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७८]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
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क्रमांक प्रन्याक
ग्रन्थनाम
कर्ता
विशेप
लिपि- पत्रसमय | सख्या |
भाषा
सस्कृत १६वीं श.६
आहिक ७ वां।
आहिक ८ वां अपूर्ण
| १५३८
देव आदि ५० शब्दों की रूपसिद्धि।
१६६० शब्दकौस्तुभव्याख्या कृष्णमिश्र
(भावप्रदीप) १६६१ शब्दको तुभव्याख्या
(भावप्रदीप ) १६१८ शब्दपचाशिका सावचूरि
पचपाठ २३६ शब्दपरिच्छेद १६८७ शब्दप्रभेद दन्तोष्ठय महेश्वरकवि
वकारभेद ऊष्मभेद | १६०६ शब्दशोभाव्याकरण १०६ ३५८१ शब्दशोभाव्याकरण १०७ । २२१ शब्देन्दुशेखरटीकाभैरवमिश्र
१९वीं श. १६ १६वीं श. ४
नीलकठ
१७वीं श. २४ १७५६
सं०१६६३ में रचना स० १६६३ मे रचित । कारकपर्यंत । चन्द्रकलाभिधानाटीका।
१६१० | ३७३
काशीनाथ
१७३६ १६वीं
१८२ १६वीं श
र मे लिखित
१.८ २७७ शिक्षाज्योतिषपिंगलादि २०६२४४३ शिशुवोध ११०३५८९ पटकारकप्रक्रिया
३५ समासप्रकरण ११२ १६ समासवाद २६४६ सस्कृतप्राकृत उक्ति
समास (फोटोकापी) सस्कृतमञ्जरी
१११
५
जयराम
११३
१७वीं श.
८
ध्वीं श
६
आदी-कुत्रत्याभवन्तः ? कां दिशमलकुर्वन्तिस्म? कृष्णगढ मे लिखित
११५ २४६२ | सस्कृतमञ्जरी ११६
२४७८ सस्कृतमञ्जरी
३२३३ सस्कृतमञ्जरी १५८ २८५
सारसिद्धान्तकौमुदी ३०५८ सारस्वतकृदन्तप्रक्रिया
| १८६० ५ | १९२२ १६वीं श २०वीं श. १६वीं श, २६
M6m
वरदराज | अनुभूतिस्वरूपाचार्य क्षेमेन्द्र
१२०
४६० सारस्वतटिप्पण १२१ | २६६४ सारस्वतटिप्पण
,
१८वीं श. १२