजय हेमरतन
१६वीं श. १५१- सं० १६८० में
१५६ . रचित, आणदपुर में
लि खत। स. १६६० मे कुंभ
लमेर में रचित। १९वीं श
,
Page #212
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________________
२०० )
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
___ कर्त्ता
भाषा
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेष
११४ | ३०२६ | गोरावादल चोपाई | लब्धोदय रागू० १७६५ २५ सं० १७७६ में उद
यपुर में रचित । ११५ ३३८६ गोराबादल चोपाईलबधिउदय | रा० । १७५६ ४१ | उदयपुर मे लिखित,
उदयपुर नरेश श्री जगतसिंहजी के अमात्य हंसराज के छठे भाई डुगरसी के अाग्रह से सं०
१७०७ में रचित। ११६ | १८३६ | गौतमरास आदि
रा०गू०/ १८३३ | ११८- गुटका। सज्मायादि
१४३ कृतियां हैं। | १८१७ चउपरवीचउपई समयसुन्दर
स०१६७३ मे जूठा
गाम में रचित। १८२४ | चंदनवाला चोपाई देपाल रा० १६वीं श १-४ ६१ चंदनमलयागिरि भद्रसेन
| १८६६ | ८ | | विक्रमपुर मे रचना। चोपाई
मानकूआ में लिखित। १००६ ] | चंदनमलयागिरि
" १८वीं श. ४ | विक्रमपुर में रचना। चोपाई २०७५ चदनमलयागिरिचोपाई ३५५४ चंदनमलयागिरि चोपाई
१६वीं श. २८-३० विक्रमपुर मे रचित । ३५५६ | चंदनमलयागिरि चोपाई ,
(१)
| १८२१
३८-५१
"
"
चंदनमलयागिरि चोपाई
SEO
चन्दराजा रास
मोहनविजय
चन्दराजा रास
१०३
१०५ १६०
स०१७३८ राजनगर में रचनो। सं० १७३८ राजनगर में रचना। | सं० १७८३ में राजनगर में रचित। सं० १७.३ में राजनगर में रचित।
२२ चन्दराजा रास
१२८
२०८४ चन्दराजा रास
१०४
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________________
रास
२०१]
-
-
-
-
-
क्रमांक प्रन्थाङ्क
• प्रन्थनाम
• कर्ता
आषा
लिपि- | पत्रसमय । संख्या
विशेष
१२६:३५५४ चंदराजा रास
मोहनविजय
१३००-३८८३ चंदराजा रास
१३१ ३१७- चंदराजा रास
| १८६६
१३२ ६.३८८२- चंदराजा रास
लब्धिरुचि
१३३ ३६२५६ दराजा रास
१७७०
रा० गू| १८७६ -|-१-६० राणावास में
लिखित । सबत् १७८४ में राजनगर
में रचित । १८३१ - 0 सं. १७६३ में राज
नगर मे रचित । चूरूनगर मे लिखित स. १७८३ में राज.
नगर में रचित । " १८२७ स. १७१७ में सिरोही
में रचित । लाहानाम (मेदपाट) मे लिखित । सं. १७१७ में सिरोही में रचित । प्रस्तुत कृति पूर्ण लिखकर लेखकने वाचक उदय विजयकृत पार्श्वनाथ गीता ३६ पद्यमयी
लिखी है। " | १८२१ / ७६ | देवाणदीग्राम में
लिखित । संवत् १७१७ में सिरोही
में रचित । " १६वीं श. - ६६ अन्त्य पत्र ६७ वां
1-अप्राप्त । नापासर में लिखित। सं. १७२८ में श्रीप.
चीयाष में रचित । " | १९७५ - २६ / सं १७२८ में पंची
याख में रचित । | १७६५ २६ | सं. १७२८ में श्रीप
चीयास में रचित। उछोदग्राममें लिखित
३६६
चंदराजा रास
"
"
. १२५ ४१५ चंदराजा रास
| १५५ चन्द्रलेहाचौपई
मतिकुशल
"
१३७ २२२६ चंदलेहा चौपाई १३८ ३५०३, चंद्रलेहा चौपाई
-
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,
। २०२ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
-
-
-
-
ग्रन्थनाम
कर्ता
| भापा
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेष
१३६ | ३५३७ | चन्दलेहा चौपाई । मतिकुशल रा.मू. १८३०, २३ | स. १७२८ मे श्रीप
चियाक मे रचित । राणपुर मे
लिखित । || ३५४० चन्दलेहा चौपाई
" वीं श. १३-३६ सवत १७२८ में
श्रीपचीयाप में
रचित । १४१ २८८४ | चन्दलेहा चौगाई
पीपाड में लिखित । सम्बत् १७२८ में श्रीपचियास में
रचित । १४२ ३६२६ चन्दलेहा चौपाई " " | १७७७ / १६ प (ख) रवा में
लिखित । सम्बत् १७२८ में श्रीपची
याक मे रचित । १४३ | ३६७१ चन्दलेहा चौपाई " " १७७४ | १३ | सम्बत् १७२८ मे
श्रीपचीयाप मे
रचित । १४४ | १८ | चन्द्रलेहा चौपाई हर्णमृति " १७वीं श ५ रचना सं० १५६६ । २२११ चपकवेष्ठिचौपाई समयसुन्दर
। १० सं. १६६५ मे जालोर
में रचित । ३५७३ | चित्रसभूतचौढालीयो । जीवनराज | " १६वीं श. १३६ वा सं १७४६ विक्रम
नेर में रचित ।
जीर्णप्रति । ३८६६ | चित्रसेनपद्मावती | रामविजय
१५ गं १८५६ में बीका चौपाई
उपाध्याय १४८६४ | जम्मूपृच्छारास
नेर में रचित । वीरमुनि
१८८६
सं. १७८८ मे पाटण
में रचना। मान१०१० | चम्पूपृच्छारास " , १८१६
कुआ में लिखित । सं. १७२८ पाटण में रचना । भुजनगर में लिखित ।
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रास
.
२०३ )
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-
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-
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-
- A
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-
पत्थाडू
मन्थनाम
कर्ता
लिपि- पत्र| समय | संख्या
विशेष
१५० | २२३१ जंबूस्वामी चोपाई
चंद्रभाण
देपाल
१५१ | ३४५२ जंबूस्वामी चोपाई १५२ | ३५७३ जंबूस्वामी चोपाई
(१४) १५३ २१३१ जबूस्वामी चोपाई
पद्मचंद्र
| रा० १८६३ सुवाहगाम में
लिखित । सं० १८३८ में बोडावड में
रचित । रा०गू०/ १५४८८ संवत् १५२२ में
रचना। , १६वीं श ३८-४२ संवत् १५२२ में
रचित। जीर्ण प्रति। , १९वीं श. ५३ | पत्र १५ से २३ ,
अप्राप्त सं० १७१४ में सरसा पाटण में
रचित । , १८०२ / २० सिरोही नगर में
लिखी । रचना सं०
१७४८। , १९४९ / ४६ | मगरवाडा में लि
खित । सं० १७५४
में रचित । १६५६, ३४ । सत्यपुर में लिखित।
सं०१६४२ में
१५४, १६८ | जम्यूस्वामीरास
नयविमल
३२८८ जम्बूस्वामीरास
१५६ ३४७३ जम्बूस्वामीरास
राजपाल
रचना।
३६२८ | जयविजय चोपाई
| धर्मरत्न
१६वीं श
२८
हीरकलश
जिनप्रतिमाधिकार चोपाई जिनरक्षित जिनपाल
सं० १५४१ मे अर्गलपुर में रचित। सं० १६२४ में रचित । सं० १८६७ वीकानेर में रचना।
उदयरतन
,
२०वीं श. २५२
२६० १७२० १८
मेघराज
,
ज्ञाताभास तथा सोलसतीभास | ढालसागर
गुणसागर
,
१६वीं श १३१ । सं० १६७६ में
कर्कटेश्वर नयर में
रचित। १८वीं श EE | सं० १६७६ में
कर्कटेश्वर नगरीरचित।
१६२ ३६७२ ढालसागर
"-
,
Page #216
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________________
२०४ ]
राजस्थान पुरातत्वान्येपण मन्दिर
। पना
क्रमांक प्रन्याङ्क
प्रन्यनाम
फर्ता
भाषा लिपि
विशेष
समय मागा
१६३
अविचल
जनगर में निम्मित।
६१३ ढुंढ रुपवाडो १६४ ११४४ ढोलामारवणी चोपाई
रागृ. १८७६ | रा १६वीं श, मेर:
१६५ २२०७- दोलमारूरी दूदाबंध १६६ / ३६७३ / त्रिभुवन कुमाररास
उलमसागर
१६७ ३८८५ त्रिभुवनकुमार रास
" १८८८ । गुनगमर मे लिन्ति । रामू १७६३ - २१ कृत भाजामाम में
लियन सं१७१२ में परमिन्दर में
रनिता जी श. २६ . नोमती नगर में
लिवितान. १७१२ 'मं पुरविन्दर में
रचिना , २०यींश: ३११- ; महिनापुर में संपन
! ३१६ १८४७ में रचना।
१६८ | ३५७५ थापच्चामुनिचोढालियो, क्षमाकल्याण
१६६ - २२२८ थावच्चामुत चोपाई
१७० | ३८८८ थावच्चासुत चोपाई
२१०१ दानलीला
दानलीला
।, १८वीं श.. १७ मं०१७.७ में बीपा
नर में रचित समयमुन्दर " , २५ . २०१६६१ में पं
(ब) भाइन में पा (पा) स्यारत में
रचित। " वीं ॥ १ ला नारायणदास नाहि. १७वीं श. ४१-25 वडोदरी समयसुन्दर |, रवीश ४ ०१६६२ में सांगा
नेर में रचना। श. ४ ०१६६२ नं सांगा
नर में रचना। म० १६६२ सांगानेर
मे रचना। " १२६ ३२-४०
गुटका । सं०१६६२ सागानयर में रचना।
| दानशील तप भारना
संवाददानशील तप भावना सवाद दानशील तप भावना संवाद दानशील तप भावना सवाद
Page #217
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________________
रास
२०५१
___
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपि- | पत्रसमय | संख्या
विशेष
| समयसुन्दर
दानशीलतपभावना (२) सवाद
रा० गू० १७८३ | ६-१२ | सं. १६६२ में सांगा
| नेर मे रचित ।
मगर मारवाड़ में
लिखित। " | १७०५ ६ स. १६६२ में सांगा
नेर मे रचना। १६वीं श. ३१-४२/ "
२०८६
२३७४
दानशीलतपभावना सवाद दानशीलतपभावना सवाद दानशीलतपभावना संवाद
१८१८- ३२७१ | दानशीलतपभावना
संवाद
१८२ ३५७३ / दानशीलतपभावसवाद
"
| ३५७५ | दानशीलतपभावसंवाद
"
कृष्णगढ़ मे लिखित। संवत् १६६२ में सांगानेर मे रचित । सं. १६६२ में सांगानेर में रचित । गुटका । रास पूर्ण होने के बाद सज्मायादि पद लिखे हैं। सं.१६६२ में सांगानेर में रचित।
जीर्णप्रति । १७३- स १६६२ में सांगा
नेर मेरचना। ४ संवत् १६६२ मे
सांगानेर में रचित।
उदैपुर में लिखित । ४ संवत् १६६२ में
सांगानेर में रचित । १-६ स १६६३ में राडद्र
हनगर में रचित। सं १८२४ में अजीम . गंज में रचित ।
विक्रमपुरमे लिखित । २४ खेरालुनन में
लिखित ।
१८१
दानशीलतपभावना संवाद
१८वीं श
"
" १६वीं श
| ३६२७ / दानशीलतपभावना
संवाद
दामनकचौपई (१०) | २१७६ | दामनकतौपाई
| दयाशील
१६७६
चारित्रसुन्द
१८८३२७२ देवकीना ढालीयां
गू०
१८६१
Page #218
--------------------------------------------------------------------------
________________
२०६ ]
क्रमांक ग्रन्थाक
१८६ १८२६ | द्रौपदी चौपाई
२१३२ | द्रौपदी चौपाई
१६०
१६१
१६२
१६३
१६५
प्रभ्थनाम
३४५५ द्रौपदी चौपाई
१६४ ११२३ धन्नाचरित्र रास
(3)
११२४ धन्नाचरित्र राम
(३)
१६८
३५३ = | द्रौपदी चौपाई
६६६ | द्रौपदी रास
१६६ | ३५७३ | धन्नाचरित्र रास
(१५)
१६७ | २:३४
३५७३ ध नासधि
(२.)
१६६ | ३३५१ | धन्यविलास
२००
धन्नारास
२१ = १ धर्मदत्तंधनवांतीरी
चौपाई २०१ ३६३० नन्दवत्रीसीचे पाई २:२ २०६४ | नन्दि रे ए चौपाई
२०३
नरसीमेतानु मांमेरू
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
लिपि
पन
समय सध्या
फर्ता
कस्कोर्ति
17
31
समयसुन्दर
मति सर
رو
"
भावनरत्न
कल्याण तिलक
कल्याण
ग्रामति
कुशल
सिंघकुल
ज्ञानमागर
प्रेमानन्द
भाषा
रा०० १७०७
"}
"
33
11
"
19
"
"
""
33
39
गृ०
१३२७
fis
1
१वीं श
१=25
मान में लिखित | ग १६६३ में जैस
लगेर में रचित | म० १७०० में प्राहमें रचना | जनगर में लिखित |
१७औँ श. २२-३० म. १४१० मे रचित ।
१६७५
33
"
""
१०वीं श
१८२२
जेसलमेर में मंत्
१६६३ में रचित | जैसलमेरनगर ने
स (?) मे रखना । लिखित |
३६ जैसलमेर नगर में ।
स. १६६: मे रचना ।
वश ४२-१६ म० १४१५ में
१७१६
१८वीं श
१-६१
विशेष
३१
ܘ
पाल
३५-४६ संवत २०१४ में
रचना | भुजनगर में लिखित |
रचिन | जीप्रति |
५६ रात १७७० में
पहिलपुर पाटण मे रचित । ६५-६७ जेसलमेर मे रचित ।
जीप्रति ।
४३ सम्मत् १६८५ में
रचित । ४५ विदामर में लिखित
1
रचना - स. १७55 | ६ | दूधवड में लिखित । १२.
१५ मानवुआ में लिखित ।
Page #219
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________________
रास
[२०७
क्रमांक प्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
। कर्ता
२०४ ११२३ नलदवदन्ती चउपई
(२५)
२०५ / ६५२ नलदवदन्ती चोपाई
समयसुन्दर
लिपि- | भाषा
पत्र- विशेष समय । संख्या । राःगू० १७वीं श. ८६-६४ ३१२ वां पद्य पर्यन्त,
पश्चात् किचित् अपूर्ण । अंत्य ६५
वां पत्र प्राप्त । १७७४ सं०१६७३ में प्राणद.
नगर मे रचना। १७७६ ७२ अवरंगाबाद नगर में
लिखित सं० १६७३ में मेडतानगर मे रचित। पा (खा) रूआवाडा मे लिखित । सं.१६६४
मे रचित । " | १६८५ ६७ | रचना स० १६६५
१६वीं श. १-११
___२०६ | ३८८८ नलवदन्ती चोपाई
___२८७ ३६३१ नलवदन्ती रास
मेघराज
नयसुन्दर
२०८ २०५६ | नलायनोद्धार
३५६६ नव आख्यान (नवरत्न)
पद्य
नवनिदानकुलकचोपाई हीरकलश
रागू०
१७वीं श५६-६०
३५६६
नवरत्न नव आख्यान पद्य नागदमण
गू० | १६८७ |४-१० | आद्य तीन पत्र
अप्राप्त । १६वीं श. १२१
"
""८२-८६/ जीर्ण प्रति ।
३५७३ नागदमण (३३) ३६३२ नागदमण २३७७ नागदमण चोपाई
१७वीं श
४
चोबारी ग्राम में लिखित । राउनी देशलजी राज्ये।
१८५२
२१७ / ८१८
| १२८
२१६ / २१६६
नागदमणछंद (यदुपतिपवाडो) नागदमनपवाडो
नागदमणपवाडो ३०३६ नागमताचोपाई | ३५५० नागमताचोपाई
(११)
१७७६ १६वीं श १८वीं श १८वीं श.८४-८७
प्रथम पत्र सचित्र।
Page #220
--------------------------------------------------------------------------
________________
२०८ ]
क्रमांक प्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
२२१
१८३० नागमतु २२२ | २१४१ | नासकेतुमाख्यान
२२३ ६४० नेमिजिनफाग रंगसा
गरनामा
२२४ | ३६३३ नेमिनाथधवल
२२५२१७० | नेमिनाथरास
२२६ ३८६३ | नेमिनाथरास
२२७ ३६३६ | नेमिनाथरास २२८ ७ नेमिनाथविवाहलो २२६ | २०१७ | नेमीश्वरस्नेहवेली
२३० ३६३९ पचेन्द्रियचोपाई २३१ | ३५७५ | पचेन्द्रियचोपाई (४४)
२३२ | ३६= | परदेशी प्रतिबोधचोपाई २३३ | २०८१ | परदेशीराज्य चोपाई २३४ | ११२३ | परदेशीराजाचोपाई (५)
२३५ | २१५७ | परदेशीराजारी चोपाई २३६ | ३२४६ |परसोतमपुराण पद्य २३७ ११२३ पुण्यपालराजरिपि (११) चपड़े
राजस्थान पुरातवेत्वा परण मन्दिर
लिपि -
समय
कर्त्ता
जगन्नाथ
नय सुन्दर
कनककीर्ति
पुण्यरतन
33
वीरविजय उत्तमविजय
ज्ञानचद
सहजसुन्दर
""
२३८ | ११२३ | पुण्यसारगुणश्रीचरित्र विमलमूर्ति
(७)
रास
२३४३५३५ पुण्यसार चोपाई
भाषा
पुण्यकीर्ति
रा०० १७वीं श
रा० १८६४
रा०० १६वीं श
رو
"
रा०
39
""
रा०० १७१६
१८६४
१८७७
"
33
"
१६६१
१७वीं श
"
१७३५
ور
१७६१ १७वीं श.
पत्र
संख्या
४
१५
Isr
८
१७५१
IS
रा० १८वीं श ४ रा०गू० २०वीं श. २१६
८
१०
२
४
७
ی
ܘ܆
८
१६३६ ३४३६
विशेष
रा०
१८८२ १६ गू० १८८१ ११३
बिदासर मे लिखित |
सौभाग्यशेखर| रा०गू० १७वींश ६२-६६ स० १६४१ निजार
नयर मे रचित |
कर्णसर नगर में लिखित ।
वीस नगर में
लिखित |
स० १६३० में रचित । प्रथम पत्र
स. १७५१ मे रचित | स० १७५१ आगरा २२८ | में रचना |
राजनगर मे रचित | सत्यपुर में लिखित |
अप्राप्त ।
स. १६६२ मे बीका
नेर मे रचित ।
६
सुरायता ग्राम मे लिखित |
राधनपुर में लिखित | छाणी नगर में लिखित |
ग्रन्थकार अपरनाम शिरमुनि है ।
१६३६ | ४६-५८० १५७१ मे धंधूक
पुर मे रचित । गो
गरु मे लिखित | स. १६६६ सागानेर नगर मे रचना । कोठारा में लिखित |
Page #221
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________________
-रास
, २०६ ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
भाषा
लिपि- पत्र समय | संख्या ।
विशेष
-पुण्यकीति
. २४०, ३६३७ पुण्यसारचौपाई २४१ ३६६५ पुण्यसारचौपाई
रा. गू १८वीं श. ६ सं. १६६६ में सांगा
नेर में रचित । ४ मेततडाग्राम मे लिखित | सं. १६६६ मे सांगा
नेर में रचित । १७५४ | ७ सवत् १६६६ में
सांगानेर में रचित। | " १७वीं श. - १०
२४२ ३८६४ पुण्यसारचौपाई
पुण्यरत्न
मालदेव
१८२२ पुरंदरकुमारचौपाई ३६४१ | पुरंदरकुमारचौपाई
| पुष्पसेनपद्मावती | चौपाई
कवि सामल- गू०१८वीं श.१७-१०२ सं.१४५२ (?) में श्री दास
| यनगर में रचित ।
कविगौडमालवी विप्र वीरेश्वर के
पुत्र हैं। चंदकवि हिंदी १६वीं श. २७-८४ पचम खंड अपूर्ण ।
१२४६, ३५४७ | पृथ्वीराजरासो
१०१४ पृथीराजरासो (पीर कविचदबरदाई व. हि. " ८४
खंडसमैयो अजमेररो) २६५५ पृथीराजरासो च दबरदाई हिन्दी | १७२३ प्लेट ११२/ (फोटो कापी)
पृथीराजरासो दूसरा चदकवि | " १८वीं श -२१ खण्ड पृथीराजरासो तृतीय खण्ड पृथीराजरासो १४ वां खण्ड | पृथीराजरासो खण्ड २७ वां पृथीराजरासो सजो'गिता पूर्वजन्मकथावर्णन | पृथीराज (कच्छराज- | लक्ष्मीकुशल | " १६वीं श. ६ कुमार) विवाह वर्णन पृथीराज (कच्छराजकुमार) विवाह वर्णन
-
-
-
-
-
-
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________________
[ २१०
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक प्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता
भापा / लिपि
पत्रसमय । संख्या
विशेष
गुणसागर
रा-गू०
६७२ | पृथ्वीचन्द्रकुमाररास
प्रत्येकबुद्धचोपाई २१७८ प्रत्येकबुद्धचोपाई
| समयसुन्दर
१६७७ ३ सूरतबिंदिर में
लिखित । , १८८७ ३१ सं० १६६४ में आगरा
| में रचना। , १७वीं श. १० प्रथम और अंत्य(११)
वां पत्र प्राप्त,
रचना सं.१६६४। ७० १६वीं श. ६६-७०,
| १८८२ प्रह्लादचरित्र
रैदास
गोपाल
वहि० | १८४१ २६से४६ | गुटका ।
१८६१ प्रहादचरित्र
प्रियमेलकचोपाई | ६७४ | प्रियमेलकचोपाई
| समयसुन्दर
२६३ | १८१२ प्रियमेलक चोपाई २६४ २०६७ । प्रियमेलक चोपाई
र । १७वीं श. ४ । सं० १६७२ मेडता
में रचना। सं० १६७२ में मेडता में रचना। अकबरा
वाद में लिखित । १७१४ सं० १६७२ में मेड
ता मे रचित। । १७७२
सं० १६७२ में मेडता नगर में रचना, पत्तन में लिखित । सं० १६७२ में
मेडता मे रचित । हिन्दी १६वीं श.३३से३६ | रचना सं० १८४८ ।
२२०१ | प्रियमेलकचोपाई
प्रीतिलता
सवाई प्रतापसिंहजी
| प्रेमपंथग्रन्थ
"
, , २४से२६
१०से१६ रचना सं० १८५१ ॥
प्रेमप्रकाश
६
|
फागरंग
| रचना स०१८४८
फागविहार बारामास
नागरीदास ब्रहीमुहम्मद बाहि० १८६७१३-३५
Page #223
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________________
रास
२११ ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्यनाम
कर्ता
विशेष
समय | संख्या
२२१०१
वाललीला
रागू० १६वीं श. १-३
.... "
| २१६७ वाललीला ३५६६ | बाललीला
बहिः २०वीं श. १८ , १७वीं श. ३७-४१
नारायणदास बडोदरी ज्ञानसागर
___x'
११४१ | विल्हणपंचाशिका
चौपाई
रागू० | १८०७/ २० पत्र १,२ अप्राप्त ।
अजार मे लिखित ।
कामीजनार्थ रचित । " ५७८३ / १२-१४मगरवाडा में लिखित ।
२७६ / २०४२
बुद्धिरास
शालिभद्र
"
"
-
२
| ३४८०
-
*
*
| बुद्धिरास
१८वीं श. २ | ३१६५ बुद्धिरास
१७वीं श बुद्धिरास
१८वीं श. २८० २२७४ भक्तमाल सटीक मू० नाभाजी बहि० १८३६ | २२० । मामकरकेडि (पुष्कर टी. प्रियादास
मंडल) में लिखित । टीकारचना
स०१७६६। २०२३ भमरगीता विनयविजय | रागू०/ १७३४ । १-२ |सं.१७३६ (१७३२)
में रचित।
पत्तनद्रग में लिखित | भमरगीता
मैनाहिन रा० १७६८ | भंवरगीत
ब्राहि० २८वीं श५-१७ वडनगर मे लिखित ।
| पत्र १ से ४ अप्राप्त। | भोजचरित्र चौपाई | कुशलधीर रागू० | १७४० ३५ | पत्र १४, १५, १६
अप्राप्त । सं. १७३० मे सौमितनगर में रचना । वाहलग्राम
मे लिखित । ११२३ | मगलकलशचरित्र रास | सर्वाणंदसूरि " १७वीं श| ३०-३४ ३५१६ मंगलकलश
मगलधर्म " " १२ सं० १५२५ में रचना। चौपाई ३५५४ मंगलकलश
लक्ष्मीहर्प " | १० | १-१२ | बगडी मे लिखित । चौपाई
स.१७७६ मे काकंदी नयर में रचिन।
*
-
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राजस्थान पुरात्वान्वेपण मन्दिर
-
-
ग्रन्थनाम
कर्ता
.. | लिपि । पत्र| भापा
समय | संख्या
विशेष ः
२८८ | ३६७४ | मंगलकलश चोपाई
लक्ष्मीहर्प
मगलकलश फाग
कनकसोम- वाचक दीप्तिविजय
| २०२६ मंगलकलशरास
रागू० | १८६६
वाडवास में लि स. १७१६ मैं
नयर में रचि १७वीं श. ७ । सं० १६४६ में;
रचना। १८७४ ३३ सं० १७४६ में
रचित । रानेर
लिखित। " १८६६ ४६ | रचना सं०१७४६ ) , १७वीं श. १५ सं० १६८८ बीलपुर
मे रचना। रा० १८वीं श. १०२से
२६१ / २०८६ | मंगलकलशरास २६२ | ३४८८ मत्स्योदरकुमाररास
पुण्यकीर्ति
| ११४२ मधुमालतीचोपाई
चतुरभुजदास
३५४७
। मधुमालतीचोपाई | मधुमालतीचोपाई मधुमालतीचोपाई मधुमालतीचोपाई
१८२८ | १-३३ कंटालिया ग्राम में
लिखित । १८२६ / ५८-8 संग्रामसिंघशासित
कटालिया में लिखित | देवगढ़ में लिखित।
(१)
३५५८
१६वीं श. १-६३
३८४१
मधुमालतीचोपाई मधुमालतीचोपाई सचित्र मलयसुन्दरीरास
१८५६ । ३२. लसाणीग्राम में लिखित १८७७ | १४१ ।
चित्र स०८७ है।
२०२६
| कान्तिविजय
१७६६ / ८४
राधनपुर में लिखित, स०१७७५ मे पाटख
में रचित ।
६०४ माधवानलकामकंदला
चोपाई
स० १६१६ मे जेसल पुर मे रचना, जयः तारणि में लिखित स०१६१६ मे जेश
"
(१६वीं श. २१
माधवानलकामकंदला चोपाई माधवानलकामकंदला चोपाई
मेर में रचित ।
१८६६
२०
सं० १६१६ में जेस लमेर मे रचित । मानकूया मे लिखित
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२१३ ]
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क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
| ३५३०
___३०८ | ३५५५ माधवानलकामकदला
३०४. २०६१ माधवानलकामकंदला | कुशललाभ रा० गू०१८वीं श २० सं. १६१६ में जैसल
| मेर में रचना। ३०५ | २०२२ माधवानलकामकंदला
" १८२४ | १२ पुनरासर में लिखित । चौपाई
सं. १६७७ मे जैसल
मेर में रचित । | माधवानलकामकदला
" १८वीं श. १४-३७ रचना सं० १६१६ । चौपाई
जैसलमेर । विदासर
में लिखित । | माववानलकामकदला
" | १७३० १४ । सं. १६१६ में जैसलचौपाई
मेर मे रंचना।
| पादूनगर में लिखित।
१८३१ / १-११ कटालीया में लिखित । (१) | चौपाई
स. १६१६ में जैसल
मेर में रचित। माधवानलकामकदला
सं. १६१६ मे जैसल चौपाई
मेर में रचित ।
प्रथम पत्र प्राप्त । माधवानलकामकदला
१४ सुभटपुर मे लिखित। चौपाई
तं १६१६ में जसल
मेर में रचित । | माधवानलकामकंदला " " १६३८ ३० सुरताणजीशासित चौपाई
धणुद्रग्राम में लिखित । स १६१६ मे जैस
लमेर में रचित । । ६७१ | मानतुगमानवतीचौपाई, अभयसोम | " | १७७८ ११ |सं. १७२७ में रचना।
विक्रमपुर में
लिखित । | ३६४७ मानतु गमानवतीचौपाई " "
१० सं. १७२७ मे रचित ।
लेखक ने पुष्पिका
संकेत लिपिमे लिखी है ___२१ | देवगढ़ में लिखित ।
स. १७२७ मे रचित । २१५ | ३६७५ / मानतु गमानवतीचौपाई सुन्दरसूर " १६वीं श १४ स. १७८५ मे रचित ।
मानतुगमानवतीचौपाई
,
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२१४ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
| भाषा
लिपि- | पत्रसमय | संख्या
विशेष
३१६ | १००५ | मानतुंग मानवतीरास | मोहनविजय
३१७ २०३७ | मानतुग मानवतीरास
३१८ | २०४६ मानतुंग मानवतीरास |
३१६ | ३२४१ | मानतुंग मानवतीरास |
,
रा०पू० | १८१३ | २६ सं० १७६० अणहि
लपुर पाटण मे रचना दुर्गादासराठोड के
शासनकाल में। , १७६४ , २५ | सं० १७६० में दुर्गा
दास राठोड के शासन मे अणहल्ल पत्तन में रचित । पत्तन मे लिखित । | सं० १७६० में दुर्गादास के शासन मे अणहिल्लपुर पाटण
में रचित । , १६वीं श. ४१ सं० १७५० में दुर्गा
दास राठोड शासित अणहल्लपुर पत्तन
मे रचित । , १८४५ ३५ वडावली मे लिखित
सं०१७६० में दुर्गादास शासित अणह
ल्लपाटण में रचित। " १८८३ | १३-२५ | सं० १७६० में अण
हल्लपुर पाटण में
रचित । , | १७७६ २२
राजनगर में लिखित स० १७६० मे दुर्गादास राठोड शासित अणहलपुर पाटण
में रचित । | " १८७४ १६ | " १७वीं श| ६४-६५
३२० ) ३२६१ मानतुग मानवतीरास
,
३२१ | ३५५४ | मानतुग मानवतीरास
|
"
३२२ | ३६४६ मानतुग मानवतीरास ।
,
३२३ | ३२२२ मामेरू ३२४ २८६३ | मुखवस्त्रिकाविचार
प्रेमानन्द हीरकलश
(२६)
चोण
३२५ | ३६७८ | मुनिपतिचोपाई
धर्ममन्दिर
।
रा०
१८८९
५४ | सं० १७२५ में
पाटण में रचित ।
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________________
रास
२१५ ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
३४६४ । मुनिपतिचौपाई
रा. १७वीं श ३५ सं. १५५० में रचना। ३४८१ | मुनितिचौपाई
१५६६ ३८ | सं. १५५० में रचना। ३२८ | २८६३ मुनितिचरित्रचौपाई | हीरकलश
१६६८ | १३-५८ सं. १६१८ के माघ (२४)
वैशाख मास में बीकानयर
में रचित । कनक
पुरी में लिखित । ___३२६ २०२१ मुनिपतिचरित्रचौपाई | धर्ममन्दिर । " | १८४१ / ३६ / सम्बत् १७२५ में
पाटण में रचित । ___३३० | २१३६ मुनिपतिचरित्रचौपाई
| १८१८ ३१ | संवत् १७२५ में
पाटण में रचित ।
रिणी में लिखित । मृगापुत्रसधि कल्याणतिलक " १६वीं श. ६७-६८ जीर्णप्रति । मृगापुत्रसंधि
"
" १६६७ । ४ ६६१ | मृगावती चौपई समयसुन्दर
१६६० सं. १६६८ में मुल
तान में रचना। ३८६६ मृगावती चौपई
मुलतापनगर में
रचित। ३६४८ मृगावती चौपई
सं० १५६८ में मुल
ताण में रचित । मृगावती चौपई
सं. १६६५ में मुल.
