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गीत-आदि
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
‘कर्ता
लिपि- पत्रसमय | संख्या
विशेष
प्रन्यनाम
(११)
३५७५
१००
२८६३ | खरतरगुरुनामसंस्तवन हीरकलश | सं० १७वीं श. ४ था | सवत् १६२० में
रचित। २८६३ खरतरादिगच्छोत्पत्ति हीराणंद | रा० गू० ॥ ११४ वां
छप्पय - ३५५० खेतलाजीरो छंद
राज. १६वीं श| ३६-४० गउड़ीपार्श्वस्तवन जिनचन्द्र
रा० गू० , १०१वां सं. १७२०में रचित ।
जीर्णप्रति। ७-२१६० गंगानवक खुसरामव. हि. १९१४ २
कर्ता का दूसरा नाम मगनीराम है, उन्हीं द्वारा कृष्णगढ़
मे लिखित । ७२ / ३५७३ | गजसुकुमालगीत नन्नसूरि रा. गू, १८वीं शः ३३-३४ स. १५६१ मे खंभात
मे रचित । जीर्ण
प्रति। गजसुकुमाल स्वाध्याय गणेशजी, श्यामाजी, | मगनीराम हि० | १६२० १ अंबाजी तथा भैरव की
भारती २३५७ गम्भीरमलजी आदि
, २०वीं श. १६ | फुटकर पत्र । राजकर्मचारियों के
कवित्त २३ / २२४२ / गंभीरमलजीका कवित्त खुसराम
४ | २३५८ | गंभीरमलजी के कवित्त ८५ | २२३२ | गंभीरमलजी को कवित्त | ३५५३ / गाफललावणी विनचंद
श १५७
१५६ | ८४ गिरनार की गजल |
आधोई (कच्छ) में कल्याण
लिखित । सं.१८२१
मे रचित । ८८ | २२६० | गीतसंग्रह
जवानसिंह वहि० २०वीं श. १२ नागरीदास हरिदास
२२७७