________________
८]
राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
| लिपि- | पत्र| भाषा
समय | संख्या
कर्ता
विशेष
ग्रन्थनाम
१८६६
| नरसिह
संस्कृत
धन्वतरि
। २७
निघण्टु
धन्वंतरि
५६ १७७१ | गणितनाममाला हरिदत्त सस्कृत १८१४ | भुजनगर में लिखित | २४५१ गणितनाममाला
१७वीं श. ६१ ६२६ ज्योतिषनासमाला ६२ ५२२ भाषानाममाला
१८५६ ६३ | १७२६ नाममाला
नंददास
१६२० ६४ ५२५ नाममाला
धनंजय
१८१५
भुजनगर मे लिखित ६५ ३३५३ नाममाला
१६८८ १६६ | निघण्टु
१८३१ ३८२५ निघण्टु
१८८८ ३८४०
१७७५
| जैसलमेरु मे लिखित निघण्टु ३८४७
१७६४ २७
| रतनपुरी में लिखित १७२७ निघण्टुनाममाला
१६वीं श. २० किंचित् अपूर्ण ३५३१ निघण्टुनाममाला
धनंजय
| १६४३ ५ प्रथम परिच्छेद पर्यन्त निघण्टुनाममाल
| १७८८ ७४६ । ७३/ २४०० निघण्टुशास्त्र
१६वीं श. २६ । पाईयलच्छीनाममाला | पं० धनपाल । प्राकृत १८वीं श. १० । रचना सवत्तथा अनेकार्थनाममाला
। १०२६, सुन्दरी प्रथम कांड
| नामक वहिन के
। लिये रचना की। ५२६ | पारसातनाममाला कुअरकुशल व्रज हि० १८५७ २४४८ | बृहत्कणाभरणकोश हरिचरणदास , १९०५ ५७ । सं०१८३८ मे चैन
| पुर मे रचित । २७८८ | मातृका निघण्टु महीदाम संस्कृत | १६५ ५ । पुष्करारण्यस्थजाट
कुंज में लिखित ३०६४ मातृका निघण्टु
__, २०वीं श ३ । (एकाक्षरकोश) मानमजरीनाममाला नन्ददास ब्रज हि० १८७७ / १२ मानकूत्रा मे लिखित | मानमंजरी नाममाला ।
, १८वीं श. १०। ११२६ मानमंजरी नाममाला । , , १८२७ १२से२३' (२) १८७६ | मानमजरी नाममाला । . " १८वीं श.६७-१०८ गुटका
(२) ८३ ३५१७ मानमजरी नाममामा
":१८३३ वालोतरा में लिखित | ३६०० मानमजरी नाममाला
,, १८६२ १३ । कंटालीया मै लिखित
५.५ ५३६