ताण में रचित । मेघकुमारचोढालीयो | कनककवि
१६वीं श ३४-३५ जीर्णप्रति ।
। (२२)
१८वीं श
석
३६८०
१६६१
३६४६ ३६८१ ३१६
मेघकुमारचोढालीयो मेघकुमारचोढालीयो मोती कपासीया सवाद
१८८१
यादव श्रीसार
9 mur
चौपाई
३२०८
१७२५
मोती कपासीया सवाद चौपाई
३ आणंदपुर में लिखित । ६ सं १६८२ में फलव
धीपुर में रचित। बीकानेर में लिखित। स. १६८२ में फलवधीपुर में रचित । | सं १६८६ मे फलवधीपुर मे रचित । सं. १६८६ में फलवधीपुर में रचित ।
३८६७
१६६५
20
मोती कपासीया संवाद चौपाई मोती . मोती कपासीया सवाद चौपाई
३६५०
१७वीं श
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[ २१६
राजस्थान पुरात्वान्वेपण मन्दिर
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मन्मांक ग्रन्या
प्रन्यनाम
| कर्ता
|लिपि- । पत्रभापा
| समय | संख्या ।
विशेष
३.४ : ३५५५ मोहनमोहीकथा-पद्य ३४५ : ३ मोहविवेकरास ३४६ - १५.६८ | यशोधररास
३४७ । २०२५. यशोधरराम
३४- २१३६ चशोधररास
जानकवि ।
| हि० १८वीं श. १२-१४ धर्ममन्दिर रागृ० १८वीं श. ७७ स० १७४१ में मुल
तान में रचना। नयम-दर , १७वीं श. २१ स० १६७१ मे
रचना। उदयरत्न , १८०३, ५४ चद्रावती (चारणस्मा)
में लिखित । संवत्
१७६७ में रचित । ज्ञानद (लु का- , १६वीं श. २० ।
स० १६२३ में गच्छीय)
वडोदरा में रचित । पुण्यरत्न
| १६६० पिडीयोजगो रा.
मानकुऑ में लिखित । |१८२५ मेडता मे लिखित । १८४१ पत्र ५,६ अप्राप्त।
बीदासर मे लिखित।
१८वीं श, २१-०८ अपूर्ण । जीर्णप्रति । पिडियोजगो
१६वीं श २४-३१
.
४६ : १८८ चादवराम ३५०२ रतनरामो
४१ : २३१० ' रतनरामो ३५२ । २३६० रतनरासो
३५८ ' रतनरामो
३५४४ ' रतनगनो
२५६० रतनरामो
१८वीं श १-३१
३ तनरामो
चीयोजगो
। १८०६१२१- जीर्ण प्रति । स.१७१५
१३५ में रचित ।
११.३ रखमारनई
मेवक (ग्त्र मार गिप्य )
१७वीं श८४-८६
१०."
मारनपई
गोपाः
पनरनिधान
१५.
:
नांग
१६७४ १२ स० १५७१ में
रचना। म. १७०८ में रचित । बीदा लिन्वित सं०१७
रदिन। मा १८ १७०८ में
१६.
: 1
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रास
२१७ ]
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| लिपि- पत्रक्रमांक ग्रन्थाङ्क प्रन्थनाम कर्ता | भाषा
विशेष
समय | संख्या ३६२- २१८० रत्नपालचौपाई रघुपति रागू०
सं. १८१६ में गजसिंघजी के राज्य में कालूग्राम मे रचित कर्ता ने अपना नाम रुघनाथ भी लिखा है।
विक्रमपुर में लिखित । ३६३ २२३० रत्नपालचौपाई
" " १८६४ ३३
स.१८१६ मे गज सिंघ के राज्य में
कालूग्राम मे रचित । ३६४ ३८६४ | रत्नपालचौपाई कनकसुन्दर । " १८२१ | १३ | कल्याणपुर में
लिखित । सवत्
१७६७ में रचित । ३६५ | ३८६५ रत्नपालचौपाई मोहनविजय " १८१२/ ५४ | वैराटनगर में
लिखित । संवत् १७६० में पत्तन में
रचित । ३६६ | ३८६६ रत्नपालचौपाई हर्षनिधान | रा० | १८१२ | स १८१६ में कालू
ग्राम मे रचित । ३६७ / ६३६ | रत्नपालरास
सुरविजय
३२ धोलका में लिखित ।
सं. १७३२ में ब्राह्म
णपुर में रचित । ३६८ | EEE: रत्नपालरास
रागू० | १८३० २४ सम्वत् १६३२ मे
बरहानपुरमे रचित । भुजनगर में
लिखित । रत्नसार रास सहजसुन्दर " १७वीं श ३६-४६ सवत् १५८२ में
रचित । रत्नसार रास
१८वीं श १५ संवत् १५८६ (?) मे
रचित । २०३६ | राजसिंहरतनवती पंच | प्रभुदास
श. १६ सवत् १७५५ मे कथा रास
वटपद्र में रचित । २८६३ | राजसिंहरत्नावती सिं । हीरकलश " १६१९७१-८४ सं. १६१६ में झमेऊ (३८) (संधि -
ग्राम में रचित । रचना के चौथे दिन में लिखित ।
१७७६
"
१८वीं श.
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________________
{ २१८
राजस्थान पुरात्वान्वेषण मन्दिर
ग्रन्थनाम
कर्ता
भापा
लिपि
पत्रसमय संख्या
विशेष
३७३ | २२१५ | रात्री भोजन चोपाई
धर्मसमुद्र
रा०पू०
३७४ | ३४८३ | रात्री भोजन चोपाई
"
"
१६७७ ६ पाडला ग्राम में
लिखित । पंचालसा
यरनयर में रचित। १७५४ ७ मगरोप मे लिखित,
| पंचालासोनयर मे
रचित । १८वीं श ५१से५७ | पचालीसानयर में
| रचित । जीर्ण
प्रति । १८२० ११ १८६६ १से१३ गुटका।
३७५ | ३५७३ | रात्री भोजन चोपाई
..
(१७)
| प्रेमानन्द संगमकवि
१००६ | राधाविलापवारमास २८५५
राधिका विरहवारहमास
रामगुणरासो ३३८७
रामगुणरासो ३३८८ रामगुणरासो ३५४८ रामगुणरासो
६००
माधवदास माधोदास
१८१८ १७८३ ३७ कृष्णगढ़ में लिखित। | १८२६ , ४४ रेयां में लिखित । १७६१ ७३-१३६ तिमरी में लिखित ।
३५४६ रामगुणरासो
,
१६वीं श. १-२३
रामगुणरासो
१८०६ ।
मेडता में लिखित
३८६७ | रामयशोरसायनरास | केशराज
रा०गू | १८७१ | ६५
३८५ | ३६८८ | रामयशोरसायनरास
"
| १८४७ / १००
| देहरग्राम में जमना
तट पर लिखित । सं० १६८० में अन्तरपुर में रचित । तालनगर मेदपाट में लिखित । 'मारवाड देश मध्ये वि- । ग्रहथयो तरेमेदपाट मध्ये आयाथा ते जा. णवो' लेखक पुष्पिकागत पक्ति। सं० १६८० मे अतरपुर में रचित ।
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रास
२१६ ]
८७५
क्रमांक ग्रन्याङ्क
| लिपि- पत्रग्रन्थनाम कर्ता
विशेष
समय / संख्या ३८६ १८८२ रुक्मणीविवाह | कृष्णदास वहि० १६वीं श. १०८(१६८)
१११ ८७२ रुक्मणीहरण (पद्य)
१२ रुक्मणीहरण (पद्य) २२१० | रुक्मणीहरण (पद्य) | विजैराज
" १६वीं श., ७ पद्य रचना। ३६० / ३५०० / लीलावती चौपाई हेमरतन रा० गू०१७वीं श. १६ सं. १६७३ मे पाली
नयर में रचना। ३६१ / ९८७ / लीलावतीसुमतिविलास| उदयरत्न ।” | १८४२ १४ | सं. १७६७ में ऊनारास
ऊआ मे रचना। जालियाग्राम मे
लिखित। ३६२ / २०५० रासलीलावतीसुमति
। १३ सवत् १७६७ मे विलास
उनाउया मे रचित । ३६३ | ३२२७/ लीलावतीसुमतिविलास
धनपुरनगर में रास
लिखित । स. १८६७ में ऊनाऊयाग्राम
में रचित । २६४ | ३५१५ लीलावतीसमतिविलास " " १८वीं श १५ / संवत् १७६७ में
ऊनाऊआ मे रचित। रास ३४५६ आनंदनिधान
मे सोमित वच्छराज चौपाई
नयर में लिखित । वसुदेवकुमार चौपाई
| सं. १५५७ (१) में वरलासनयरी में
रचित । | वस्तुपालतेजपालरास समयसुन्दर । " १६वीं श १६-२३/ तिमरीपुर में रचना।
सवत् १६८२। २२१३ | वस्तुपालतेजपालरास
१८३८ |४-५ | कालू मे लिखित ।
स. १६८२ में तिम
रीपुर में रचित । २१२४ वासुपूज्य पुण्यप्रकाश सकलचन्द्र
१७४१ २६वावतीनगर में रास
रचित । २३७४ वासुपूज्य पुण्यप्रकाश
१८५७, ४७-६३ बावतीनगर मे (१३) रास
रचना। ३८६६ | विक्रमखापराचौपाई अभयसोम | (१७)६७६
सवत १७२३ में सिरोही मे रचित।
स.१७
| १८३६
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________________
२२० ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
४०२ १८१५ विक्रमचरित्र प्रबंध
४०५
२८६० | विक्रमचोबोलीचोपाई
४०६ || ३६०० | विक्रमचोबोलीचोपाई
४०७
४०३ | ३५५५ | विक्रमचोवोलीचोपाई जिनहर्प
(२८) ४०४ २१२७ विक्रमचोबोलीचोपाई
अभयसोम
४०६
४०८ | १०११
मन्थनाम
२२२५
५१०
४१४
३८६८ | विक्रमपचदंडचोपाई
४११ | ३६५१ विक्रमपचदडचोपाई
४१२ | ३६०२ | विक्रमपचदडचोपाई
४१३ | ३६६४ विक्रमपचदडचोपाई
विक्रमचोबोलीचोपाई
२०६०
राजस्थान पुरातवेत्वाम्षण मन्दिर
लिपि -
समय
विक्रमपचदंडचोपाई
कर्त्ता
विक्रमचोत्रोली तथा जिन प्रहेलिका २२०५ | विक्रमपचदंडचोपाई
४१५ | २१२८ विक्रमरास
उदयभानु
"
در
लक्ष्मीवल्लभ
121
"
در
लक्ष्मीकीर्ति
"
नरपति
भवर्धन
भाषा
रा०० | १५६७
रा०ग०
रा० १६वीं श. १६२वां
333
"
ار
"
"
""
"
66
23
23
१८६६
१६वीं श.
१७=२
१७६८
१६वीं श.
१८५३
१८वीं श
१८वीं श
पत्र
सख्या
१७६२
२०
१८६६
८
२२
१२
११
२
११६
७२
१८८१ ८४
१६वीं श| १०६
७१
३४
२३
विशेष
गोदावरी ग्राम लिखित । सं० १५६५ मे रचित |
रचना स० १७२४ ।
सुनाम मे लिखित | अत्य २३ वां पत्र
अप्राप्त ।
पीपली ग्राम मे लिखित । स० १७२४ मे रचित ।
सादडी मे लिखित,
स० १७२४ मे रचित |
सिणधरी मे
लिखित | बिदासर मे लिखि
त । स० १७२८ मे रचित ।
स. १७२८ मे
रचित ।
अत्य ७२ वा पत्र
प्राप्त । लसावडी ग्राम से लिखित |
लगू मे लिखित स० १७२८ मे सबलसिंह नृपशासित
थलीनगर मे रचित । रचना काल शाके
१५०० ।
सं० १७२३ में जयतारण नगरी मे रचना, सुनाम में लिखित |
1
Page #233
--------------------------------------------------------------------------
________________
रास
२२१-]
क्रमांक प्रन्याङ्क
पत्र
प्रन्थनाम
समय
| १८१८
लिपिकर्ता
विशेष
संख्या १८२५ विक्रमसेनचौपाई | पर(द)मसागर, रा. गू.
सं. १७२४ में गढ़
वाडा में रचना। | २०१६ विक्रमसेनचौपाई | परमसागर
सं १७२४ में गढ़
वाडा में रचित । विक्रमसेनचौपाई
बगडी में लिखित । सं. १७२४ में गोढ
वाड मे रचित । | ४१६ | ३८६८ | विक्रमसेनचौपाई मानसागर
" १८२८ ३६ बडुग्राम में लिखित ।
स. १७२४ मे कुंड
नगर मे रचित । | ४२० / ३६६१ विक्रमसेनचौपाई " " | १७६८ ३३ आगेवानगर में
लिखित । संवत् १७२४ में कूडइनग
रम में रचित। | २०१६ | विक्रमादित्यचरित्र नरपतिकवि " १७०६ ३२ । सारीग्राम में चौपाई
लिखित । | विक्रमादित्यनवसेंकन्या | लाभवर्धन
सरीयारी में लिखित चौपाई
सम्बत् १७२३ में जयतारणनगरी में
रचित। | ३५७५ | विजयशेठ विजया चंद्रकीर्तिसूरि | " २०वीं श. ६५-६७ (२१) शेठाणी चोढालीयो विद्याविलासचौपाई , राजसिंह
| " १७वीं श सं . १६७६ में चंपा
वतीनगरी में रचित. “४२५ | ३६५२ विद्याविलासचौपाई
१३ | जेसलमेर में
लिखित । सम्वत् १६७६ में चपावती
नयरी में रचित। ४२६ | ३६६७ विद्याविलासचौपाई | जिनहर्ष " | १८५० | २१ | तेल्यपुर में लिखित।
सवत् १७११ में रचित । प्रथम पत्र
अप्राप्त। ४२७ / ११२३ | विद्याविलास पवाडउ | हीराणंदसूरि " | १६३१ | २-५ | प्रथम पत्र अप्राप्त ।
संवत् १४८५ में रचना।
| १६६३
Page #234
--------------------------------------------------------------------------
________________
[२२२
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक
पत्र
प्रन्थनाम ।
का
भाषा | लिपि-
। विशेष
। समय | संख्या हीराणंद · रागू १६वीं श. ४-५
र०सं०१४८५।
१८२४
विद्याविलास पवाडउ
। १६७६
१८२७ विद्याविलास पवाडउ २०१३ | विद्याविलास पवाडउ
,
४३१ | ३५४४ विद्याविलास पवाडउ
१७वीं श.
६
४३२ १००४ विनयचटरास
ऋषभसागर
४३३ २१२३ विमलमंत्री रास
लावण्यसमय
४३४, २३७४ विमलमंत्री रास
| र० सं० १४८५ १६वीं श. ५ सं० १४८५ में
रचित । । सं० १४८५ में
रचित । । १८७६ ५३ सं०१८१० में पुरबिदर
| मे रचना। मांडवी
| बिन्दर में लिखित। १८वीं श. २६ । सं० १५६८ मे माल.
मुद्र मे रचित । १८५७ ३-१४१ स. १५६८ में माल
समुद्र मे रचित। १७वीं श. ६५ | सं० १५६८ में
मालसमुद्र में रचित। वीकानेर में लिखित, स० १७४५ में नवानगर में रचित। जोरावरसिंहजी शासित सिणधरी में लिखित । रचना स०१६८६।
सोमितरामें लिखित। १८वीं श. १से२५
४३५ ३५३४ विमलमंत्री रास
४३६ | २१४८ वीरभाणउदैभाणचोपाई कुशलसागर
१८४२
८३७ ३६६८ वीसस्थानकरास
४३८ १६५० वृन्दावनशतभाषा ४३६३ ३५१३ | वृद्धिसागरनिर्वाणरास | दीपमुनि
३१३४ वेतालपचीसीकथा गद्य
,
६३४
वेतालपचीसी गद्य
"
२१४२
वेतालपचीसी गाथा
देवसील
दूहावध
४४३
२१
| वेतालपच्चीसी
देवीदान नाइता
१८९० ६१ । मानकूया में
लिखित । १६वीं श. १-१५ वडाविग्राम में सं०
१६१६ में रचना। १८६० १३-३५ पद्य रचना बीकानेर
नृप अनूपसिंह के कुतूहलार्थ रचित । लूणकर्णसर में लिखित
Page #235
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्याक
प्रन्थनाम
४४५ | ३२४३ वेतालपच्चीसी
४४६ | २८३० | वेतालपच्चीसी गद्य वेतालपच्चीसी गद्य
४४७ ३५५४
४४४ २३६० वेतालपच्चीसी कथा देईदान - नाइता रा०
(६)
४४६ || ३६०३ | वैदर्भी चौपाई ४५० ३६६५ | वैदर्भी चौपाई ४५१ १८८६ व्रजशृंगार
(5)
४५२ ३५१० | शकु तला रास
(3)
४५३ | १००२ | शत्रु जयउद्धाररास
४५४ | १८३६ शत्रु जयउद्धाररास (३)
४५५ | २२२६ | शत्रु जयउद्धाररास
४५६
३५५४ | शत्रु जयउद्धाररास (३)
४५७
३६५३ | शत्रु जयउद्धाररास ४५८ | ३५३६ | शांतिनाथ चौपाई
कर्चा
रास -
39
समयसुन्दर
"
"9.
नयसुन्दर'"
93
भाषा
ज्ञानसागर
""
23
(ह)
४४८ | ३५७३ | वेतालपच्चीसी चौपाई हेमाणंद हीर
(१)
कलश शिष्य
प्रेमराज
रा०गू० १८वीं श
१८५६
"
सवाई प्रताप हि० १६वीं श. २६-३३ रचना स० १८५१ । सिहजी धर्मसमुद्र
रा०गू० १८वीं श
१-३
"
39
""
35
"
ܕܕ
"
"
लिपि - पत्र
समय
१८५४
१६वीं श
१८५०
१८४६ २६-५४ बीकानेर नरेश
संख्या
१८३६
१८वीं श.
१३ १-१३
१६६५ १८वीं श.
१६ बीकानेर नृप अनूपसिंहजी के कुतू
हलार्थ रचित | भार
ग्राम में लिखित ।
१८१२ १-१७ सं. १६४६ में रचित । ओवरीग्राम में लिखित | जीर्णप्रति ।
७
2
विशेष
८
२२३ ]
अनूपसिह के विनोदार्थ रचित | बीदासर में लिखित |
१८२६ १०- १६ नागोर में सम्वत्
१६८२ में रचना । गुटका 1
२३ | प्रस्तुत कृति के बाद लेखक ने स्तवन
६
गुटका । पूर्ण ।
बगडी में लिखित ।
पदादि लिखे हैं ।
१६वीं श| ६०-६२ संवत् १६४८ मे
रचित ।
५०
सं. १६८६ में नागोर में रचना | राधापुर में लिखित T
सं. १७२० में पाटण में रचित ।
---
Page #236
--------------------------------------------------------------------------
________________
२२४ }
राजस्थान पुरातत्वान्षण मन्दिर
___ प्रन्यनाम
| भाषा
| लिपि
प्रन्थनाम
कर्ता
पत्रसंख्या
विशेष
समय ।
४५६ | ३६०४ शान्तिनाथ चोपाई
যা
লও।
२२
___ ४६० २२०४ शांवप्रद्युम्न चोपाई
४६१ २८८६ शांवप्रद्युम्न चोपाई
४६२ | ४००० शांवप्रद्युम्न चोपाई
| ६५३ शालिभद्र चोपाई | ६८३ शालिभद्र चोपाई
"
| १८१३ ।
२००७
शालिभद्र चोपाई
ज्ञानसागर
आणंदपुर मे लि. खित, सं० १७२० में
पाटण में रचित । | समयसुन्दर , १८३८ सं० १६५६ में
रचित । विदासर में
लिखित। " " | १६६४ स० १६५६ में खं
भात में रचित, उजेणीनगरी मे लिखित
.प्रथम पत्र अप्राप्त। १८वीं श. १५ अत्य १६वां पत्र
अप्राप्त । मतिसार | १७७५ सं० १६७८ में
रचना। स. १६७८ में रचना । सत्यपुर मे
लिखित । १८वीं श. १७ सं० १६७८ में
रचना। । १८३१ ६७-११० गुटका । दानस
ज्माय सीलसन्भाय। १८२१ । १७ १७वीं श २५ १८५७ - १६
गुटका, रचना सं०
१६७८। १७वीं श सं० १६७८ में
रचना। १८७६१-८ स०१६७८ में
रचित । १६८६ १८ १७वीं श. १८ | सं० १६७८ में
रचित । जयशेखर शिष्य , मतिकुशल " वीं श
५०-६६ स०१६७२ में
| रचित ।
१८३६
| शालिभद्र चोपाई
(१४)
२०२० २१८६ २३७४
शालिभद्र चोपाई शालिभद्र चोपाई शालिभद्र चोपाई
३४७ शालिभद्र चोपाई ३५५४ । शालिभद्र चोपाई
३८७० ३६५५
शालिभद्र चोपाई । शालिभद्र चोपाई
४७४ | ३४६५ शालिभद्र चोपाई
३५५० शालिभद्र चोपाई
Page #237
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________________
रास
२२५ ]
-
-
-
-
-
-
--
-
-
-
-
-
-
क्रमांक प्रन्था
मन्थनाम
का
भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
४७६ | ३२७ शिवरात्रीकथा चोपाई | जावड (१) | ३६५६ शिवरात्री चोपाई २१६५ शीलरक्षारास नयसुन्दर २०५७ / शीलरक्षारास विजयदेवसूरि
३५७३ / शीलरक्षारास (३७)
शीलरचारास
३६३४ शीलरक्षारास
३४७८ २०५३
शीलरास शीलवती चरित्र
नेमविजय
५३
११२. शीलवती चोपाई
ललितसागर
शीलसिलोकोरास
ज्ञानचद
रागू० | १७८६ / २४ आसंधिगांवमें लिखित
१७वीं श. ४ | १६७३ ६/ रचना सं० १६२६ । १७वीं श ७ जाजुहरनगर में
रचना। , १६वीं श६७-१०१) जालोरनयर में
रचित । जीर्ण प्रति। , १७वीं श. ६ । जालउरनयर में
रचित । जालउर नयर में
रचित । १६४४ १० | षडवा में लिखित। १८३० सं० १७०० में
रचित । १६७६ | १से३२ सं० १६०७ में
चक्रापुरी में रचना। १२ विक्रमपुर में
लिखित । सं०१६३८ में त्रंबा वती ग्राम में रचित । कृति का गौणनाम रस मंजरी है । भुज
नगर में लिखित । १६वीं श. ३३
१७१७ ६२ । २० सं० १६६२। १८५१ ४३ देलवाडामें लिखित।
भेंसरोद में प्रारंभ करके जिहानावाद में सं० १७२६ में
रचित । १७वीं श. २२ सं० १५३१ में
रचित । , १८वीं श सं० १५३१ में
रचना
| ६०३ । शुकबहोतेरी चोपाई
रत्नसुन्दर ।
१९०८
४८ २०८७ | शुकराजकथा ४८६ | १५६७ श्रीचन्दकेवलीरास ४९०
| ३६०५ | श्रीपालचोपाई
तेजविजय देवविजय महिमोदय
४६१ ३४८६ श्रीपालरास
गुणरत्न
१९८५ श्रीपालरास
ज्ञानसागर
Page #238
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________________
२२६ )
गजस्थान पुरातत्त्रान्वेपण मन्दिर
लिपि- | पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
क्रमांक
थाङ्क
प्रन्यनाम
प्रन्थनाम
फर्ता
| भाषा
समय | संग्या
४६३ | ११२४ श्रीपालरास
ज्ञानसागर
रा० गूः १६७५
२१-३७.सं. १५३१ मे रचित ।
४१४, ३६५७ |
| श्रीपालरास
१७५२
४६५, ८० श्रीपालरास
विनय विजय यशोविजय
१६२३
२०५८ ४६८३६
३६०७
श्रीपालरास श्रीपालरास श्रीपालरास
YEE | ६६१ | श्रीपाजरास
जिनहर्ण
११ जिहानाबाद में
लिखित । मं. १५३१
में रचित । ७. स० १७३८ में रानेर
में रचना। ८१ " ४६. " ४६ स. १७३७(?) में रानेर
| में रचित। २७ म. १७४० में पाटण | में रचना | पाटण
में लिखित । ३३ / स. १७४० में पाटण
में रचित । वीका
नेर में लिखित । ४३ / १७४० में पाटण
में रचित । २८ स. १७४० में पाटण
| में रचित । २३ बीकानेर में लिखित।
सं.१७१६ मे चदेरीपुर मे रचित ।
५०० २१३८ श्रीपालरास
५०१ २१५४ | श्रीपालरास
३६०६ | श्रीपालरास
श्रेणिकचोपाई
धर्मशील
५०४
जिनहर्ण
श्रेणिकचोपाई ५०५ | २०३० श्रेणिकरास
१३ सं. १७४२ में पाटण
सोमविमल
मे रचित । कुमारपालस्थापित कुमारगिरी में स. १६०३ मे रचित। अहमदाबादनगर
में लिखित। १७ स. १६७५ में रचना।
द्र ग में लिखित।
"
५०६ । ६४ | सतहणीचोई
मतिसागर | "
१८३१ /
Page #239
--------------------------------------------------------------------------
________________
-
२२७ ]
-
-
कमांक अन्याङ्क
प्रन्यनाम
प्रन्यनाम
कर्ता | भाषा
लिपि- पत्रसमय / संख्या
विशेष
५०७ | ३६६१ | संग्रहणीचोपाई | मतिसागर | रागू० १८वीं श. १५ । सं० १६७५ में
रचित | ८४६ सदाशिवव्याह महाराउलखपति ब्रहि० १८५७ ३३ रचना स९१८१७।
कर्ता कच्छनरेश है।
भुजनगर में लिखित। | सदयवच्छसावलिंगारी
रा० । १८६१ / ४ राजपुरा में लिखित ।
वात
,
१६वीं श. २२-२६) रोहिठ में लिखित ।
| जीर्ण प्रति। १८वीं श. ११
,
सदयवच्छसावलिंगारी वारता गद्य सदयवच्छमावलिंगारावात सदेवंतसावलिंगानी वात (पद्य) सदैवच्छसावलिंगारी वात सदैवच्छसावलिंगारी बात दूहा सदैवच्छसावलिंगारी वात दूहाबंध (गद्य पद्य) | सदैवच्छसावलिगारी | कविजन
३५से४७ १३३- कंटालिया में
लिखित। सरसा में लिखित।
वार्ता
| २०६३
३९०८
२०१४ | सनत्कुमारचक्रीरास लब्धिविजय रागू० १८वीं श १०२ | रचना सं० १८७५॥
लेंबोदरगांव(निवपद्र)
में लिखित । २१८५, सनीसरजीरीकथा जोरावरमल , १८८० सं० १८२० में नासचोपाई
पुर में रचित । कालू
में लिखित । समकितकुलकचोपाई सम्यक्त्तकौमुदीकथारूपऋषि
१८८६ ४२ आणदपुर में लिखित चोपाई
स० १८८२ में अजी
मगज में रचित । | समायिकवत्रीसदोष हीरकलश (१) १७वीं श. ६५-६६/
विवरणकुलकचोपाई । ८६५ | सारसिखामणरास संवेगसुन्दर , १८वीं श. ६ । सं० १५४८ में मानु
षपुर में रचित।
२८६३ | (३०)
-
-
Page #240
--------------------------------------------------------------------------
________________
- २२८ ]
गजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
| कर्ता
भापा
लिपि- - पत्रसमय | संख्या।
विशेष
५२३ | ११२४ | साहराउलनीलवणभास | दानसागर
रा०गू०
१६७५
(४)
५२७
५२४ | ३५१२ सिद्धचक्ररास ज्ञानसागर | १६८५ १६ / सूरत में लिखित ।
सवत् १५३१ में
रचना। ५०५ ३०६०
| सिंघासणवत्रीसी जेराजकवि १८७ ७६ | रानेर में लिखित । ५२६ ३५५६ सिहासनबत्तीसीकथा | माधव | रा० १८८७ ७-११३ संवत् १६३३ में (२)
रचित । | २१६८ | सिहासनबत्तीसी कथा | देईदान
संवत् १६३३ में (पद्य)
अकवर के समय में रचित । चित्रकोट समीप गलुड मध्ये लिखित । देवास मालवा में
स. १६३३ में रचना। ५२८ | ३१३४ सिहासनबत्तीसीचोपाई| हीरकलश " १८वीं श १-८५ | रचना सं. १६३२ ।
१) ५२६ | ३४६० सिंहासनबत्तीसीचोपाई " रागू०१७वीं श, १४२ पत्र ७६वां तथा १३६
वां अप्राप्त, सम्बत् १६३६ मे डेहिनयरी
में रचित । | सीतारामचोपाई समयसुन्दर
१२ वलाद्रग्राम में लिखित ।
मेडता में रचित । | १८०८ | सीतारामचोपाई
१७३५ | २०३८ | सीतारामचोपाई
१८वीश ८० प्रथम पत्र प्राप्त ।
मेडता मे रचना। ४३३ | ३६५८ | सीतरामचोपाई
| २ मेडता मे रचित । ३६११ | सुदर्शनचरित्रचोपाई | ब्रह्मऋपि
१८५० १९ अकबराबादमें लिखित ५३५
३६१० सुदर्शनशेटरासकवित्तबंध दीपो ५३६ २०८३ | सुदर्शनशेठशीलप्रबंध चद्रसूरिशिष्य(१)
१५७० ५३७
१३ | रचना सं. १५०१। | १८६० सुदामाचरितरास । ब्रह्मदास न. हि. १८वीं श. १३-२१)
(१४) ५३८
| १८६० सुदामाचरितरास । (१३४)
११५
५७८३
५३४
१८६१
१६
| २०७
Page #241
--------------------------------------------------------------------------
Page #242
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ २३०
क्रमांक ग्रन्थाक
५५०
ग्रन्थनाम
५५७
५५१ | ३३८० स्थूलभद्रएकवीसउ
स्थूलभद्रएकवीसउ
५५२३५७३ (१६)
५५३ | ३५७५ | स्थूलभद्ररास
(५६)
५५४ | १५६५ स्थूलभद्रशीयलवेली ५५५ | २०२३ स्थूलभद्रकोश्याभास
(२)
५५६
६२५ | स्थूलभद्रगुणरत्नाकर
२२२४ | सौभाग्यपंचमी चौपाई जिनरंग
छन्द
१८८६ स्नेहबहार
(५)
५५८ | २३७६ | स्नेहलीला
(६)
५५६
८६० स्नेहलीला (पद्य) ५६० | १८८६ स्नेहसग्राम
(११) ५६१ | ३२३४ स्वांतइर्णचौपाई
राजस्थान पुरात्वान्वेषण मन्दिर
लिपि -
समय
रा०गू० १८वीं श.
