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११८]
राजस्थानपुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता । भापा
लिपि- पत्र समय | संख्या
विशेप :
सं०
१८२०
६ मांडवी वन्दिर में
लिखित।
" १८वीं श
५७७ १७७६ | पड्वर्गफल
३१३७ | पड्वर्गफल ५७६ | ३७७१ | पड्वर्यफल ५८० ६०१ | पषिप्तवत्सरफत ५८१ ६५४ पष्टिसंवत्सरफल
पोडशयोगवर्णन सटीक
१० हिल्लाजजातकगत
रा. गू०१८वों श
" | १८७१ सं० १९८२
५८२ | १७७३
भुजनगर में
लिखित ___E नागौर मे लिखित।
| ३८०८ पोडशयोगविचार तथा
गुरुचार ६ सकेतकौमुदी
हरिनाथ भट्टाचार्य
५८५ २५४३ / संक्रान्निफल
३५०४ | संक्रान्तिफल ३८०४ | सकान्तिफल आदि
रा० गू० १७५४
स० १६वीं श. सं०रा० १७३.
५ कुवडा ग्राम में
लिखित ।
रा. गू०१६वीं श
२५४० | संक्रान्निफल तथा
पूनमविचार ३२१७ | सज्जनवल्लभ | २६२६ संज्ञाविवेकविवृति
भानुपंडित माधव
| सं० १६१३
"१वीं श
१४ | वांकानेर में लिखित ४४ | अपूर्ण। नीलकठकृत
ताजिकग्रंथ के संज्ञाविवेक नामक प्रथम प्रकरण की टीका है।
989
सन्तानदीपिका समरसार
१८०८ १८३६
५६३ । २१३ समरसार सटीक
" १६वीं श
४२
रामचन्द्र सोमयाजी रामचन्द्र सोमयाजी टी० भरत रामचन्द्र सोमयाजी टी० भरत
| समरसार सटीक
|
२६ | ग्रन्थ का मुख्य विषय
युद्धजयोपाय है टीका कार मूल ग्रन्थकार का छोटा भाई है।