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ज्योतिप-गणितादि
[११६
__ क्रमांक ग्रन्थाङ्क
ग्रन्थ नाम
कर्ता
भाषा
लिपि- पत्रसमय । संख्या
विशेष
५६५ २६२५
समाविवेक विकृति
माधव
सं०
१८वीं श
| अपूर्ण, नीलकंठकृत ताजिकग्रंथके समाविवेक नामक द्वितीय प्रकरण की टीका
५६६ / १४६ सर्वार्थ चिन्तामणि
६३३ सहमफलस्पष्टाध्याय ३२३६ सहमानि ३२६४ सवत्सरसार ३१६६ । संवत्सराचानयनविधि २५५६ साठसवच्छरदोहा २८३७ साठसवच्छरफल
साठसवच्छरफल
बँकटेशशिष्य सं० १९.३
रा०१६वीं श स.रा० १७८४
१८१२
१०० चुडा मे लिखित ।
१ २ २२ १३ १२ ४५
१वीं श
६०६
१८६०
६१ | १-२२
५६१ साठसंबच्छरी
१७वीं श. सानुद्रिक
स० १०६ १९८१ | सामुद्रिक
" १८वीं श सामुद्रिक
" | १७७३ ३८०५
" सामुद्रिक
१६वीं श ११३२ सामुद्रिक दोहा चौपाई सुमतिसुम(१) ७० हि० "
३२६०
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अजैलाप के विनो दार्थ रचना
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रा० । १७७४ मू सं वा. १६६८
६२३ | सामुद्रिक भाषा पद्य ८४५ सायति
सामुद्रिक भाषा वंध २५७२ सामुद्रिक शास्त्र गद्य २५६४ सामुद्रिक सवालावबोध ३४५० सामुद्रिक सवालावबोध
सामुद्रिक सवालावबोध १८८६ सामुद्रिक सार्थ
प्रथम पत्र अप्राप्य
मू संवा १७वीं श | रागू० मूस वा १५३१ | रागूः मूस अ. १६वीं श | रा० गू०
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गुटका । ७५ वां पत्र में सामुद्रिक पूर्ण होता है।
| २५३२ सामुद्रिक सार्थ
मूस अ. रो० गुण
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