१७ सं० १७३८ में रचित ।
१७वीं श.
३ सं० १५५३ मे रचित ।
१६वींश ४६-५१ स० १५५३ मे
५६२ १८८६ इमीररासो (१८)
५६३ २३७४ | हरचंदपुरी
(१०)
कर्ता
लावण्यसमय
"
उदयरतन
वीरविजय
नयसुन्दर
सहजसुन्दर
सवाई प्रताप
सिंहजी रसिकराय
५६४ | ३५७३ | हरिकेशीचरित्रनवरस कनकसोम
(१३) रास
५६५ | ३४६१ हरिवलचौपाई
भाषा
लावण्यकीर्ति
"
دو
"
""
""
""
सवाई प्रताप-हि० सिंहजी गोदडदास रा०गू०
१८८१
हि० १६वींश.
क्र० हि० | १९११
व्र०
रा०
31
२०वींश २६४
२७७
22
१६वीं श.
39
पत्र
संख्या
१८७१ ११ र० स० १७६२ ।
१७३४
२-३
१८११
१७वीं श
१८५६
रा० गू० १६वीं श ३४-३६
१६वींश ३५-३८
१-१५
C. 1000-4-d><
२५ | मानकुत्रा मे लिखित । रचना सं. १५७२ ।
१६ - २३ रचना स. १८५३ ।
२०
विशेष
रचित । जीर्णप्रति ।
१२
५५-५६ रचना सं. १८५२ ।
३०
सं० १८०२ में रचित ।
२८ गुटका ।
सं. १६४० 'वइराट नगर में रचित | जीर्णप्रति ।
पत्र २८वां नहीं है । सम्वत् १६७१
राउल श्रीकल्याण शासित जेसलगिरी मेंरचित ।
Page #243
--------------------------------------------------------------------------
________________
रास
२३१ ]
प्रमांक प्रन्या
प्रन्यनाम
कर्ता
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेष
५६६ ३५७३ | हरिवलधिवरचोपाई
रागृ० १६वीं श. ६१-६५ सं० १५६१ में
रचित । जीर्ण प्रति। , १७वीं श. ६से२२
(२)
५६८ २१६३
(११२३ । हरिबलरास . .
कुशलसयम हंसराजवच्छराजचोपाई | जिनोदय | ३६६२ हसराजवच्छराजचोपाई , | ३६६३ हसराजवच्छराजचोपाई "
५५१ ६४३ | हसराजवत्सराजरास | कविमान
,
१६०६, २५
कोसितल में लिखित। १८२६, २४ रोहिठ में लिखित ।
स० १६८० में
रचित । १७१२ २१ । सं० १६७५ में को
टडा में रचना।
विरमग्राम में लिखित । १८वीं श. ८५ | पत्र १-२ तथा अत्य .
दो । ८६,८७ वॉ) पत्र प्राप्त।
५७२ २१०७ | हीरसूरिरास
ऋषभदास
,
-
Page #244
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२४) इतिहास (ख्यातयातादि)
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थ नाम
। कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
राज०
३५६२ / अचलदास खीचीरी
वार्ता | ३५४६ अजीतसिंहजीरी वार्ता
१६७० ११७
१३५ १८वीं श. १२५
"
१२६
राज० गू०१७वीं श| १११ वा
राज० १६वीं श६३-६७
(११)
२८६३ अणहिल्लवाडपत्तन(१२७) राजावली ३५४६ अनन्तरायसांष(ख)
लारी वार्ता | ३५४६ अनन्तराय संखलारी
बात २८६३ अभयदेवसूरिंगच्छ (१२६) निर्णय
"
"
६८-७१
रा.गू स १६१७ . १६०- १६० वां पत्र मे
१९१ | अन्यान्य ग्रथों के
अवतरण हैं, तथा १६० और १६१ वे पत्र मे अन्यान्यगच्छों के ३४ श्रा चार्यादि मुनियों की साक्षी है। पत्तननगर मे लिखित ।
ले० हीरकलशमुनि। राज० १६वीं श. ७२-७३
३५४६ श्रालणसीभाटीरादूहा
श्रासथानजीरी वार्ता
३५४६
(१६) ६३५५६
"
"
गिंदोलीरी कथा
१२२ वा । ६६-७०
Page #245
--------------------------------------------------------------------------
________________
इतिहास ( ख्यातवातादि)
[ २३३
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-
क्रमांक अन्याङ्क
प्रन्थनाम
कर्त्ता
लिपि- । पत्रसमय | सख्या
विशेष
गिंदोलीरीवात
राज
राज० १८वीं श. १-११
हीरकलश
११ ३५६२ / नींदोलीगणगोर की
वारता १२ / २८६३ | गुरुपरपरा गुर्वावली
(१२१) १३ ३२१२ गुर्वावली सटीक
, २०वीं श. १५६--
१६१ रागू० १७वीं श. १७६
१७७ मूप्रा० १७३२ १६ । उदयपुर में लिखित ।
३५४६ / चित्तोड़ अजमेर जोध
राज० १६वीं श. १२३(१७) पुर आदि की ऐतिहा
१२५ सिक हकीकत
चौबीस साखना कवित (२६) ३५४६ छत्रीस राजकुलनाम (११) २८९३. | छीतरनामक श्रावकाएक | विनयचन्द्र संस्कृत १७वीं श.१५६ वां (६०) ३५४६ जखगमुखरारी वारता
राज० १९वीं श. १७(१३)
११३ ३५५४ जगदेवपरमाररी बात
, १९२४ | ३२-४६ राणावास में (२१)
लिखित। ३५५५ जैतसी उदावतरी वारता
, १६वीं श. ६०-६५/ (१३) ११४४ | तेजपालव्यय वर्णन तथा
", " , ४८'या | नागोर चित्तोड़ादि के ।
ऐतिहासिक संवत | वट्टावली सटीक त्रिपाठ | मूधर्मसागर प्रा० | १७१५ | १३ | भृगुकच्छ में
लिखित । ३५४६ | परमारजगदेवरी वारता
राज० १६वीं श.६७-१८ (१२) ३५५७ | पातसाह पातसाही
| १७६१ / ७५-७७ | भोगवी तिरणी विगत ३५४६ | वरांरीया की ऐतिहा
, १६वीं श १-२ (अन्त में) (२२) | सिक हकीकत
१०२१
Page #246
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________________
२३४ )
राजस्थान-पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
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-
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-
-
-
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-
-
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-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
| कर्ता । भाषा
लिपि- पत्र समय | संख्या
- विशेष
राज० १६वीं श. १३१
१४१
२६ | ३५४६ | महाराज अभेसिह (२०) देवलोक हुवा मारवाड़ा
में बिखो हुवो तिण
समियारी वारता ३५४६ महाराज जसवन्त
सिंहजीरीवारता ३३४१ मुहतानेणसीरी ख्यात
(प्रथम भाग)
"
२६ | ३३४१ मुहतानेणसीरी ख्यात |
। (२) (द्वितीय भाग)
३० ३३४१ | मुहतानेणसीरी ख्यात
__(३) (तृतीय भाग) | ३३४१ मुंहतानेणसीरी ख्यात । (४) | (चतुर्थ भाग)
११५१२२ १-१०० पत्र १ से ६ तथा -
५३, ५४, ५५, ६८, ६६, ८५, ८६, ६६, ६६, १०० अप्राप्त ।
जीर्णपत्र । १७१- पत्र १०१ से १०७ १६६ ११०, १११, ११५,
११६, १२१ से १३३ १३५, १६२ से १६७ १६६, १७०, १६४
अप्राप्त । जीर्ण पत्र। २००- त्रुटित जीर्णप्रति । ३०७ ३०६-- पत्र ३०८, ३२६,
३३६, ३४१, ३६०, ३६४ से ३६६
अप्राप्त । जीर्णपत्र। ४०१- पत्र ४१५, ४३५, ५०० ४६१,४६३, ४६७,
४६६, अप्राप्त ।
जीर्णपत्र। ५०१- पत्र ५५६ वां तथा ६०० ५६६ से ५७६ .
अप्राप्त जीर्णपत्र। ६०८- पत्र ६६१ से ६६८
अप्राप्त । जीर्णपत्र ।
३२ | ३३४१ मुइतानेणसीरी ख्यात
(पंचम भाग)
३३ | ३३४१ मुहतानेणसीरी ख्यात
(पष्ठ भाग)
"
३४ | ३३४१ | मुहतानेणसीरी ख्यात
(७) (सप्तम भाग)
Page #247
--------------------------------------------------------------------------
________________
· इतिहास ( ख्यातवातादि)
२३५
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता
| भाषा
लिपि- समय
पत्रसंख्या
विशेष
राज०
__३५ ३३४१ मुहता नेणसीरी ख्यात
| अष्ठम भाग
३६ | ३३४१ मुहता नेणसीरी ख्यात
नवम भाग
७०१से पत्र ७३०, ७३६,
७५४, ७५५, ७५७, ७५६, ७६६, ७६६ तथा ७७१ वां अप्राप्त । जीर्ण पत्र। भाग १ से ८ तक के अक विकल पत्रों का संग्रह है। जीर्ण
पत्र । १६वीं श. ६१-६२]
।,
३७ : ३५५० मेडता आदि की ऐति
हासिक हकीकत દરરે यदुवंश वशावली
रतनुहमीर
२८३२ राजकीय हिसाव की
विगत १८३२ राजानराजावतरो
वातवरणाव ३५४६ राठोडारी वंसावली
| १८१५ / १६ । सं० १७८० में
रचित। | १७७४ /28-६८/ गुटका। '
४-१५
| रामदासजीरी वात
, ,१६८
१७० पीपलीया ग्राम में १८२६ | १५६- लिखित।
१६१
१६वीं श. १६३
१६८ ५१-६५ गुढा में लिखित ।
लाखा फुलाणीरी वात विरमदे सोनीगरारी
वात ३५५६ वीमासोरठारीवात दूहा ३५६२ | वीझासोरठारी वारता (१३) २८६३ वृद्धगुर्वावलि (१२३)
,
| १९७०
२-११६
हीरकलश
रागू०/ १६१९ / १७८से | झमेऊ ग्राम में
१८२ | रचित और कर्ता
द्वारा लिखित। , १८वीं श. ३-१६ जीर्ण पत्र ।
४८ ३५४८ वैहलीमरी वात
Page #248
--------------------------------------------------------------------------
________________
२३६ ]
क्रमांक प्रन्थाक
प्रन्थनाम
५०
'
४६ | ३५६७ श्रावकांरी चौरासी (१८) न्यातरो छन्द ३५४= | साहिजादा कुतबुदीन (७) सहीबरी वारता
५१ ३५४६ | सोनीगरा बिरमदेरी (१०) वारता
५२ | २८६३ | हीरकलश गोत्रादि (१५) | वर्णन
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
कर्त्ता
लिपि - पत्र
समय संख्या
रा०गू० १६वीं. श. १३५ व
भापा
79
39
"
विशेष
१७६६ | २-१३ | जीर्ण पत्र |
१६वीं श. ८६-६३
१७वींश. १० वां
Page #249
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२५) कथा-वार्तादि
कमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
| कर्ता भाषा
लिपि- पत्र
सख्या
विशेष
१. ३५४६
अकलबहादरांरी वात
राज० १ध्वीं श४६-५६
(७)
"
"
,
१२६
२ ३५५५
| अकलरी बात (२०) ३ ३६१ अगस्ति कथा ४ १७२५ | अगस्ति कथा ५२८५६ अनन्त व्रत कथा
३०६०
अनन्त व्रत कथा
२३७५ | अबोलानीबारता (३)
___ ७३ अभयकुमार चरित्र
१८२०
१८२० " १८५४ १० | भविष्योत्तर पुराण
गत। , १६वीं श. ५ | भविष्योत्तर पुराण
गत । सामलदासभट्ट गूर्जर | १९०६ १०४से सिंहासन बत्रीसी के
३१ | अन्तर्गत । मोरवी
में लिखित । चन्द्रतिलको- संस्कृत १६६५ / २३८ । रचना का प्रारम्भ पाध्याय
वागृमेरु (बाडमेर) में किया और सं० १३१२ में स्तंभीतीर्थ (खभान) मे समाप्ति की। ग्रन्थकार की प्रशस्ति ४८ पद्यों
मे है। सस्कृत १७वीं श ५ अमरसुदर राज. १६वीं श. ५
गद्य पद्य। प्राकृत १७वीं श ३७
१८७६
| २१५६
है। ३४०८ | अमरसेन कथा २४७२ श्रांवड़चरित्र गद्य
अरजनहमीररी बात अष्टप्रकारपूजोपरि कथा
सग्रह १३ . १९६७ भादीश्वरचरित्रसंक्षेप
(पद्य)
संस्कृत १६वीं श. ११
Page #250
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Page #251
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________________
क्रमांक प्रथाक
३६
४७२ | कुर्मापुत्रचरित्र पद्य ४= ४ कुर्मापुत्र चरित्र पद्य
३७
३८ २६९० | कुम्र्मापुत्रचरित्र ३१ | ३५७५ केशीगौतमप्रव्ययनार्थ
मन्थनाम
LE
(२)
बात
४४ | ३२३२ गोत्रिरात्र कथा
४५ ३१०८ | गोपाष्टमीकथा
४६ | ३१५५ गोरात्रिव्रतकथा ३५५५ | चतुराईरी बात
४७
(५)
४८ २३६० | चदकुंवररी बात
(७)
५०
(२)
६५० गुणावलीगुणकरंडरी
५२
(७७)
४०
६२२ | गणेशजी की कथा (पद्य) हुनास ४१ | २२६६ गांगातेलीरी वात
४२ | १९४३ | गुणएकादशीमाहात्म्य लांगामैडू
पद्य
४३
३५५५ चंदकु वररी बात
(२६)
३५६२ | चदकु वररी बात (१२)
५१३५७३ चदकुंवर की वारता पद्य
"
५३ १५३८ चन्द्रगुप्तकडुगडुगकथा
99
कथा-वार्तादि
कर्त्ता
जिनमाणिक्य प्राकृत १७वीं श
१५६६
१८वीं श
17
राजःगू० २०वीं श.
"
हंसकवि
(४४)
१२४३ | चन्दराय की बात (पद्य) विदमजी (१)
भाषा
"
व्रज
राज
"
93
लिपि -
पत्र
समय सख्या
""
"
१८८७
१६वीं श.
39
मू०सं० | १६१७
स्तगू
सस्कृत
99
ܕܝ
६०५
१८वीं श२से४
""
19
23
१६६३
99
राज० १६वीं श. १५-१६ गुटका ।
29
=
५
१६७ :
१०
३१६ से
३२६
१२
१८०८
१४
२
३=६८ गुटका. रचना सं० १८ (?) ६६ ।
२
गांथा बड्डू | गुटका ।
१५६ - १५६
| २३६
विशेष
२
भविष्योत्तर पुराण
गत ।
५५ से ६१ ) प्रतापसिह खुमाए विनोदार्थ रचित |
६८-८१ गुटका । सः १७४०
सिंह खुमारण की आज्ञा से जांधपुर म रचित ।
03- | चैनसिंहजी शासित १०२ घौसु ढी मे लिखित ।
व्रः हि० १६वीं श २० से ३५ गुटा । सं० १८२८
भुज मे रचना ।
प्राकृत १=त्रीं श
र० स० १७९० ।
गुटका स० १७४० में प्रसिद्द खुमाण की आज्ञा से जाधपुर मे रचित ।
Page #252
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________________
२४० }
क्रमांक प्रन्थाक
मन्थनाम
६१ ३५४७ चौथमाता की कथा (१४)
६२ ३५६७ चौथमाताजीरी कथा
५४ २४८६ | चन्द्रधवलनृप कथा ५५ १६३८ | चित्रसेनपद्मावती कथा बुद्धिविजय
२२)
६३ ३५६३ चौबीस एकादशी की (१) कथाऍ
६४ | ३५६८ | चौरासी वैष्णवों की वार्ताएँ जन्माष्टमीव्रतकथा
१४१ = जन्माष्टमीव्रतकथा
६५. १४००
६६
५६ | १६३२ | चित्र सेनपद्मावती कथा राजवल्लभ
५७ ३४१२ चित्रसेन पद्मावती कथा ३१५८ | चौथ की कथा
५६ २१३४ चौथमातारी बात पद्य ६० ३२७७ चौथमातारी कथा
६७ २४७० | जंयूस्वामिकथानक ६८ ३३७६ | जस्यामि चरित्र गद्य
७०
६६ ३४७१ जयूस्वामि चरित्र गद्य ३५७३ | जलाल गहांगीरी वार्ता (५५)
७१ ३५४६ जल्लाल गहांगीरी वात
(=)
७२ | ३२०१ ज्ञानाधर्मकथा गोपनय
بی
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
लिपि -
समय
कथा
७३३५६२ टोकरीरी वातरो चुट(४) | कलो
१८८१ । दोलाजी की बात
(२)
कर्त्ता
माणिक्य सुन्दर सं०
33
भाषा
59
"3
35
"
१७७६
| राजस्थानी १ = ३३
"
१६वीं श
"
""
33
"
""
""
ུལ
सं
१७८६
न हि १६वीं श.
11
"
39
१८७२
१७३३
प्रा. सं.
१६वीं श
राज०
१६वीं श.
राज० १७वीं श.
""
36
"
33
"
१८४३
36
पत्र
संख्या
"
१३ पत्तन में लिखित । १८ | देधारणा ग्राम मे लिखित | रचना सं. १६६० ।
१५ सम्वत् १५२४ मे रचित ।
m2 302 30
१३
४
विशेष
२
४ | वाघसरणनगर में लिखित |
६२-६३
१३८
१४१
१-६०
२१४ गुटका, पाटण मे लिखित |
११
१२
१८वीं श १६ चाकसू मे लिखित । १=१२ | १३६- |ऊंवरी मे लिखित | १५१ जीर्णप्रति ।
| १६वीं श . ६० - ६७
१०
नारद पुराण गत ।
१६ | प्रथम पत्र प्राप्त ।
नारदपुराणगत |
४
१९५६
१८-२०
१६वीं श २५-६६ अपूर्ण ।
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________________
कथ-वार्तादि
२४१ ]
क्रमांक प्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
हरजी जोशी | राज० १८वीं श.
७
७५ २३६२ / तंबावली कथा
(१२) ३०६६ / तुलसीत्रिरात्रव्रतकथा
संस्कृत १६वीं श
३ । भविष्योत्तर पुराण
गत। ७वां ।
२१६५ | दत्तव्राह्मण कथा
,
राज० "
३५७३
१६वीं श
१८-२२ जीर्ण प्रति ।
दाढाला एकलमल्ल वाराहरी वारता दाढालारी वारता
३५५६
,,
,, १-१०
| ३४१६
। १७६६ / १४८
३१६६ दानकथा संग्रह तथा
संस्कृत १६वीं श, १६ । प्रथम पत्र अप्राप्त । स्त्रीचरित्र कथा | दानादिकुलकलधुवृत्ति
" १७६६ ॐ कारपुर मे लिखित। १५७० दानादिकुलकवृत्ति मूलसह देवविजय प्रा०सं० १७वीं श रचना स० १६६६। दानादिकुलकवृत्ति
सस्कृत १८वीं श
प्रथम वक्षस्कार। ४८१ धम्मिलचरित्र पद्य जयशेखर
१५वीं श रचना सं० १४६२। | २४८० धर्मदत्त कथा विनयकुशल | " १७३७ सं.१६४३ मे रचित। ६५० धर्मबुद्धिपापबुद्धिरीकथा
राज० १८वीं श
१८८२ | ध्रुवचरित (१३६)
परमानद
बरा० १६वीं श.
२८३२
| ध्रुवचरित
ब्रज | १७७४ / १४-२०
१०
| ध्र चरित्र
गोपाल
हि० १८४१ १-२६
ध्रचरित्र
वीदासर में लिखित
गुपाल
२३६२ | नदद्वात्रिंशिका
संस्कृत १८वीं श
३
करेडा मे लिखित ।
८
३६२६ नदद्वात्रिंशिका सार्थ १५४२ नन्दोपाख्यान ४१७
नमस्कारमाहात्म्य
कथानक १६३६ | नलदमयतीकथा
संस्कृत १७वीं श
cai
पांच कथानक है।
"
१५वीं श. ११
Page #254
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________________
[ २४२
राजस्थान पुरात्वान्वेपण मन्दिर
on
-
-
-
-
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-
-
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-
-
लिपि-
ममांक ग्रन्थाङ्क
अन्यनाम
| कर्ता
पत्रसंख्या
विशेष
ममय
६६ | १८८१ | नलराजा की बात
राज. १६वीं श| १-२५ | पत्र १, २ अप्राप्त ।
१९०६ / १७६- | मोरवी में लिखित ।
नापिकनीवार्ता सांमलदास
भट्ट ३५५५ नासकेतकथावालावबोध
EE | ३५६३ | नासकेतर खेसरजीरी
(२) कथा
३५७३ / नासकेतु कथा
१८२७ | १-६ संग्रामसिंह शासित
कंटालिया में
लिखित। " १६८६ / ६४-७३ प्रस्तुतकृति पूर्ण
कर अन्त मे लेखक ने सुभापित
दोहे लिखे हैं। " १६वीं श. १०२- | जीर्णप्रति ।
१०६ मू स.टी. १७३८८ हरमाने में लिखित। व्रज. .
स० १९वीं श |" १६वीं श. १११ त्रिपष्टिशलाका
पुरुषचरित्रान्तर्गत
नासकेतूपाख्यान सटीक नृसिंहचतुर्दशीव्रतकथा
नेमिनाथचरित्र ,' | हेमचद्र १५३४ | पंचतन्त्र
| देवशर्मा २८३१ | पचतन्त्रादि वार्ताए
गद्य
राज. १८वीं श. १३६
गुटका। पत्र १,२ अप्राप्त । अपूर्ण प्रति ।
१०६
| २०३१ पचमीकथा गद्य १०७ १७०६ । पचास्थान
३५५४ पचख्यानवालावबोध | विष्णुशर्मा
१७८० १७६२ १८८५ | १-५४
CE
पंचल्यानभापा
।
१८वीं श.
१-२७
पनरमीविद्यावारता
वीरचंद
१८६१ | १-१७
(१)
सं. १७६ में रतनपुरी में रचित ।
३५५५ | पनरमीविद्यावारता
१८वीं श| १०३
११४
२२१२ पनरमीविद्यावारता
Page #255
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्थाक
प्रन्थनाम
११३ | १७२४ परिशिष्टपर्व
११४ ४६३ | पाडवचरित्र
११५ | १५३२ पांडवचरित्र ११६ | १६६३
पांडवचरित्र
११७ | १७०३ | पांडवचरित्र
११ = | १९६६ | पांडवचरित्र संक्षेप
(पांडवचरित्रोद्धार)
१२० २६
११६ | ३४१५ पार्श्वनाथचरित्र पुण्यसारकथा
१२१ | २३७५ | पुष्पसेनपद्मावतीनी
वारता
(१) १२२ | १८८५ | पूर्णवासी की कथा
(२)
१२३
४६६ पौपदशमी कथा
१२४ | ३४७६ | प्रकीर्ण कथा १२५ | १७०० प्रद्य म्नचरित्र
१२६ | १७०५ | प्रद्युम्नचरित्र
१२७ २६६१ | प्रद्युम्नचरित्र
१२८ | १७२० | बप्पभट्टि चरित्र १२६ | २६४७ वप्पभट्टीप्रबन्ध
१३०
१८५२ वलिचरित्र (३७)
कथा-वार्तादि
कर्त्ता
हेमचन्द्र
देवविजय
देवप्रभ
23
हेमचन्द्र
पत्र
लिपि - समय संख्या
संस्कृत १७त्रींश. १०७
सोमकीर्ति
समरकीर्ति
रविसागर
भाषा
लालदास
"
33
99
""
"
39
जिनेन्द्रसागर संस्कृत १८२८
राज० १६वीं श.
स०
१७१०
36
१७४६
१७६६
"
सांभलदासभट्ट गूर्जर १६०६ १६० गुटका ।
"
१६वीं श. २३७
१५वीं श. | १६वीं श.
29
चरित्रगत ।
१७६६ १६५ - | फलधीपुर में लिखित ।
१७त्रीं श.
"
१८०७
० हि० १८वीं श . ५१ से८६ गुटका । श्रबेर में लिखित | मंदिरा विन्दर में
लिखित ।
२६६
१२६
१७वीं श.
