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क्रमांक प्रन्याक
२०४ ३५६२ पखवाडा
(१५)
२०५ | ३५४६ | पंखप्रबोध (१२)
२०६ | २८६३ | पचतीर्थी नमस्कार
(३१)
२०७ २८६३ | पंचतीर्थी नमस्कार (४०)
२०८ | २८६३ | पंचतीर्थीस्तुति (४२) २०६ | २८६३ | पचपरमेष्ठिनमस्कार
(४१)
२१० ३५७५ पंचमांगसज्झाय
प्रन्यनाम
(६१) २११ | ३५७५ (४७)
२१२ २०५४ पंचलघुतीर्थ मालास्तवन २१३ | ११२२ | पंचांगुली देवीछंद २१४ | ३६४० पचेद्रियवेली
२१५ | १८५२ पद
(3)
२१६ १२ पद
(2)
२१७ | १८८२ पद
(३)
२१८ १८८२ पद
-(8)
२१६ | १८८२ पद
(५)
१८८२ | पद
(६) २२१ | १८५२ | पद (७)
२२०
"
गीत - श्रादि
शिवचंद्र
पचमीतपमहिमास्तवन लक्ष्मीसूरि
कर्त्ता
ही कलश
39
अमदास
तुलसीदास
कवलानन्द
अप्रदास
परमानन्ददास
भाषा
तुर (ल) सी
"
राज० २०वीं श. १३६
१३७
१६वीं श. ७४ वां
रा० गू० १७वीं श . ६६ वां
८५ वां
८५ वां
८५ वां
२०वीं श २६३
२६४
२३४
२३६
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33
35
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१६१८ १६वीं शमवां
गेल्ह (?)
१७वीं श
तुलसीदास व्रज० १६वीं श. १८वां
१८ वां
१८-१६|
१६ वां
१६ वां
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39
99
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लिपि -
समय
33
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55
36
"
16
33
33
19
39
पत्र
संख्या
23
"
५
१
१६-२०
२०-२१
२६३ ]
विशेष
संवत् १५५० में
रचित ।