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क्रमांक ग्रन्थाक
४२ १६५ धातुतरंगिणी
४७
ग्रन्थ नाम
४३
४४ ३३६२ | घातुमंजरी
४५ ३४०० धातुमंजरी
४६
४६१ | धातुपाठटिप्पण
५१
२४३५
४६
४८ १६६४ | परिभाषेन्दुशेखर ४५५ | पाणिनीयधातुपाठ ४२६ | पाणिनीयव्याकरणसूत्र
५०
पाठ
१६०७ | पाणिनीयव्याकरण
काशीनाथ
२६६७ | धातुरत्नाकर ( धातुपाठ, साधुसुन्दर क्रियाकल्पलताका (सहित) उत्तरार्द्ध
पंच संधिव्याख्या
५२
सूत्रपाठ ३०८५ | पाणिनीयसज्ञाप्रक्रिया ५३ | ३५८३ पाणिनीया परिभाषा ५४ | ११७६ | पातजलमहाभाष्य
५५
१६६० प्रक्रियाकौमुदी ५६ | १६१२- प्रक्रिया कौमुदी
व्याकरण ग्रन्थाः
५७ २४३० प्रक्रियाकौमुदी ५८ ३५७६ प्रक्रियाकौमुदी ४३८ | प्रक्रियाकौमुदीवृत्ति
५६
कर्त्ता
कीर्ति
रघुनाथ
वैद्यनाथ
पाणिनि
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पतञ्जलि
रामचंद्र
"
रामचद्राचार्य रामचद्र
कृष्णभट्ट
भाषा
संस्कृत
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39
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"39
35
33
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39
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लिपि -
समय
१६५५
१८वीं श.
१७४६
१८वीं श.
१७६७
१८वीं श
१७३४
१६वीं श.
१६वीं श.
पत्र
संख्या
६६
८
२८
२०
१६४
१८६४ | १२४
१८वीं शः
२१
१८२८
२७
१६३६
१७२३
३८
२५
२
४
१७३६ | २१४
६१
६३
१६३१
६६
१८वीं श.
८५
१८वीं श. ३६७
विशेप
स्वोपज्ञ सारस्वत
धातुपाठ की वृत्ति ।
[ ७५
पत्र ५,६ अप्राप्त । नागपुर में लिखित |
खडेलवाल वंशीय मसिह की प्रार्थना से रचित |
राजनगर मे लिखित
रचना सं० १९६८०
कर्त्ता वृद्ध निगम
वास और विनायक
के
पुत्र थे 1
पत्र १ से २४ प्राप्त
"3
तृतीयाध्याय - प्रथमपादपर्यन्त । सुबन्तपर्यन्त । सुबन्तपर्यन्त । भुजनगर में लिखित आद्य
और अन्त्य पृष्ठ सुन्दर शोभन है । सुबन्तपर्यन्त ।
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