८५
"
""
५०
२
१८वीं श| १५८
५
६
१२८
विशेष
किंचत् पूर्ण । त्रिपष्टिशलाका पुरुष
व्रज १६वीं श ३३-३६|
२४३ ]
त्रिपष्टिशलाका पुरुष चरित्रगत | पत्र १-२
चित्र है ।
स० १५३१ में
रचित ।
सं० १५३१ में
रचित ।
१७.
प्लेट२८ | फोटो कापी
पूर्ण ।
अमदाबाद नगर में लिखित । खगार राजा शासित मांडलि नगर में स० १६७५ में रचित ।
.
Page #256
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________________
२४४ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
| भाषा | लिपि- | पत्र
विशेप
| समय | संख्या
१३१ | १६२७ बलिनरेन्द्रचरित्र
सं०
१३३
"
१३२ | १६५५ बलिनरेन्द्राख्यानक
१८०६ | वारव्रतकथा १३४ २२०२ वीबीरो ख्याल १३५ ३६४३ भरटकद्वात्रिंशिका १३६ १५३६ | भरतेश्वरबाहुलीवृत्ति १३७ १७०६ | भोजप्रबन्ध १३८ १४२७ भौमव्रतकथा
२१४३ मदनशतकरी वार्ता
शुभशील बल्लाल
१६वीं श. ४७ जाउ(लु)रनगर में
लिखित । १५वीं श. ३४ | १६५७ | ११ | १९२३ ३ १८वीं श. १६
१७३१, २२६ | पटडी में लिखित । १८वीं श ४८ १६वीं श. ३
गद्य पद्यात्मक
रचना। १६वीं श| ४७-५७ अपूर्ण ।
| दान
मधुमालतीरी बात
२३६० (११) २२६७ १७१७
मनसावाचारी कथा मलयसुन्दरीचरित्र । जयतिलक
अजमेर में लिखित।
१६१३ | १६६६
५६
३५५५
१६वीं श६६-१०
१४४ २३६१
महादेवजीरो कह्यो मनछा वाचारो बरत महाप्रभुजी के सेवक की चौरासी वार्ता महाभारत की कथा
गद्य
१८०८ | ११०- उबरीग्राम में लिखित ।
जीर्णप्रति । १७७४
१६८
मू०प्रा०१८वीं श
७
महावीरचरित्रबालाववोध महावीरचरित्रवालाव- मूल जिनबोध
वल्लभ १४८ ३४२० महीपालकथा वीरदेवगणी १४६ ३४२३ महीपालकथा / १५० ३६७७ मीयावीवीरी वात ३४८२
मुज सम्बन्ध | ३६४२ मुनिपतिचरित्रसारो
द्धार १५३ | ३५२६ मुनिपति-चरित्र
हरिभद्रसूरि
कृित १६६२
१६४६ राज. १६वीं श.
१५१
"
स०
१८७२
प्राकृत
| १५१६
__७ | रामसीनग्राम मे
लिखित । स. ११७२ में रचित।
Page #257
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________________
फया-वार्तादि
२४५ ]
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम, कर्ता । भाषा लिपिः । पत्र
ग्रन्थनाम
को
भाषा
लिपि- | पत्रसमय | संख्या
विशेष
१५४ २४६५ मेस्त्रयोदशीकथा
| क्षमा कल्याण सं०
१८७३
जेसलमेर दुर्ग में लिखित । सवत् १८६० में बीकानेर
में रचित । ४ | जीर्णप्रति । २
राज. १७वीं श.
१८वीं श
१७वीं श १६वीं श. १५६
१५५ / ६६० मौनएकादशीव्याख्यान |
५१६ मौनैकादशीकथा १६३४ | मौनैकादशीकथा ३५७३ | राजाभोजरी पनरमी | भवानीदास
| विद्यारी वार्ता व्यास
राजाभोजरी वात (पनरमी विद्या) रामचन्द्रिका पद्य
१६६
२३६०
३५५१
२८६२
केशवदास
रामचन्द्रिका भाषा (रामचरित्र)
| बणेर में लिखित
सं. १६५८ मे रचित । " | १७५६, ४६ | श्रीसरूपसिहजी के
शासन मे विक्रमपुर
मे लिखित । राजः | १८७६ १६-१०१ ब्रह्माडपुराण के
आधार पर भाषा
रचना । १८६०
३५५३
रामचरित्र गद्य
| रीसालूकुंवररी वारता
(गद्य-पद्य) | रीसालूकुंवररी वारता
१२
१७१- | अपूर्ण जीर्णप्रति।
रीसालूकुवररी वारता (गद्य-पद्य) रीसाजूकुवररी वारता
१५ | कांगणीग्राम मे
लि खत। १०६ वा जीर्णप्रति।
१७३६
म में लिखित ।
रीसालूरा दूहा रूपमजरी कथा रूपसेनचरित्र
रूपसेनरीकथा १७१३ रोहिणीकथा
ब्रह्मानन्द जिनसूरि
६८७
राज० १८वीं श
-
प्राकृत १७वीं श. –१४ |
Page #258
--------------------------------------------------------------------------
________________
२४६ ]
क्रमांक प्रथाक
१७२ | १६४६ | रोहिणी कथा १६२६ | लघुप्रवन्धसमह
१७३
१७४ २१५८ वंकचूलकथा गद्य
१७५
५१७
१७६
मन्थनाम
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
१८४
१८५
वरदत्तगुरणमंजरी कथा
१७७ १५२४ वसुदेव हिन्दी प्रथम
खड
६७७ वरदत्तगुणमंजरी कथा
१७८ २१४३ विक्रमचौचौलीरी बात
(३)
१७६ २३७५ | विक्रमपचदंडकथा (४) १८० ३५७३ | विक्रमशनीसरवारता (५६)
१८१ १६५६ विक्रमादित्योत्पत्तिकथा १८२ १६५१ विनोदकथा
१८८
१८६
१८३ | २६६२ | विनोद कथा संग्रह सावचूरि पचपाठ
१७१५ वीरभद्रकथा
- १४३ | बीसलदेव सूपरसिकार (४) रीवात
१८६३९४३ | चैतरणीव्रत कथा ४२ वैष्णव भक्तों की
१८७
प्राचीन वार्ताओं का
सग्रह
४८१ शान्तिनाथचरित्र गद्य १७१६ | शान्तिनाथ चरित्र
कर्त्ता
कनककुशल
""
सामलदास
भाषा
संस्कृत १७वीं श.
99
राज० संस्कृत
राजशेखरसूरि
"
राज०
29
लिपि -
समय
संघदासगरि प्राकृत १६वीं श| १२६
2
33
राज०
| १५वीं श . ५८
गुर्जर १६०६
राज०
संस्कृत १७वीं श
१६वीं श. १८
१७३४
६
१८४३
भावचन्द्रसूरि | संस्कृत
विचन्द्र
१८६० ७-८
१६वीं श.
" ,
"
"
पत्र
संख्या
"
"
१८६०
१८८१
संस्कृत ० हि० | १६००
६
१६
६
७
४००
१७६२ १७०२ "
'विक्रमप्रवन्ध, भूयड
प्रबन्ध, वीजपुर प्र०
आदि प्रबन्ध है ।
११७
६६
विशेष
-
सवत् १६५५ में मेडता मे रचना |
२४० से | सिंहासनबत्रीशी के
१७६
अन्तर्गत ।
१५१ -
अपूर्ण । जीर्ण
१५३
प्रति ।
सूरति बिन्दर मे लिखित |
१८-२३ ६-१३ | गद्य ।
संवत् १६५५ मे मेडता मे रचना | पूनानगर मे लिखित | किंचिदपूर्ण |
गद्य ।
पद्मपुराणगत । गुटकाकार है । दो पत्र प्राप्त | सं०
पत्र ३६३ में लिखा है ।
आगरा में लिखित | रचना सं० १५३५ ।
Page #259
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________________
कथा-वार्तादि
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्यनाम
कर्ता
भाषा
१६० ३६४१ शांतिनाथचरित्र
( भावचन्द्र
सं०
लिपि- पत्र
विशेष समय | संख्या १८४४ ११८ सं. १५३५ में रचित ।
सोभित दुर्ग मे
लिखित । १८६६ / १४ अजीतगढ़ में
लिखित । १८वीं श ५ १८१६ | १४२- वरांटीया में लिखित ।
१६१ / २८५२ शिवरात्री कथा
४००१ शिवरात्री कथा गद्य ३५४६ शिवरात्ररी कथा (२१) ३५५५ शिवरात्रीरी कथा
12
१६वीं श. १५-६६
११३- वरांटीया में लिखित
३५४६ शिवरात्रीरी वारता (१४) २६०३ शिवरात्रीव्रत कथा
शुकसप्ततिः
"
१६वीं श. १२-७६
अजमेर में लिखित। स्कन्दपुराणगत। अपूर्ण । पंचमकथा से ५२ वी कथा तक।
२८३४ श्रवणादायी
| ३६४० शुकसप्तत्युद्धार
| श्रवणद्वादशीघ्रतकथा २०२८ श्रीपानीकथा गद्य ६५० श्रीदत्त श्रीमतीरी कथा
" १८८८
१७६७ राज. १६वीं श " १७वीं श. २-२
ब्रह्मपुराणगत।
४८७
श्रीपालकथा पद्यरत्नशेखर
प्राकृत १६वीं श.
१६६६ | श्रीपालकथा
२४ रचना संवत्
१४२८ । | रचना संवत्
१४२८ । कालु मे लिखित । रचना स १४२८। गद्य ।
२४८५ | श्रीपालकथा
१८६६
| २१४३ पीवैविजैरी बात
१८६०
| २३७१ सकष्ट चतुर्थीव्रत कथा
गुटका। भविष्योत्तर पुराणगत कथा की भाषा।
सत्यनारायणव्रत कथा
सं०
१६२३,
१२
Page #260
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________________
{ २४०
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
३१७६
सत्यनारायणव्रत कथा
संस्कृत १९१२ / १२ । इतिहास समुच्चय
गत।
३५५४ सनीसर कथा
१६वीं श. ३१ वां
(१६)
१९८५
सनीसरजी की कथा २६२२ सनीसरजी की कथा २३२७ । सनीसरजीरी कथा
१८८३
जोरो
१-२३
सनीसरजीरी कथा
स० १८२० मे नागपुर में रचित । सं० १८३४ मे नागोर मे रचित ।
जोरो (जोरावरमल) कायथ
१६
३५६२ सनीसरजीरी वारता
१६७०
SOITTI
सौपर्णपुराणगत ।
१४०४ सफलेकादशीव्रतकथा २१६ समरादित्य कथा
| ५०४ सम्यक्त्वकौमुदी कथा
२५
हरिभद्रसूरि । प्रा०
१६वीं श ३०३ १८४३
२१७
१६४० सम्यक्त्वकौमुदी कया
भुजनगर में लिखित । पा (खा) चरोद मालवा मे लिखित।
१६
,,
१७वीं श. ३५ १५८३
१६४१ सम्य
सम्यक्त्वकौमुदी कथा १६३० सम्यक्त्वकौमुदी कथा
तथा सिंह सेन कथा २६०६ सम्यक्त्वकौमुदी कथा
भापा गद्य सिद्धचक्रकथा
राज० । १३३४, ३०
पत्र २८ वा में संवत् लिखा है। कटालीया मे लिखित ।
शुभचन्द्र
१८वीं श. १-१०
क्षेमकर (१) | राज० | १८२३ | १५-३५ पुनरासर ग्राम में
लिखित।
२१४४ | सिंघासणवत्तीसी कथा
(गद्य पद्य) ६११ सिंघासणबत्तीसी (गच) | २८६३ सिंघासनद्वात्रिंशिका
(२) | १७१० सिहासनद्वात्रिशिकाकथा २८६३ सिंहासनद्वात्रिंशिका (१) | (गद्य)
संस्कृत १७वीं श. १ ला
" "
१७वीं श. २२ (१६२६ अन्त्य ३ १६ कथाएं नष्ट ।
सं० १६२८ में डीडवाणा मे हेमाणंद द्वारा लिखित ।
Page #261
--------------------------------------------------------------------------
________________
कथा-वातादि
२४६ ]
क्रमांक अन्याय
प्रन्थनाम
कर्ता
विशेष
भाषा
लिपि- पत्र
संख्या
समय
२२८ | १५३३ सिंहासनद्वात्रिंशिका | मंकर सं० १५८१ १५० अपूर्ण । २वीं कया गद्य पद्यात्मक
पर्यन्त । १०६ वां
पत्र में संवत् है। २२६ | ३३४० सिंहासनबत्तीसी गद्य
हिदी । १६१८ ११९ २३० | ६८१ | सुभद्राकथाबालावबोध विनयकुशल राज० १६वीं श. २३१ | १७११ । सुभूमपरशुरामकथा
प्राकृत २३२ | १७१४ | सुरसुन्दर कथा
सं० १७वीं श. १४-१८ २३३ / २४-३ सुरसेनमहासेनकथाादि २६४, ५२० | सुलसाचरित्र सस्तक | मू० जयतिलक " | १६१२ । ६३ | मुद्रानगरमें लिखित ।
सूरि ३५५५ सुवाबहुतरीकया गद्य देवदत्त भट्ट |
२४८१
सं०
सुत्रतश्रेष्ठिकथानक सुसढ़कथा सस्तवक
| मू० (१) कांति प्राकृत | १८०८ विजय देवीदान
राज. १६वीं श
२३६०
सूडाबहत्तरी वात (अपूर्ण)
४० | सस्तबक रचना सं.
१८००। १४ विक्रमनयर के कुमार
प्रद्युम्नसिह के विनोदार्थ रचित। गुटका।
२८६१
सोमवती अमावसरी कथा सोमवतीप्रतकथा
राधनपुरमें लिखित। भविष्योत्तर पुराणगत।
२१४२
सोरठवीमरीबात
राज० १८वीं श १-२
स्थूलभद्रकथा
व्र हि.
स्वरूपनिर्णय
२
१४२
ब्रह्माजित
|
१६५८ | हनुमच्चरित्र
हरिबलकथा
सं. प्राकृत
३४१७
१४ सांगानेर में
लिखित । प्रथमपत्र अप्राप्त। रामायणान्तर्गत संभाJiवत होती है।
२४६ | १६४४ हरिचन्द्रकथा
Page #262
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________________
२४. ]
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
जगार मन्या
पत्र
प्रन्यनाम
भाषा
फर्ता
लिपिसमय सख्या
विशेष
२१७ १७१२ मगनकया २५% ( ३५७४ हितोपदेश भाषा
२१६. २५. २१
हालिरा कया पर ३३६२ होलीकया
घालीफया मस्तकक
प्राकृत १७वीं श. १७ राज. १७७३ १६४ सोगाणीज्ञातीय
कुशलसिंहजी ने सग्रामपुर में
लिखाई। संस्कृत १८वीं श. २
१५२६१ , १८०० १० रचना विमेवानगर
में सं०१८२२॥ भुजनगर में
लिखित । , १७वीं श. १
१९८०
मूफनेन्द्र सागर
२५२ १३३ होलीरज पर्व फया
पुण्यराजगणि
Page #263
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२६) गीत-आदि
-
-
।
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थ नाम
कर्ता
भापा
लिपिसमय
| सख्या
विशेष
हीरकलश
२०६३ अंकावलिजिणसिंह
(७१)| सूरिश्रासिका २ ३५३३ / अजितशांतिस्तवन
(२६) ३५७५ अजितशांतिस्तवन
मेरुनन्दन
रागू- ९७वीं श, १३५ वा "१८वीं श८०-८१ जीर्णप्रति। " २०वीं श| २४-२०
मेरुनन्दन उपाध्याय
अजितशांतेस्तवन
,
,
२३१
४ | ३५७५
(४६) २३६०
अजितसिंगजी को सीलोको अजीतसिघजीरो कवित्त
३५७३
४२) ३५७५
" | १८४८ | ३२-३५ दाध्या में लिखित ।
१०६ वा जीर्णप्रति । रा० गू.२०वीं श ३४-३७
अट्ठावीसलब्धिस्तवन । धर्मवर्धन
२८३
"
१६वीं श. १६८ वा
अढारभारवनस्पति(११२) वर्णन ३५४३ अणगस
माणकसाह (१) १०६३ अन्तरिक्षपार्श्वनाथचन्द भावविजय २३६८ अमरसिंघजी को
सिलोको अमरसिघजी को
सिलोको ११२२
अमलरो छन्द
___३ मानकुआ में लिखित । १६वीं श| २५-२६ दाध्या मे लिखित ।
३२१३
| राजो
२७वीं श
१
| २२५२ | अम्बाजी की आरती | शिवानन्द | २२४० | अम्बारी आरती रघुलाल
१६०१
Page #264
--------------------------------------------------------------------------
________________
२५२ ]
राजस्थान पुगतत्त्वान्वेपण मन्दिर
प्रमाक प्रन्या
प्रन्यनाम
फर्ता
| लिपि- पत्र
समय | सख्या
विशेप
२८८२ | अम्बिका गीत सेवक रागू० १७वीं श. १२ वा (२२) २०४३ अम्बिका भवानी छद जितचंद | १९२१ २
७८० अम्निकास्तोत्र (हंद) भवानीनाथ १६वीं श. १ २८.३ अईन्त भेद नमस्कार
१६१६६६वां (३२) २० २५१० अवतिसुकुमालढाल धर्मनरेन्द्र " १८वीं श ३रा २१ ३५६७ अश्लीलरामो देव | राज० १६वीं श १३३वां
२२ : ३७४ अष्टमी स्तवन
कान्ति
रागू० २०वीं श. २३६
२३८ , २८वीं श. ३७-३८
३५७५ प्रप्टापदतीर्थराजस्तवन पद्मराजपाठक
३५४३ : असन्मायसम्माय २५ ' ८६३ आताविचारगीत
हीरकलश
| "
१७वीं श. २३६वा
२६ : ३५६२, पाट पहोररा दृहा
राजा
वीं श. १३७
स्पचंद
तिमरी में लिखित
बामवोधसमाय ८ ३५७५ : प्रात्मोपरिस्वाध्याय ६ ५७५ मादिजिन गुहली
नयविमल
-वीश ०५०
शिवचन्द्र
३००
१०:४५ : पाटिजिनमोननी
समयमुन्दर
" "
११ दिनायमची
पर्धनान ५'.xt पायरयाननी : १. पानी योगदि २१. भागमा
वीश ४-५ यीश ४६-४७ सं० १५६२ में
रचित। , २७ यां भी श. २-४
"
Page #265
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-आदि
२५३ ]
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्का
प्रन्यनाम
कर्ता
भापा
लिपि- पत्र समय | संख्या
विशेष
३५
३८२०
आबूधरावत्रीसी (२) ६५१ आराधनास्तवन
महिराज रा०गू० १८वीं श. १-३ हीरसूरिशिष्य " १७वीं श. ६ | अन्तिम ७ वां पत्र
नहीं है। कमलहर्प
| " २०वीं श५८-६२/
३७ ३५७५ | आलोचनास्तवन
ऋपभ
धमसीह
३५७५ | आलोचनास्तवन (४२) ३५७५ आलोचनास्तवन
| आशापुरीमाता छंद ७८६ ईश्वरीछंद
२०६- सं. १६६२ में त्रबा२११ । वती में रचित । २२८- | फलवद्धिपुर मे
२३१ | रचित । १६वीं श. ८१ वां
११२२
कुंअरकुशल
|
४
भुजनगर में लिखित ।
४२
४३ ११२२
GEE| ईश्वरीछंद
ईश्वरीछद ५८३६ उतपतिगीत
| " १६वीं श. ५
" ६३-६४ रागू० १८२६ / २७-३२
श्रीसार
| २८३२ उतपतिनामी
| १७७४ ८१-८५ गुटका।
(४६)
१० ।
२३११ उदयपुरगजिल्ल भोज " १६वीं श. ४ | २२४३ | उदयसिंघमेडत्यारो
" २०वीं श २ सपखरो कवित्त ४८ | ३५७३ / उदैपुररीगजल | खेताक | " १६वीं श १०६- श्रीअमरसिहजी
शासित उदयापुर में सवत् १७५७ मे
रचित । जीर्णप्रति । ११२२ उदर मीश्रानो झगडो | हि० १८वीं श ६७ वां ३५७५ | ऋपभजिनदेशना शिवचन्द्र | रा गू २८वीं श ३०५ व.
ऋपभदेवक्रीड़ागीत | समयसुन्दर | " १६वीं श. ८१ वां जीर्णप्रति । (३१)
ऋषिवदना पासचंद
(७०)
३५७३
"
१७१५
-
--
Page #266
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
--
क्रमांक प्रन्याङ्क
|
| भाषा
प्रन्थनाम
पत्र
| लिपि
। समय | संख्या
विशेष
ज्ञानविमल | रा०गू० १९वीं श. २
व्रज " , २८-२६
लावण्यसमय रा०गू० १७वीं श| ६६-७१ खुसराम वहि० २०वीं श. ७
२०४७ कथलो ११२२ कमालदीखांन नवाबनो (३२) जस ११२३ करसंवाद (१२) २३५५ कल्याणमलको कवित्त
आदि २७८४ कालिकाकवचस्तोत्र ३५४७ कालिकाजीरादूहा
सोरठा २३२६ कालिकास्तव २७५५ कालिकास्तोत्र तथा
आरात्रिका २२४६ कालीजी की आरती २२६६ कीर्तिसिंहकुमार के
कवित्त ३५६७ कुपतिरासो
अजमेर में लिखित ।
जयलाल लधो
| राज० | १६२७ / २
१६वीं श.८६-८७
चद्रदत्तोमा , जयपाल
१८६४ २०वीं श
१ २
वहि० १६वीं श ३१
रा०
....
१४७
मगनीराम
| २२८० | कुलभक्ता स्तुति
१८८२ कृष्णजी के चरणचिह्न (२१२) | दोहा १८३६ कृष्णजी धमाल
वहि. १६८७ ब्रज १६वीं श
१३४
"
"
,
वां
गुटका।
२३०६
कृष्णध्यान
ईसरदास
राज०
,, १४-१५
(३)
२३१६
कृष्णपद कृष्णबारमास कृष्णलीला
मगनीराम किसनदास नन्ददास
वहि० २०वीं श. १ | रागू० १८वीं श. १ ब्राहि० १८८४ २८से३२
२७
२८२६
अर्जुनजी
गूर्जर १८वीं श
२
गुटका ।
कृष्णस्मरण तथा अकलवेल कोटेसरनो छंद
११२२
विसराम (?) | राज० १८वीं श. ८२ वां |
(५६)
२३१३
क्षेत्रपालछद
माधो
,
१६वीं श.
२
Page #267
--------------------------------------------------------------------------
________________
- २५५ }
गीत-आदि
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
‘कर्ता
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
प्रन्यनाम
(११)
३५७५
१००
२८६३ | खरतरगुरुनामसंस्तवन हीरकलश | सं० १७वीं श. ४ था | सवत् १६२० में
रचित। २८६३ खरतरादिगच्छोत्पत्ति हीराणंद | रा० गू० ॥ ११४ वां
छप्पय - ३५५० खेतलाजीरो छंद
राज. १६वीं श| ३६-४० गउड़ीपार्श्वस्तवन जिनचन्द्र
रा० गू० , १०१वां सं. १७२०में रचित ।
जीर्णप्रति। ७-२१६० गंगानवक खुसरामव. हि. १९१४ २
कर्ता का दूसरा नाम मगनीराम है, उन्हीं द्वारा कृष्णगढ़
मे लिखित । ७२ / ३५७३ | गजसुकुमालगीत नन्नसूरि रा. गू, १८वीं शः ३३-३४ स. १५६१ मे खंभात
मे रचित । जीर्ण
प्रति। गजसुकुमाल स्वाध्याय गणेशजी, श्यामाजी, | मगनीराम हि० | १६२० १ अंबाजी तथा भैरव की
भारती २३५७ गम्भीरमलजी आदि
, २०वीं श. १६ | फुटकर पत्र । राजकर्मचारियों के
कवित्त २३ / २२४२ / गंभीरमलजीका कवित्त खुसराम
४ | २३५८ | गंभीरमलजी के कवित्त ८५ | २२३२ | गंभीरमलजी को कवित्त | ३५५३ / गाफललावणी विनचंद
श १५७
१५६ | ८४ गिरनार की गजल |
आधोई (कच्छ) में कल्याण
लिखित । सं.१८२१
मे रचित । ८८ | २२६० | गीतसंग्रह
जवानसिंह वहि० २०वीं श. १२ नागरीदास हरिदास
२२७७
Page #268
--------------------------------------------------------------------------
________________
२५६ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
-
-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता
भापा
| लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
८६
रागू० १७वीं श. १६३वां पत्र चार है।
,
,,८२-८३
२८६३ | गुजा कंचनसंवाद (१०३) ११२३ गुडीपारसनाथ छंद कुशललाम (२३) १८८२ गुणनाममाला (१६६) २३४१ | गुणसागर की छप्पै | गिरधर (१) २०२३ गुणसागरभास
वहि० १६वीं श. १०४
२०वीं श. . रागू० १७३४ | ३-६
३५७५
गुरुजी गुहली
२०वीं श. ३०७यां
प्रीतिविमल
"
"
, १०४
१८६४
५
रायपुर में लिखित।
| समयरग
राज० १६वीं श ७४-७५
३५७५ गौड़ीजिनस्तवन (२५) १०६२ गौड़ीजीरोछद ३५७५ गोडीपार्श्वजिनचौदा
स्वप्नस्तवन ११२२ गौड़ीपार्श्वछंद २०५१ | गौड़ीपार्श्वछंद
गौडीपार्श्व युद्धस्तवन | गौडीपार्श्वस्तवन
(५६)
| रूपसेवक
प्रीतिविमल | नेमविजय
रागू० १८वीं श. गजपाटक मे
लिखित । - | राज० १८३८ | १-२
कालूग्राम मे
लिखित । रा०गू० १८२६४ स०१८०७ म
रचित । सस्कृत | १८८४ | २४से२८ भागवतगत-।
गोपिकागीत
२ गोपिकागीत
,
१६वीं श. ६७-७१ भागवतगत ।
व०हि०, ,
२
२२१६ गोपीकृष्ण भ्रमरगीत
स्नेहलीला
| गोपीचन्द राजा पद ३५४६
| गोरखनाथजीरो छद
(३)
३५४६ गोरभजीरो छद
"
"
११ वा
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #269
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-आदि
५७)
कमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
| कर्त्ता
भाषा
लिपि- | पत्र
| समय | संख्या
विशेष
| गोरावणवीरनोसपषरो | माधो राज० १६वीं श ३०-३१ | तथा घोड़ा वर्णन सप
षरो | गौतमप्रश्नोत्तरस्तवन ऋपभश्रावक | रा गू० २०वीं श. १६६
| २०६ गौतमाष्टक लावण्यसमय | " १६वीं श. ४०-४१
चउसड़ी (योगिनी) छंद तथा जगदंवा छंद चक्रेश्वरीस्तवन शंकर
२०वीं श| ३०७
३०८ ११३ | २८६३ | चतुर्विंशतिजिनगणधर हीरकलश " १६१९ / ८४ वां (३६) मंख्या वीनति चतुर्विशतिजिनपंच
" १७वीं श. ६६-६६/६८ वां पत्र के (३३) कल्याणकस्तोत्र
प्रथम पृष्ठ के अत में पुष्पिका 'लिपी
कृतं हीराकेन'। ११५ / १०१५ चतुर्विशतिजिनस्तवन | लावण्यसमय | " | १८६१
तथा आंबिलतप- विनयविजय
सज्माय | २८६३ | चद्रगुप्तसोलस्वप्न- हीरक्लश
| २४३- सं १६२२ में राजल सज्माय
देसर मे रचित
और लिखित (?) ११७ | ३५७५ | चंद्रप्रभजिनस्तवन शिवचन्द्र
२०वीं श| २६६
२६७ ३५६२ चावंडारो छद चुनीलाल
६६-६७ सोजत में रचित । (१०) ३२०५ चित्तौड़ की गजल खेतल
१८वीं श संवत् १७४८ में
रचित । | ३५५० | चित्तौड़ की गजल
१६वीं श| ३७-३६ पालाड़ा ग्राम मे
लिखित। १२१ | २३६८ | चैत्यवंदन
कमलविजय
" १८४८ ४० वां (११) १२२ ३२०४ चौवीसी स्तवन
जिनराज
| १७६२ ६/ कालू मे लिखित ।
Page #270
--------------------------------------------------------------------------
________________
२५८ ]
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर
प्रन्थनाम
कर्ता
लिपि- पत्रसमय सख्या
विशेष
३५७५ चौबीसी स्तवन
देवचन्द्रजी रागू० २०वीं श. १-२४
जिनराजसूरि
,
३५७५ | चोबीशी स्तवन
(३३) १२५ १८३६ | चौवीसदंडकस्तवन
(११)
धर्मविजय
,
,,,| १४२
१५४ १८वीं श. ४-५२/ सं० १७२६ में जैस
लमेर में रचना।
गुटका। १७वीं श. १७४
हीरकलश
,
१७५
२८६३ | छिन्नवइजिननमस्कार (११६) २८६३ छिन्नवइजिनस्तवन ११२२ जगडूनो छंद
लीलो
| राज० १६वीं श २ रा
११०२
जगडूसाहनो जस
रा०गू० | , , १० वां (१८) २३५४ | जबानसिहको कवित्त | खुसराम वहि० २०वीं श. जसवंतसिंहजी महा
७ वां राजरा कवित्त जसवंतसिंह तथा अजी
, १८वीं श. १ तसिंहजी के कवित्त ३४७४ जालोरपार्श्वविविध | पुण्यनन्दिरा गू० १७वीं श. ५
ढाल स्तवन ११२२ | जांमलाखारीनीसाणी
रा० १६वीं श ६२-६३
| २८६३
रा०गू० | १६२१ १६५से | रूसणा ग्राम में ।
१६७ रचित । " १७वीं श. १७७वां
| जिनकल्याणकस्तवन | हीरकलश (१३३) २८६३ जिनचद्रसूरिगीत (१२३) | २८६३ | जिनचद्रसूरिगीत (१२४) २८६३ | जिनचंद्रसूरिगीतनवक (१२५)
जिनचंद्रसूरिस्तुति (६४)
| १८२से
"
"
"
१८६ १५६से १८५स
१८६ १६०वां द्वादश दल कमल
बंध में एक काव्य
१३६
Page #271
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-आदि
२५६ ]
क्रमांक प्रन्याङ्क
प्रन्यनाम
__कर्ता
भाषा
लिपि- | पत्रसमय | संख्या
विशेष
जिनहर्प
| जिनप्रतिमास्थापन
स्तवन ३५५५ जिनरस - (३१) ३५७५ जिनवाणीस्तुति
रागू० २८वीं श. २४१- रचना सं. १७२५।
२४८ | राज० १८वीं श. १७०- | सं. १६५ में रनित ।
वेणीराम
शिवचन्द्र
| रागू २०वीं श. २६४
२६५ | " १६वीं श| ५०-५१
२३६८ जिनविनती
कनककीर्ति
२०६३
३३७५ जिनहर्पसूरिभास जिनहर्प २०वीं श| ३०५
| ३०६ ३५७५ जिनहर्पमूरिभास | शिवचन्द्र
| " " | २६८
२६६ जिनहर्पसूरिगीत
" १७वीं श| ६६ वां (३५) | २१२५ | जिनाज्ञास्तवन सविव- नेमीसार ।
जैन शास्त्रीय चर्चावि० स्वोपज्ञ
त्मक कृति । कर्ता ने अन्त मे आपके. विशेपण दिए हैं, उनमें से एक निम्न प्रकार है। साहिश्री शलेमसाहिसमक्ष श्री श्री श्रीसर्वज्ञशत ग्रन्थसत्यतासत्यता
का धारक। १४ | ३२०० | जीराउलापार्श्वनाथ सोमविजय " | १७४५ ३ स्तंभनकपुर में स्तवन
लिखित । ३५४३ जोगपावडी गोरखनाथ | राजा | १८८२ | १०-१४ २०४८ | ज्ञानपचमीस्तवन केशरकुशल | रागू० १६वीं श ४ | सं. १७५८ में सिद्ध
पुर में रचित । ४२२ ज्वरनोछंद कान्ति
मेडता में लिखित । १५२ | ३५७३ | ढ ढणस्वाध्याय जिनहर्प रान १८वीं श १७ वां जीर्णप्रति । १५३ / ११२२ ढूढीयानो छंद तथा प्रेमकवि " १६वीं श. १६ वां
(२३) सवैया
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Page #272
--------------------------------------------------------------------------
________________
1
२६० ]
क्रमांक ग्रन्थाक
प्रन्थनाम
१५४ | ३५६७ तारादे लोचनारी
(२५) सज्झाय ७६१ | त्रिपुराछंद
१५५
१६२
(११)
११२२ दातारसूमनो संवाद (६८)
३५५५ | दीपकबत्तीसी
१५६ | ३५७३ | थंभणपार्श्वनाथ स्तवन कुशललाभ
धमरणया
(२४) १५० | १८६२ दर्शनस्तुति १५८ २१७५ | दशवैका लिकभास १८६ | दशवैकालिकस्वाध्याय १६० | २८६३ | दशार्ण भद्रगीत
१५६
१६१
(३)
१६३ | १८८६ | दुखहरणवेलि
(१७)
१६४ | २२७८ | देवी आरती
१६५ २२=२ देवी आरती
१६६ | २३२८ देवीजी की स्तुति १६७ ११२२ | देवीस्तुति
(१)
१६८ | २२७६ | देवीस्तुति
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
१६६ ३५६७ | देसतरी छंद
कर्त्ता
राममुनि वृद्धिविजय
हीरकलश
कुशल राज० १६वीं श. १४६
१४७
गुणानन्द शिष्य रा०गू०
२
केसोदास
सवाई प्रतापसिंहजी मगनीराम
دو
भाषा
मगनीराम
"3
व्र० हि०
रा०गू०
""
"
13
35
लिपि -
समय
राज०
"9
""
""
"
५
१७वींश. २४
७
१६वीं श १७वीं श६-८
१६वीं श . ६६-७० जीर्ण प्रति ।
"
पत्र
संख्या
१८८८
राज० १६वीं श. १४ वां
हिन्दी १८६६ ६४ से ६६
० हि० १६०७ १
१६२०
१६वीं श.
