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________________ १५६] राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर - - - - - क्रमांक ग्रन्याल प्रन्यनाम कर्ता | भापा | लिपि- पत्रसमय | संख्या । विशेष ५६ | १८६६ गंगजी के कवित्त आदि बहि० १६वीं श. १५-२२ ६० ३२०२ गाथाकोप (सप्तशती) | टी. दिवाकर- मू. प्रा. १७वीं श| ४० अहिपुर में लिखित । सटीक दास टी. स. गाथासाहस्री . प्रा. स. १६६५ ३२ ३५६२ गुणसागरप्रय (पद्य) १९६७ | २१-३४ जोबनेर में लिखित। घोडावर्णन तया वर्षा " १६वीं श. ३०-३१ जीर्ण प्रति वर्णन दूहा चौरासी सीख, प्रास्ताविक श्रादि गुणसागर | व्र. हि. १९४१ । १४ । प्रयन पत्र अप्राप्त । छुटक दूहा रा० १६वीं श ३ जसराजवावनी जिनहर्प प्र.हि. " ६ सं. १७३८ में रचित । ३६८५ जिनरंगबहुत्तरी जिनरंग २८३२ ज्ञानपच्चीसी वनारसीदास १७७४ गुटका। छपे ३६७० २०१६ ज्ञानपंचाशिका हंसराज " १६वीं श. १-५ हसराज ज्ञानवावनी मानसागरपथ " | १८५८७मानकुत्रा में लिखित । हि० | १८२४ | १-६० (७ कबीर | ११२२ टाकरपचीसी टाकर (१) रा० गू० १६वीं श. ७ यां । (१२) २१८ तरकचिन्तावणी सुन्दरदास ७० " १०-१२ | २२६२ पति वाक्यविलास गुपालकविहि . १६३२ ५२ | वृन्दावन मे रचित, अन्त्य ५१-५२ पत्रों में प्रथ की विस्तृत विपयसूची लिखी है। ७६ ३५६५ दादूदयालजी की वाणी | दादूदयाल " १८वीं श. १-२५२ ७७ १८७२ दादृवाणी 5 । ३५७३ घटा रा० " केसरसिंह जतायत ६६ गुटका । १ वां जीर्ण प्रति। - - - - - -
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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