________________
५६ ]
क्रमांक ग्रन्थाक
६० | २८६२ | ब्रह्माण्डपुराण भाषा तथा पद्मपुराण भाषा
६१ | ३६८६ | ब्रह्मोत्तरखड ६२ | २८२६ | ब्रह्मोत्तरपुराण
६३
१२८ | भगवद्गीता
६४
७४६ | भगवद्गीता
६५
७५५ | भगवद्गीता
६६ | १८७५ |भगवद्गीता (3)
६७ २३७० |भगवद्गीता
(१)
६८ | २३७२ | भगवद्गीता
(१)
६६ | २५६५ | भगवद्गीता
२६०० | भगवद्गीता
७०
(१)
७१ २६०१ | भगवद्गीता
(१)
ग्रन्थनाम
७५
७६
७७
50
७२ | २६०२ | भगवद्गीता
७३ | २८७६ | भगवद्गीता
(2)
७४ ३११३ भगवद्गीता
३३३३ | भगवद्गीता
२५६२ | भगवद्गीता सटीक
हरिदास
२५६४ | भगवद्गीता सुबोधिनी - श्रीधर
टीका सहित
८६२ | भगवद्गीता भापाटीका जसवतसिंह
२=६१ | भगवद्गीताभापावन्ध
(१)
गीतासार
१२७ | भगवद्गीता सभाप्या भा० शकर
७६
८०
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
1
कर्त्ता
भाषा
रा०
""
संस्कृत १८२५ ११७
१८६५ ५७
१७६८ Σε
१७६६ ६३
१८७८
४०
"
"
22
""
39
""
"
"
"
""
"
"
लिपि -
पत्र
समय सख्या
१८०६ २से११३ | गुटका पत्र १०५वां
में संवत् है । स्कन्दपुराणगत
जयनगर में लिखित
संस्कृत
भुजनगर में लिखी
मानक गांव में लिखित १६वीं श. ७७से१८६ गुटका खडित ।
१६०० ११५
१८५७ १२८
१८५६ २३
१८२५ १६
१८२३ | १ से
१८५६ १३ १६वींश. १-१६८
१८वीं श
29
१८४६ टी०प्र० | १८४७ संस्कृत १८वीं श
५८
विशेष
ब्र०हि० १६वीं श.
रा०
१६वीं श.
१६७४ | १६३
४०
गुटका | कृष्णगढ़ में लिखित |
गुटका
लाडणू में लिखित
१६८
४६ टीकारचना पद्यमय है
६०
गुटका । इस गुटका की सर्व कृतियों मे चित्र है । प्रथम पत्र में शोभन है
पत्र ४५ वां प्रप्राप्त
गुटका
पि (ख) रूश्रा नामक गांव में भीम भट्ट ने लिखी ।