० हि० १६०७
१६०७
155-605
१
१४
ܡ
१
१
विशेष
समधर कवि | राज० १६वीं श. १५०
१५२
आदि प्रमी पार्श्व
जिनन्दपद श्रीसदगुरु धरी ध्यान । वाला त्रिपुरा वीनवु, माता दिये बहुमान ।
पत्र ६ ठा और घा का अभागन |
कर्त्ता के हस्ताक्षर हैं । कृष्णगढ़ लिखित |
मे
कर्त्ता के हस्ताक्षर
है । कृष्णगढ़ में लिखित |
कर्त्ता के हस्ताक्षर हैं । कृष्णगढ़ में लिखित |
Page #273
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-आदि
२६१ ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्यनाम
• कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय
विशेष
| ३५६५
द्विकन्यासंवाद ग्रन्थ --
वहि० १८वीं श. ३७६
३६० रा०गू० " वां
|| ३५५०
धन्नासज्झाय
३५४६
२४३
| "
१६१
| थरातीर्थगीत आदि
राज०। ७५-७७ (१४) ३५७५, नन्दीश्वरस्तवन
रा० गू०/२०वीं श. २६१(५६)
२१२ ३५७५ नंदीसूत्रसज्झाय शिवचन्द्र " " | २६२(६०) ३५१६ नवग्रह छंद
शंकर ३५७५ नवपदस्तवन जिनलाभ
२०वीं श. १०६
११३ ३५७५ नवकारवालीस्तवन | राजसोमपाठक " (३६) चोढालीयो
१६५ ३५५४ नवकारसज्माय
| " १६वीं श. २६ वां (१५) २३१५ | नवरात्रि कवित्त जयलाल
रचना सं. १६२७
| कवि के हस्ताक्षर । २०४६ १६ नववाडसज्झाय जिनहर्परागू० १६वीं श. ५ संवत् १७७६ मे
रचित ।२०६० नववाडसज्झाय बल- | अनेक कवि " १७वीं श ४५
भद्रसज्झायादि संग्रह नित्य के कीर्तन
| १८५२ | १-८८ नित्य के पद
| " २०वीं श १८-३८
73
७६
नीसाणी
केसोदास गाडण
| राज० १८वीं श. १०२ रा
नीसाणी कवित्त
"
१६वीं श. ७४-७५
नेमजी का बारहमास | श्यामगुलाब
व्रज.
"
| ४१-४४० गुटका।
नेमराजीमतीबारमास
ज्ञानसमुद्र
Page #274
--------------------------------------------------------------------------
________________
२६२ ]
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
फर्ता
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेष
| कान्तिविजय उदयरत्न
१८वीं श.
३५०८ | नेमराजुलचुनडी
नेमराजुलबारमास आदि नेमिगीत
४
स० १७२६ में रचित ।
हीरकलश
,
१७वीं श. ४ था
अमृत
नेमिनाथचंदाइणगीत | भाकड़मुनि नेमिनाथ चोक
१६वीं श. ६२-६४) स० १८३६ में
रचित । १८२ | नेमिनाथचोवीसचोक अमृतविजय | | १८६३८ । स० १८३४ मे
रचित । राविकापुर
मे लिखित । २३६८ नेमिनाथजी की वीनति | राज० १६वीं श ४०-४२
३६३५ नेमिनाथ फाग
| नेमिनाथबारमास
राजहर्षे रूपचंद
रागू० १८वीं श २ । |, १६वीं श. २६-२७,
नेमिनाथबारमास
देवविजय
२७-२८
२८ वा
नेमिनाथबारमास कवियण नेमिनाथबारमास विनयविजय नेमिनाथबारमाससवैया
स० १७२८ मे रानेर
मे रचित। १८७६ | ३४-४६ अजमेर में लिखित ।
नेमिनाथसावन
मनरूप
रागू० १६वीं श. ५२-५४
२८६३
नेमिनाथ हीडोलणा | हीरकलश
रा०गू० | १६२५ / १११से | पुष्पिका-सं० १६२५
११४
के आषाढ़ मास में डेहिनयरी में रचित, पीमसर में कर्ता,
द्वारा स्वय-लिखित । , १८वीं श. ३ ।
सं०१७०३ मे रचित ।
२०३ | ३१६३ | नेमीश्वररागमालामय | मेरुविजय
स्तवन
Page #275
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्याक
२०४ ३५६२ पखवाडा
(१५)
२०५ | ३५४६ | पंखप्रबोध (१२)
२०६ | २८६३ | पचतीर्थी नमस्कार
(३१)
२०७ २८६३ | पंचतीर्थी नमस्कार (४०)
२०८ | २८६३ | पंचतीर्थीस्तुति (४२) २०६ | २८६३ | पचपरमेष्ठिनमस्कार
(४१)
२१० ३५७५ पंचमांगसज्झाय
प्रन्यनाम
(६१) २११ | ३५७५ (४७)
२१२ २०५४ पंचलघुतीर्थ मालास्तवन २१३ | ११२२ | पंचांगुली देवीछंद २१४ | ३६४० पचेद्रियवेली
२१५ | १८५२ पद
(3)
२१६ १२ पद
(2)
२१७ | १८८२ पद
(३)
२१८ १८८२ पद
-(8)
२१६ | १८८२ पद
(५)
१८८२ | पद
(६) २२१ | १८५२ | पद (७)
२२०
"
गीत - श्रादि
शिवचंद्र
पचमीतपमहिमास्तवन लक्ष्मीसूरि
कर्त्ता
ही कलश
39
अमदास
तुलसीदास
कवलानन्द
अप्रदास
परमानन्ददास
भाषा
तुर (ल) सी
"
राज० २०वीं श. १३६
१३७
१६वीं श. ७४ वां
रा० गू० १७वीं श . ६६ वां
८५ वां
८५ वां
८५ वां
२०वीं श २६३
२६४
२३४
२३६
"
33
35
"9
"
39
१६१८ १६वीं शमवां
गेल्ह (?)
१७वीं श
तुलसीदास व्रज० १६वीं श. १८वां
१८ वां
१८-१६|
१६ वां
१६ वां
""
""
"
39
99
""
लिपि -
समय
33
""
55
36
"
16
33
33
19
39
पत्र
संख्या
23
"
५
१
१६-२०
२०-२१
२६३ ]
विशेष
संवत् १५५० में
रचित ।
Page #276
--------------------------------------------------------------------------
________________
२६४ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
| लिपि- पत्रभाषा
समय | संख्या
विशेष
१८८२
तुलसीदास
व्रज १६वीं श.
भगवान
चरनदास
सूरकिसोरमुनि
परमानन्द
१८८२ (१२)
१८८२ | पद
नन्ददास
(१३)
१८५२ .पद
(१४)
२५८२ | पद
१८८२
तुर (ल) सी
१८८२ (१८) १८८२ (१६) १८८२
रामदास
२६
(२१)
१९८२
कृष्णदास
२
(२२)
१८८२
२)
२८८२ पढ़ (२४) १८८२
मौजीराम
S
२७)
१८८२ । पद
सूरदास
२६वां
Page #277
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रथाक
२३६ १८८२ पद
(२६)
२४० १८८२ | पद
(३०)
२४१ १५८२ | पद
(३१)
२४२ १८८२ पढ़
२४३
२४४
२४५
२४६
२४७
१८८२ | पद
(३८)
२४८ १८८२ पद
(३२)
१८५२ पद
(३३)
१८६२ पद
,
(३४)
१८८२ पद
(३५)
१८८२ | पद
(३६)
(३)
२४६ | १८८२ | पद
(४१)
२५०
१८८२ पद
(४२)
२५१ १८८२ पद
(४३)
२५२ १८८२ पद
(४४)
२५३ | १८८२ | पद (४५)
२५४ १८८२ | पद
(४६)
२५५ | १८८२ | पद (४७)
प्रन्थनाम
गीत-श्रादि
कर्त्ता
सुखस्याम
अम
चरनदास
नंददास
माधोदास
सूरदास
नंददास
कबीर
अम
गरीबदास
नागरीदास
अग्र
नददास
सूरकिसोर
मानदास
रामदास
व्यासदास
पत्र
लिपि - समय संख्या
व्रज० १६वीं श २६ वां
भाषा
59
35
""
""
99
""
29
""
33
""
39
""
33
19
39
"
""
"
29
99
59
99
93
99
37
C
,,
ܕܕ
33
"
11
36
84
"
२६-३०
३०-३१
३१ वां
19
३१-३२
३२-३३
३६ वां
""
३८ वां
३६ वां
"
३६-४०
४० वां
४०-४१
४१ वां
विशेष
२६५ J
1
Page #278
--------------------------------------------------------------------------
________________
२६६ }
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
फर्ता भाषा लिपि
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्यनाम
२५६ | १८८२
वंस (सी) लाल ब्रज १८वीं श. ४१ वां
१८८२
नंददास
४१-४२
(४६)
१८८२ |
व्यास
१८८२ |
सदानन्द
(५१)
भगवान
(५२)
१८८२
सदानन्द
(५३)
१८८२
नन्ददास
(५४)
१८८२ ।
सदाराम
पातीराम
१८८२ (५६)
सूरदास
४४-४५
(५६)
८७
| १८२ | पद
भगवान
४५वां
र
२६८।१८८२ पद
६ १९८२ | पद
वसीधर
१८८२
वा
(६३)
१८८२ पद
४६-४७
(६८
गरीबदास गोपीनंद
१८८२ पद
"
,
४७वां
Page #279
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्थाङ्क
२७३ | १८८२ | पद (६७)
२७४ | १८८२ | पद (६८)
२७५ | १८८२ | पद (६६)
२७६ | १८८२ | पद (७०)
२७० | १८८२ | पद (७२)
२७५ | १८८२ पद *(७३)
२७६ १८८२ | पद (७४)
२८० | १८८२ पद
(७५)
२६११६८२ पद
(৬७)
२८२ | १८८२ | पद (5)
२=३ | १८८२ पद (ह)
२८४ १२ पद (50)
२८५ | १८८२ | पद
(८१)
२६६ १८८२ पद (२)
२८७ | १८८२ पद
(८३)
२६ | १८८२ | पद (58)
REE
प्रन्थनाम
१८५२ पद्
(६५)
गीत-आदि
कर्ता
तुलसीदास
कुभनदास
नरसी
नंद
सूरदास
चत्रदास
तुरसीदास
अग्र
ग्यानदेव
परमानन्द
त्रिलोचन
श्रीभट
परमानन्द
पत्र
लिपि - समय संख्या
व्रज ० १६वीं श ४७ वां
मलूकदास
भाषा
"
रा० गु०
व्रज०
"9
"
99
22
"
"
,,
बद्री (श्रीपति)
मीरा
व्र०हि०
तुलछी (सी) दास व्रज०
99
"
39
39
34
"
93
99
99
""
"
19
29
"
"
19
"
"
11
४७-४८
४८ वां
४८ वां
४६ वां
४६-५०
५० वां
५० वां
५१ वां
५१ वां
५१ वां
५१-५२
५२ वां
५२ वां
५२ वां
५२-५३
५३ वां
२६७ ]
विशेष
Page #280
--------------------------------------------------------------------------
________________
२६८ ]
क्रमांक प्रन्याक
૯૦
२६१
(६०)
२६२ १८८२ | पद
(६१)
२६३
१८८२ | पद
(ER)
१८८२ पद
२९४
(१३)
२१५ १८८२ | पद
(६४)
२६६ | १८८२ | पढ़
(१५)
१८५२ पद
(६६)
२६७
२६८
२८६
१८८२ | पद (55)
१८८२ पद
३००
२०१
१८८२ पद
(६७)
१८८२ पद
(८)
१८८२ पद ( द्वय )
(६६)
१८८२ | पद
(१००)
१८८२ | पद
३०२
(१०१)
३०३ | १८८२ | पद (१०२)
३०४ १५५२ पद
(१०३)
२०५ १५८२ | पद (१०४)
३०६ १८८२ पद (१०४)
૨૦૦ १८८२ पद (१०६)
प्रन्थनाम
ले
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
लिपि -
पत्र
समय
संख्या
व्रज १६वीं श. ५४ वां
५५ वां
कर्त्ता
मनसाराम
रैदास
नददास
भगवान
तुरसीदास
सूर
केवलराम
मुरली
भगवान
तुरसी
विट्ठलदास
कवीर
श्री भट
हरि
रामदास
सूर
विष्णुदास
भाषा
22
99
ܙ
"
"
"
د.
91
23
"
$3
33
"
19
19
39
19
""
"
""
""
39
"
"
"
"
""
,,
"
19
५५ वां
५५-५६
५६ वां
५६ वां
५६ वां
५६ वां
५६-५७
५७ वां
५७-५८
५८-५६
५६ वां
५६ वां
५६. वां
५६ वां
५६-६०
६० वां
विशेष
*msg_j-y=
Page #281
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्याक
३०८ | १८८२ | पढ़ (१०७)
३०६ | १८८२ पढ़ (१०६)
३१० १८८२ पद (११०)
३११ १८५२ पद (१११)
३१२ | १८८२ | पढ़ (११३)
३१३ | १८८२ | पढ़ (११४)
३१४ | १८८२ | पद (११५)
३१५ | १२ | पढ़ (११८)
३१६ | १८८२ पढ़ (१२०)
३१७ | १८८२ | पद (१२१)
३१८ | १८८२ | पढ़ (१२२)
१८५२ | पद
(१२३)
३२० १८८२ | पढ़
३१६
(१२४)
३२१ १८८२ पढ
(१२५)
१८८२ | पढ़
३२२
(१२६)
३२३ | १८८२ (१२७)
३२४ १८५२ | पद
प्रन्थनाम
पढ़ (द्वय)
(१२८)
३२५ | १८८२ पढ़ (१२६)
गीत - शादि
कर्त्ता
कवीर
नामदेव
कवीर
किसनदास व्रज०
जयदेव
प्रेमदास
रसीदास
नामदेव
परसराम
अग्रदास
नरहरिराम
नामदेव
ग्यानदेव
गोकलवास
बीठल
नरसी
मीरा
भापा
श्रासकरन
व्रज ०
""
व्र०रा०
"
35
33
39
"
33
33
C
""
""
""
""
"3
रा०गू०
व्रज०
लिपि -
समय
| १६वीं श
,"
37
33
"
33
"
27
13
"
"
"
"
"
19
पत्र
सख्या
६१ वा
६१ वां
६१ वां
६१ वां
६२ वां
६२-६३)
६३ वां
६४ वा
६५ वां
६५ वां
६५ व
६६ वां
६६ वां
६६ वां
६६ वां
६६-६७
६७ वां,
६७ वां
२६६ ]
विशेष
Page #282
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर
-
-
।
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
___ कर्ता
पत्र
प्रन्थनाम
| भाषा
विशेष
समय संख्या
मीरा
| रा०गू० १६वीं श.
तुरसी
ब्रज
कृष्ण (दास) | ,
१८८२ (१३०) १८८२ पद (१३१) १८८२ (१३२)) १८८२ पद (१३३) १८८२ | पद (१३४) १५२ पद
परमानन्द
मीराबाई
(१३५)
मुरलीदास छीतमदास
७१-७२
अग्र
बालकृष्ण
१८८२ | पद (१३८) १८८२ पद (१४०) १८८२ | पद (१४२) १८८२ (१४३) १८८२ (१४४) १८८२ पद
भगवान
७६वां
७६-७७
जगन्नाथ कविराज बुधानन्द
9
३३८ १२ पद
नाभो
१२ वां
(१५१)
तुरसीदास
१२ वां
१८.२ (१५२) १८८२ पद
अग्रदास
हरवा
(१५३)
१८२
कबीर
.
१०
१८९० (१५६.
माधोदास
.
६३ वां
Page #283
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-यादि
२०१]
-
प्रन्यनाम
फर्ता
भाषा
लिपि- पत्र समय संख्या
विशेष
१८८२ (१५६)
मीरा
राज० १६वीं श. ६४ वां
नामदेव
-
(१६०) १८५२
कबीर
-
(१६१)
१८८२
भगवान
(१६६) १८८२
गदाधर मिश्र
११२वां
(१७०) १८८२
विहारीदास
११५वां
सूरदास
११५ वां
नन्ददास
११५
११६
मायोदास
११६वां
सूरदास
११६
कबीर
१८८२ (१७७) १८८२ (१८०) १८२ (१८२) १८८२
सूरदास
मीरा
(१८४)
बालकृष्ण
१२१ वा
नंददा
१२२ वा
१८८२ (१८५) १८८२ (१८६) १८८२ (१८७) १८८२ | पद पंचक (५)
पद
अग्रदास
१२२ वां
(१८८)
१२२१२३
Page #284
--------------------------------------------------------------------------
________________
२७२ )
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक प्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता भाषा
लिपि- पत्रसमय / संख्या
विशेष
३६०
तुरसीदास
१६वीं श.१२४ वा
१८८२ (१८६) १५८२ (१६०) १८८२
हरि
"
१२४ वां
सूरकिसोर
(१६)
| १२४
१२६ १२६ वां
बालकृष्ण
सूरदास
१२७ वां
विद्यादास
गनेश
१२७
मुरारीदास
सुर.
तुरसीदास
मीरा
३२वा
(१६६) १८८२ (१९८) १८८२ (१६६) १८८२ (२००) १८८२ (२०६) १८८२ (२०७) १८८२ (२०८) १८८२ (२१०) १८८२ (२११) १८८२ | पद २१३) १८८२
माधोदास
२२वां
मानदास
१३२ वा
माधोदास
१३३१३४ १३४ वा
सूर
सूरदास
१३५१३६ १३६वां
माधो
(२१४)
Page #285
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रथाक
३७७ | १८५२ | पद (२१५)
३७८ | १८८२ पढ (२१७)
३७६ १८८२ पद
(२१६)
३८० १८६० पद
१)
३८१ १८६० पढ़
(३)
३८२ | १८६०
(५)
३८३ | १८६० (६)
३८४ १८६० पद
(१३)
३८७ | १८६०
(१५)
(११)
३८५ | १८६० | पद (१२)
३८६ १८६० पढ़
३८
३८६
३६०
पढ
३६२
३६३
पढ़
(२१)
१८६०
(२२)
ी ली
पद
१८६० पद
(१६)
१८६०
(१७)
१८६० पढ़
(१६)
३६१ | १८६० पद
(२०)
१८६० पढ़
पट
पढ़
मन्थनाम
गीत-आदि
कर्त्ता
परसराम
केवलराम
मगनीराम
कबीर
बिहारीदास व्र० हि०
लच्छीराम
कबीर
ब्रह्मदास
सुरदास
मीरा
वासदास
ब्रह्मदास
सीतलदास
ब्रह्मदास
भाषा
चरनदास
व्रज
राज०
व्रज०
35
=
22
"
राज०
० हि०
37
39
19
"
39
"
3
लिपि -
समय
पत्र
संख्या
१६वींश. १३६ वां
१३७ वां
"
123
12
"2
"
"
"
"
29
33
29
";
39
19
.
""
33
S
१३८ व
१२६ १ से३
४ से ५
५-६
६ वां
११-१२
१२ वां
१२-१३ |
२२ वां
२२ वां
२२ वां
२५-२६
२६-२७
२७ वां
२८वां
विशेष
२७३ ]
Page #286
--------------------------------------------------------------------------
________________
२७४ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
___ कर्ता
भाषा
लिपि- | पत्रसमय संख्या
विशेष
१८६०
सूरदास
व्रज १६वीं श. २८ वां
१८६० प
केवलराम
| २८-२६
१८६० पद
चरनदास
नरसी
| रा०गू०
लघु (?)
त्रि०हिक
82
नरसी
| रागू०
१८९०
लच्छीराम
चाहि०
३५ वां
बालकृष्ण (चन्दसखी) सूरदास
१८६०
कवीर
१८६०
(३५) ४०४ १८६० पद
(३६) १८६० पद
कृष्णदास
श्री भट
(5
)
तुलसीदाम
३८-३६
४०६ । १८६०
(३६)
१८६०
(४०
४०८ १८६0 पद
कबीर
३६-४०
(४१)
६
माधोदास
४०-४१
१८६० (४३) १८९० | पद्र
मीरा
४१ वां
Page #287
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-आदि
२०५ ]
-
-
-
कमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
१६वीं श. ४१ वां
४१-४२
तुलसीदास
व्रज.
"
४२ वां
सूरदास
४३-४४
४७-४८
नरसी
४८ वां
४-४६
SISISIEITIEIEITI EIZIERE ASSICI
तुलसी
भीखम
कृष्णदास
परसराम
गरीबदास
५२-५३
कल्याण
५३ वां
मीरा
A
ब्रह्मदास
बहि०
"
५६वां
Page #288
--------------------------------------------------------------------------
________________
२७६ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक प्रन्थाङ्का
प्रन्यनाम
कर्ता
विशेष
भाषा | लिपि- | पत्र
| | समय | संख्या वहि० १६वीं श. ५६-५७
४२८ | १८९० पद
(६६) १८६० (६७) १८६०
कबीर
५७ वां
तुलसीदास
१८६०
केवलराम
५६-६०
(७०)
PM
१८६०
श्रीभट
६१ वां
(७२)
।१८६०
पद
६१ वां
(७३)
१८६०
मीरा
६१-६२
। १८६०
(७५)
१८६०
सूरदास
कबीर
१९६०
कुमनदास
|६५-६६
४०
१८६०
मीरा
१८६० पद (८४)
सूरदास
५९
नागरीदास
६६-७०
१८६०
सूरदास
७०वां
(६)
| १८६०
७०-७१
(८७)
Page #289
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-आदि
२४० }
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष ,
१८६०
नरसी
रागू० १६वीं श. ७१ वां
| ७१ वां
|७१-७२
कबीर
भगवान
मीरा
सूरदास
बाहर
कबीर
१८६०
७६-८०
नंददास
८०-८१
१८६० (१०१) १८६०
८१ वा
(१०२) १८६० (१०३) १८६०
सूरदास
८१-८२
मीरा
(१०५)
१८६०
सूरदास
(१०७)
१८६० पद
८४वां
(१०६) | १८६० (१११)
८५-६
बालकृष्ण (चन्दसखी)
Page #290
--------------------------------------------------------------------------
________________
२७८ ]
क्रमांक ग्रन्थाक
४६२ १८६० पद (११२)
४६३ | १८६० | पढ़ (११३)
४६४ १८६० | पढ़
(११४)
४६५ | १८६०
(११६)
४६६ १८६०
(११७)
४६७ १८६० पद
पद
(११८)
४६८ | १८६०
(११६)
४६६ १८६० पद
(१२०)
४७१
पद
४७० १८६० पद
(१२१)
१८६० पद
४७३
पद
(१२२)
४७२ १८६० पढ़
1
(१२४)
१८६० पद
(१२५)
४७४ १८८६० पढ़
प्रन्थनाम
(१२७)
४७५ १८६० पद
(१२८)
४७६ १८६० पद
(१३०)
४७७ १८६० पद
(१३१)
४७८ १८६० पद
(१३३)
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
कर्त्ता
तुलसीदास
मीराबाई
कबीर
बालकृष्ण चन्द्र (सखी) सुखदेव
नद दास
लच्छीराम
जगन्नाथ
कबीर
लच्छीराम
सूरदास
अम
भाषा
"
व्र०हि० १६वीं श . ८६-८७
८७ वां
39
रा०
० हि०
""
77
"
93
"
,,
31
लिपि -
समय
33
36
"
29
66
"
"
36
"
""
13
در
"3
33
"
39
در
31
35
पत्र
संख्या
33
59-55
दह-६०
६- ६१
६१ वां
६२ वा
६२ वा
६२-६३
६३-६८
१००
१०१
| १०१ वां
१०२
१०३
१०३ रा
१०४
१०५
१०५ वां
११०७ वां
1
विशेष
Page #291
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-आदि ।
२७ ]
माक ग्रन्याङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता
विशेष
सूरदास
भाषा
| लिपि- पत्र
समय | संख्या ब्राहि १९वीं श. ११८
११६ ११६
अलिलता
१२०
सुखानन्द
१२०
१२१
१२१ वा
तुलसीदास
मीरा
अग्रदास .
