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- ज्योतिष-गणितादि
[११७
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कर्ता भाषा
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
विशेष
लिपि- | पत्रसमय | संख्या
ग्रन्थनाम
काशीनाथ
५५६
३७३६ शीघ्रबोध ३८१४ शीघ्रबोध
५५७।
संस्कृत | १८३८ | २७ वीदासर में लिखित , १६वीं श. २७ अंत्य दो पत्रों में द्वाद
शभावफल लिखा है सं.अ.रा.| १६०० | ५१ | चूरूनगर में लिखित
, १६वीं श. ८८ पत्र ७६वां अप्राप्त : सं.रागु. १७वीं श. १६श्वां
२५५७ / शीघ्रबोध सार्थ - ३१२१ शीघ्रबोध सार्थ | २८६३ | शुक्रास्तोदयविचार (१०७) २००६ श्रीपतिपद्धतिटिप्पणक २८६३ श्वानचेष्टाविचार
USO
सं० १७८७ ३५ रागु०१७वीं श १४३-१४३ वां पत्र का
१४४ थोड़ा भाग त्रुटित है
५६३
पृथुयशा
मांडवी में लिखित
५६५
५६६
५६६
३८०६ १७५१
प्रथम पत्र प्राप्त
२८६३ श्वानशकुनविचार
, १७वीं श| १४०६५६ पटपंचाशिका ५६४
सं. १८४८ ३ ६७३ पटपंचाशिका
१६वीं श. ४
१७३२ । । १२२६ पटपंचाशिका ५६७ ३७३८
१७६१ पट्पचाशिका षट्पंचाशिका
१७७० पटपंचाशिका सटीक पृथुयशा
टी० उत्पलभट्ट षट्पंचाशिका सटीक | पृथुयशा
१८४४ टी०उत्पलभट्ट षट्पंचाशिका सटीक पृथुयशा
१७५४
टी०उत्पलमट्ट ३४४७ पट्पचाशिका मवालाव. पृथुयशा संवा०१८वीं श. बोध
रागु० पटपंचाशिका सार्थ
सं०अ०
वहि० ३८०७ पटपचाशिका सार्थ
सं००
५७० ! २५
।
५७१ । २५
ट
५७२
| ३७३०
लयां मे लिखित ।
७४
नागोरनगर में लिखित ।
३३७४
पटपंचाशिका सावचूरि
पंचपाठ ५७६ ३२५१ षड्बलवार्ता
१७७६
श्रीपति पद्धतिटीका के आधार से रचित पत्तननगर में लिखित