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ज्योति-गणितोदि
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[ ११३
SS
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
अन्धनाम
फर्ता भाषा
लिपि- पत्रसमय संख्या
विशेष
४६
१६ रामविनोद
रामचंद्र
| संस्कृत | १६३२. ३६
अर्गलपुरमें लिखित,पत्र १ से ६ नहीं है, अक. बरशाह के महामात्य महाराजा रामदास की प्रेरणा से रचित
१
२५३६
१ ३४
तडाग्राम में लिखित
४८२
| आरंभसिद्धिगत।
४८३
४२४
१६६१
४०६
.
a
२२ शिष्यप्रियावामक'
टीका
|२५६८ रामायण दोहा
प्राहि० २०वीं श शकुनावली राहुविार
रागु०१६वीं श. ३०८६ | लग्नचन्द्रिका काशीनाथ सं० । १८८४ ३४४२ । 'लग्नचन्द्रिका
१७४६ २५६६ लग्नदोषारली
१८१ ३४४६ लग्नपरीक्षा
स० १७वीं श. ६८३ लवुजातक
१८वीं श. | लघुजातक
१७वीं श. लघुजातक
| १८१६ लघुजानक
१६वीं ४८७
| लघुजातक टीका महेश्वर ६६३ लघुजातक सटीक मू० वराह
टी.महेश्वर | लघुनातक सटीक मू० वराह
१७वीं
टी० महेश्वर ५६३ लघुजातक सटीक मू० वराह
१७२४ त्रिपाठ
टी० उत्पलभट्ट ३७८१ लघुजातंक सटीक मू० वराह
१६७५ टी० उत्सलभट्ट लघुजातक सटिप्पण वराहमिहिर १६६६ लघुजातक सटिप्पण उत्पलभट्ट
१८२४ लीलावतीगणित भास्कराचार्य
१८६४ ६७ लीलावतीगणित
१७४७ १५५६ | लीलावतीगणित
१५वीं श लीलावतीगणित
१७१५ २०.८ | लीलावतीगणित सटीक
१६६८
गंगाधर ४६६ १८६४ | लीलावतीगणितं भापो मोहनमिश्र वहिः १६वीं श
विक्रमपुर में लिखित
जावाल पुर मे लिखित कृष्ण गढ़ मे लिखित
.३
२५७१
भुजपुर में लिखित
५६७
३०
सं० १७१४ में रचित