बालकृष्ण (चन्दसखी) मीरा
वालकृष्ण (चन्दसखी)
१२८ वां
१२८१२६ १२६ वा
जगन्नाथ
नन्ददास
१२६१३० १३०
(१५३) १८६० पद
१३१
कबीर
१३१ वा
| १८९० पद (१५६)
सूरदास
१३२१३३
Page #292
--------------------------------------------------------------------------
________________
२८० ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक प्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
विशेष
भाषा
लिपि- पत्र
समय | संख्या । व०हि० १६वीं श. १३३ वां
४६६ / १८६०
हरिदास
तुरसी
| ",
१३३ वां
१८६०
| १८६० (१५८) (१६०) १८६० (१६२) १८६०
१३४३३५ १३६ वां
नददास
प्रमानन्द
(१६३)
१३६१३७ १३७ वां
१८६०
बिहारीदास
(१६४)
नददास
१३७ वां
१३७१३८ १३८वा
सूरदास
कबीर
१३८१३६ -
१८६० (१६५) १८६० | पद (१६६) १८६० पद (१६७) । १८६० पद (१६८) १८६0 | (१६६) १८६०
(१७०) ५०८१८0 पद
(१७१) १८६० पद (१७२) १८६४ - पद (१७३)
हरिदास
१३६वा
१३६१४० १४०वां
नन्ददास
कबीर
१४०वां
१८६०
प्रमानन्द
(१७४) | १८६०
१४०१४१ १४१ वा
केवलराम
Page #293
--------------------------------------------------------------------------
________________
क्रमांक प्रन्याद
५१३ १८६०
(१७७)
५१४ १८६० पद (१७८)
५१५ | १८६० पद
५१६
(१७६)
१८६० | पद
(१८०)
५१७ १८६० पद
(१८३)
५१८१८६०
(१८४)
५२३
पद
५१६ १८६० पढ़
(१८५)
५२० १८६० | पद (१८६)
५२१ | १८६०
५२६
५२७
पद
(१८७)
५२२ | १८६० पद
(855)
१८६० पद
(१८६)
५२४ १८६०
(१६०)
५२५ १८६०
(१६१)
१८६० पद
५२८
KR
प्रन्यनाम
पढ़
पद
पद
(१६२)
१८६० पद
(१६३)
१-६० | पद
(५६४)
१८६० | पद
(१६५)
गीत-आदि
कर्त्ता
सदाराम
वासदास
नरसी
सूर
नागरीदास
माधोदास
नामदेव
सूरदास
कबीर
बालकृष्ण
(चदसखी)
बखतो
भाषा
C
०हि० १६वीं श. १४२ व
१४२ व
,
19
रा०गू०
व्र०हि०
बालकृष्ण
(चन्दसखी) मां तानसेन
33
"
39
در
39
در
23
99
""
""
""
लिपि - पत्र
समय
"
""
"
"9
19
"
97
"
"
"
""
""
93
39
"
संख्या
دو
१४२
१४३
१४३ वा
१४६ वां
१४६ वां
१४६
१४७
१४७
१४८
| १४८ वां
| १४८ वां
१४८
१४६
१४६
१५०
१५० वां
१५०
१५१
१५१ वां
२५१
१५२
१५२ वा
२८१ ]
विशेष
Page #294
--------------------------------------------------------------------------
________________
२८२]
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
कर्चा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
रामदास
व्र.हि. १ध्वी
५३० | १८६० | पद
(१६६) | १८६०
श. १५२
१५३ १५६ वां
नरसी
नन्ददास
१५६
अग्रदास
१५८
सूरदास
(२०२) १८६०
मायोदास
(२०३)
१८६०
मीरा
(२०४)
१८६०
मीरा
१५८१५६ १५४१६०
१६० वा
(२०६) १८६०
वालअलि
२१०)
८
प्रमानन्द
१६१
(२११)
१६२
१८६०
१६२ वा
(२१२)
भगवानसखी
१८६० (२१३)
१६२१६४ १६४ वां
१८४०
कृष्णदास
২৪
प्रमानन्द
(२१४) १८६० | पद (२१५) | १८६० पद
(२१६)
१६४१६५ १६५वां
तुलसीदास
आस ।
"
"
Page #295
--------------------------------------------------------------------------
________________
1
क्रमांक प्रन्थाक
५४७ | १८६० (२१८)
५४८ १८६० पद (२२१)
५४६ | १८६० (२२२)
५५० १८६०
५५१
(२२४)
५५२ | १८६०
५५३
५५४
५५
(२२३)
१८६०
५५८
(२२८)
५५६ १८६०
५५६
| (२२५) १८६० पंद
(२२७)
१८६०
पद
५६१
पढ़
पद
पढ़
(२२६)
१८६० | पढ़
पढ
५६३
(२३१)
५५७ १८६० पद
पद
पढ
(३)
३५७५ | पद
(६३) ५६० | १८८२ | पद (एकादशी
(२३२)
३५७१ | पद
५६२ १८६०
प्रन्थनाम
(१३७) व्रत महात्म्य) १८६० पद (महादेवस्तुति) (४२)
गीत-आदि
पद (रासविलास )
(१३५)
१८८२ | पद ( हिंडोलावर्णन )
(१५)
कर्त्ता
अग्रदास
सूर
मीरा
सुखदास
सूर
कबीर
मीरा
माधोदास
नन्ददास
शिवचंद्र
वेदव्यास
सूर
रामदास
तुलसीदास
लिपि -
पत्र
समय
संख्या
व्र. हि. १६वीं श. १६७ वा
| १६६ वां
भाषा
36
"
35
राज.
प्र. हि.
"
19
राज.
व्र. हि
""
"
19
व्रज०
39
"
د.
39
19
33
""
35
99
"
17
"
37
१६६
१७०
१७०
१७३७
१२१
१३०
रा. गू. २०वीं श २६५
२६६
व्रज १६वीं श ७०-७१
हिंदी
४० वां
39
१७१
१७१
१७२
१७२ वां
१७२
१७३
१७३ वां
१७३
१७४
१७६ वां
२५३ ]
१७६ वां गुटका अपूर्ण । १७६
पत्र पर्यन्त ।
४० पद्य हैं ।
११५
११७
२३-२४
विशेष
Page #296
--------------------------------------------------------------------------
________________
२८४ ]
क्रमांक प्रन्थाक
५६४ | १८८२ | पद चतुष्क (४) (११६)
पद चतुष्क (४)
पद चतुष्क (४)
५६५ १८६०
(5)
५६६ १८६०
(३७)
५६७ | १८६० पद चतुष्क
(१३२)
१८६०
५६८
पद चतुष्क (४)
(१८२)
१८६०
पद. चतुष्क
(१६७)
५७० | १८८२
पद त्रय
(२०)
५७१
१८२ पद त्रय (३)
५६६
प्रन्थनाम
(७६)
५७२ | १८८२ | पद त्रय (३)
(६)
५७३ | १८५२ पद त्रय (३)
(दह)
५७४ १८८२ | पद त्रय (३)
(११७)
५७५ १८८२ पढ़ त्रय (३)
५७६
५७७
- ५७८
BE
(१७१)
१८८२ | पद त्रय (३)
(१७८)
१८८२ | पद त्रय (३)
(१६७)
१८८२ | पद त्रय (३)
(२१८)
१५८२ | पद त्रय
(२२१)
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर
लिपि -
समय
कर्त्ता
अग्रदास
मीरा
अग्रदास
सूरकिसोर
तुरसीदास
कबीर
तुलसीदास
सूरकिसोर
मुरलीदास
भाषा
36
"
व्र० हि०
""
22
공
व्र०
35
"
"
व्रज
"
ब्र. हि. रा. ""
व्रहि०
व्रज
"
.
"
39
39
"
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"
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9 39
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"
"
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"
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"2
93
,,
23
3 33
29
"
A
१६वींश ६४ वां
"
""
33
पत्र
संख्या
१८१६
६३ से ६४
७-८
३७-३८
१०५
१०७
१४४
१४६
१५३
१५६
२५-२६
५०-५१
५३ वां
५४-५५
११२
११५
११७
१९१८
१२७
१२८
१३८ वां
विशेष
१३६ वां सवाई जैपुर में
लिखित | माधोसिंह राज्ये ठाकुर सौभागसिंहजी
लिखापित।
Han har de
Page #297
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-आदि
२८५
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्यनाम
कर्ता
. भाषा
लिपि- पत्रसमय
सख्या
विशेप
पद त्रय (३)
व्र. हि. १८वीं श. ३१-३२
१८६० (३०)
पद त्रय (३)
"
"
गुमानक(कु)वर (गुमानाबाई)
३२-३४|
पद त्रय
न
४६-५०
पद त्रय (३)
५४-५६
पद त्रय (३)
५८-५
पद त्रय (३)
(७१)
कबीर
८-१००
१८६० | पद त्रय (१२३) १८६० पद त्रय (१५६) १८६०
&
१३३१३४, १४३१४४ २८वां
(१८१)
१८८२
&
हरिदत्त
१८८२
&
२८ वां
(२६) | १९८२
&
| ४२-४३
&
| ४५ वां
१८८२ (६०) १८२ (७१) १८८२
&
४८-४६
गोबिन्ददास माधोदास
&
५४ वां
&
तुरसीदास
६०-६१
१८८२ (१०७) १८८२ पद
&
(११२)
Page #298
--------------------------------------------------------------------------
________________
२८६]
राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
५६७
१८२
पद द्वय (२)
१६वीं श ६४-६५
७६ वां
१८८२ | पद द्वय (२)
गदाधर मिश्र
१८८२
तुरसीदास
६१-६श
सूरदास
१८८२
प
रामदास
६३वां
तुरसीदास
४
प
1(१५८)
१८८२
द्वय (२)
मीरी
६४-१५
१६२)
पद द्वय (२)
११५ वां
cla la lililIlIlIlIlIlIlIlIlIlIiai
१८८२ ।
गदाधर
(१७६) | १८८२ | पर
(१८३) ०७ १८८२ ५
(१६३) ६०८१८८२
११८११६ १२०१२१ १२६१२७ १२६
१३०
६०६ | १८८२ ।।
तुरसीदास
१३० वां
.
१८८२ | प
सूरदास
___his
कबीर
२
१८६०
प
द्वय (२)
।
१८६० पद
य
Page #299
--------------------------------------------------------------------------
________________
1
क्रमांक प्रन्थाक
६१४ | १८६० |पर द्वय (ह)
६१५ १८६० पद द्वय (२)
(१०)
६१६
६१७
६१८
(३२)
१८६० | पद द्वय (२)
(४८)
पद द्वय (२)
पद द्वय (२)
पदद्वय (२)
(६३)
६२२ | १८६०
पद द्वय (२)
(६४)
६२३
१८६०
पद द्वय (२)
(६५)
६२४ १८६० | पद द्वय (२) (१०४)
६२५ १८६० पद द्वय (२) (१८८)
६२६ |१८६० पद द्वय (२) (११०)
६२७ | १८६० पद द्वय (२)
६२०
१८६०
पद द्वय (२)
(१८)
१८६० पढ़ द्वय (२)
६१६ | १८६० (५८)
६२१
- प्रन्थ नाम
१८६०
(८३)
१८६०
(११५) ६२५ | १८६० (१२६)
पद द्वय (२)
६२६ | १८६० पद द्वय (२)
(१२६) ६३० | १८६० | पद द्वय (२)
(१४१)
गीत - श्रादि
A
कर्त्ता
बालकृष्ण (चदसखी)
ब्रह्मदास
मीरा
मीरा
कबीर
सूरदास
नरसी
प्रमानन्द
बालकृष्ण
[ चन्दसखी]
प्रसोतमदास (पुरुषोत्तमदास) लच्छीराम
नन्ददास
भाषा
36
99
व्र०हि० १६वीं श5
राज.
p
वहि०
"
"9
""
राःगू०
व्र-हि०
"9
39
"
33
33
लिपि -
19
समय
""
"
19
"
"1
""
""
29
35
36
"
""
"
"
पत्र
संख्या
६-११
२२-२५
३४-३५)
४२-४३
४४-४७
६८-६६
७३-७४
७४-७५
७५-७६
८२ वां
८३-८४)
८४-८५
55-58
१०१
१२
१०३
१०४
१२२ वां
२८७ ]
विशेष
Page #300
--------------------------------------------------------------------------
________________
२८]
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर
--
-
-
-
-
-
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-
-
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
| लिपि- पत्र- . | समय संख्या
विशेष
६३१ | १८६० पद द्वय (२)
नन्ददास
६३२
१८६० | पद द्वय (२) (१६१) १८६० | पद द्वय (२) (१७६) १८६० पद द्वय (२) (२००) १८६० पद द्वय (२) | (२०५) १८६० | पद द्वय (२)
त्रहि० १४वीं श. १३१
१३२ १३५१३६ १४११४२ १५७ वां
बालकृष्ण (चदसखी) प्रमानंद
सुरदास
१६०
(२०८
| १८६०
पद द्वय (२)
१६१ १६६१६७
(२१७)
मग
(२१६)
पद द्वय (२) पद द्वय (२)
१६७१६४ १६६वां
१८६०
सुरदास
१७४ वा
(२२६)
कबीर
१८६० | पद
पद द्वय (२) (०३०)
पदपंचक (५) ।
१७५ ११
व्रज |
"
१८८२
पद पंचक
१३११३२ ६२-६३
पद पचक
| पद पंचक (५) .
परमानद
११७
| १८६० | पद पचक (५)
(१३६) ६४७ १८६० पद पंचक (५)
|१२२
| (१४२)
१२५
Page #301
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________________
गीत-आदि
८]
क्रमांक ग्रन्याङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भापा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
पदमुक्तावली
१८६०
(स्फुट पदसंग्रह) ३५६६ | पद संग्रह
वहि० १८वीं श. १७६ । गुटका अपूर्ण
१७वीं श-६२-१६६ , १७३७ ५८ | पाटण में लिखित ।
१७१ पद है १७३७ ५६–१२१ ३२६ पद
३५७१ / पद सग्रह
समयसु दर
रा०गू० २०वीं श. ७६-८१
३५७१ | पद सग्रह (२) ३५७५ | पद्मावती आलोयणा (१६) ११२२ | पद्मावती छद (१४) ३५४६ | परमेसरजीरो छंद
हर्पसागर
,
१८वीं श. ८-६
हररूपसेवक
| राज० / १८१६ १०-११
व्रज
१६वीं श. १३२ वां
१८८२ पवित्राएकादशीपद कुंभनदास (२०६) १८३६ | पांडवा की सज्माय | कान्ह सेवक (१३) २०४० | पार्श्वजिनस्तवनदीप ३५७५
पार्श्वनाथधुग्धरनिसाणी जिनहर्प
| राज०
१८३१ | ६५-६७
रागू०१८वीं श. ३ रागू० २०वीं श ११७
छंद
७६
रागू० १६११ | २-४
पार्श्वनाथधुग्धरनिसाणी जिनहर्प पार्श्वनाथधुग्धरनिसाणी रूप सेवक
माधवगढ मे
लिखित।
१२२
पार्श्वनाथ छद
पार्श्वनाथ छंद
१३-१४/ जीर्णपत्र
३५४८ | पार्श्वनाथ जीरो छद (८) २१०५] पार्श्वनाथदेसतरीछद । राजकवि २१०६ पार्श्वनाथदेसंतरीछंद २३२७ / पार्श्वनाथदेसतरी छद
१८वीं श| १ १६वीं श- २
-
--
-
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-
-
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________________
२६०]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
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-
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-
-
-
-
-
क्रमांक प्रन्याङ्क
लिपि- __कर्ता प्रन्थनाम
पत्रभाषा
विशेष
| समय | संख्या पार्श्वनाथदेसतरीछंद राजकवि
रा०गू० १८वीं श. २ पार्श्वनाथदेसंतरीछंद
रा० १९वीं श८६-८८ जीर्णप्रति । | पार्श्वनाथदेसतरीछंद
१८१७ | ११-१२ वरांटीया मे
लिखित । पार्श्वनाथरागमालामय | जयविजय | रा. गू, १८वींश. ३ स्तवन| पार्श्वनाथराजगीता . उदयविजय-
| " "
१७७० | ५३ वां
१७७° | २२ वाचक | पार्श्वनाथ स्तवन समयसुन्दर
"१६वीं श६५-६६
| पाबुजीरी निसाणी
राज.
"
१-६
पाखुधायोलोतरा दूहा
,
१८वीं श १-५ | अपूर्ण ।
३५७५ | पुण्यछत्तीसी
रागू०२०वीं श.८१-८५ सम्वत् १६६६
मे सिद्धपुर मे
रचना। ३५७५ | पुण्यप्रकाश स्तवन उ०विनयविजय " " | १२२- | रानेर मे सं १७२६
| में रचना। २१६१ पुष्कराष्टक खुसराम वहि० १६१४ | कर्ता ने कृष्णगढ़
मे लिखी। २२६३ | पृथ्वीसिघजीसुजस । जयलाल " | १६३१ | ८ | कर्ता के हस्ताक्षर पच्चीसी सटीक टी० स्वोपज्ञ
युक्त पत्र १ से ४ मे मूल पाठ है तथा पत्र ५ से ८ मे
टीका है। ६७६ | ११२२ | पृथ्वीराजसिंघ नो जस | लक्ष्मीकुशल | ६८० | २२३६ पृथ्वीसिंह का शिकार
बहि०२०वीं श १ ६८१ ३५७५ | पैंतालीस आगमसज्झाय धरमसीपाठक | रागू० " | १३८- | पैंतालीस सूत्रों के (३१)
१४१ | नाम और उनकी
श्लोक संख्या बताई है। जैसलमेर मे रचना।
Page #303
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________________
गीत-यादि
२६१ ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्यनाम
___ कर्ता
भाषा
लिपि- समय
पत्रसंख्या
विशेष
६२ ३५७५ पौषधस्तवन
समयसुन्दर
रा गू० २०वीं श. १८६- संवत १६६७ मरोट
१६१ नगर में रचना रा०गू० १६७५ २
| ११२४ प्रतिमाधिकारवेलि
सामत
१८४२ प्रास्ताविक गीत
राज०
राजा गजसिंह जीरो
सपक्खरो है। १६वीं श., २५-२६)
ब्र०
| ११२२ , फतेमहम्मदनो जस
फलवर्धिपार्श्वस्तवन
(२६)
५७३
रागू०
,
| १०१ वां जीर्ण प्रति।
(३६)
३५६७ | फूलमाला
राज०
राज०
१३११३३ १३३१३४ १४७ वा
३५६७ / फूहडरासो
जैदेव (१७) ३५६७ (२६) ३५७५ बारहभावना सज्झाय | जयसोम
| फूहडरासो
राज०
213121 rege BETTIETIISICISI VELLI
रागू० २०वीं श| ६२-६६ सवत् १६७६ में
| बीकानेर मे रचना। राज० १६वीं श. १४६
३५६७ बारह मासो (२८) २३४७ | वालाकाली स्तुति तथा | खुसराम
गगानवक
(१)
व०हि० १६१३ | १-३ । स० १६१३ मे
अजमेर में रचित ।
कवि के हस्ताक्षर। वहि० १७वीं श ४८-७६/
३५६६ ।
वावन पद विविधराग
तालबद्ध ६७६ वावीसभक्ष्य वत्तीस- लक्ष्मीरत्न
अनतकाय सज्झाय ११६७ | विरदावली
३५७५ वृहदालोचना स्तवन । राजसमुद्र
रा०गू० १६११ ४-५ व्रज १६वीं श ३४ । महाराज प्रतापसिंह
जी की। | रागू० २०वीं श २७-३० | रागू० , ४६-५८
राज० १६वीं श. १२८
३५७५ | ब्रह्मचर्य नववाड सज्झाय जिनहर्ष
(११)
३५६७ ।
भक्तविडदावली
मलूकदास
(१३) ।
। १२६
-
-
-
-
-
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-
-
-
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________________
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर
-
-
-
पत्र
कमाक
प्रन्यनाम
कर्ता
भाषा
लिपिसमय
विशेष
सख्या
२२५७ भंडारी भानीरामजीरो
राज० २०वीं श.
१
गीत
(000
२२५६ भढारी मिवचंदजीरो
गीत २३६८ | भमराकी सज्झाय
महमद
७०२
३५४६ भवानीजीरो छंद
| उदो
,
१६वीं श. १२-१३
38
२३२६ भवानीदासजीरो गीत साधुरामजी (२) श्रादि
सेवक २८६३ | भावनागीत हीरकलश रागू० , ७० वां
(३७) ७०५ | २१४७ | भावनाविलास नाननागर ७०६ ३८५८ भापाभावना गद्य हरिरायजी १८वीं श. ५ ७०७ २२३६ | मसजी को कवित्त
२०वीं श १ ७०८
मनमोहन पार्श्वनाथ ज्ञानविमल रागू | १८८५६-७
स्तवन ७०४ | ६३२ मरमिया कुंअरकुशल ब्रज | १८६८ कच्छनरेश लखपत
सिंह के। ७१०
महारारायधाजीरा । मोहू (१) रा० १६वीं श. ४ छंद मार्थ
गोदढ २१२२ महारायोश्रीगोहडजी | कनककुशल
६१ वां नो जस ११२२ महारायो श्री जीना जसराज आदि .. | ३०-३२
३०-३२ कच्छनरेशों के कवित्त
स्तुति काव्य है महाराजारायधणजी।
___, १-४ | मज्जल मे लिखित । को छद ३५.७५
महावीरजिनपंचकल्याण रामविजय | रागृ० २०वीं श. ३४०-! सुरत मे सवत् (८०) स्तवन
३४६ | १७७३ मे रचना। | महावीरजिन स्तुति | जिनलाभरि
१४१ या (३२) ७१६ ३५७ महावीरदेव स्तवन | ममयसुन्दर
७5-5E (१५) ३५७७ | महावीर सत्तावीश शुभविजय
३५२भवस्तवन
દo
७१०
Page #305
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________________
गीत-आदि
२६३ )
-
-
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक प्रन्या
ग्रन्थ नाम
कर्ता
भापा
लिपि
पत्रसमय | संख्या
विशेष
१०८६
४
माणिभद्र छद माणिभद्र छद माणिभद्र छंद माताजीरो छद
शांतिसूरि रागू० १८७० गुलाल उदयविजय नरसिघचारण | राज
(१३)
(३)
३५४७ माताजीरो छद भगवानभोजग , ३५४७ माताजीरो छंद सारंग कवि (१२) ३५४७ | माताजीरो छद आढोडूरसोजी ३५७० | मानमाधुरी पद्य माधोदास वहि० १८वीं श. ७१-८१
कपूर ३४०८ मीरा कबीर आदि के | मीरा कबीर रा० १८६० | २०
अनेक पद सग्रह आदि २१६६ मु ताप्रतापचदजी को गीत
वहि० २०वीं श १ ३५७५ मुनिमालिका चारित्रसंघ रागू० , १८१- स०१६३६ रिणी
१८६ पुर मे रचना। ३६७६ मुनिमालिका चारित्रसिंह
| सं०१६३६ मे
रिणीपुर मे रचित । १८ मुरलीविहार सवाई | हि , ६१से६३
प्रतापसिंहजी मुसलमानना कलमाना
कवित्त २२५४ मुहणोतसिरदारमलका
२०वीं श १ कवित्त मुंहता वॉकीदासजीरो गीत मृगापुत्रसज्माय खेममुनि
(१३)
(६५)
मेवाड़ के दोपों का वर्णन है।
| मेवाडको छंद जिनइन्द्र , १६वीं श १-३
(जिनेन्द्र) मोहणोतप्रतापसिंघरी | शिवचंद सेवक , | १८५७ ६ पचीसी
८६३
Page #306
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________________
२६४ ]
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय | सख्या
विशेष
(२)
३५७५ युगादिस्तवन सहजकीर्ति रा०गू० २०वीं श. १०२(२४)
१०४ २२४५ | रतनविजयजी को कवित्त खुसराम त्राहि० " १ १८ | रमकझमकवत्तीसी सवाई प्रताप हि० १६वी श ३-५ रचना स० १८५१
| सिंहजी ७४० १८३६ रसिक समीर
| रसिक सुरती मास ब्रह्मानन्द | रा०गू0 | १७४४ / २ प(ख)डनगरमेलिखित ७४१ २२४४ | राजसिंघजी को कवित्त
ब्राहि० २०वीं श. १ ११२२ | राजाराउविरदावली
व्र. १८वीं श. ६३ वां (४७) ७४३ ३६८६ राजीमतीमंगल जिनदास
कर्णालनगर मे लिखित । ८०
पद्य है। ७४४ | १८३६ राजुलपच्चीसी
श्रानंदचद(?)| ब्रज | १८३२ / १११- गुटका (१५) ७४५ | ३६८७ राजुलपच्चीसी
लालचद रा० १६वीं शE | ८६६ | राधाकृष्ण संवाद
व० १६०३ / ५ | ११२२ | राधाकृष्ण संवाद
रा० १८वीं श. ११-१३ | (१६) | ३५४७ रामचदप्रजीरो सपखरो
५ , ८५ वां ८०२ रामरक्षास्तोत्र ११२२ | रामाभैरव जेसकवि
वां का छन्द ७५१ | १८६८ | रायसिहजी का
व्रहि० १८वीं श १-३ गुटका (६) | गीत आदि | ३४८४ रावणसंवाद
लावण्यसमय ११२२ | रावन मदोदरीसंवाद
१६वीं श १३-१४
७४८
"
१८६४ १६वीं श
"
७५०
.
७
रा००
७५३
७५४
१८८६
(१२)
३५४३
रासको रेखतों | सवाई प्रताप | हि
सिहजी रेटियाससमाय
| रतनवाई रागू०/ १८८२ २-३ | स. १६३५ मे मेडता
नगर में रचित । रोहिणीतपमहिमास्तवन श्रीसार रा० १६वीं श. १६६ वां सं० १७०० मे
रचित, जीर्ण प्रति ।
७५६
३५७३
Page #307
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-श्रादि
२६५ ]
-
-
-
पत्र
क्रमांक ग्रन्थाङ्का
विशेप
ग्रन्थनाम
कर्ता
संख्या
| ३५७५ रोहिणीस्तवन
श्रीसार
| रा०गू० २०वीं श. २६०
| २६४ व०१६वीं श. ४४ वां
७५८
११२२
(३८)
लखपतिराय रायधणजी पृथ्वीराज के
कवित्त ११२२ | लाखाफुलाणीना कवित्त
राज०
८३वां
२८६३
हीरकलश
वर्तमानादि चौविसी नमस्कार पद्य विचारस्तवन
रागू0 १७वीं श ४-५
, , ७७ वां
१२३
। (१६)
M
७६६
७६७
७६२ ११२२ विजयप्रभसूरिनी विजय रा०१५वीं श ४ था
(६) वृद्धि साणी छद ८६७ विनायकीटीको तथा
केसोदास
सं०७० " | ३ जसराजनो छद ३५४६ गुण विवेकवाररी
| वराटीया में (१) निसाणी
लिखित । ३५५५ | विवेकवाररी नीसाणी | केसोदास
११४(१८)
१२१ ३५५५ | विवेकवाररी नीसाणी
१४५ वा (२२) ३५७३ गुण विवेकवाररी
३० वां जीर्ण प्रति । नीसाणी ७६८ ३६६६
३६ विवेकवाररी नीसाणी ७६६२ | वियोगवेली
१७६- मानपुर में लिखित ।
१७२ विविधपदसग्रह चत्रभुज अधा- रावण
फुटकर रूजी परसजी
पत्र ३२ कीताजी सोमजी माधौ जगनाथ
आदिअनेककवि ७७१ | ३५७३ विपयस्तवन
रा०गू० , ७० वा जीर्ण प्रति । ३५७५ | विरहमानस्तवन ध्रमसी
, २०वीं श. ३६१
J३६५ (८३)
११
७७०
२९
Page #308
--------------------------------------------------------------------------
________________
२६६ ]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
-
-
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
. कर्ता
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
हीरकलश
रा०गू० १७वीं श. ६६ वां
७७३ | २८६३ | बीकानेर मंडन आदि
(३४)
| जिनस्तवन ३५७५ | वीरजिनगुहली
विद्यारग
"
०वीं श.२६६ वां
(१)
३५७५
३५७५ वीरजिनपंचकल्या- सकलचंद , " ३४६एक स्तवन
३५२ ४१६ | वीरजिनस्तवन मूल्यशोविजय " | १८७६ / ८६ । दुढकमतनिराकरण बालावबोध सहित वा० पद्मविजय
कृष्णगढ़ में लिखित । | वीरजिनस्तुति स्तवन | यशोविजय , "
२०वा श. ३२७- इदलपुर मे दोसी
२०वीं श. ३२७(७८)
३४० मूला सुत दोसी
मेघा के लिये सवत
१७३३ में रचना। ७८ ३५७५ | वीरदेशना स्तवन शिवचद्रपाठक " २०वीं श. २६७
२६८ ७७E | ३५७५ वीरदेशना स्तवन शिवचन्द्र | " " ३०६ वां
(७२) ३५७५ वीसस्थानक स्तवन बसतो मुनि
१००
१०२ ३५७५ वैराग्य सज्झाय विजयभद्र
२४८(५१)
२५० २८६३ | शत्रु जय इगतालीस
१७वीं श
८७-८८ नामगर्भितनमस्कार ३५७५ शत्रु जयवीनति देवचन्द्र
२०वीं २७७
२८० २८६३ / शत्रु जयस्तवन रगकलश " १७वीं श ३रा (४) ३५७५ शान्तिजिनस्तवन
" २०वीं श ११३
११७ २३६८ शान्तिनाथस्तवन | गुणमागर राज० १६वीं श. २६-३१ (३) २३६८ | शान्तिनाथस्तवन शान्तिकुशल रागू १८वीं श ३६ यां
(१०) w= ' ३५७३ । शान्तिनाथस्तवन
६८-६ जीणे प्रति । (२३)
२
मेषमुनि
(२७)
।
।
धर्म
Page #309
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-श्रादि
२६७ ]
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
क्रमांक प्रन्थाङ्क
प्रन्यनाम
कर्ता
| भाषा
लिपि- पत्र समय | संख्या
विशेष
२०७१
। शान्तिकुशल
शारदा छद शारदा सरस्वत शारदाछद श्वतजिनवरस्तवन
रा०गू० १६वीं श ३ ।
१८७० २ । " १६वीं श २ " २०वीं श १३८- समीनयर में सं.
