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-~~ सुभाषित-प्रकीर्णादि ... -
[ १५५०
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
___कर्त्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय । संख्या
विशेष
३५६७ कवित्त-पद दूहा
(१४)
रा० १६वीं श १२६
१३१ वहि०
०वीं श
१६वीं श, ६ पत्र ३, ४था अप्राप्त रा० | १८५७ १० । रचना सं० १७४८। क्र. १६वीं श. ६५-६६
| २८८५
| २३१८ कवित्त प्रासंगिक | २३५६ । कवित्त फुटकर पत्र २१८२ कवित्तबावनी
कवित्तवावनी ११२२ कवित्त सवैया
(४) । १८८२ | कवित्त ३
(००१) ४४ १८८२ कवित्त
(१६७)
राजकवि जिन
"
", |१२६वां
"
"
जगन्नाथ किशोरदयाल दामोदरदास, तुरसी
| ५ वें कवित्त में १०८ छत्तीस रागों के
नाम हैं।
४५. १८८२ | कवित्त
(१६५) | १८८२ / कवित्त संख्या २३ |
सुन्दरदास
१०४ ",६५सेहत
(१६३)
२३३६ कवित्त फुटवर ३०१६ कवित्त सवैया २३१६ कवित्तसंग्रह २३४०
| कवित्तसंग्रह १८६८ कवित्तसंग्रह २२६६ | कवित्तसंग्रह
कवित्त सुभाषित
आनंदघन
२०वीं श १८वीं श २ | १८६४ १४ कृष्णगढ़ में लिखित । २०वीं श
अपूर्ण। १८वीं श, ३० | अपूर्ण। २०वों श १२८
प्राय. आध५पत्र
अप्राप्त । रा० २०वीं श. १२-१६ सं० १६०५ में रचित
भूधरदास
३५६२ कायानगर को कागद
| कुण्डलिया
कुण्डलियाबावनी ५७ | २३७४ क्षमाछत्तीसी
| गिरधर वहि० १८६४ धर्मवर्द्धन राज० । १८०७ समयसुन्दर | रा०गू० १६वीं श
६ | अजमेर में लिखित ।
| रचना सं० १७३४। से३१)
| क्षमाछत्तीसी
"
"
२०वीं श.६१-६७) नागोर मे रचित ।