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क्रमांक ग्रन्थाङ्क
*
८७
७६
ΤΟ
८१
४५१ | लिंगानुशासन
८२ | २४२४ | लिंगानुशासन ८३ | २४३२ लिंगानुशासन ८४ ३५६६ | लिंगानुशासन ८५ ३४०३ | लिंगानुशासनविवरण ४५३ | लिंगानुशासनविवरणो
८६
C
८६
६०
६१
६२
६३
६४
६५
६६
६७
555
ग्रन्थनाम
४४४ | लिंगनिर्णय
२६६ | लिंगानुशासन
६८
१६१७
वाक्यप्रकाश श्रौक्तिक सटीक
३३६७ वासनाविवरण
२४२६ | विपरीतग्रहण प्रकरण
३६४ | वैदिकप्रक्रिया २ | वैयाकरणकारिका
खड
१६५८ | शब्दकौस्तुभ व्याख्या ( भावप्रदीप ) ६६ | १६५६ | शब्दकौस्तुभव्याख्या
( भावप्रदीप )
व्यकरण-ग्रन्थाः
२२० | वैयाकरणभूषणसार २४३४ | वैयाकरणभूषणसार १५३ | वैयाकरणभूषणसार (स्फोटवाद )
२३५ | व्युत्पत्तिप्रकाश प्रथम
कर्त्ता भाषा
द्वार
४५२ लिंगानुशासन सविवरण हेमचंद्र
कल्याणसागर | संस्कृत १८वीं श. भट्टोजीदीक्षित
हेमचंद्र
हेमचंद्र
१७२८ | लिंगानुशासन सविवरण हेमचद्र
"
"
० स्वोपज्ञ
विवस्वोपज्ञ मू० उदयधर्म ० हर्षकुल
भीष्म
भट्टोजीदीक्षित
कौडभट्ट
35
99
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कृष्णमिश्र
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در
35
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19
33
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36
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33
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34
लिपि -
समय
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१६८
१८५८
"हवीं श
१६६०
१६वीं श.
१६५७
१६वीं श
१८३६
१६६
१६६३
१७वीं श.
१८२८
१८५६
१८४३
35
"
"2
पत्र
संख्या
35
1=35
१५
८
६
४
६
१०
७६
१८
३७
५१
१८३३ अ
१७५२
१७वीं श.
१६वीं श
८
२
२८
६
55 ~ 200
१० मू० रचना स० १५०७
सिद्धपुर मे राडबर मे लिखित ।
४३
५४
५१
६८
विशेप
३३
{
सिद्धान्तकौमुदीगत |
सिद्धान्तकौमुदीगत ! पिप्पलोद में लिखित
मांडवी (कच्छ) में
लिखित |
विक्रमपुर में लिखित सिद्धान्तकौमुदीगत | दौफणिभाषित भाष्याब्धेः शब्दकौस्तुभ उद्धृतः । तत्र निर्णीत एवार्थः संक्षेपेणेह कथ्यते
मोग्राम मे लिखित
पत्र २२ वां तथा
५० वां प्राप्त । श्रह्निक १से३ पूर्ण, ४ था अपूर्ण । आह्निक ५-६