१३८ | १७१४ में रचना। १८वीं श १ रागू० २०वीं श २५१
७६३
हि०
२१७२ शाहजहाकत्रित आदि ३५७५ शिखामण स्वाध्याय
२५२
३५७५ शीतलनाथ स्तवन
। समय सुन्दर |
३२-३४
हीरकलश
६० वां ढीढूयाणा में रचना।
मगनीराम
२०वीं श.
१,
| २८६३ शुद्धसमफितगीत
(२६)
२३०६ श्यामाजी की आरती ७८८ | २३०७ श्यामाजी की आरती
श्यामाजी की भैरव की
आरती ३५७३ सचिआइजीरो छढ
रघुपति
हीरकलश
२८६३
सज्माय (११७) ३५७३ | सज्माय स्तवन आदि (४६) ३५७३ | सज्माय स्तवन सग्रह
अजमेर मे लिखित
कवि के हस्ताक्षर। " १६वीं श ८-८६ जीर्ण प्रति । रा०गू० | १६२२ १७३ वां | लाडणू में लिखित।
जीर्ण प्रति। १२८
जीर्ण प्रति।
३
(९)
८०४ ८०५ ८०६
१०१३ सनीसर छद २१०४ सनीसर छद २३०६
सनीसर छद
१८वीं श १६वीं श.
१
१५-२०
सनीसर छद
१८वीं श १ ला | |१६-२० जीर्ण प्रति ।
सनीसर छद
८०६३५
३५५४ सनीसर छंद
"
वीं श ३१वां
(२०)
Page #310
--------------------------------------------------------------------------
________________
२६८ ]
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर
--
ग्रन्थनाम
कर्ता
विशेष
।
भाषा लिपि- | पत्र
| समय | सख्या २०वीं श. ५६-५६
सनीसर छद ३६५४ | सनीसर छंद
| सनीसरजीरो स्तोत्र
,
१७४४ १ | जगत्तारिणी में
लिखित । २०वीं श. ५६-६० ।
३५६२
,
२२७६ | सबद
मगनीराम
३५४३
समकितसज्माय
| लक्ष्मीसुन्दर
| १६२० ४ । कृष्णगढ़ में
लिखित । रा गू. १८८२ | ७-६ | स० १७२४ में
राजनगर में रचित। , १६वीं श २५से२६/
५
२३७४ |
समरा सारग कडखो
देपाल कवि
(४)
शिवचंद्र
..
३५७५ | समवसरण देशना (६६) ३५७५ समवसरण स्तवन
२०वीं श. ३००
३०३ | ३०८
धर्मवर्द्धन
सुखलाल
३५७५ | सम्भवजिनस्तवन (७६)
३४० वां | अजमेर नगर मे
स० १६१२ में
रचना। १७वीं श १२ वां
लावण्यसमय
| १२ वां
२८६३ सरस्वती गीत (२०) २८६३ | सरस्वती गीत (२१) ६६७ | सरस्वती छद ३२४४ | सरस्वती छद ३५४८ सरस्वती छद
मतिसुन्दर कान्हयउ (?) शान्तिकुशल सहजसुन्दर
श.
हेम
|,
१४-१६
| २३१२ | सरस्वती छंद
सरस्वती छट
१२७
दयासूर
,
१६-१७
रा०
१८०५ |
१
हुरडा में लिखित ।
| सरस्वती छद गीतादि ८२७ १८८२ | सवैयो (१)
| (२०४)
लघुकेसो
ब्रज १६वीं श. १३०
१३१
Page #311
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-आदि
PEL ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्थनाम
कर्ता
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
१८८२
संजोगवत्तीसी मानकवि ब्रज १८वीं श ५ सं० १७३१ में अम
रचदमुनि के आग्रह
से रचित । ८२६ ११३७ सजोगबत्तीसी
सं०१७३१ में अम१७१३ रचंदमुनि के आग्रह
से रचित । संजोगबत्तीसी
१७७६
सं० १७३१ मे
रचित । साझी गीत
ब्रज १६वीं श| ३८ वां (४०) २८६३ | सात वि (व्य) सनगीत | हीरकलश रा०गू० १६२२ / ७० वा स० १६२२ में लाड (३६)
(नू) मे रचित, उसी
समय मे लिखित
|'होना संभव है। २१७६ | साधुवदना | पासचंद , १७३५ ६ | पाली में लिखित । सासू बहूनो सवाद
गू० १६वीं श| ५३ वां स० (१८) १२ के (४३)
दुष्काल से सबधित
रचना। साहिबमहरवान छद | हररूपसेवक | हि० १६वीं श १३ वां | कवि का निवास
स्थान सोमन(ज) था, ३५७५ सिद्धक्षेत्रचैत्यपरिपाटी | देवचद्र | रागू० २०वीं श २८०
२६१ ११२२ | सिद्धरायजैसिंघना
बज १८वीं श २६वां (२७) कवित ११२२ सिद्धरायजैसिंघना
" ., २८ वा कवित ८३६ ३५११ सिद्धान्त चोपाई
१७वीं श. १ ३५६७ सीकोतरीछद
१६वीं श. १०६
३५४६
(५८)
(३१)
सीताराम विवाह
८१से
(१४६)
सीमधरजिन त्रिभंगी छद आदि सीमधरजिन वीनति | भक्तिलाभ
३५७३
७६-० जीर्ण प्रति ।
। (२८)
Page #312
--------------------------------------------------------------------------
________________
३०० ]
क्रमांक मन्थाक
८४४
८४५
= ४६ २२१ =
(१)
१=२३
३५५०
८४७
८४८
८४६
८५०
८५१
८५३
८५४
६५५
=५६
३५७५ | सीमधरजिन वीनति
(8)
२३७४
(१६) स्तवन
मन्थनाम
८५२ | १८८६ | सुहागरेंनि
(६)
सीमधरजिनस्तवना दि
=६०
सुखसंवाद
सुदर्शन ऋपिसज्झाय
सुदर्शन सज्झाय
(१३)
२८३२ | सुदामा की बाराखडी
(४)
२२१७ सुमति जिनस्तवन
(३)
३५१० सुरप्रियऋपिसज्झाय (३)
२३६८ | सूरजजी की सिलोको
(2)
=५७ ११२२ सूरजनी स्तुति कवित्त
1
(३७)
=५ ११६५ सूर्यजीरो सिलोको
३५६२ | सूरजजी रो सलोको -
(३)
३२५५ | सूरज देवतारो सलोको ३५५७ सूरज देवतारो सलोको (३)
1
८५६ ३५४६ सेरसिंहमंडतीया आदि।
(2) अनेक राजाओं का
पचरा छ दि
J
राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर
लिपि -
समय
१७६ । स्वभनपार्श्वनाथ
( १ )
उत्पत्तिम्नव
कर्त्ता
भक्तिलाभ
उपाध्याय
सुखदेव
हकीर्ति
खेमुनि
लक्ष्मीरत्न
सवाई प्रतापसिहजी
सेवग
कुशललाभ
भाषा
रा०० २०वीं श ३०-३२
१६वीं श. ८०से८३
व्रज
36
राज०
रा०० १७७६ १६वीं श-८६
"
हि०
रा०
29
रा०गू० १८वीं श ३ रा
३ से ४
::
"
व्रज
रा०
"
11
रा००
पत्र
सख्या
"
१-१०
१७७४ ८५-८८
34
m
१८५३
१६वीं श . ३७से ३६
२३ से २४ रचना सं० १८४६ ।
१६५६ १७-१८
१
१८०१ १८वींश ७२ वा
१६वींश ३६ वा
१३
१६वींश. ६-१०
विशेष
१६११ १-२
गुटका है। पत्र ४ से ३८ तक जैन स्तवनादि हैं ।
1
Page #313
--------------------------------------------------------------------------
________________
गीत-आदि
३०१ )
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
प्रन्यनाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय , संख्या
विशेष
३५७५ स्तभनपार्श्वनाथ स्तवन कुशललाभरा गू० २०वीं श. ३८-४४/ खंभायत मे रचना।
२३०८ स्तवनपदादिसंग्रह
३५४६ स्तवनादि
३५६७ / स्तवनादि
(२३)
११२२ स्तुति
,
पृथीराज हि० चहुआण देवकुमारी (?) रागू०
३५५०
स्थूलिभद्रसज्माय
,
६-६०
(१४)
३५५ | स्याद्वादनयस्तवन
श्रीसार
२०वीं श २३६
(४६)
हरिगुणकष्टहरणस्तोत्र
चंद कषि
रा० १६वीं श| १४ वां
३५५५
(६) ३५६७ (१२) ३०६
हरजस
हरिरस
पद्य रचना ।
हरिरस
ईसरबारोटरा गू०
चोबारी मे लिखित ।
(वारहठ) ईसरदास बारहट
१६वीं श
-१४
८७३ | ३५५७ ' हरिरस
ईसरदास वारहट
,
१७६६
२-९७
३५६७ । हिगुलाजप्राण देवायण | ईसरदास
वारहट २२२४ हिंडोला के कवित्त
राज० १६वीं श १००व०हि० २०वीं श. ४ रा० १७वीं श. १६१ । द्वादश दल कमल
बंध में एक काव्य
| २८३ हीरकलशमुनिस्तुति (९५)
विल्हण
Page #314
--------------------------------------------------------------------------
________________
३०२ ]
क्रमांक प्रन्याक
430 २३६८ | हीरसूरिसमाय
כתב
८७
प्रन्यनाम
(७)
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
कर्त्ता
आरणद
३५७३ | हुगाडा मडन
देवसूरि
(४)
१८ | होरीवहारपद की टीका सवाई
(१०)
प्रतापसिंह
लिपि - पत्र
समय संख्या
राज० १६वीं श. ५० वां
भाषा
रा०गू०
हि०
विशेष
१६वीं श. १८ वां | जीर्ण प्रति ।
१७वीं श . ३६से ५५
Page #315
--------------------------------------------------------------------------
________________
ग्रन्थकार-नामानुक्रमणिका
नाम
पृष्ठ सख्या
नाम
पृष्ठ सख्या
अग्र
२५४ १३२ २७६ २०४ १८६
२६३ २०२ ६४
२६५, २६७,२७०, २७८ अग्रदास
१६०, २६३, २६६,२७१,
२७, २८२, २८३, २८४ अगस्ति मुनि १६ अजित देव १६५ अधारूजी २६५ अनुभूति स्वरूपाचार्य ७८, ८०, ८१, ८२ अनन्तदेव २८,४८ अनन्तराम मिश्र १७५ अन्न भट्ट अप्पय्य दीक्षित १४५, १४६ अभयकुशल ११५ अभयदेव
, १२, १८० अभयसोम २१३, २१६, २२० अमृत
२६२ अमृतविजय २६२ अमर अमरकवि अमरकीर्ति १६० अमरचन्द्र ८४, १४६ अमरचन्द्र सूरि १३५ अमरप्रभ अमरसाधु सोमसुन्दर शिष्य ११५ अमरसिंह ८६, ८७ अमरसुन्दर ३३, २३७
अर्जुनजी अर्जुनचद्र अलिलता अविचल अश्वघोष भिक्षु अहोबल
आ आढ़ो दुरसोजी आणन्द आतमराम आत्माराम आनद कवि आनधन आनदचद आनदनिधान आनदनिधि आनद भारती आनदराम आनंदसुन्दर आसकरन आसड़ आशादित्य आशाधर
१२७ १५५ २६४ २१६ १८ १७०
७४
७३
२६६
१८८
२१
१०
१०८
ईसर
अमरेश
ईसर बारोट (वारहठ) ईसरदास
१५३ ३०१ २५४
अमितगति
Page #316
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२)
नाम
पृष्ठ सख्या
नाम
पृष्ठ सख्या
उत्तमविजय २०८ उत्तमसागर २०४ उत्पलभट्ट १०५, १०६, १०७, १११,
११३, ११७ उद्यधर्म
७७ उदयभानु
२२० उदयरत्न
२१६, २१६, २३०, २६२ .. उदयरतन
२०३ उदयराम गोड़ १६७ उदयविजय २६३ उदयविजय वाचक २६० उदयसागर १८५ उदयसोभाग्य ८३
રહ૨ उपमन्यु
- १६ ऋ ऋपम ऋपभदास २३१ ऋपभसागर રરર ऋपम श्रावक
उदो
कनककवि २१५ कनककीर्ति २०६,२०८, २५६, कनककुशल २, २३८, २४६, २६२ कनकनिधान २१६ कनकविमल १६८ कनकसुन्दर २१७ कनकसोम १६५, २३० कनकसोम वाचक २१२ कवीर
१५३६ १५४,१५५, १५६, --- - १५७,१६६, २६५,२६८.
२६६,२७०,२७१, २७३,' २७४, २७६,२७७,२७८, २७६,२८०,२८१,२६३, २८४,२८५,२८६, २८५--
२८८, २६३ कमलविजय २५७ कमलहर्प २५३ कॅवलानन्द २६३ कमलाकर भट्ट कर्णपूर कल्याण ___६२, १०१, १०४, १२७,
२०६, २५५, २७५ । कल्याणदेव वर्मा १२० कल्याण तिलक २६, २१५ कल्याणतुरसी १६० कल्याणपडित १७२ कल्याणसागर कविमान
२३१ कवियण
२६२ कविराज शर्मा १६ कवीन्द्र सरस्वती कात्यायन २१, २५, ३८, ३६, ४६ कान्ति
२५२, २५६ कान्तिविजय
१८, १६६, २१२, २४६,
२५३
कृष्ण कृष्ण कवि कृष्णदास
१५० १४३ १६६,२१६, २६४,२७०, २७९,२७५, २८२ ६८, १२० ७२,७५, ७६ ७७, ७८, १३५
६.
.....
कृष्ण देवन कृष्ण भट्ट राना मिश्र कृष्णानन्द कृतगानन्द वागीश
६६
-
२६०
Page #317
--------------------------------------------------------------------------
________________
( ३ )
नाम
पृष्ठ संख्या
नाम
पृष्ठ सख्या
केवलराम
४, १०१, २६८, २७३,
२७४, २७६, २८० केसरसिंह
केसोदास २६०, २६५ केसोदास गाडण २६१ केशर कुशल २५६ केशराज
२१८ केशव
१६८ केशवदास
२२, २४, १३२, १४०, .
१४५, १५०, १५२, २४५ केशव दैवज्ञ
११६ केशव भट्ट केशव मिश्र कैवल्याश्रम कोकदेव कौण्ड भट्ट
कानेदास वारैठ १६२ कान्हड
२६८ कान्ह सेवक २८६ कालिदास ३, ११, १२४, १२५,
१२८,१३०, १३२, १३८,
१३६, १४०, १४१, १४३ कालिदास व्यास ७ कालीदास दामोदरात्मज ८७ काशीनाथ ७५ ७८, ८२, १०५,
११३, ११६, ११७, १७० किसनदास
२५४,२६६ किसनदास १६२ किशोरदयाल - १५५ कोको
१५८ कीताजी
२६५ कीर्तिविजय १८८ कुँअरकुशल १४०, २५३ कुदकुद १६१ कु भकणे १२६ चुभ ऋपि पावचद्र शिष्य १६० ' कु भनदास २६७, २८६ कुमनदास
२७६ कुमारपाल कुमुदचद्र कुलपति मिश्र १४६ कुँवरकुशल ८८, २६२ कुसुमदेव कुशलधीर २११ कुशललाभ २१२, २१३, २५६, २६०,
___.३००, ३०१ । कुशलसागर २२२ कुशलसयम
२३१ कुशलहर्प २०६ केदार भट्ट ११२, १२४ ।
खिडियो जगो २१६ खुसराम (मगनीराम) १४५, १४६, १४७, '
१४८, १५७, १५८, १६०, १६२, १६३, १६४, १६५, २५४, २५५, २५८, २६०
२६१, २६४, खेतल
२५७ खेताक
२५३ खेमराज १६६ खेममुनि १६६, २६३, ३००, खेमो
१३
गणपति गणेश गणेश दैवज्ञ
१०६, ११२ ११२, २७२ ६५, ६६, १०५
Page #318
--------------------------------------------------------------------------
Page #319
--------------------------------------------------------------------------
________________
( ५ )
नाम
पृष्ठ संख्या
नाम
पृष्ठ संख्या
चंद कवि चंदभाण चंद महत्तर चदसखी
३०१ २०३ १६० २७१, २७२, २७४, २७७, २७८, २७६, २८१, २८७, २८
जयशेखर
छीतम दास
૨૭૦
२७०
१४० २६५
जगो खिड़ियो २१६ जगदीश भट्ट जगनाथ जगन्नाथ
६, ८२, १२७, १५५,
२०८, २७८, २७६ जगन्नाथ कविराज २७० जगन्नाथ पण्डितराज ३ जगन पुष्करणा १३२ जटमल
१६६ जनकवि
२२७ जनमोहन (?) २११ जनार्दन
१४० जयकवि जयकीर्ति १३०, १३१. १८६ जयतिलक १८७,२४४, जयतिलक सूरि २४६ जयदेव
४, १२८, १३१, १३२,
१४७, २६६, जयपाल जयमुनि जयराम
७४, ७८ जयरग
१६७
जयलाल
२५४, २६१, २६० जयविजय २६० जयसिंह सूरि १२६ जयसोम १६०, २६१
१८७, १६०,२४१ जयशेखर शिष्य मतिकुशल, २२४ जयानन्द जवानसिंह जसराज
२६२ जसवन्तसिंह ५६, १४७ जसुराम
१६३ जानकवि
२१६ जावड़ (?) २२५ जितचंद
२५२ जिनइन्द्र (जिनेन्द्र) २६३ जिनकीर्ति जिनचंद्र
२५५ जिनदत्त सूार
१८८ जिनदास
२६४ जिनप्रभ
१,६,१८८ जिनमाणिक्य
२३६ जिनराज जिनराजसूरि जिनरग
१५६, २३० जिनलाभ जिनलाभ सूरि जिनवल्लभ १८७, १८८, १६१, २४४ जिनसागर १५४ जिनसार
१८५ जिनसुन्दर जिन-सूरि
२४५ जिनहर्ष १५५, १५६, १६४, १६६,
२२०,२२१,२२२,२२६, २५६, २६१,२८६,२६१..
२६१ २६२
Page #320
--------------------------------------------------------------------------
________________
( ४ )
नाम
पृष्ठ सख्या
नाम
पृष्ठ संख्या
गंगाधर भट्ट गगेश्वर गभीरविजय
६६ १८३
घनश्याम मिश्र
१६५
गदाधर गदाधर मिध्र ०७१, २८६ गर्ग सुपि २०५ गरीबदाम २६५, २६६. २७५ गिरिवर ६६, १४४, १५५, २५६, गुणविनय १३२, १३६, गुणरत्न ७१, ७४, २२५ गुणविजय गुणसागर १५६, १६८, २०३,
०,२६६ गुणाकर गुग्णानन्द शिष्य ०६० गुपाल कवि १५६ गुमान सुबर २८५
(गुमाना घाई) गुलाल गह गोकनदास गोदनाम २३० गोपाल
७, १४६, २१०, २४१ गोपाल गोपाल लाहोरी गोपीना गौरत गोराना २५६ गोपन गोपनाचार्य १६६
२६३
રદ્દ
७३
चक्रवर्ती १५ चत्रदास
२६७ चत्रभुज
२६५ चतुर्भुजदास २१२ चरनदास १२२, २६४, २६५,
२७३, २७४ चामुण्ड कायस्थ १७२, १७४, चारित्रवर्धन १३० चारित्रसिंह ७४. २६३, चारित्रसुन्दर १४३, २०५ चारित्रसव ૨૬૨ चिदानन्द चिन्तामणि ११२ चिन्न भट्ट
___६६ चिरजीव भट्टाचार्य१२४ चुनीलाल २५७ चोझड़
१६६ चद्रकीर्ति
७६,८०,०, चद्रकीर्ति मूरि २२१ चद्रतिलकोपाध्याय २३७ चद्रदत्त चहन प्रोगय ५४ चंद्रप्रभरि १८६ घद्रमरि शिष्य (?) २२८ चद्रावर, १४ नंदबरदाई कवि
नकार in विधिनार भट्टाचार्य) :
मी
३,७,
१०
मगरमर मंगा
Page #321
--------------------------------------------------------------------------
________________
नाम
चंद कवि
चंदभाण
चंद महत्तर चदसखी
छ
छीतम दास ज
जगो खिड़ियो
जगदीश भट्ट जगनाथ
जगन्नाथ
जयकवि
जयकीर्ति
जयतिलक
जयतिलक सूरि
जयदेव
जयपाल
जयमुनि
जयराम
जयरंग
३०१
२०३
१६०
२७१, २७२, २७४, २७७, २७८, २८१, २८७, २८८
२७०
२१६
१४०
२६५
जगन्नाथ कविराज जगन्नाथ पण्डितराज ३
जगन पुष्करणा
जटमल
जनकवि
जनमोहन (2)
जनार्दन
६, ८२, १२७, १५५,
२०८, २७८, २७६
२७०
१३२
१६६.
पृष्ठ संख्या
२२७
२११
१४०
१४७
१३०, १३१. १८६
१८७, २४४,
२४६
२५४
५३
२७६,
४, १२८, १३१, १३२,
१४७, २६६,
७४,
१६७
>
नाम
जयानन्द
जवानसिंह
जसराज
जसवन्तसिह
जयलाल जय विजय जयसिंह सूरि
जयसोम
जयशेखर
जयशेखर शिष्य मतिकुशल, २२४
७
जसुराम
जानकवि
पृष्ठ संख्या
जिनचंद्र
जिनदत्त सूर
जिनदास
जिनप्रभ
२५४, २६१,
२६०.
जिनमाणिक्य
जिनराज
जिनराजसूरि
जिनरग
जिनलाभ
जिनलाभ सूरि
जिनवल्लभ
जिनसागर
जिनसार
जिनसुन्दर
जिन सूरि जिनहर्ष
१२६
१६०, २६१
५६, १४७
१६३
२१६
जावड़ (?)
२२५
जितचद
२५२.
जिनइन्द्र (जिनेन्द्र ) २६३
जिनकीर्ति
७
१८७, १६०, २४१
२५५
२६२
२६०
२५५
१८८६
२६४
१, ६, १८५
२३६
२५७
२५८
१५६, २३०
२६१
२६२
१८७,१८८, १६१, २४४
१५४
१८५
५५
२४५
१५५, १५६, १६४, १६६,
२२०, २२१, २२२, २२६, २५६, २६१, २८६, २६१.
Page #322
--------------------------------------------------------------------------
________________
--
नाम
पृष्ठ संख्या
नाम
पृष्ठ संख्या ,
दयाशील
दान
जैतसी
२२७
जिनेन्द्रसागर २४३ जिनोदय २३१ जीवनराज २०२
दयासिह गणि १६५, १६० जीवनाथ
दयासूर - २६ जीवविजय
२०५ जीवो। ऋषि १५४
दादूदयाल १५६ जेराज कवि २२८ जेसकवि
२६४ जैकिसन १२४
दानसागर २२८ १६७
दामोदर
३२, १७८, जैतावत
दामोदरदास १५५ जैदेव २५२, २६१
दामोदरानन्दनाथ ३४ जैमिनि
दामोदरसूनु जोरावरमल
दिनकर ६५, ६६, १०२, १४२ जोरो (जोरावरमल कायथ) २४८
दिवाकर ३८, १०८, जम्बू
दिवाकरदास दीपऋषि १६६
दीप टाकर
दीप्तिविजय २१२
दीपमुनि २२२ ढु दिराज
दीपो
१६६, २२८ दुर्गसिंह ७४.
दुर्वासा ऋषि १८ तानसेन
दूलाराय
१४५ तिलक पण्डित
देईदान . .. २२८ तिलकाचार्य १७६
देपाल
२००, २०३, तुरसी १५५, २६३, २६४, २७०,
देपाल कवि २८०
देवकुमारी ..३०१ तुरसीदास २६८, २६६, २७२, २८४, देवचद् ...३६, १८६, २५८, २६६, २६६ २८५, २८६
देवदत्त
१४५, १५२,२४६ ।। तुलसीदास ६२, ११६, १४०, '२६३, ।
देवप्रभ
२४३ २६४, २६७, २७५, २७६ ।
र
१ देवलऋपि
२७८, २७६, २८२, २८३, तेजविजय
देवविजय
२४१, २४३, २६२, .
ट
२८६
१५६
___६८, EE
त
२८१
२६८
२२५
Page #323
--------------------------------------------------------------------------
________________
नाम
- पृष्ठ संख्या
नाम
-
पृष्ठ संख्या .
२२२
२४२
देवसील देवसूरि
३०२ देवसूरि शिष्य देवशर्मा देवाचार्य ७१, ७२ देवीचद्र व्यास देवीदान २४६ देवीदान नाइता २२२ देवीदास देवेंद्र कवि . १०७ देवेंद्रसूरि १८४, १८६, १८, १६०, .. देवेश्वर
२४५ दौलत कवि । १५१ . :दौलतराम १४८
२३३
धर्मविजय
२५८ धर्मशील २२६, २२६ धर्मशेखर गणि १८४ धर्मसमुद्र
२१८, २२३ धर्मसागर धर्मसी १५७, १६६ धरमसी पाठक २६० धर्मेश्वर . ६६ . . . धरानन्दनाथ . ५ --
१६३
न
६६
टासह सरस्वती
२५५०
नयनशेखर -
..
ध्रमसिंह
धनपाल
5; १६० धन्वन्तरि
८,१७७, १८० :- .. धनसार १६५---
- धनेश्वर ७६१६१
' धनजय ध्रमसी
२५३० FIEFE धर्मचद
१६० धर्मदास
१४१, १८३ धर्मदेव
१६२ धर्मनन्दन ....रम धर्मनरेन्द्र,- २५२ धरमदास ५३०२ धर्ममन्दिर २५४, २१., ३१६ !' धर्मरत्न १६ २०३०
!' धर्मवर्धन १५५, १५७, १६०, २२६,
२५१, २६
नकुल नन्नसूरि नयनसुख २७६ .
१७४ नयविमल : २०३, २५२ नयसुन्दर '२०७,२१६, २२३, २२५, ।।
___-२२६, २३० . नरपति
१०३, २२० नरपति कवि . २२१: नरसिह . २६, ८८ नरसिह चारण २६३. नरसी
२६७,२६६,२७४,२७५,
२७७, २८१, २८२, २८७ नरहरिदास बारहट ५३ ... नरहरिराम, . . २६६ नागार्जुन : १७४ - नागराज १३२, १४७ नागरीदास'- २१०,२५५,२६५, २७६,
____२८१ नागोजीभट्ट -१८, ७६ . नान्हाव्यास १४४.
Page #324
--------------------------------------------------------------------------
________________
(८)
नाम
पृष्ठ संख्या
नाम
पृष्ठ संख्या
२०३
नान्हिदत्त १०६ नाभाजी २११ नाभो
२७० नामदेव २६६, २७१, २८१ मिनारचद्र
१०३ नारद
१०८ नारायण ११०, १३३, १३४, १३५,
१४४ नारायण भट्ट २८,४७,६४,६६,६७, १०१ नारायणदास सिद्ध १०६, १३२ नारायणदास बड़ोदरी १६६, २०४, २११ निजात्मानन्द नाथ ३४ नित्यानन्द २६ नित्यानन्द स्वामी ४० निम्बार्क शरण देव १२ निमि साधु नीलकण्ठ ३६,३६,४०, ७८, १००,
१३६, १३७ नीलकण्ठ भट्ट ४६, ५१ नेतृसिंह नेमिदास
१८३ नेमिविजय २२५, २५६ नेमीचंद्र :७०, १७६, १६०
१७१
पृथ्वीराज कल्याण___ मलोत १३१ पृथ्वीराज चहुआण ३०१ पृथुयशा ११७ पतञ्जलि
६८, ७५, पद्मचंद्र पद्मनाभ ११ पद्मनाभ दीक्षित ५१ पद्मप्रभ ६,६५, १०७, १०८, पद्मराज पाठक २५२ पद्मविजय . २६६ प्रकाशवर्ष १२६ प्रतापरुद्रदेव प्रतापसिंहजी (सवाई) १३२, १४१, १६४,
१६५, २१०, २२३, २३०, २६०, २६३,
२६४, ३००, ३०२, प्रतिष्ठासोम '२३८ प्रभुदास
२८८ प्रमोदहर्ष प्रल्हादन १३५ प्रसोत्तमदास २८७ प्रियादास
२११ प्रीतिविमल प्रेमकवि
२५६ प्रेमदास प्रेमराज
२२३ प्रेमानन्द
१९७, २०६, २१४,२१८,
२८०, २८२,२८७, परमसागर २२१ परमसुखदैवज्ञ परमानन्द २४१, २६४,२६७, २७०,
२८८ परमानन्ददास २६३
१२५
नेमीसार
२५६
१६२
नैनकवि नन्द नन्ददास
२६६
२६७ ८५, ८८, ८६, १४१, १५१, २५४ २६४, २६५, २६६, २७१, २७७, २७८,२७६, २८०,२६२, २८३, २८८, १०५, २६८, २८७
नन्दराम
पृथ्वीधराचार्य पृथ्वीराज
११.१८५ १३०
Page #325
--------------------------------------------------------------------------
________________
नाम
परमानन्दसूरि
पर्वत धर्मार्थी
परसजी
पाराशर
पासचंद
पार्श्वचद्र
पारीखदास
परसराम
परशुराम परशुराम विप्र
३३
पशुपति महोपाध्याय ७४
पाणिनि
७५ २६६
पातीराम
पारस्कराचार्य
२२
२२
१८१, २५३, २६६
१
पृष्ठ संख्या
पुञ्जराज पुण्यकीर्ति पुण्यनन्दि
१८४
७०, १६१
२६५
२६६, २७३, २७५
३७
१६२
७६८१
१६३, २०८, २०६, २१२
२५८
पुण्यरतन
२०८, २०६, २१६
पुण्यराज गणि
२५०
१६२
पुण्यसागर पुण्यसागरोपाध्याय २२६ पुरुषोत्तम
१४१
पुष्पदन्त
१५, १६
५१
पूजामृत पौण्डरीकयाजि
फ
फकीरचद्र फकीर चढ़ चौहाण फतेन्द्रसागर
रत्नाकर
४४
पंचानन भट्टाचार्य ७१
•
६४
ह
२५०
( 2 )
नाम
ब
व्रजनाथ
ब्रह्मऋषि
ब्रह्मगुप्त
ब्रह्मगुप्तचर्य
ब्रह्माजित
ब्रह्मदास
ब्रह्मानन्द
बखतो
बड्डुसाह
बद्री [श्रीपति ]
बद्रीनाथ
बनारसीदास
बलदेव
बलभद्र
बल्लाल
बलिभद्र
बसतो मुनि arrafa
बालश्रि
पृष्ठ संख्या
१५२
२२८
६५
बालकृष्ण भट्ट
बासदास विठ्ठलदास
विट्ठल दीक्षित बिदमजी
बिल्हण बिहारीलाल
विहारीदास
६३
२४६
२२८, २७३, २७५, २८७
६२, ६३, २४५, २६४
२८१
१८५
बलराज[शकराचार्य] ६०
२४४
१५१
२६६
१२८
२६७
४१
१५६, १६१
१४६
६६, ७२, १२२१६०
२८२
बालकृष्ण
१६४, २७०
बालकृष्ण (चंद्रसखी) २७४, २७७ २७८, २७६
२८१, २८७, २८८
६६
२७३
२६८
१०६
२३६
३०२
१६०
१४३, १४४, २७१, २७३, २८०
Page #326
--------------------------------------------------------------------------
________________
नाम
भगवद्दास
भगवान
चीठल
चील्हा
बुद्धिविजय
बुधानन्द बोपदेव
वगसेन
वसीधर
वसीलाल
भ
भक्तिलाभ उपाध्याय २६६, ३०० भगवतीदास
७०
१००, १४७
२६४, २६६, २६८, २७०,
२७१, २७७
भट्टोजी भट्ट भइली
पृष्ठ संख्या
२६ε
१६८
भद्रबाहु
भद्रसेन
भगवानसखी भगवानभोजक भट्टाचार्य
भट्टाचार्य शिरोमणि ७१ भट्टोजी दीक्षित
२४०
२७०
७३, १७७, १७८,
१७२
भाकड मुनि ?
भाग्यविजय
भानुचंद्र
२६६
२६६
२८२
२६३
३६, १४७
३७, ३८, ४०, ७६, ७७,
=३
३७
१८७
५, १८०
२००
११=
१५८, १६४, १६५
भरत
भर्तृहरि भवानीदाम पुष्करणा १२३
भवानीदास व्यास २४५ भवानीनाथ
२५२
२६२
( १० )
१६६
११५
नाम
भानुजी दीक्षित भानुदत्त मिश्र
भानु पण्डित
भामह
भारवि
भावचंद
भावनरत्न
भावप्रभ
भावमिश्र
भावविजय
भावशर्मा
भास्कर भास्कराचार्य
भास्करानन्दनाथ भास्कर शर्मा
भीखम
भीम
भीष्म
भुवनकीर्ति
भूधरढास
भैरवमिश्र
भोज
भोजदेव
भोलानाथ
म
मगनीराम
पृष्ठ संख्या
मम्मट
मतिकुशल
८७
१४७ १४८, १४९
११=
७६
१२८, १२६
२४६, २४७
२०६
२२६
१७३
२५१
१७७
१२, १११, १२१
११३, १२०
३४
६६
२७५
१६६
७७
१६३
१५५
७
२५३
६८
१२३
१४४, १४७, १४६, १५६ १६६, २५४, २५५, २६० २७३, २६७, २६८
मजीद्विवेदी भीमजी सुत २२
मरिणत्थाचार्य ?
११४
१४६
११५, २०१, २०२
Page #327
--------------------------------------------------------------------------
________________
-
-
-
नाम
पटनाया
नाम
पृष्ठ सल्या
महेश्वर कवि महन्प्रभ महेन्द्रमूरि महश्वर माइदाम मार मागरमा माणिक्यमूरि माणिस्चसुन्दर माधव
११३, ११६ १६४ १४२
دی ۶
१३४ २४० ३७, ७२, १२, ११८,
११६, १७५, २२८
७६
माधत्र प्रमात्य माधवभट्ट माधवाचार्य माधो माघोदाम
मनि-गगन जयावर शिष्य मनि-मागर मनिमार मनिमन्तर
२१८ मविगेटर मदनपान मधुमदन भट्ट मनस्प मनसाराम २६८ मनीरान
१५१ मनोहरदान ७,८७,१८१ मनोहरटान निरजनी ६६ मनोहर शर्मा १०५ मलयगिरि १८१.१२.१५, १६.. मलूकदाम ०६७६१ मल्लिपेग मूरि मल्लीनाथ १२६, १३०, १३८ महमद महाचार्य (?) 38 महादान भाट महादेव २१, २२, ३७,६६,६६,
१०८, ११०, १२०,१४७ महामुद्गल भट्ट २,१३ महाराउ लखपति ०२७ महामिव लेखक १२३ महानपण काश्मीराम्नायी ८५ महिमोदय ६३, १०६, २२५ महिराज २५२, २५३, महीदास ८१, ८२, ८, १०७, महीधर ३१, ४०, १४१,
३१, ७२, ६६ २५४, ०५७, २६५ २१८, २६५, २७०,२७१, २७२, २७, २८१, २८३, २८५, २६३ २३१,२६६ १७५
१०
१६७, २६५, २७२
माधोदाम कपूर मान कवि मानजी मुनि मानतुग सरि मानदास मानदेव सूरि मानसागर मालदेव मालमुनि मीनराज मीरां
१३
६८, १६८, २२१ १२०, २०६ १६३ ११६ २६७, २६६, २७०, २७१ २७२, २७३, २७८,२७५, २७६, २७७, २७८, २७६, २८२, २८३, २८४, २८६ २८७, २८, २६३
Page #328
--------------------------------------------------------------------------
________________
( १२ )
नाम
पृष्ठ सख्या
नाम
पृष्ठ संख्या
४, २५, ३६
याज्ञवल्क्य योगीन्द्र योगेन्द्रदेव
६८
मेघराज
मुक्तकवि मुक्तिनिधान १६४ मुकुन्दकवि
२११ मु जादित्य १००, १०६, १२० मुनिचद सूरि १८६ मुनि शेखर मुरलीदास २६८, २७०, २८४ मुरारीदास
२७२ मूलऋपि १६६ मेघमुनि २६६
१००, १११, २०३, २०७ मेरुतुग शिष्य १८६ मेरुनन्दन उपाध्याय २५१ मेरु विजय २६२ मेरु सुन्दर ६८, १८७, १८६, मोडू गोदड़ २६२ मोतीराम १२० मोहननद मोहनदास मिश्र ११३, १३५ मोहन विजय २००, २०१, २१४, २१७ मौजीराम २६४ मंगलधर्म मंगलमाणिक्य १६४ मंछाराम सेवक १२२ मडन मूत्रधार १६४
१६०
रघुनाथ ४, ८, ३६, ३८, ४६,
७५, ७६, ८४ रघुनाथ नागर ८२ रघुराम
३७, ३८, १६६ रघुपति
२१७, २६७ रघुलाल
२५१ रजब
१६३ रत्नकठ राजानक १३६ रत्ननाथ (सुरतवासी) ७० रत्नप्रभ
१८३ रत्न सुन्दर २२५ रत्नशेखर १८४, १८५, १८८, १६०, २४७ रत्नाकर, पौण्डरीक याजि ४४ रतन बाई २६४ रतनविमल १६३ रतनूवीरमाण रतनूहमीर ८६, २३५ रविधर्म
१४५, १४६ रविसागर
२४३ रसिकराय २३० राघवभट्ट राजऋपि ६७ राजकवि
१५५, २८६. २६० राजकुशल १६६ राजकु डकवि
१४७ राजपाल राजमल्ल
१६१ राजवल्लभ
यदुनाथ यगोविजय १८२, २२६, २६६ यशोविजय उपाध्याय ७०, १८६ यशः पाल
१३४ यादव
२१५
Page #329
--------------------------------------------------------------------------
________________
( १३ )
-
- नाम
पृष्ठ संख्या
नाम
पृष्ठ संख्या
२४६
१५१, १५२ ४० १७५ २२७
२६१ २२१ १६४
रुद्रट रुद्रधर रुद्रभट्ट रूपऋषि रूपगोस्वामी रूपचद्र रूपनयन रूपसिंह रूप सेवक रूपोकवि रैदास रगकलश रगदास प्राग्वाट
७, २५२, २६२ १७४ १५६ २५६, २८६ २५२ २१०, २६८ २६६ १६
लखपति महाराउ
राजशेखर १२८ राजशेखर सूरि राजसमुद्र राजसिंह राजसुन्दर राजसोम पाठक २६१ राजहृदय २०४ राजर्षे
२६२ राजो
२५१ राम
१३,४३, ४६,६५,११२, १५१ रामकृष्ण ३, ६, ६, १०, ३८,६४,
६५, ६६, ६६,७० रामचरन
६४ रामचंद्र २०, २२, २८, ४२, ७०,
७५, ६३, १०१, १०४,
१२१,१२६, १४१,१७४, १८६ रामचद्र सोमयाजी ११८ रामचद्र मिश्र केशवदाससुत १७४ रामचद्रयति १७४ रामचंद्राश्रम ८३, ८४ रामदास
६३, २६५, २६८, २८२,
२८३,२८६ रामदासदीक्षित १३५ रामदेवज्ञ १०६, ११०,११३ रामभट्ट राममुनि
२६० रामवाजपेय रामविजय उपाध्याय २०२, २६२ रामाश्रय
४०, ८३, ८४ रामानंदसरस्वती . १६ रायचद
१६८ रावण
७६
लघु?
२२७ २७४ २६८
लघुकेसो लघुपण्डित लच्छीराम लक्ष्मणमुनि लक्ष्मीकीर्ति लक्ष्मीकुशल लक्ष्मीरल लक्ष्मीरतन लक्ष्मीवल्लभ लक्ष्मीसुन्दर लक्ष्मीसूरि
२७३, २७४,२७८, २८७, १८१ २२० २०६, २६० २६१, ३०० १६८ १७१, १८०, २२० २६८ १८६, २६३ २११,२१२ २५४ ६७, १८, १२१ २०१ २२७
२१
लक्ष्मीहर्ष
लधो लब्धिचंद्र लब्धिरुचि लब्धिविजय
Page #330
--------------------------------------------------------------------------
________________
( १४ )
नाम
पृष्ठ सख्या
नाम
पृष्ठ संख्या
११५ १५१, १७०, १७१
लब्धोदय ललित सागर लागा मैडू लाभवर्धन लालचद लावण्यकीर्ति लावण्यसमय
७१
१७४ ३, १४० २८१ २२, ७१, १२, १३६
लीलो लोकनाथ लोलिबराज
विजय
२००
वसतराज २२५
वाग्भट
वाचस्पति भट्टाचार्य २३६
वात्स्यायन २२०, २२१
वादिवागीश्वर ११४, २४३, २६४ २३०
वानर्षि
वामन २२२, २३०,२५४, २५७ २६४,२६८
वाल्मीकि
वासदास .२५८
वासुदेव भट्ट १७३ १७५, १७६, १७७
विजयदेवसूरि विजयभट्ट
विजयविमल १६ २६६
विजैराज १३
विट्ठलदीक्षित २६५
विद्यातिलक
विद्यादास :६०
विद्यानन्द १६४,१६६
विद्यानन्दनाथ विद्यारण्य विद्यारग विद्याविलास
विद्यासागर ७०,७६, ७८
विनयकुशल ७४,७६, ८३
विनयचद
विनयविजय १०६, १०७, ११३, ११५ १२, ५५, ५७, ६६, ६६, विनयसागर १४२
विनयसुन्दर १, ३, ८, ६, ११, १२,
- ११, १२, विनैचद १७, १८, ६४
विमलमूर्ति ६८
विमलसूरि
व्यास व्यास उपमन्यु व्यासदास वृद्धवसिष्ठ वृद्धविजय वृन्द वत्सराज वत्सराम वर्धमान वरदभट्ट वरदराज वररुचि वराहमिमिर वल्लभदीक्षित
२२५ २६६ १८८ २१६ २२, २४, ४६ ७१, ७२, १८६ २७२ २६, ६६ ३५ ६४, ६५, ६६, ७० २६६
१८५
१४ २४१, २४६ २३३ २११, २२६,२५७,२६२, २६० १४१ २२६ २५५ २०८ १३५
वल्लभाचार्य
वसिष्ठ
Page #331
--------------------------------------------------------------------------
________________
( १५ )
-
-
नाम
पृष्ठ संख्या
पृष्ठ सख्या
वैद्यनाथ वंगदास
३७, ७५, ६६, १४६
३८ २५४
६४
विल्ह विवृतिभट्टाचार्य विसराम विष्णु विष्णुदास विष्णुपुरी विष्णुशर्मा विश्वनाथ विश्वनाथ दैवज्ञ विश्वशंभु विश्वामित्र विश्वेश्वर विश्वेश्वर (जनार्दन ?) विश्वेश्वराश्रम विशालि विज्ञानेश्वर विज्ञानेश्वर-हरिहर वीरचंद वीरचंदमुनि वीरदेवगणि वीरभद्र वीरमुनि वीरविजय वीरोविप्र वेंकटेशशिष्य वेणीराम वेदमिश्र वेदव्यास
१६७, २६८
स्वयंप्रकाशेन्द्रसरस्वती ४४ ४७ सकलकीर्ति
१६८ २४२ सकलचद्र
२१६, २२६, २६६ ४३, ६३, ६८, १००, सच्चिदानदनाथ ३१ ११४, १२०, १२१ सच्चिदानद सरस्वती ६५
सतोदास सदानन्द
६६, ८४, २६६ १२, १३ सदाराम
२६६, २८१ . ३६, ६४, ६६
सदारगशिष्य १८६ सदाशिव
६, १०४ समधर कवि
२६० समयरंग
२५६ ३६, ४० समयसुन्दर
१२४, १२८, १३६, १५३, ३६
१५४, १५५,१६६, १८१, २४२
१८२, १८३,१८५,१८६, १६८
२००,२०२, २०४,२०५, २४४
२०६, २०७,२०८,२१०, १८०
२१५, २१६,२२३, २२४, २०२
२२८,२३८, १५२, २५३, २०८, २३०
२८६,२६०,२६१,२६२, २२६
२६७, ११६ समरकीर्ति
२४३ २५६ समरसिंह
१०० सर्वाणन्दसूरि २११
सर्वेश्वर १३, २६, ५७, ५८, ५६,
५१ ६०, १३५ १३६, १३७, सहजकीर्ति
७३, २६४, १३८,२८३ सहजसुन्दर
१६६, २०८,२१७,२३०,
२६८ सहजानन्द स्वामी १०६, १६४ सहदेव
१४१
६६
वेदांगराय वेनभट्ट वैजल भूपाल
६.
Page #332
--------------------------------------------------------------------------
________________
( १६ )
नाम
पृष्ठ सख्या
नाम
पृष्ठ सख्या
सुमति विजय सुमतिहर्ष सुमतिहर्ष दत्तशिष्य
सागरचंद्र साधुसुन्दर साधूरामसेवक साधुरग सामत समलदासकवि सामलदासभट्ट
१०३ ७३, ७५ १२३, २६२ १८४ १०१, २६१, २०६ २३७, २३८, २४२, २४३, २४६, २६३ २, ३, ७,७१, १८४
१४० ६२, १०१ १४२ २७२ २७३, २८८ २१७
सारगकवि
सिद्धसेन . सिद्धान्त-पचानन
सुरदास सुरविजय सुरेश्वराचार्य सुश्रुत सूर्यकवि सूर सूरकिसोरमुनि सूरचंद्र सूरत सूरतमिश्र सूरदास
७१
७४
१४२
महोपाध्याय सिद्धान्तवागीश सिवदान सिंहकुशल सिहदेव सीतलदास सीताराम सुखदान सुखदास सुखदेव सुखलाल सुखस्याम सुखानन्द सुखेन(सुपेण) देव सुन्दरकुंवर सुन्दरदास
२०६ १५१ २७३ १७२ १४० २८३ २७८, ३०० २६८ २६५ २७६
१७० १४० २६६, २६८, २७५, २८१, २८३, २८५ २६४,२६५, २७२,२८४, ७६,१८५ १२३ १४५, १४६ २६४, २६५, २६६, २६७, २७१, २७२, २७४, २७६, २७७, -७८, २७६, २८०, २८२, २८६, २८७, १६६, १७, २५२ २१६ ३००
६६
सेवक सेवक रत्नसूरिशिष्य सेवग सोम सोमजी सोमकीर्ति सोमचद्र सोमतिलक सोमप्रभ
२६५
२४३
१२४
६५, १५२, १५३, १५५, १५६ १६२, १६४,१६६, २१३
५, ७३, १४२, १६५, १६७,
२५६
सुन्दरसूर सुधाकलश सुभटकवि सुमतिसुभ (2) सुमतिप्रभ
१३२
सोमविजय सोमविमल सोमसुन्दर शिष्य सोमसूरि सौभरि
२२६ १७६, १८८ १८७
११६ १६०
Page #333
--------------------------------------------------------------------------
________________
( १७ )
नाम
पृष्ठ संख्या
• नाम
पृष्ठ संख्या
सौभाग्यशेखर सगमकवि संघदासगणि सवेगसुन्दर
_i
२१८ २४६ २२७
१४०, १४१, १४५ ६४, १७१, १८१
१२६
२६१
श्यामगुलाब श्रीकंठ श्रीचद श्री तिलक श्रीदत्त श्रीधर
शंखधर शभुनाथ (महादेव) शय्यम्भव शाङ्गदेव शाङ्गधर शांताचार्य शातिकुशल शांतिचद्र शांति विजय शांतिसूरि शांबमतिवर्धन शालिभद्र शिवचंद्र
१४८ १६० १८५
१७२, १७७, १५८ १७६ २६६,२६७ ५, १८१ १८८ १८६, २६३
ser
३६
४१,५६, ५७, ५८, ५६,
श्रीधराचार्य श्रीधराश्रम श्रीनाथव्यास श्रीपति श्रीपति (बद्री) श्रीपति भट्ट श्रीभट श्रीमुनि श्रीसार
४१, ६३, ६४, ६८ ४३ १५८ ६२,६८,६६,१०० २६७
२११ १४१, १४७, २५२, २५३, २५७, २५६,२६१, २६३, २८३, २६८ २६३ २६६ १३६ १३१, १६० ३८, ५१
२६७, २६८, २७४, २७६
७२
१५३, १५४, १६४,२१५ २५३, २६४, २६५,३०१ १३६ १३३, १३४, १३५ १६६ ४०, ८४, २५७, २६१
शिवचदसेवक शिवचदपाठक शिवदास शिवनिधान शिवराम शिवशर्मा शिवादित्य शिवानन्द शुभचंद्र शुभवर्धन शुभविजय शुभशील शेष शेपचक्रपाणिपण्डित शोभन
श्रीवल्लभ श्रीहर्ष श्रुतसागर शङ्कर शङ्करदत्त शङ्करभट्ट शङ्करसूरि शङ्कराचार्य
२५१ २४८ ११८
२६२
४६
२४४
१७७ १३२ १, २, ३, ४, ५, ६, ७, १०, ११, १२, १५, १६, १६,४०,४५, ५६, ६४, ६५, ६६, ६७
हयग्रीव
Page #334
--------------------------------------------------------------------------
________________
नाम
पृष्ठ सख्या
.
नाम
पृष्ठ सख्या
हर्पकोति
२, ६, ७५, ८०, ८६, हरिहर १००,१६७,१७३,१७४,
हलायुध ३००
हीरकलश ७७, २१६ २६० २६६ २१७ २०२ २८६
हर्पकुल हर्षकुशल हर्षधर्म हर्षनिधान हर्षमूर्ति हसागर हरजीजोशी हरजीत हरदास हररूपसेवक हरि हरिचरन दास हरिदत्त
२४१
६७
हीरकुशल हीरसूरिशिष्य हीराणदसूरि हुलास
२१, २५, ४०,४६, १४५, १४६ २७, १०२, १०६,,१२३ १५६, १६४,१६८, १६३, १६४,२०३, २८७,२१४, २१५, २१७, २२७, २२८, २३३, २३५, २५१,२५२, २५५, २५७, २५८, २६०, २६२,२६३, २६२,२६५, २६६, २६७, २६६ । २६८ २५३ २२१, २२२, २५५ २३६ २६७, २६८ १४, ६८, ७६, ७७, ३, ८४,८५,८६, ८६, १६३, १७६,१३,१८८,२४२, २४३ ६१,६७ १६६, २१६ ।
२८६, २६६ ११०, २६८, २७२, २६६
स, ८६, १४३, १४६, १४७, १५०, १६६ ४३,८८,६७,१०६, २८५ १४, ५३, ५६, २५५, २८०
हेमचन्द्र
हरिदास
७६
हरिदीक्षित हरिदेव हरिनाथभट्टाचार्य हरिपडित हरिभट्ट हरिभद्र
११८ १५४ १०१ ७१, ७२, १६८, १८७, १८, १६०, २४४,२४८ ६६
हेमप्रभ हेमरतन हेसविमल हेमसूरिशिष्य हेमहस हेमाणन्द हेमाद्रि हसकवि हसराज
१६० ६२ १६८, २२३ ३६,४६ २३६ १२५, १५६ १७३,
૨૨
७६
हरिभानु हरिराम हरिरायजी हरिवल्लभ हरिवंश हरिश्चद्र मुनि हरिशर्मा हस्तिरुचि
१८८ १८६
क्षमाकल्याण
१८८, १८६, १६१,२०४, २४५ १८७
४१
१७७
क्षमाप्रमोद क्षीरस्वामी
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नाम
क्षेमेन्द्र
क्षेमकर
त्र
त्र्यस्वकपण्डित
त्रिमल्लनन्दी
त्रिमल्लभट्ट
त्रिलोचन
त्रिविक्रम भट्ट त्रिविकमदैवज्ञ
पृष्ठ संख्या
७८, ७६
२४८, २४६
३६
३८
१७२
२६७
१०१, १०८, १३२
६६
( १६ )
नाम
ज्ञानचंद्र
ज्ञानद (लु कागच्छीय)
ज्ञानदेव
ज्ञानमेरु
ज्ञानविमल
ज्ञानसमुद्र
ज्ञानसागर
ज्ञानशील
ज्ञानेन्द्रसरस्वती
पृष्ठ संख्या
२०८, २२५ २१६
२६७, २६६
१६६
२५४, २६२
२६१
१६५ १६६, २०६, २११
२२३, २१४, २२४, २२६
२२८, २६२
२२६
८२
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला के कुछ ग्रन्थ
प्रकाशित ग्रन्थ
सस्कृतभापाग्रन्थ-१. प्रमाणमञ्जरी-तार्किकचूड़ामणि सर्वदेवाचार्य, मूल्य ६०० । २. यन्त्रराजरचनामहाराजा सवाई जयसिंह मूल्य १.७५ । ३. महर्षिकुलवैभवम्-स्व० श्रीमधुसूदन श्रोझा मूल्य १० ७५ । ४ तर्कसंग्रह-प० क्षमाकल्याण मूल्य ३०० । ५. कारकसम्बन्धोद्योत-प० रभसनन्दि मूल्य १.७५ । ६. वृत्तिदीपिका प० मौनिकृष्ण मूल्य २.०० । ७. शब्दरत्नप्रदीप मूल्य २.००। ८ कृष्णगीति-कविसोमनाथ मूल्य १७५ । ६. शृङ्गारहारावलि-हर्षकवि मूल्य २७५ । १०. चक्रपाणिविजमहाकाव्य-प० लक्ष्मीधरभट्ट मूल्य ३.५० । ११. राजविनोद-कवि उदयराज मूल्य २ २५ । १२. नृत्तसग्रह मूल्य १७५ । १३. नृत्यरत्नकोश, प्रथम भागमहाराणा कु मा मूल्य ३ ७५ । १४. उक्तिरत्नाकर-१० साधुसुन्दर गणि मल्य ४७५ । १५. दुर्गापुष्पाजलि५० दुर्गाप्रसाद द्विवेदी मूल्य ४ २५ । १६. कर्णकुतूहल तथा कृष्णलीलामृत-भोलानाथ मूल्य १५० | १७. ईश्वरविलासमहाकाव्य, श्रीकृष्णभट्ट, मूल्य ११.५० । १८. पद्यमुक्तावली- कविकलानिधिश्रीकृष्णभट्ट मूल्य २०० । १६ रसदीर्घिका, कविविद्याराम मूल्य २.०० ।
राजस्थानी और हिन्दी भापा ग्रन्थ-१ काडदे प्रबन्ध-कवि पद्मनाभ मूल्य १२ २५ । २ क्यामखारास कवि जान मूल्य ४.७५ । ३. लावारासा-गोपालदान मूल्य ३ ७५ । ४ वाँकीदासरी ख्यात-महाकवि वांकीदाम-मूल्य ५५०। ५ राजस्थानी साहित्यसग्रह भाग १, मूल्य २२५ । ६ जुगल-विलास-कवि पीथल मूल्य १७ । ७ कवीन्द्रकल्पलता-कवीन्द्राचार्य मूल्य । २०० । रा. पु म के हस्तलिखितग्रन्थों की सूची माग १ मूल्य ७५० ।
प्रेसों में छप रहे ग्रन्थ
सस्कृत भापा ग्रन्थ-१ त्रिपुराभारतीलघुस्तव-लघुपडित | २ शकुनप्रटीप-लावण्यशर्मा । ३ करुणामृतप्रपा ठक्कुर सोमेश्वर । ४. बालशिक्षा व्याकरण-ठक्कुर सग्रामसिंह । ५ पदार्थरत्नमञ्जूषा, प० कृष्ण मिश्र । ६ काव्यप्रकाश-सकेत-मट्ट सोमेश्वर | ७ बसन्तविलास फागु । ८ नृत्यरत्नकोश भाग २ महाराणा कुमा। ६ नन्दोपाख्यान । १० रत्नकोश । ११ चान्द्रव्याकरण आचार्य चन्द्रगोमि । १२ स्वयभूछद-स्वयभू कवि । १३ प्राकृतानद-कवि रघुनाथ । १४ मुग्धावबोध श्रादि श्रौक्तिक संग्रह १५ कविकौस्तुभ-प० रघुनाथ मनोहर । १६ दशकण्ठवधम्-प दुर्गाप्रसाद । १७ बृत्तजातिसमुचय-कवि विरहाङ्क। १६ कवि दर्पण श्रद्दात कर्तृक ।
राजस्थानी और हिन्दी भापाग्रन्थ-१ मुहता नेणसीरी ख्यात-मुहता नेणसी। २ गोरावाटली पदमिणी चऊपई-कवि हेमरतन । ५ चन्द्रवशाली-कवि मोतीराम । ६ राजस्थानी दहासग्रह । ७ वीरवाण-ढाढा बादर ।
इन प्रन्योंके अतिरिक्त अनेकानेक सस्कृत, प्राकृत, अपभ्रश, प्राचीन राजस्थानी और हिन्दीभाषा में रचेगये ग्रन्थों का सशोधन और सम्पादन किया जा रहा है।
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